RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
17
" इस दीवार के उस तरफ " राजन ने उस दीवार के विपरीत वाली दीवार की तरफ इशारा किया जिस पर एसी था.
" हम उसे देखना चाहते है "
" आओ " कहने के बाद वो पुनः लॉबी मे आया और उन्हे उस कमरे मे ले गया जिसका दरवाजा उसके बेडरूम के दरवाजे के बगल मे था, वो कमरा 14 बाइ 12 का था, उसमे भी एक डबल बेड, एक राइटिंग टेबल, कुर्सी, एसी और टीवी मौजूद था, टीवी के अलावा वहाँ एक सीडी प्लेयर भी रखा हुआ था और इस कमरे मे विंडो नही बल्कि स्प्लिंट एसी लगा हुआ था.
सारे फ्लॅट की तरह वहाँ भी कुछ दिन पहले ही पुताई हुई थी, विजय ने पूछ ही लिया," पुताई कब कराई "
" तीन महीने पहले " राजन सरकार ने बताया.
मुकम्मल कमरे का निरीक्षण करने के बाद विजय ने दोनो कमरो के बीच की दीवार को अपनी मुट्ठी से ठोकते हुए कहा," ये सिर्फ़ 4 इंच की है सरकार-ए-आली, अगर किसी और ने कान्हा और मीना को हॉकी से मारा था तो वे चीखे ज़रूर होंगे और ये दीवार उनकी आवाज़ो को आपके बेडरूम मे जाने से नही रोक सकी होगी "
" मानता तो हू मैं भी यही बात "
" माननी पड़ेगी क्योंकि आपके ना मानने से फ़र्क पड़ने वाला नही है, पोलीस का अगर ये कहना है कि उस हालत मे आप सोते हुए नही रह पाए होंगे तो उसका कहना ठीक ही है "
" तुम कान्हा मर्डर केस की इन्वेस्टिगेशन कर रहे हो या इंदु के किडनॅपर्स का पता लगाने की "
" अमा हां यार " विजय ने अपने माथे पर हाथ मारा और इस तरह बोला जैसे सचमुच भटक गया था," हम तो ये भूल ही गये कि इस वक़्त हम यहाँ आपकी धरमपत्नी के किडनॅप की डोर सुलझाने आए थे, पुराने मामले मे जा उलझे, इससे तो हमे निकलना पड़ेगा मगर प्लीज़, ये और बता दीजिए कि मीना कहाँ सोती थी "
" आओ " कहने के साथ वह उन्हे उस छोटे से कमरे मे ले गया जिसमे इस वक़्त भी फोल्डिंग पलंग बिच्छा हुआ था.
कमरे का निरीक्षण करते विजय ने पूछा," हर कमरे की तरह इस कमरे मे भी 4 कोने है, हॉकी कौन से कोने मे रखी थी "
" हॉकी इस कमरे मे नही थी विजय " राजन सरकार ने ऐसे अंदाज मे कहा जैसे इस सेंटेन्स को कहते-कहते थक चुका हो.
" पोलीस का कहना तो यही है.... "
" कितनी बार कहूँ, वो स्टोरी झूठी है, मैं अपनी हॉकी मीना के कमरे मे क्यो रखूँगा "
" कहाँ रखी थी "
" हमेशा की तरह बेडरूम मे "
" तो पोलीस ने अपनी स्टोरी मे उन्हे यहाँ क्यो दिखाया, आपके कमरे मे ही क्यो ना दिखा दिया जो कि बकौल आपके सच भी था, वे यदि अपनी स्टोरी मे यही कह देते कि आपने अपने कमरे से हॉकी लाकर उन दोनो को मार दिया तो क्या फ़र्क पड़ जाता "
" राघवन ने अपनी स्टोरी एक-एक पॉइंट पर बहुत गौर करके बनाई है, उस स्टोरी के मुताबिक वो ये कहना चाहता है कि अपने कमरे मे मैंने खटके की आवाज़ सुनी, मैं लॉबी मे आया, उस वक़्त तक मुझे ये पता नही था कि मीना कान्हा के कमरे मे है, इस बात का इल्म तब हुआ जब मीना को उसके कमरे मे नही पाया, ऐसा इल्म होते ही मेरे जेहन पर गुस्सा सवार हो गया और वहाँ रखी दो मे से एक हॉकी उठाकर कान्हा के कमरे मे पहुचा, अगर वे अपनी स्टोरी यू गढ़ते कि मैं अपने ही कमरे से हॉकी लेकर निकला था तो ये सवाल उठता कि बाहर आने से पहले मुझे मीना और कान्हा के एक कमरे मे होने के बारे मे कैसे पता लगा, ये सवाल ना उठे, इसलिए उन्होंने हॉकी का यहाँ होना बताया है "
