RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" चाहता तो मैं भी यही हू कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए, यही फरियाद लेकर तुम्हारे पास गया था मगर लाख मिन्नतो के बावजूद सारे जमाने की तरह तुम भी मुझे कान्हा और मीना का हत्यारा मान रहे ही और अब तो एक और हत्या मेरे गले मढ़ दी, बिजलानी का हत्यारा भी मुझेही बता रहे हो, ऐसी बात कह रहे हो जिसके बारे मे मैं सोच भी नही सकता "
" आप गच्चा खा गये सरकार साहब "
" कैसा गच्चा "
" अगर आप हमारे एक-एक शब्द पर गौर फरमाएँगे तो पाएँगे कि हम ने पूरे तौर पर आपको बिजलानी का हत्यारा नही कहा बल्कि सिर्फ़ संभावना व्यक्त की है, ये कहा है कि ऐसा क्यो नही हो सकता, वैसे भी, हम मे ये खराबी है कि जब तक हमारे हाथ पुख़्ता सबूत नही लग जाते तब तक सब पर शक करते है लेकिन जंबूरा किसी का नही पकड़ते, आपका भी नही पकड़ा "
इस बार राजन सरकार कुछ नही बोला.
चेहरे पर हैरत के भाव लिए विजय की तरफ बस देखता रहा.
जैसे सोच रहा हो, कैसा प्राणी है ये.
सबकुछ कहकर भी कुछ नही कहता.
जबकि विजय ने अब बिल्कुल उल्टा राग छेड़ दिया था," ऐसा भी तो हो सकता है कि ये सब किसी ने आपको फँसाने....और गहरा फँसाने के लिए किया हो "
ये शब्द स्वतः राजन के मुँह से फिसला," मतलब "
" किसी को पता हो कि आप हमारे पास फरियाद लेकर पहुचे है, हमे ये हक़ीकत बताई है कि बिजलानी ने आपसे मीना की लाश की शिनाख्त करने के लिए कहा था, उसने बिजलानी का एक बटा दो ये सोचकर कर दिया हो कि हम आप पर शक करे, वही सब सोचे जो कुछ देर पहले कह रहे थे "
राजन सरकार की इच्छा अपने बाल नोच डालने की हुई, सॉफ-सॉफ लग रहा था कि उसकी समझ मे ये नही आ रहा था कि विजय किस किस्म का जीव है, अपनी खिसियाहट और झल्लाहट को छुपाए रखने की कोशिश करता वो बोला," तुम जो सोचते हो, वो सोचते रहो विजय लेकिन प्लीज़, मुझसे कुछ भी डिसकस ना करो
क्योंकि मेरा सिर फटने लगा है, तुम्हारी एक भी बात मेरी समझ मे नही आ रही है, कभी कुछ कहते हो, कभी कुछ "
" ग़लती आपकी नही है जनाब, जब हमारी बात हमारी ही समझ मे नही आ रही है तो आपकी तो बिसात ही क्या है "
राजन सरकार उसे ऐसी नज़रो से देखता रहा जैसे संसार के सबसे विचित्र प्राणी को देख रहा हो.
