RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
कमी- "आए जीज, बैठो... फिर दोनों बैठ जाते हैं
मैं- "ये बता तू कैसे इतनी जल्दी तैयार हो गई?"
कमी- "पहली बात तो यहां से कोई बड़ी बात नहीं है, ये तुम भी जानते हो। दूसरी मैं तो तुम्हें पहले से ही पसंद करती थी, और तीसरी बात इतने साल तो इंतजार ही किया है माँ बनने का, अब और देर की तो शायद ये फिर कभी नहीं हो पाएगा."
मैं- ओह हौं, तुम्हारी बात में पूरा दम है तो चलो शुरू करते हैं।
रति मेन दरवाजा बंद करके कमी के रूम के बाहर ही खड़ी होकर ये सब सुन रही थी। उसे कमी से कोई जलन नहीं हो रही थी, और कमी की माँ बनने वाली बात सुनकर उसे भी एहसास होता है की वो कितने दुख में थी।
में कमी को पकड़कर चमने लगता हैं वो जानती तो नहीं थी फिर भी परी कोशिश कर रही थी। मैं किस के साथ उसकी मोटी-मोटी चूचियां भी दबा रहा था। क्या मस्त चूचियां थी कमी की... मैंने पहले ही बताया था की कमी का जिम भी मस्त था।
हमारे मुँह से स्लप-स्लम की आवाज आ रही थी, फिर कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैं उसे लेटने को कहता हैं, और वो लेट जाती है तो मैं उसका बलाउज़ खोला तो उसकी नंगी मोटी-मोटी चूचियां उछलते हए मेरे सामने आ जाती हैं। क्योंकी यहां कोई भी अंदर के कपड़े यानी ब्रा और पेंटी नहीं पहनती हैं, मैं तो उसकी चूचियां देखकर उनमें टूट पड़ता है, उन्हें मसलते हुए चूसने लगता हूँ और कमी मस्ती से आवाजें निकल रही थी। क्योंकी उसने ये सब कभी नहीं महसूस नहीं किया था।
रंजीत तो हमेशा उसे मारता था या मारने के बाद ही सेक्स करता था, और तभी भी बीच में मारता था। उसके लिए वो उसे सुख के लिए पल थे जसमें वो खूब मस्ती मजे ले रही थी।
कमी- "आह्ह... राज्ज हौ... आह माँ... कितना मस्त चूसते हो तुम... मैंने पहले ऐसा कभी नहीं देखा..."
मैं चुचियाँ चसना बंद करके- "अरी मेरी रान्नी... अभी तो तेरी चुत चोदना बाकी है..."
ऐसे ही कुछ देर बाद मैं उसके घाघरे को उतार देता हैं, जिससे उसकी कसी, फूली हुई चूत मेरे सामने थी। मैं तो देखकर ही पागल हुआ जा रहा था, तो मैंने उसकी टाँगा को दोनों तरफ फैलाकर उसकी चूत को चूमना शुरू कर दिया। आह्ह... क्या मजा था उसकी चूत का, लगता है जैसे अभी भी कुँवारी चूत को चूम रहा हूँ.."
कमी- "आहह ... उयी क्या कर रहे हो जीजाजी आअहह.. ऐसा मैंने कभी महसूस नहीं किया ना देखा। आह्ह... मजा आ रहा है आहह... ये क्या है... आऽ, कितना मस्त चूस रहे हो... करते रहो मेरा पानी निकलने वाला है..." इसी के साथ ही वो तेज आइ: आ.5 करके पानी छोड़ देती है- "आहह... आहह... जीजाजी...' और वो निटाल पड़ जाती है।
मैं उसके पानी निकलते ही हटकर उसकी चूत रगड़ रहा था, जिसमें वो खूब पानी छोड़ती है। फिर में उसके साथ ही लेट जाता हैं और 10 मिनट के बाद मैं कमी को बोलता हैं।
मैं- कमी मेरी रानी अब तुम मेरा लण्ड चूसो।
कमी- "ठी ... ये तम क्या बोल रहे हैं गाजा काई ऐमें भी करता है क्या?
मैं- ही मेरी गनी, तू कर तुझे भी मजा आएगा।
कमी- "लेकिन मैंने तो कभी अपने गाँव में ऐसा नहीं देखा, पर तुम कहते हो तो करती हैं.." फिर कमी चूसने लगती है। पहले तो उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर कुछ देर में ठीक लग रहा था। वो क्या है की बिलासपुर में सिर्फ चूचियां चूसना और लण्ड चूत में डालकर चोदना ही होता है।
कमी दो-तीन मिनट लण्ड चूसने के बाद हट जाती है। क्योंकी अब उससे और नहीं हो रहा था। वैसे भी उसका पहली बार था। मैं कमी के हटने के बाद उसके दोनों पैर उठाकर फैलाकर उसके बीच आ जाता हैं और उसकी चूत पर लण्ड टिकाकर एक धक्का मारता हैं, जिससे मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस जाता है।
मेरे एक धक्के से उसे ज्यादा दर्द नहीं होता। लेकिन मैंने जब दूसरा धक्का मारा तो उसकी चीख निकल गई, वैसे मेरा और रंजीत का लण्ड बराबर था लेकिन वो कमी के साथ सेक्स कम ही करता था इसलिए ये सब हुआ।
आहह... राज धीरे करो, मैंने कई दिनों से
कमी- "आहह... करो जीजाजी, अब और ना तड़पाओ... आअहह.. उम्म्म्म नहीं किया है..."
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मैं भी दूसरा धक्का मारकर उसे धीरे-धीरे चोदने लगा। कोई 5 मिनट चोदने के बाद मैं उसे घोड़ी बनाकर उसकी चूत पीछे से मारने लगता हूँ। अब तो वो भी पूरे मजे में चुद रही थी।
कमी- "ओहो आइ मजा आ रहा है चोदो और चोदो... आहह मजा आ रहा है..."
फिर मैं 5 मिनट के बाद लेट जाता है और कमी को अपने ऊपर आने को बोलता हैं। वो भी आकर लण्ड के ऊपर उछलने लगती है। ऐसे ही 10 मिनट कमी खब मजे से चद रही थी और एक बार तो पानी भी छोड़ चकी थी और फिर गर्म होकर पानी छोड़ने पर और मैं भी नीचे से जोर से धक्के मार रहा था। क्योंकी अब मेरा भी पानी निकलने वाला था। और 10-15 मिनट के बाद दोनों एक साथ एक तेज आवाज के साथ पानी छोड़ देते हैं
और थक के वहीं पड़ जाते हैं। कमी की चूत में पानी निकल रहा था और सो जाते हैं।
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