" अगले दिन यानी हत्या वाली सुबह पोलीस को आपके कमरे से कोई हॉकी नही मिली "
" ये सच है "
" कहाँ चली गयी "
" मुझे नही मालूम "
" ये जवाब जाँचने वाला नही है, इसलिए पोलीस ने माना कि उन्हे आपने ही गायब किया था और वे आजतक भी नही मिली है, इसलिए क्योंकि उनमे से कोई एक हॉकी मर्डर वेपन थी "
" मुझे मालूम है मेरा जवाब जाँचने वाला नही है पर सच्चाई यही है, हॉकी वहाँ से गायब थी जहाँ मैंने 4 जून की रात रखी थी "
" इसका मतलब तो ये हुआ कि हत्यारा या हत्यारे जो भी थे वे कान्हा के कमरे मे जाने से पहले आपके कमरे मे आए, वहाँ से हॉकी उठाई और तब कान्हा के कमरे मे जाकर हत्याए की "
" लगता तो ऐसा ही है लेकिन.... "
" लेकिन "
" इसमे पेंच ये है कि 5 जून की सुबह जब हम सोकर उठे तो कमरे का दरवाजा अंदर की तरफ से ठीक उसी तरह बंद था जिस तरह हम ने सोने से पहले 4 जून की रात को किया था "
" तो फिर आपके कमरे से हॉकी कौन और कैसे ले गया "
" ऐसे अनेक सवाल है जिनका मैं संतुष्टिजनक जवाब नही दे पा रहा, जवाब इसलिए नही दे पा रहा क्योंकि लाख दिमाग़ खपाने के बावजूद नही समझ पा रहा कि क्या कैसे हुआ "
" उहू " विजय इनकार मे गर्दन हिला उठा," आपको बेगुनाह साबित करना तो वाकयि नामुमकिन सा काम है, बकौल आपके, आपका कमरा अंदर से बंद था और हॉकी गायब हो गयी, कैसे हो सकता है ऐसा, एक पुरानी कहावत है, चोर आँखो मे लगा काजल चुरा लिया करते थे और जिनकी आँखो से चुराया करते थे उन्हे पता तक नही लगता था कि काजल चुरा लिया गया है, ये मामला तो कुछ वैसा ही है "
एक बार फिर चुप रह जाने के अलावा जैसे राजन सरकार के पास कोई चारा नही था, विजय के उपरोक्त शब्दो से उसके चेहरे पर निराशा ज़रूर फैल गयी थी.
कुछ देर निराशा मे डूबा रहा लेकिन फिर अचानक इस तरह बोला जैसे उसका जेहन इंदु की तरफ मूड गया हो," हम फिर कान्हा मर्डर केस मे उलझ गये जबकि इस वक़्त सबसे पहली ज़रूरत इंदु का पता लगाना है "
" सो तो है " विजय ने भी खुद को कान्हा मर्डर केस से बाहर निकाला," उसके लिए हमे मिसेज़. चंदानी से रूबरू होना पड़ेगा और उनसे रूबरू होना तो कान्हा मर्डर केस के सीलसले मे भी ज़रूरी है, बहरहाल, वे एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है "
--------------------------
कंचन पर नज़र पड़ते ही विजय के जेहन मे सबसे पहला ख़याल ये उभरा था कि, वाकाई कोई भी मर्द इस औरत के रूपजाल मे फँस सकता है, उसकी उम्र करीब 45 साल थी मगर उम्र के उस पड़ाव पर भी वो बेहद आकर्षक ही नही बल्कि सेक्सी भी नज़र आती थी, लंबे कद की थी वो, गोरे और गोल चेहरे वाली.
आँखे बड़ी-बड़ी और बेहद नशीली थी.
त्वचा चमकीली, कोई झुर्री नही.
पेट अंदर.
जिस्म गठा हुआ, भारी वक्ष, भारी नितंब, गुलाबी होंठ.
किनारे और कन्पटियो की कुछ लट सफेद हो गयी थी मगर वे लट उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी.
इस वक़्त वो शिफॉन की सफेद साड़ी और स्लीवेलेस ब्लाउस मे गजब ढा रही थी, उसके गोल और गोरे बाजू सॉफ दृष्टिगोचर हो रहे थे, एक भी बाल नही था उनपर.
जिस वक़्त विजय विकास, रघुनाथ, धनुष्टानकार और राजन सरकार के साथ ए-74 से बाहर निकला उस वक़्त भी कॉलोनी वालो की भीड़ बदस्तूर लगी हुई थी.
उसी मे कंचन चंदानी भी थी.
