RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" राजन सरकार को बेगुनाह साबित करने "
" जी " विजय ने अपना सारा जिश्म आकड़ा लिया.
" दिमाग़ खराब हो गया है तुम्हारा, जिसे कोर्ट दोषी करार दे चुकी है, उसे तुम बेगुनाह साबित करोगे "
" दिमाग़ हमारा नही, तुम्हारे आइ.जी. साहब का खराब हो गया है, उन्ही के मारे हम इस वक़्त यहाँ खड़े है "
" क्या मतलब "
" मतलब कयि किलोमीटर लंबा है तुलाराशि, उसे समझने के फेर मे पड़े तो सारी उम्र यही गुजर जाएगी "
" तुमने अभी तक मेरे इस सवाल का जवाब नही दिया कि तुम लोग यहाँ क्यो आए थे "
इससे पहले कि विजय कुछ कहता, विकास ने संक्षेप मे सबकुछ बता दिया, ऐसा शायद उसने इसलिए किया क्योंकि जानता था, विजय गुरु रघुनाथ को सीधा जवाब देने वाले नही है.
रघुनाथ ने कहा," मतलब गोली तुम्हारे सामने चली "
" हमारी आँखो के नही, कानो के सामने "
रघुनाथ ने उसे घूरा और बोला," तुम किसी बात का सीधा जवाब नही दे सकते "
" जवाब बिल्कुल सीधा है डार्लिंग, तुम्हे आड़ा-तिरच्छा नज़र आए तो हम क्या कर सकते है, तुम्हारा क्या पता, कल चश्मदीद गवाह बनाकर हमे कोर्ट मे खड़ा कर दो, हम वहाँ भी यही कहेंगे कि हम ने गोली की आवाज़ सुनी थी लेकिन वो हमारे सामने नही चली थी "
" सुन चुका हू "
" बड़ी मेहरबानी क़ी हम पर मगर हमारे ख़याल से प्रोटोकॉल के मुताबिक अब तुम्हे लाश की सुध लेनी चाहिए क्योंकि हो सकता है कि इतनी देर हो जाए कि लाश तुम्हारा इंतजार करते-करते थक जाए और खुद ही उठकर पोस्टमॉर्टम के लिए पहुच जाए, बहरहाल इंतजार की भी कोई हद होती है मिया "
रघुनाथ की सोचो को झटका लगा.
बोला," कहाँ है लाश "
" आइए, कराते है दर्शन " कहने के साथ विजय उस कमरे की तरफ बढ़ा जिसमे लाश थी.
रघुनाथ और इलाक़े का थानेदार और दो पुलीसीए भी उसके पीछे बढ़े, विकास और उसके कंधे पर बैठा धनुष्टानकार तो था ही.
कमरे मे पहुचने के बाद रघुनाथ कुछ देर तक बेड के चारो तरफ घूम-घूमकर लाश का निरीक्षण करता रहा, फिर बोला," लगता तो यही है कि इसने आत्महत्या की है "
विजय ने बड़े आराम से कह दिया," मर्डर भी हो सकता है "
" मर्डर, मर्डर कैसे हो सकता है " रघुनाथ चिहुन्का," तुमने खुद ही तो बताया, गोली की आवाज़ सुनकर जब तुम लोग यहाँ पहुचे तो कमरा अंदर से बंद था जिसे रोशनदान के रास्ते से घुसकर धनुष्टानकार ने खोला और... कमरे मे आने-जाने का कोई अन्य रास्ता कम से कम मुझे तो नज़र नही आ रहा "
" पहली बात, ये सारी कथा तुम्हे हम ने नही, दिलजले ने सुनाई है, दूसरी बात, आँखो की जगह अगर बटन फिट कर दिए जाए तो नज़र भी क्या आ सकता है "
" मतलब " वो गुर्राया.
