RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
कड़ी_41
अब चंदा की गर्मी बढ़ती जा रही थी। पर अभी मुझे उसे और हवा देनी थी। क्योंकी फिर जब वो चलेंगी तो सबको पीछे छोड़ देगी, और मुझे उसके बारे में भी बहुत पता चल चुका था की स्कूल में रोज उसे टीचर अपने केबिन में बुलाता था। पर एक बात थी वो अभी तक चुदी नहीं थी जो उसकी चल बता रही थी।
ऐसे ही रात हो जाती है। फिर सभी डिनर करने लगते हैं। कुछ बातें भी हई हैं, पर वो इतनी इंपार्टेट नहीं थीं। अब पहले जैसा कुछ नहीं रह गया था घर में, न वो लोग थे, और नहीं रह गया था घर में, न वो लोग थे, और न वो बातें। सब कर बदल सा गया था। पर मुझे इससे क्या? मैं तो मस्त था। कभी-कभी कुछ ऐसा होता की जैसे इस दिल के किसी कोने से या मेरे दिमाग के दसरे हिस्से से मुझे ये सब छोड़ने के लिए की मैं सब ना कर। पर मझे इन सब में हो तो मजा आता था।
फिर ऐसे ही सोचतें हए डिनर करता हैं और बाकी सब भी करते हैं फिर अपने-अपने काम में जाकर कोई सोचता,
तो कोई चूत रगड़ता है, तो कोई कुछ सोच रहा होता है। ऐसे ही सब सो जाते है फिर वैसे ही सुबह का टाइम होता है। सब अपने काम कर रहे होते हैं। मैं भी सबसे चिपके मसलते हुए विश करता है।
फिर अपने रूम में आकर स्कूल के लिए तैयार हो रहा होता हैं की मुझे रवि चूतिए का काल आता है।
रवि- हेलो।
मैं- हाँ गान्डू बोल क्यों सुबह-सुबह अपनी मोम चुदाई तूनें।
रवि गुस्से में- "माले तुझसे एक इपाट बात करनी थी। इतने दिन में बात नहीं हो पा रही है। इसलिए आज स्कूल मत जाना और मेरे घर आ जा। मैं भी नहीं जा रहा हैं। इधर ही बात करेंगे। समझ गया त?"
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मैं- "हाँ समझ गया, ठीक है। पर साले ऐसा क्या बताने वाला है त? क्या कहीं बाम्ब ता नहीं फोड़ने वाला या चूत की सील तोड़ने (बहन की) के लिए बुला रहा है?"
रवि- साले कमीनें जो बोल रहा हैं वो कर। हर जगह अपना लण्ड डालना जरूरी है क्या?
में- ठीक है, चल फोन रख, आता हैं।
काल कट करके मैं सोचने लगा- "इस चूतिए को ऐसी क्या बात करनी है, जो इतने दिनों से करने की सोच भी रहा था? चल देख लेते हैं की क्या बात है?"
फिर कपड़े बदलकर शार्ट कपड़े जो घर में पहनता है वो पहनता हैं। फिर मैं नीचे आकर सभी के साथ नाश्ता करने लगता हैं। फिर मोम को बोलकर की आज रवि को काम है इसलिए स्कूल नहीं जा रहा है, और अभी उसके पास जा रहा हूँ। वो ओके बोल देती है। अब मुझे कोई रोकता-टोकता नहीं था। क्योंकी सब मेरे नीचे जो आ चुकी थी।
में घर से निकलकर सीधा रवि के घर आकर डोर बेल बजाता है तो दरवाजा उसकी बहन ऋतु खोलती हैं। वो अपनी बड़ी गाण्ड के साथ क्या मस्त माल लग रही थी। मुझे तो इसे यहीं पटक कर चोदने का मन कर रहा था। वो मुझे देखकर स्माइल के साथ हाप बोलती है।
मैं भी हाय बालकर अंदर आ जाता है और उससे अपनी सवारी की गाड़ी यानी उसकी मोम सविता के बारे में पूछता हैं। तो वो बोलती है की बाहर मार्केट गई है, कुछ घर का जरनी सामान लाने।
मैं- "ओके" कहकर मन में- "सब सामान तो साली के पास पहले से है फिर कौन सा सामान लाने गई है?"
ऋतु ये बोल पलटकर जाने लगती है। तभी मुझे उसकी बड़ी-बड़ी गाण्ड ऊपर-नीचे होती देखकर मस्ती चदने लगती है, तो मैं उसके पास से निकलते हुए अपने दायें हाथ से उसकी गाण्ड दबाकर सीधा रवि के रूम में चल देता हैं। इधर ऋतु अपनी गाण्ड को उसके भाई के दोस्त के दबाने से उसका मस्ती चढ़ जाती है फिर सोचती है की छोटा सा बच्चा है और ऐसी हरकत करता है। साले ने मेरी लण्ड से चुदने की प्यास को हवा देता है, अभी बताती है।
जब मैं रवि के गम में आया तो वो कुछ ट्रॅट रहा था। उसे देखकर थोड़ी हँसी आई। साला एकदम चूतिया लग रहा था।
मैं- अबे गान्डू क्या देख रहा है?
रवि- अबे तू अभी आ गया चल थोड़ा और बैठ।
मैं- अबे भोसड़ी के देख क्या रहा है?
रवि- "अबे धीरे बोल। अत् दीदी यही हैं, और वो अभी मोम का काल आया था। वो अपना वालेट भल गई है,। बस वही देख रहा हूँ.."
मैं अभी कुछ बोलता, उससे पहले ऋतु रूम में आती है और थोड़ा गुस्से में भी थी, वो सीधा मेरे पास आती है और वो कुछ बोलती उससे पहले मैंने साली का मुँह बंद कर दिया, उसकी तो आँखें फटी की फटी रह गई। वो घर रही थी, उसका मुँह ऐसे खुला रहा गया, जैसे मुँह में लेने के लिए उसकी पक्टिस कर रही हो।
वो क्या है की जैसे ही वो मुझे कुछ बोलने को हुई की मैं जो अपने शार्ट में टेबल पर बैठा हुआ था, उसके बोलने से पहले ही अपने शार्ट को एक तरफ से ऊपर कर दिया। जहां उसे मेरा नंगा लण्ड सामने आ गया। उसकी तो हालत ही ऐसे ही हो गई की वो बस बुत बनी उसे पूरे जा रही थी। जब वो कुछ नहीं बोली, ऐसे ही देखती रही तो मुझे पता चल गया की लण्ड लेने के लिए इसकी चूत खूब पानी छोड़ रही है, इसलिए पागल हो रही है।
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