RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
कड़ी_45
एम.एल.ए. काल में डरी हुई आवाज में. "हेल्लो बोस्स.."
राज?- हेला काला क्या हुआ, तू इतना इरा हुआ क्यों है?
एम.एल.ए.- "बास पता नहीं कौन है, जिसे मेरे यहां छपे होने का पता चल गया है, और वो मेरे सभी आदमियों को मार रहा है..."
राज? टेन्शन में- "काला, त कैसे भी वहां से निकलो... वो पोलिस ही होगी और तने मुझे देख लिया है कहीं पकड़ा गया तो मेरे बारे में त सब बक देगा.."
एम.एल.ए- "नहीं बास। मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा, और वो पोलिस नहीं है। सिर्फ एक आदमी है, पुरुश या स्त्री अभी कन्फर्म नहीं है। वो सिर्फ ये बता रहा है की वो जो कोई भी हैं सिर्फ एक है, जिसे अभी गन भी सही से चलानी नहीं आती है.."
राज2- "क्या?"
ये बात तो रंजीत के लिए भी किसी बड़े सदमे से कम नहीं थी।
राज2- तो फिर वो है कौन? और किसलिए ये कर रहा है?
एम.एल.ए. मुझे नहीं पता बास की वो पं सब क्यों कर रहा है?
राज2- "कुछ भी हो पर एक बात तो है की वो वहां तुम्हारे लिए आया है.." फिर अचानक उसके मन में कुछ आता है- "कही वो सीक्रेट आफिसर या एजेंट तो नहीं, जो उन्हें चकमा देने के लिए ये दिखाया हो की जैसे उसे गन चलानी भी नहीं आती और वो सब उसे इंजी ले लें। क्योंकी ऐसे अकेले तो यही लोग करते हैं.."
फिर पूरे टेन्शन और इर से- "तू कैसे भी वहां से निकल, अगर पकड़ा जाए ता अपने आपको गोली मार लेना। पर मेरे बारे में कुछ नहीं बोलना, वरना बच नहीं पाएगा मेरे हाथों समझा?"
एम.एल.ए.- "ओके बास... और काल कट हो जाती है
अब तो एम.एल.ए. की पौ फट के हाथ में आ गई थी। क्योंकी वो जानता था की यदि वो इन दोनों से कोई भी हुआ, या फिर एजेंट तो उसकी क्या हालत होगी? वो ये बात अच्छे से जानता था और वो अपने बास का कहा हुआ भी नहीं कर सकता था। वैसे भी उसकी कोई परिवार तो थी नहीं, जो उसको बचाने के लिए अपने आपको मारना पड़े। अब सभी को अपनी जान प्यारी होती है, तो वो कैसे खुद को मार सकता है? पर डर तो उसकी गाण्ड से उसके सिर तक पहुँच गया था। जिससे उसे समझ में ही नहीं आ रहा था की वो क्या करें? फिर वो पीछे से निकलकर भागने के लिए जैसे ही अपने रूम का दरवाजा खोलता है तो उसे सामने एक 18-19 साल का लड़का हाथ में गन लिए उसकी तरफ करके एक कमीनी स्माइल दे रहा था। जिससे उसकी और फट रहीं थी। लेकिन सिर्फ एक इतने कम उम्र के लड़के को देखकर कुछ रिलैक्स था।
में सभी को मारकर अंदर इनके लौडर यानी एम.एल.ए. को देखने लगता हैं। तभी एक रूम में मुझे कुछ आँके बास जैसी आवाज सुनाई दी। मैं समझ गया एम.एल.ए. यहां ही है। पर अभी ये भी था की शायद वो अकेला ना हो, उसका बास यानी 2 भी हो। इसलिए में दरवाजा खुलने का इंतजार कर रहा था। और जैसे ही उस रूम का दरवाजा खुला में एम.एल.ए. काला के सामने गन ताने खड़ा था, और मैंने देख की वो रूम में अकेला ही है, यानी मोबाइल पर बात कर रहा होगा।
मैं- "ओह्ह ... एम. एन.ए. साहब कैसे हो? और इतना पशीना क्यों निकल रहा है?"
एम.एल.ए.- कौन हो तू और मुझसे ऐसे बात करने की तेरी हिम्मत कैसे हुई?
मैं समझ गया सामने मुझे बचा समझ कर इगा रहा है। साले को दिखाना ही पड़ेगा की जितना उसने एम.एल.ए. बनकर कुर्सिया नहीं तोड़ी होंगी, उतनी तो मैं चूत और गाण्ड फाड़ चुका है। मैं यही सोच रहा था की एम.एल.ए. मुझे साच में देखकर समझा की मैं डर गया तो झपट्टा मारकर मेरे हाथ से गन छीनने लगा, तो मैंने एक मस्त लात मारी, जिससे वो रूम के बेड पर जाकर गिरा चिल्लाते हुए। साला बी.डी. से चालाकी?