" मुकम्मल घटनास्थल का मुआयना अभी आपने किया ही कहाँ है सूपर ईडियट साहब, करो तो शायद ये भी नज़र आ जाए कि इस कमरे मे मर्डर करने के बाद कोई कैसे ऊडन-छु हो सकता है "
एक बार फिर रघुनाथ कुछ नही बोला.
सिर्फ़ उसे घूरता रहा.
इधर, विजय की बात ने विकास को बुरी तरह चौंका दिया था, उसके ख़याल से भी ये मामला सीधा-सीधा स्यूयिसाइड का था और अभी तक उसका ये विचार था कि विजय गुरु के मुताबिक भी ऐसा ही है मगर विजय गुरु के उपरोक्त कथन ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया, परंतु ये बात उसकी समझ मे नही आई कि ये मर्डर कैसे हो सकता है.
उसके ख़याल से भी वहाँ हत्यारे के भाग निकालने लायक कोई रास्ता नही था.
कमरे का स्कॅन सा कर रही रघुनाथ की नज़र बाथरूम के बंद दरवाजे पर स्थिर हो गयी.
वो उसकी तरफ बढ़ा.
बाथरूम मे पहुचा.
उसका मुआयना करता बोला," मुझे तो ऐसी कोई जगह नज़र नही आ रही जहाँ से कोई दाखिल हो सके या निकल सके "
" वो क्या है " विजय ने रोशनदान की तरफ इशारा किया.
" वो " रघुनाथ की नज़र रोशनदान पर स्थिर हो गयी," तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है क्या, भला इतने छोटे रोशनदान से कोई कैसे आर-पार निकल सकता है "
" जैसे अपना धनुष्टानकार घुसा "
" धनुष्टानकार की बात और है, मैं किसी व्यक्ति की बात कर रहा हू, कोई व्यक्ति इस रोशनदान से.... "
" क्यो नही हो सकता रघु डार्लिंग " विजय रघुनाथ की बात काटकर बोला," बिजलानी मिया का हत्यारा अपने मोंटो जैसा कोई जीव क्यो नही हो सकता, जैसे चिंपू जी, लंगूर या कोई और जीव, ऐसे भी कुछ लोग होते है जिनकी कद-काठी वैसे जीवो जैसी होती है जिनके हम ने नाम लिए, ऐसा क्यो नही हो सकता कि ऐसी ही कद-काठी का कोई शख्स रोशनदान के माध्यम से कमरे मे आया हो और हमारे यहाँ पहुचने से पहले ही बिजलानी साहब का एक बटा दो करके निकल गया हो "
रघुनाथ ने टिप्पणी की," कौड़ी ज़रा दूर की है "
" पर कौड़ी तो है ना "
विकास बोल पड़ा," निसचित्ऋूप से घटनास्थल पर आपने कुछ और भी देखा है गुरु, कुछ ऐसा, जिससे आपको लग रहा है कि ये मर्डर भी हो सकता है, केवल रोशनदान के बूते पर तो आपने ये बात नही कही हो सकती "
" सुना प्यारे तुलाराशि, तुमसे ज़्यादा भेजा तो तुम्हारे कपूत की खोपड़ी मे ही क्रिकेट खेल रहा है "
" ऐसा और क्या नज़र आ रहा है तुम्हे "
" ढुंढ़ो मेरी जान, छोटा सा घटनास्थल है " विजय ने चुनौती देने वाले लहजे मे कहा," पूरे के पूरे घटनास्थल पर घूम-घूमकर देखो कि ऐसा कौन सा दूसरा सुत्र है जिससे लगता है कि अशोक बिजलानी का क्रियाक्रम किसी और ने भी किया हो सकता है "
रघुनाथ पर तो जो प्रतिक्रिया हुई, सो हुई ही, विकास का भी जहाँ झंझणा उठा था, इसमे कोई शक नही कि उसने भी विजय के साथ ही घटनास्थल का निरीक्षण किया था मगर वैसी कोई बात नज़र नही आई थी जिसके कारण इस दिशा मे सोच सकता था कि यहा जो कुछ हुआ वो स्यूयिसाइड की जगह मर्डर भी हो सकता है.
