RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
तभी अमित बोलता है- "रुको विजय.. इसे तो हम लोग ही संभाल सकते हैं.." फिर अपने दोस्तों को- चलो रे इसको बजातं है.."
फिर सभी मेरी तरफ आते हैं मुझे मारने, और में पहले से तैयार था, ये अमित को मिलाकर 5 लोग थे। सबसे पहले अमित स्टाइल मारते हए आता है और एक पंच मेरे मुंह पर मारता है पर उससे पहले ही मैं उसे एक थप्पड़ मारता है, जिससे एक साथ 10-12 थप्पड़ पड़े ऐसा शक्त लगता है जिससे बेचारा नीचे पड़ा हुआ मिलता हैं। मैं कोई टाइम न देते हुए दूसरे को भी एक थप्पड़ टिका देता है, और तीसरा मुझे मारने के लिए जैसे ही उठता है में उसके दूसरे पैर पर एक हल्की सी किक मारता है जिसमें तीनों धूल चाह रहे थे, और मुँह पर खून भी निकल रहा था।
चौथा और पांचवां एक साथ आते हैं, दोनों पंच मारने के जैसे, पर मैं उससे पहले ही अपने दोनों हाथों से एक एक जड़ देता हैं। अब उनकी भी हालत उन तीनों के जैसी थी। ये सब मैंने सिर्फ एक मिनट में किया था, जिससे दीदी, वो सभी और मैं खुद भी आश्चर्य में था। पर ये सब शक्ति मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। और तो और उन सबका खून देखकर डर ना लगने की जगह अच्छा लग रहा था।
पर मैं (बी.डी.) यहीं नहीं रुका बल्की एक शैतानी हँसी के साथ विजय और उन गुन्डों को देखते हए वो सभी खड़े हुए थे। मैं उनके मुँह पर किक मारने लगा और वो दर्द से चिल्ला रहे थे और खून बह रहा था। पता नहीं क्यों पर ये सब, दर्द की चीखें और बहता खन देखकर अच्छा लग रहा था, ये ताकत मझे एक नशे की तरह लग और चढ़ रही थी।
उन सभी की ऐसी हालत देखकर सभी को सदमा लगा था। एक मेरी शक्ति का और दूसरा अमित को कुछ हो गया तो उसका बाप उनको मार देगा और उसकी हालत मरजें जैसी ही हो गई थी।
विजय- "देख क्या रहे हो जाओ साले को मारो..."
उसकी बात सुनकर 6 लोग मेरी तरफ दौड़ते हैं, और मैं फिर सिर्फ एक शैतानी स्माइल जिसमें कुछ खौफनक हँसी भी थी, उनकी तरफ देखते हुए नीचे मार रहा था।
जब गुन्डा। पूरे जोर से मुझे एक पंच मारता है और में उसे आसानी से पकड़ लेता हैं और उसे घुमाकर तोड़ देता हैं। इतने में दूसरे के मेन पाइंट पर एक मस्त किक मार देता हैं, जिससे उसके मुँह में खून भी निकल जाता है
और दोनों की चीखें सुनाई देने लगती हैं। तीसरा और चौथा भी दौड़ते हए आ रहा था तो मैं (बी.डी.) नीचे बैठकर दोनों के पैर पकड़कर ऊपर उठ देता हैं जिससे दानों तेजी से जमीन पर उनके मुंह गिरते हैं और उनकर सिर और मैंह फट जाते हैं। जिसमें बेचारे सही से चिल्ला भी नहीं पाते।
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पाँचवां चिल्लाता हुआ आ रहा था की मैं उसके गले के बीच में एक पंच मारता हैं, जिससे उसकी आवाज और वो दोनों ही बंद हो जाते हैं और छठा भी उसकी ठीक पीछे ही था तो मैं उसकी नाक पर एक मस्त पंच मारता है, जिससे उसके मुंह से भी खून बहने लगता है, जो नीचे गिरते ही सुन्न पड़ जाता है। ये सब भी सिर्फ एक मिनट में ही हुआ था और वो भी ऐसी दुर्दशा की उन चारों की हालत खाब हो जाती है।
विजय इरते हुए- "तुमने इन्हें पहले कैसे मारा वो भी इतना जल्दी और इतनी बुरी तरह?"
बी.डी.- "अचे चूतिये, मैं कोई हीरा नहीं जो पहले तुमसे मार खाता और फिर मारता। मैं तो विलेन हैं, वा विलेन जो शुरू में भी मारता है और लास्ट में भी... अब तुम सब मरोगे हाहाहाहा."
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विजय और उसके बचे हये 3 गुन्डे बहुत डर जाते हैं, और अपने लड़ने के लिए इधर-उधर कुछ देखने लगते हैं। पर एक बात थी वो ये की इतना सब हाने, यानी चीखें और खून देख पर भी दीदी सिर्फ उतना ही इरी जितना किडनैप के वक्त लगा था। अजीब बात थी ये। पर मुझे में थोड़े ही देखना था। पर मेरे दोस्तों का तो गेस करना है ना?
अब विजय के पास हमेशा एक बड़ा चाक होता था तो उसने वो निकाल लिया और उन तीनों के पास कुछ नहीं था तो दोनों हाथों में पत्थर उठ लिया मझे मारने के लिए। मझसे और मेरी हँसी के डर से उनके हाथ कांप रहें थे। फिर उन तीनों में से एक ने एक पत्थर मेरी तरफ मारा। मैं नीचे झक कर और गोल-गोल घूमते हुए कुछ आगे भी आया। ऐसे ही वो मुझ पर पत्थर बरसा रहे थे और मैं बचते हए आगे बढ़ रहा था, फिर एक पेड़ के नीचे से एक पुरानी सी ईंट उठकर एक के सिर में फोड़ दी, और वो जोर से एक बार चिल्लाया फिर बाद में जमीन पर गिरने से उसका चेहरा खून से लाल हो गया था।
फिर दूसरे के पास जाकर दो इंटों को उसके नीचें दोनों पैरों पर दे माराम जिससे जोर-जोर से चिल्लाते हए नीचे गिरकर रोने लगा। फिर एक और पत्थर से सिर फाग दिया। तीसरा और विजय तो इर में बुत बने हुए थे। मैं फट से उनके पास जाकर उनके समझने से पहले ही उनकी गईन तोड़ दी। वो नीचे गिर गया चुपचाप।
अब सिर्फ बिजय बचा हवा था। में कब उसके सामने खड़ा हो गया, उसे पता ही नहीं चला। पर कुछ पल में समझकर वा इर से चिल्लाते हुए पीछे जा गिरा और छोड़ने के लिए कहते हुए पीछे खिसकने लगा।
विजय मौत वाली दुर से- "मुझे.. मुझे छोड़ दो... मैं पागल्ल था जो तुम्हारी बहन को किडनैप किया."
में उसके पास जाकर- "वो मेरी माल हैं, और उसे सिर्फ में ही चख सकता हैं..."
मेरी बात सुनकर उसके चेहरे पर डर और कन्फ्यू जन के भाव थे, पर ज्यादा देर नहीं। क्योंकी मैंने एक मस्त पंच उसके मैन अंग में मार दिया था। जिसमें एक आवाज के साथ वो भी चोप हो गया और मेरे चेहरे पर वहीं कमीनी स्माइल थी।
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