" फिर भी बात को आगे बढ़ाते है " विजय ही बोला," क्या आप किसी ऐसे आदमी को जानते है "
" कैसे आदमी को "
" जो आपकी कब्र खोद रहा हो "
" मतलब "
" अगर आप बेगुनाह है तो कोई ना कोई तो है जो आपकी कब्र खोद रहा है बल्कि खोद चुका है, अब आपको उसमे केवल दफ़नाना बाकी है क्योंकि आपके बेगुनाह होने की सूरत मे आपके खिलाफ इतने सबूत किसी असामाजिक तत्त्व की कोशिश के बगैर पैदा नही हो सकते, कोई तो है जिसने आपको ऐसा जाल मे उलझाया है जिसके कारण हम जैसे सूरमा भी आपको अपने बेटे और नौकरानी का हत्यारा मानने लगे है "
" ये तो मैं भी मानता हू "
" मानते हो तो फिर जानते क्यो नही हो, हमारा मतलब, हमे बताओ कि वो कौन हो सकता है "
" मैंने काफ़ी सोचा, तभी से सोच रहा हू जबसे इस जंजाल मे फँसा, पर लाख सोचने के बावजूद मेरी नज़र किसी पर नही ठहरी, कुछ समझ मे नही आया,
मैंने तो आज तक किसी को सुई चूभोने जितना दर्द भी नही दिया, फिर कोई मुझे क्यो इतने ख़तरनाक और गहरे चक्रव्यूह मे फँसाएगा "
" अक्सर ऐसा होता है हुजूर कि अपनी नज़र मे हम ने किसी का बाल भी बांका नही किया होता लेकिन कोई होता है जिसके पॉइंट ऑफ व्यू से हम ने उसके साथ बहुत बुरा किया होता है "
" मैं ऐसे किसी आदमी को नही जानता "
" नही जानते तो गोली मारिए इस बात को और ये बताइए कि बिजलानी लेफ्ट हॅंडर था या राइट हॅंडर "
" वो दोनो हाथो से काम कर सकता था "
" कैसे कह सकते हो "
" वो 10 साल से मेरा दोस्त था, मैं ये बात जानता हू, हॉकी खेलते वक़्त भी वो दोनो हाथो का इस्तेमाल किया करता था "
एकाएक विजय ने अपने सवालो की दिशा बदली," उसका क्या नाम है जो कंप्यूटर के पीछे बैठी थी, जिसने जीन्स और लाल रंग का टॉप पहन रखा था "
" क्या तुम अंकिता के बारे मे पूछ रहे हो "
" अगर उसका नाम अंकिता है तो हां "
" क्या जानना चाहते हो उसके बारे मे "
अचानक विजय बहुत ही रहस्यमय अंदाज मे राजन सरकार के फेस पर झुका और अपना मुँह उसके दाए कान के नज़दीक ले जाकर इतने धीमे स्वर मे बोला की आवाज़ विकास, रघुनाथ अथवा धनुष्टानकार के कानो तक ना पहुच सके," अंकिता और बिजलानी के बीच गुटार-गु चल रही थी ना "
" क....क्या " राजन सरकार एक बार फिर उच्छल पड़ा, मुँह से हैरत मे डूबी चीख निकली," गुटार-गु से क्या मतलब "
" समझिए सर " विजय आँख मारकर राजदाराना लहजे मे कहता चला गया," ऐसी बातो को इशारे मे समझने की आदत डालिए, गुटार-गु कबूतर औरकबूतरी के चोंच से चोंच मिलकर मोहब्बत करने को कहते है "
" य..ये तुम क्या कह रहे हो "
" जो आपने सुना "
" तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है क्या विजय " राजन सरकार के चेहरे पर असचर्या का सागर ठहाके लगा रहा था," अंकिता बिजलानी की बेटी जैसी है "
" बेटी जैसी है, बेटी तो नही है ना "
राजन सरकार चीख सा पड़ा," बेटी ही है "
" वो कैसे "
" अंकिता रिप्पी की स्कूल फ्रेंड है "
" रिप्पी कौन हुई "
" बिजलानी की बेटी "
" नाम बताने के लिए शुक्रिया "