एम.एल.ए- "आअह्ह... मर गया.."
में- "बहन के लौड़े मुझसे लण्ड खेली, अब मैं तो फाड़कर रख देता हैं.." बोलकर मैंने एक गोली उसके पैर पे चलाई, अब गन ऐसी थी की एक बार गन का ट्रिगर दबाने पर 5-6 गोलियां जा लगी उसके पैर में और दो-तीन बेड पर उसके पैर के लगी।
एम. एल. ए- "आह्ह... मार डाला आअहह... कितना दर्द हो रहा है?"
मैं- "अब तो तू समझ ही गया होगा की मैं क्या चीज है। बरचा मत समझ, सिर्फ इतना बता की र2 कौन है? बरना अबकी बार गाण्ड में गोली मारंगा तो सिर चौर के निकलेंगी, और वो भी पता नहीं कितने छेद करके समझा?"
एम.एल.ए.- बताता हूँ.. पर तुम्हें एक वादा करना होगा की तुम मुझे जिदा छोड़ दोगे। बोला मजूर है?
मैं- ठीक है वादा किया। तुझे कुछ नहीं करूंगा, अब अपना मुँह खोल।
एम.एल.ए.-2 यानी दो 'आर' मतलब की दो नाम।
मैं- हाँ आगे बाल।
एम.एल.ए.- "एक 'व' का नाम- राज? नायर जो शहर का एक बड़ा बिजनेसमैन हैं, और दूसरा उसी का दोस्त और पारिवारिक डाक्टर रजत गुप्ता..."
मैं तो एम.एल.ए. की बात सुनकर चकित हो गया। साला ये तो मैंने सोचा भी नहीं था। साला कुछ समझ में नहीं आ रहा था। ऐसे कैसे हो सकता है? वैसे मुझे उसमें कोई लगाव नहीं था। लेकिन था तो सदमा ही मेरे लिए। फिर मुझे रवि और रेणु की बात याद आती है। अब मुझे भी यकीन हो गया की साला बो तो अपने बेटे को ही मारने की फिराक में है। साला मेरी तो समझ में नहीं आता है पर इसका क्या लोचा है?
एम.एल.ए.- अब तो मुझे जाने दो। मैंने तुम्हें सब बता दिया और तुमनें वादा भी किया था।
मैं "अगर मैं छोड़ा तो वो तम्हें मार देंगे, और वैसे भी मैं हीरा नहीं, जो अपने इन चतिए वादा में पड़ा रह बेवकूफी करता रहूं, समझा? में विलेन हैं बिलेन हाहाहाहा... तो फिर मेरे ही हाथों मर जा, क्या करेंगा जीकर हाहाहा..." और गोली चला दी। पता नहीं कितनी गोलियां लगी साले को पर पूरा मर गया था।
फिर मैं चल दिया। लेकिन घर जाने में पहले कपड़ों का कुछ करना पड़ेगा। वरना सब गाण्ड में उंगली करने लगेंगे। शहर के पास आकर एक माल में गया और तेजी से एक शाप से पतला को ही उठा लाया, और उसके कपड़े उतारकर पहन लिया। शाप वाला तो जब तक सदमें से बाहर आया, तब तक मैं तो बाहर कपड़े चेंज करके निकल भी गया था।
में घर जाते हए कमीनी स्माइल के साथ खुश था। क्योंकी अब मुझे वहां जाने में कोई परेशानी नहीं होने वाली थी। क्योंकी मुझे पता है वो कौन है और मैं इतने आराम से मार सकता हूँ। फिर मैंने सोचा की देर किसलिए? में कोई पोलिस थोड़े ही हैं, जो अपना काम देर से करें। इसलिए बाइक घुमाकर चल दिया र2 के दूसरे पार्टनर यानी रजत गुप्ता के पास, उसे ऊपर पहुँचाने।
मैं 20 मिनट के बाद रजत के क्लिनिक में उसे देखकर मैं समझ गया की ये तो बस नाम के लिए ही है। क्योंकी ऐसी जगह कोई पेशेंट कैसे हो सकते हैं, और उसने सोचा होगा ऐसी जगह से वो अपना काम आराम से कर सकता है। पर बेचारे ने ये नहीं सोचा की यहा उसका काम भी आराम से हो सकता है और उसने अपनी सेक्यारिटी के लिए बस दो गुन्हें रखे थे, जो की बाहर मुख्य दरवाजे पर खड़े थे। अब उसकी सोच भी सही थी। एक तो कोई उसे जानता नहीं, दूसरा किसी को पता भी नहीं है की वो कहां रहता है? सिर्फ मेरी परिवार को छोड़कर। और में उसको मारने भी आ गया। अब मेरे कमीने बाप के लिए इससे बड़ा झटका और क्या हो सकता था?
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