RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
कड़ी_38 फ्लैशबैक जारी
अभी कमी कुछ और बोलती की वो मेरे पीछे देखकर डर से आँखें बड़ी करके कुछ बोलती, उसे पहले ही मेरी पीठ में तेज दर्द की एक लहर दौड़ गई। जिससे मेरी चीख निकल गई। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरी पीठ को किसी तेज धार वाली चीज से चीर दिया हो, और मैं दर्द से कमी को छोड़ते हुए पीछे की तरफ गिर पड़ा। क्योंकी अब मेरे में बिल्कुल शक्ति नहीं थी। मैं तो बेबस पड़ा देखा की ये सब उस कमीने रंजीत ने किया है।
कमी राज कहते हए तेजी से चीखती है लेकिन इससे ज्यादा नहीं बोल पाती है। क्योंकी अब उसमें और ताकत नहीं थी। वो भी बहती दर्द भरी आँखों से बेबस देख रही थी।
रंजीत मुझे देखकर अब कमौनेपन और पागलों की तरह हँस रहा था- "साले तू मुझे मारेगा हाहाहा... मुझे हाहाहा. देख मैंने सभी को मार दिया और त क्या उखाड़ लिया मेरा बहन के लौड़े। मुझे मेरी ही हुकूमत के अड्डे से मार कर बाहर निकाला था ना तने? देख अब मैं तुझें कैसी मौत देता है हाहाहाहा... ये बोल रंजीत ने अपनी तलबार मेरे पेंट में घोंपने के लिए उठाकर वार करता है की एक तेज- "आआअहहह..." की आबाज फिर गैज उठती है पूरे घर में, और बाहर से दरवाजा पीटने की आवाज आती है।
और ये आवाज मेरी नहीं, ये तो रंजीत की थी जो सिर पकड़कर, दर्द से गिरने वाला था और उसके सिर से खून भी निकल रहा था। मैं ये सब देखकर चकित था। बयाकी मौत तो मेरी होने वाली थी। लेकिन अचानक ये क्या हुआ? फिर रंजीत सिर पकड़े ही नीचं बेसुध गिर गया।
फिर मुझं रति दिखी जिसके हाथ में लाहे की वाली मोटी रोड थी, जिसपे खून लगा हुआ था।
मैं सब समझ गया की जब रंजीत चिल्लाता हुआ नीचे गिरा तो रति भी डर से वा रोड छोड़ दी और भागते हए मेरे पास आई की तभी बाहर से दरवाजा तोड़ने और गाँव वालों की आवाजें आ रही थी।
रति कैसे आई? ये जानने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं- "हुआ कुछ ऐसा था की जब में कमी की आवाज सुनकर नीचे गया रति को आराम करने का बोलकर तो वो भी समझ रही थी की शायद कोई बुरे सपने की बजह से कमी चिल्लाई होगी, और फिर राज और कमी और अपनी सास मोम की चीख सुनकर वो धीरे-धीरे नीचे आई
और जब उसने नीचे का नजारा देखा, यानी छाया के दो टुकड़े और कमी के पेंट में खून और सास मोम की ऐसी हालत तो उसे कुछ समझ में नहीं आया। वो ये सब देखकर दुख में डूबती जा रही थी।
इधर रजीत जब राज के खुद बोलने से की वो उसकी बेटी थी, और उसने कमी से संबंध भी बनाए थे। ये
जानकर उसे और गुस्सा आया और उसने अपनी तलवार को अपने से कुछ दूर देखकर, वो चुपचाप उसे उठाकर राज के पीछे जाकर कमीनी स्माइल के साथ वार करने के लिए तलवार उठाये राज के पीछे था, जो कमी ने देख लिया था इसीलिए वो चिल्लाई थी।
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इधर रति को तब होश आया जब राज कमी से बात कर रहा था। तभी उसकी नजर रंजीत पर पड़ी जो तलवार उठाने की कोशिश कर रहा था। ऐसे मोके पर रति ने पहली बार सही सोचकर अपने आपको ओड़ा रिलैक्स किया और साइड में रखें रोड को उठा लिया। क्योंकी वो जानती थी की यदि वो चिल्लाकर राज को बोलती, तब भी कुछ भी कर सकता था रंजीत। इसलिए अपने और अपनी बहन का बदला लेने और अपने गुस्से को उतारने के लिए उसने राज को मारने से पहले ही जार से वार किया रंजीत के सिर में। जिससे उसका सिर फट गया और वो चिल्लाते हए नीचे गिर गया।
बाकी सब आपके आगे आ ही चुका है। फिर रति राज को संभाल हो रही थी की गाँव के लोग दरवाजा तोड़कर अंदर आ गये, और जब सबने अंदर का नजारा देखा तो सब सकते में आ गये की ये सब कैसे हुआ? और किसने किया? किस तरह शुरू हुआ? कोई समझ नहीं पा रहा था। फिर जब रति के रोने से उनका ध्यान वहां गया, तभी सब उनसे पूछने लगे की ये सब कैसे हुआ? तब रति ने सिसकते हए सब बता दिया।
अब गाँव वालों की तो एक बला टली थी, और एक अच्छे इंसान की ऐसी हालत देखकर सभी उन्हें संभालने लग गये। गाँव के बैदजी भी आ गये जो उन्हीं में से थे।
गाँव के लोग- "मालिक, आप फिकर ना करें। हम इन सबके बारे में किसी को नहीं बताएंगे और छोटे मालिक की लाश का भूत चुडैल वाले जंगल में भी फेंक आएंगे..."