" प्लीज़ विजय, प्लीज़... इतनी गंदगियो तक मत सोचो, अंकिता इस घर मे आज से नही आ रही, बचपन से आ रही है, तब से, जब रिप्पी और अंकिता फौर्थ-फिफ्थ मेपढ़ती थी, अपने पिता की मृत्यु के बाद जब अंकिता नौकरी तलाश कर रही थी और उसे नही मिल रही थी तो रिप्पी ने ही उसे अपने पापा के ऑफीस मे लगवाया, तुम इतनी घटिया बात सोच भी कैसे सकते हो "
" लोग ऐसी घटिया बात सोच सके, इसके लिए भी समाज के लोग ही ज़िम्मेदार होते है "
" मतलब "
" तरुण तेजपाल का नाम सुना है "
" त...तरुण तेजपाल " राजन सरकार के मुँह से निकलने वाले लफ्ज़ यू लड़खड़ाए जैसे उसकी जीभ जल गयी हो," हां, सुना है "
विजय सपाट स्वर मे कहता चला गया," बड़ी इज़्ज़त थी जिसकी, पत्रकारिता की दुनिया मे जिसका नाम बड़े सम्मान से लिया जाता था, अपने स्टिंग ऑपरेशन्स मेजिसने कयि घोटालो का परदा-फ़ाश किया था, उस जैसे शख्स पर भी अपनी बेटी की दोस्त से छेड़खानी करने का आरोप लगा था "
राजन सकपका गया था," सब तो तेजपाल नही हो सकते "
" उस घटना ने बताया, कुछ तो हो ही सकते है "
" बिजलानी ऐसा नही था "
" वक़्त बताएगा की कौन कैसा है या था " विजय सीधा होता बोला," यहा आपकी क्लास ख़तम होती है और शुरू होती है मिसेज़. बिजलानी की क्लास, उन्हे भेज दीजिए "
राजन के बाहर जाने का अंदाज बता रहा था कि जितनी देर बैठा रहा था उतनी देर उसे अपना दिमाग़ विजय की गिरफ़्त मे जकड़ा-सा महसूस हो रहा था.जैसे निजात मिली थी उसे.
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" बात समझ मे नही आई विजय " राजन के बाहर जाते ही रघुनाथ बोला," तुम इस केस के बारे मे किस ढंग से सोच रहे हो "
" मोहब्बत भरी ये बाते अगर तुम जैसे कूध्मगज की समझ मे आने लगे रघु डार्लिंग तो हमे विजय दा ग्रेट कहे ही कौन "
" तुमने राजन सरकार से बिजलानी और अंकिता के संबंधो वाली बात किस आधार पर पूछी "
" 'आधार' शब्द अब कुँवारा नही रह गया है प्यारे, इसकी शादी अब 'कार्ड' से हो गयी है " विजय अपनी ही रौ मे बोला," पूरा शब्द 'आधार कार्ड' बन गया है, यानी वो जो ये बताएगा कि आप है, अगर आपके पास आधार कार्ड नही है तो भले ही आप होते रहे मगर सरकारी रेकॉर्ड कहेगा कि आप नही है "
" मेरे सवाल का इस बकवास से क्या मतलब "
" मतलब तैल लेने चला गया है तुलाराशि " विजय ने फिर उसका सवाल हवा मे उड़ा दिया," जब लौटेगा तो बता देंगे "
रघनाथ समझ गया था कि फिलहाल विजय उसके किसी भी सवाल का जवाब देने के मूड मे नही है इसलिए चुप रह गया लेकिन तभी विकास ने कहा," लेफ्टहॅंड और राइट हॅंड वाली थेओरी की तो हवा निकल गयी गुरु, राजन सरकार ने वही बताया जिसकी आपको शंका थी, ये कि बिजलनी दोनो हाथो से काम करसकता था "
" तुम थियरी की बात कर रहे हो दिलजले, यहाँ हमारी खुद की हवा निकली पड़ी है "
" वो कैसे "
" ये बात भेजे मे घुसकर नही दे रही कि बिजलानी मिया मारे क्यो, ख़ासतौर पर ठीक उस वक़्त क्यो मरे जब हम पूछताछ करने उसके ऑफीस मे पधारे हुवे थे "
" मैं भी यही कहना चाहता हू "