अब उसने हर चीज़ को बारीकी से देखना शुरू किया, रघुनाथ भी वैसा ही कर रहा था और... वे दोनो ही क्यू, धनुष्टानकार की आँखे भी जैसे एक्स-रे मशीन मे तब्दील हो चुकी थी, थानेदार और उसके साथ आए पुलिसियो की हालत भी ठीक वैसी ही थी.
उन्होने बाथरूम ही नही, दोबारा कमरे का भी निरीक्षण किया मगर कही ऐसा कुछ नज़र नही आया जिसके बूते पर इसे मर्डर कहा जा सकता, अंततः हार-सी मानते हुवे रघुनाथ ने कहा," मुझे तो कही कुछ नज़र नही आ रहा "
" तुम भी हार गये दिलजले " विजय ने ऐसे लहजे मे पूछा जैसे कि उसने कोई पहेली पूछी थी और वे जवाब नही दे पा रहे थे.
विकास को कहना पड़ा," हां "
" अशोक बिजलानी राइट हॅंडर था जबकि खुद को वो लेफ्ट हॅंड से गोली मारता नज़र आ रहा है "
सभी चौंके, विकास ने पूछा," आपको कैसे मालूम कि वो राइट हॅंडर था "
" इस फोटो को देखो " विजय ने दीवार पर लगे फोटो की तरफ इशारा किया," इसमे बिजलानी पेड़ पर बैठे तितर को निशाना बनाता नज़र आ रहा है, रिवॉल्वार यही है मगर दाए हाथ मे "
विकास सहित, वहाँ मौजूद हर जीव के दिमाग़ मे विस्फोट सा हुआ, बात बिल्कुल दुरुस्त थी, थानेदार और दोनो पुलीसीए मन ही मन कह उठे," क्या आदमी है ये, जिस बात पर किसी का ध्यान नही गया, ये उसे पकड़े बैठा था "
" बात तो ठीक है गुरु " विकास आती-उत्साहित अंदाज मे कह उठा," इसका मतलब तो ये हुआ कि ये 100 पर्सेंट मर्डर है "
" नही दिलजले, इसका मतलब 100 पर्सेंट वो नही हुआ जो तुम समझ रहे हो बल्कि हम ये कहेंगे कि तुममे कमी ही ये है कि किसी भी छोटे-से पॉइंट के अपनी समझदानी मे घुसते ही अंतिम नतीजे पर पहुच जाते हो जबकि ऐसा नही होना चाहिए, एक सुलझे हुवे इन्वेस्टिगेटर को अंतिम नतीजे पर पहुचने से पहले मामले को हर आंगल से जाँच और परख लेना चाहिए "
" सॉफ नज़र आ रहा है गुरु, बिजलानी ने खुद को गोली नही मारी बल्कि किसी और ने मारकर इसे आत्महत्या साबित करने की कोशिश की है, या तो हत्यारे को बिजलानी के राइट हॅंडर होने का पता नही था या वो इस महत्त्वपूर्ण तथ्य को भूल गया "
" ऐसा भी हो सकता है और नही भी "
" आप कहना क्या चाहते है "
" मामला फिफ्टी-फिफ्टी का है " विजय बोला," ये मर्डर भी हो सकता है और स्यूयिसाइड भी "
" वो कैसे "
" कुछ लोग कुछ ख़ास काम राइट हॅंड से करते है, कुछ लेफ्ट हॅंड से, जैसे सचिन तेंदुलकर, वो बॅटिंग राइट हॅंड से करता है, साइन लेफ्ट हॅंड से और... कुछ लोग ऐसे भी होते है जो सारे काम दोनो हाथो से कर सकते है, एक साथ दो हाथो से लिख सकते है "
" ये बात तो ठीक है " विकास पस्त-सा हो गया था," फिर नतीजे पर कैसे पहुचा जाए "
" शायद राजन से बात करने के बाद कोई जूस निकले "
" वो कहाँ है " रघुनाथ ने पूछा.