में उनकी बातें सुनकर खुश हो गया। फिर बैदजी मेरा इलाज करने लगे, और मरहम पट्टी कर दी और कुछ दवाई भी दी, और एक महीना आराम करने का भी बोल दिया।
फिर रंजीत की लाश को लोलू वाले जंगल में फेंक दिया गया। वो भी अधिकतर लोग साथ जाकर, जिसमें उन्हें आज कुछ नहीं हुआ और यहां फेंकने का ये कारण था की वैसे तो रंजीत के बारे में सब जानते थे की पता नहीं पीकर कहां पड़ा हो? वा वैसे ही कई दिनों तक घर नहीं आता था तो उसके बारे में किस पूछना था? यदि फिर भी किसी ने पूछा तो कई दिनों तक घर ना आने का बोल देंगे, और फिर ढूँढने पर वहां जंगल में उसकी लाश मिल जाएगी, वो भी पता नहीं किस हाल में? और अगर इस हाल में भी मिले तो सभी जानते हैं इस जंगल के बारे में तो कोई परेशानी नहीं होगी।
फिर सभी काम होने के बाद ऐसे ही बैठे रहे, और फिर सुबह हो गई। रति और राज को दुख बहुत था, लेकिन ऐसे टाइम उनके बच्चों को संभालजा था। फिर मनि, कमी और छापा के अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी। बा क्या है की जब वैदजी ने राज को देखने के बाद, मुनि और कमी को देखा तो उसे बताया की उनकी मौत हो चुकी है।
अब राज की तो ऐसी हालत नहीं थी की वो श्मशान जाकर उनकी चिता को आग दे सके, तो ऐसी सिचुयेशन पर उस कुछ घंटे के बच्चे को उन सभी को एक साथ सिर्फ आग देने के वक्त लेकर गये और उनका अंतिम संस्कार का काम किया गया।
में अंतिम संस्कार का काम बाला सारा सीन, वो झगड़ा देखने वाला काल कंबल ओटे वो आदमी देख रहा था
और ये सब देखकर अपने चेहरे पर एक शैतानी और कुछ पाने की खुशी के साथ वो निकल गया अपने रास्ते।
ऐसे ही कुछ दिन निकल गये और फिर एक दिन रति का बेटा यानी अवी, आज रूम में अकेला सो रहा था की अचानक रोने लगा, तो सब उसके पास आए और क्या देखते हैं की अवी के हाथ के एक बाजू में थोड़ा सा खून निकल रहा था, जैसे किसी छोटे कीड़े में काट लिया हो, या फिर कोई सुई चुभा दी हो। पर फिर किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। पर रति के मन में ये सब घटनाएं जो हई थीं, उससे वो यहां कंफर्टेबल नहीं महसूस कर रही थी। इसलिए उसने राज को वापस शहर चलने का बोला।
मैंने भी ये सही समझ और उससे कहा- "मैं थोड़ा ठीक हो जाऊँ, फिर चलते हैं... और ऐसे ही एक हफ़्ता निकल जाता है, और मैं अपने परिवार के साथ शहर आ जाता हैं और हम यहीं सेटल हो जाते हैं। वक्त चलता जाता है
और अबी और उसकी बहनें बड़ी होने लगती है। अबी एक अच्छे दिल का लड़का था, पढ़ने में भी अच्छा था फिर। फ्लैशबैक समाप्त
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