" तो फिर कहते क्यो नही "
" हमारे आने तक..... बल्कि जूनियर वकील के फोन करने तक वो जिंदा था, उसके कुछ देर बाद गोली चली और बिजलानी मर गया, क्या मतलब हुआ इस बात का "
" तुम्हारे बच्चे जिए दिलजले और सारी उम्र उसी तरह तुम्हारा खून पीते रहे जिस तरह तुम हमारा पी रहे हो, हमे दुख है कि तुम भी ठीक उसी लाइन पर सोच रहे हो जिस पर हम सोच रहे है, दुख इसलिए है क्योंकि अगर तुम भी हमारे ही अंदाज मे सोचने लगे तो हमे कोई धेले को भी नही पूछेगा "
" तो अब आप फाइनली किस नतीजे पर पहुचे, बिजलानी ने आत्महत्या की है या उसका मर्डर किया गया है "
" ये मर्डर है प्यारे "
" लेफ्ट हॅंड-राइट हॅंड का राज खुलने के बाद भी "
" अगर उसने खुद को गोली मारी है तब भी "
" मतलब "
" मैं तुम्हारे बापूजान को बता चुका हू, मतलब तैल लेने गया हुआ है, उसके लौट-ते ही बता दूँगा "
" राजन सरकार से पूच-ताछ करते वक़्त आप बिजलानी की मौत की इन्वेस्टिगेशन कम, कान्हा मर्डर केस की इन्वेस्टिगेशन करते ज़्यादा नज़र आ रहे थे "
" हम तो मिया दडबे से निकले ही उस केस की इन्वेस्टिगेशन के लिए है जिसकी सिफारिश बापूजान ने ही नही तुमने भी की थी "
" वो तो ठीक है मगर ताज़ा-ताज़ा केस तो बिजलानी का है "
" अब अगर हम ने ये कहा कि हमारे ख़याल से बिजलानी की आत्महत्या भी कान्हा मर्डर केस की ही एक कड़ी है तो तुम हम पर सैंकड़ो सवाल ठोक दोगे इसलिए हम ऐसा नही कह रहे है "
" तो ये तो आपने मान ही लिया कि बिलजानी का मर्डर नही हुआ, उसने स्यूयिसाइड की है "
" यदि आदमी का कोई बच्चा खुद को गोली मार लेता है तो उसे स्यूयिसाइड ही कहा जाता है "
" भले ही बाद मे ये साबित हो जाए कि किसी ने उसे ऐसा करने के लिए मजबूर किया था "
" ये क़ानूनी पचड़ा है और हमे इसमे सिर नही..... "
विजय ने स्वयं ही अपने शब्द मुँह मे रोक लिए क्योंकि उसी समय मिसेज़. बिजलानी दरवाजा खोलकर कमरे मे दाखिल हुई थी.
उसका खूबसूरत मुखड़ा दर्द का समुंदर नज़र आ रहा था.
रोते-रोते आँखे सुर्ख ही नही हो गयी थी बल्कि सूज भी गयी थी.
आँसू थे कि रह-रहकर अब भी बहने लगते थे जिन्हे वो अपने हाथ मे मौजूद रुमाल से पौन्छने की असफल कोशिश कर रही थी.
दरवाजे के नज़दीक खड़े-खड़े उसने सवालिया नज़रो से विजय, रघुनाथ, विकास और धनुष्टानकार की तरफ देखा.
विजय ने उस कुर्सी की तरफ इशारा करके बैठने को कहा जिसपर कुछ देर पहले राजन सरकार बैठा था.
वो ऐसे कदमो से चलती हुई कुर्सी तक आई जैसे खुदको गिरने से बचाने का प्रयास कर रही हो और आहिस्ता से बैठ गयी.
विजय ने शालीन लहजे मे कहा," हालाँकि मैं समझता हू कि गम का जो पहाड़ आप पर टूटा है उससे आप टूट गयी होंगी और किसी सवाल का जवाब देने का मन नही होगा मगर हम अपनी जगह मजबूर है, क्या करे हमारा काम ही ऐसा है और फिर, ये तो आप भी चाहती होंगी कि आपके पति का कातिल पकड़ा जाए "
" क...कातिल " उसने चौंक कर विजय की तरफ देखा.
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