राजन सरकार ने उसके करीब पहूचकर कहा था," कंचन, मिस्टर. विजय तुमसे मिलना चाहते है "
उसके चेहरे पर उलझन के से भाव उभरे.
पूछा," कौन मिस्टर. विजय "
" मैंने कान्हा मर्डर केस की इन्वेस्टिगेशन इन्हे ही सौंपी है " राजन सरकार ने विजय की तरफ इशारा करके कहा था," ये इस देश के सबसे बड़े जासूस है "
" अजी नही " कहने के साथ ही विजय ने अपना चेहरा इस कदर लाल कर लिया जैसे 16 साल की लड़की को किसी ने पहली बार प्रपोज़ किया हो तथा कहता चला गया," हम तो ना पिद्दी है, ना पिद्दी के शोरबे, ये तो राजन सरकार साहब की जर्रानवाजी है कि हमे इतने भारी-भरकम शब्दो से नवाज रहे है "
उसकी इस हरकत ने कंचन को हतप्रभ सा कर दिया.
वो चाहकर भी कुछ ना बोल सकी जबकि विजय ने शरमाते से अंदाज मे कहा," क्या आप हमे अपने फ्लॅट के अंदर बैठकर बात करने का सुअवसर प्रदान करेंगी "
कंचन चंदानी समझ ना सकी कि विजय किस किस्म का जीव है, बोली," मुझसे क्या बात करना चाहते है "
" थोड़ी प्राइवेट लिमिटेड बाते है " विजय उसी टोन मे बोला था," सार्वजनिक स्थल पर नही की जा सकती "
कंचन चंदानी ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि राजन सरकार ने बात संभाली," मिस्टर. विजय इसलिए तुमसे बात करना चाहते है क्योंकि सबसे पहले तुम्ही ने इंदु के किडनॅपर्स को देखा था और गाड़ी का नंबर पोलीस को बताया था "
" आइए " कहकर वो ए-76 की तरफ बढ़ गयी.
लोहे वाला गेट पार करके वे गॅलरी मे पहुचे ही थे कि कुत्ते के भौंकने की आवाज़ गूंजने लगी.
वो बोली," डरिये नही, मैंने उसे बाँध दिया है "
" बड़ा अच्छा किया " विजय बोला," वरना हम यही से भाग जाते और आप गुणा हो जाती, ये बेचारे प्लस-माइनस बन जाते "
एक बार फिर कंचन चंदानी की समझ मे विजय की बात नही आई बल्कि बात की तो बात ही दूर, विजय ही उसकी समझ मे नही आया था लेकिन वो बोली कुछ नही, खामोशी के साथ उन्हे अपने ड्राइंगरूम मे ले आई.
बैठने का इशारा करने के बाद खुद भी एक सोफा-चेअर पर बैठ गयी, विजय बोला," अब आप पूछेंगी कि हम गरम लेंगे या ठंडा, दरअसल हम ठंडे मे गरम मिलकर पीते है, क्या आप कोई ऐसा पेय पदार्थ पेश कर सकती है "
अंततः कंचन चंदानी के मुँह से ये शब्द फिसल ही गये," ये आदमी पागल है क्या "
" जी पूरा पागल तो नही पर थोड़ा सा खिसका हुआ ज़रूर हू " विजय ने कहा," इसलिए लोग मेरे नज़दीक से ज़रा खिसककर ही बैठते है क्योंकि मैं कब कहा चुन्ट लूँ, कुछ पता नही "
कंचन चंदानी हकबकाकर राजन की तरफ देखने लगी, इस बार विकास भी अपने होंठो पर फैलने वाली मुस्कान को नही रोक सका था जबकि रघुनाथ विजय की हर्कतो पर झल्ला रहा था.
मोंटो ने अपना हाथ मुँह पर रख लिया था.
राजन ने कहा," कंचन, मिस्टर. विजय मज़ाक कर रहे है "
" म...मज़ाक " वो चिहुनकि," ये किस किस्म का मज़ाक है "
" प्लीज़ विजय, तुम्हे कंचन से जो भी पूछना है, सीधे-सीधे पूछ लो," राजन सरकार ने बात को संभालने की कोशिश की," इस बेचारी को हलकान क्यो कर रहे हो "
" आपने पहले ही ऐसा कह दिया होता तो हम इतना शरमाते ही क्यो " विजय ने सीधा कंचन की आँखो मे झाँका," सीधे-सीधे ही पूछ सकते है तो सीधे-सीधे ही बताइए, आपने क्या देखा "
कंचन ने वही कहा जो राघवन ने बताया था.
विजय का सवाल," जब वे सरकारनी को वॅन मे ठूंस रहे थे उस वक़्त वे चीख-चिल्ला रही थी या नही "
|