विजय बगैर कुछ कहे दरवाजे की तरफ बढ़ गया.
अगर विजय की भाषा मे कहा जाय तो वे सभी लांगेड़ुओ की तरह उसके पीछे लपके थे.
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" ये...ये क्या हो गया विजय " कमरे मे दाखिल होते हुवे राजन सरकार ने कहा," मैं तो सोच भी नही सकता था कि बिजलानी स्यूयिसाइड कर लेगा "
" आपसे किसने कहा कि उसने स्यूयिसाइड की है "
" इसमे किसी के कहने वाली क्या बात है, गोली की आवाज़ सुनकर हम सब साथ ही वहाँ पहुचे थे, कमरा अंदर से बंद था, बंद कमरे मे गोली चलने का मतलब... "
विजय उसकी बात काटकर कहता चला गया," कयि बार ऐसा भी हो जाता है जनाब की बख़्तरबंद कमरे मे गोली चलती है लेकिन वो स्यूयिसाइड नही होती, कोई मर्डर करके ऐसे रास्ते से उडनच्छू हो जाता है जो पहली नज़र मे किसी को नज़र नही आ रहा होता और फिर इस बात को आपसे बेहतर कौन समझ सकता है, आपका का तो खुद कहना है कि चारो तरफ से बंद ए-74 मे कोई आया और कान्हा-मीना का मर्डर करके ऐसा फरार हुआ कि आज तक हाथ नही आया, धार पर आप रखे गये "
" क...कह तो तुम ठीक रहे हो पर क्या ऐसा हुआ है "
" अभी कुछ नही कहा जा सकता कि कैसा हुआ है " विजय ने सामने पड़ी कुर्सी की तरफ इशारा किया," विराजिए "
असमंजस मे नज़र आ रहा राजन सरकार उस कुर्सी पर बैठ गया जिसकी तरफ विजय ने इशारा किया था.
विजय, विकास और रघुनाथ सामने बैठे थे.
धनुष्टानकार विकास के कंधे पर.
विजय ने काफ़ी सोच-समझकर अपना अड्डा इस कमरे मे जमाया था, थानेदार और दोनो पुलिसियो की ड्यूटी उन सबको एक-एक करके इस कमरे मे भेजने की लगाई थी जिनसे वो पूछ-ताछ करना चाहता था.
पहला नंबर राजन सरकार का ही था.
विजय ने कहना शुरू किया," हम आपके और अपने बापूजान के अनुरोध पर कान्हा मर्डर केस की रियिन्वेस्टिगेशन करने निकले थे मगर पहले ही स्टेप पर एक अलग ही लफडे मे फँस गये, या अगर यूँ भी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी कि कान्हा मर्डर केस की शुरूवात काफ़ी धमाकेदार और सनसनीखेज हुई है, उतनी ही पेचीद्गियो भरी जितनी कि कान्हा मर्डर केस है "
" मैं समझा नही कि तुम क्या कहना चाहते हो "
" आपकी तो बिसात क्या है, कयि बार तो खुद हमारी समझ मे भी नही आता हुजूर कि हम क्या कह रहे है और क्या कहना चाहते है " विजय अपनी धुनक मे कहता चला गया," फिलहाल ये बताइए कि बिजलानी को कब से जानते थे "
" करीब 10 साल से "
" पहली मुलाकात कब, कहाँ और कैसे हुई "
" तुम जानते ही होगे, अपनी जवानी मे मैं हॉकी का बहुत अच्छा खिलाड़ी था, अपने प्रदेश को रेप्रेज़ेंट किया था मैंने, इसलिए उम्र ढलने पर रेलवे ने अपनी टीम का कोच नियुक्त किया, बिजलानी अक्सर उस वक़्त स्टेडियम मे आ जाया करता था जब मैं अपने साथियो के साथ प्रॅक्टीस कर रहा होता था, खुद को फिट रखने के लिए दो-चार हाथ वो भी आजमा लेता था "
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