RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
लेकिन रंजीत रति का जिम नहीं हाशिल कर पाया तो उसे इस बात की चिद श्री और में उसके लिए पागल हुआ जा रहा था। अब टाइम तो चल रहा था। धीरे-धीरे राज के बच्चे होने लगे। लेकिन जीत को कोई बच्चा नहीं हुआ, इससे वो और गुस्से और बदले की भावना रखने लगा, अब वो इसके लिए कमी को मारने लगा की उसे बच्चा भी नहीं दे पाई। लेकिन हकीकत ये थी की उसके नशे के कारण उसके लण्ड के पानी में अब ताकत ही नहीं बची थी।
रति जब बीच-बीच में आती थी, तब उससे अपनी बहन का ऐसा हाल नहीं देखा जा रहा था। एक तो उसे पहले ही रंजीत पसंद नहीं था, लेकिन उसके घरवाले भला कैसे ऐसा रिस्ता मना कर देते। और अब कमी को ऐसे मारना और अब तो उसके बच्चा ना होने के कारण उसकी मौं बनने की इच्छा भी उसकी पूरी नहीं हो रही थी। जो पति का प्यार नहीं मिलने और शादी के इतने साल बाद जुल्म सहने के बाद सिर्फ अब एक बच्चे की माँ बनने की थी, तो पति ने एक दिन कमी को शहर ले जाकर चेकप करवाया तो रिपोर्ट नार्मल थी, यानी परेशानी रंजीत में थी। लेकिन अब उस जैसे आदमी से ये कौन बोलता और वो कमीना में सब कैसे मानता?
इन सबके बीच मनोज की मौत हो गई, और वो बहुत बुरी मौत मरा और इसी की मौत से राज को भी ये एहसास हो गया की जो वो अपने बाप और भाई के साथ यहां की औरतों का जिपम नाचता था, वो कितना गलत था और उसने जिषम के लालच में हो तो रति के साथ शादी की थी। पर वो नहीं जानता था की रति भी अपने अमीर बनने के लिए राज के साथ थी, और उसके साथ शादी करने के बाद खब जिम का खेल खेली। दोनों को अपनी गलती का एहसास मनोज की मौत और उनके घर में आने वाली प्यारी-प्यारी बेटियों के कारण हुआ।
अब वो ये सब छोड़कर अपने आपको एक अच्छी शुरुआत करनी शुरू कर दी। अब दोनों में जिम का खेल अपनी हवस को टंडा करने के लिए नहीं, बल्की उनकी रिश्ते की अलग पहचान के लिए होता था। हाँ ये जरूर था की उनका सेक्स जंगली होता था, लेकिन एहसास और सोच बदल गई थी। अब जंगली तो होना ही था क्योंकी, रति इतनी हाट थी और वो लोग ऐसी जगह पैदा और बड़े हए जहां एक बड़ा आदमी गाँव की सभी
औरतों का उन सभी के सामने रगड़ा था।
वक्त बदल और आगे बढ़ रहा था और साथ ही इन दोनों की जिंदगी। लेकिन एक चीज और बढ़ रही थी, वो था गाँव वालों की जिंदगी साथ ही कमी की हालत बुरी होती जा रही थी, और जीत के मन में राज की इज्जत और उसके पैसे बढ़ना ये सब उसे बर्दाश्त नहीं हो रहे थे।
ये बात राज और रति भी जानते थे लेकिन कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते रहे, और साथ ही रति का अब बोलने कपड़े पहँने, यानी कहने का मतलब ये है की वा अब शहर में रहकर परी माडर्न बन रही थी। फिर भी वो अपने बच्चो को अच्छे से पाल रही थी।
लेकिन अब रति का अपनी बहन का ये दख नहीं देखा जा रहा था, तो उसने इस बारे में राज से बात करने करने की सोची।
रति- राज मुझसे कमी का ये हाल अब और नहीं देखा जाता, तुम कुछ करते क्यों नहीं?
में राज- अब मैं क्या करंग रति उस जानवर (रंजीत) को समझाने का कोई फायदा नहीं है।
रति- तो क्या उसे ऐसे ही मरने दोगे उस जल्लाद के हाथों, बताओ?
मैं- मैं ऐसा तो नहीं बोल रहा, पर हम कर भी क्या सकते हैं बताओ?
रति भी मेरी बात सुनकर चुप हो जाती और कुछ सोचने लगती। तभी उसे कमी की वो बात याद आती है जब वो पिछली बार गाँव गई थी। तभी कमी ने उससे कहा था- "अब तो बस में एक बच्चे की माँ बन जाऊँ फिर वो भी मुझे बच्चे के लिए नहीं मारेंगे और मैं भी खुश रहूंगी."
क्योंकी अब तो कमी को भी पता चल गया था की उसकी किश्मत में एक जानवर के साथ जोड़ी गई है। वो सिर्फ अपनी हवस मिटाने और अपने इच्छा के लिए जीता है। उसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है,
और देखो बदकिस्मती की वो राज का जुड़वा भाई है और उसका चेहरा भी बहुत मिलता है।
रति कमी की उन्हीं बातों और रंजीत के कमीनेपन के बारे से सोचकर राज से वो कहती है। राज भी पहले पाप कर चुका था लेकिन हालत और सोच का इसमें बहुत फर्क था। लेकिन राज के लिए ये सदमे से कम नहीं था। क्योंकी दोनों ने अपनी गलती समझकर अब सब बदलकर आगे आ चुके थे, और रति तो फिर उसी रास्ते पर जाने के लिए कह रही है।
रति- "एक रास्ता है... क्यों ना तुम कमी के साथ सेक्स करके उसे माँ बना दो..."
मैं- "क्या? गति तम ये क्या कह रही हो? सब जानने के बाद भी फिर वही सब करने को बोल रही हो..."
रति. हाँ, पहले तू रिलैक्स होकर यहां बैठी। फिर मेरी बात एक बार ध्यान से सुनो।
में रिलॅक्स होकर बैठने के बाद- "ओके, अब बोलो?"
रति- देखो राज सारी सिचुयेशन तुम्हारे सामने है, एक तो हमारे गाँव में काई जा नहीं सकता और ना यहां का कोई आदमी कमी के साथ ये सब करने की हिम्मत कर सकता है, और अब तो बो हमें किसी भी हाल में कमी को शहर नहीं लाने देगा।
मैं- हाँ ये तो है।
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