RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" सरकारनी "
" मिस्टर. सरकार की पत्नी सरकारनी ही हुई ना "
इस बार तो कंचन चंदानी भी ठहाका लगाकर हंस पड़ी और जब उसने ऐसा किया तो उसके मोतियो जैसे दाँत चमक उठे.
बड़ी खनकदार हँसी थी उसकी, हँसती हुई बोली," आप तो वाकाई बहुत दिलचस्प आदमी है, मैंने कभी सोचा भी नही था कि इंदु को सरकारनी भी कहा जा सकता है "
" आदत खराब है हमारी " विजय ने कहा," हम वही करते है जो किसी ने सोचा नही होता "
" इंदु चिल्ला नही रही थी "
" क्यो "
" म..मुझे क्या पता "
" ज़रूर वे बेहोश होंगी "
" शायद ऐसा ही था, होश मे होती तो चिल्लाति क्यो नही "
" शायद नही पक्का " विजय बोला," उन्हे इंजेक्षन लगाकर बेहोश किया गया था, मोंटो प्यारे, वो सरिंज निकालकर मेज पर पटक दो जिसे तुमने अपने अब्बाजान की प्रॉपर्टी की तरह सरकार-ए-आली के ड्रॉयिंग रूम से उठाकर अपनी जेब के हवाले किया था "
धनुष्टानकार ने ऐसे स्टाइल मे माथे पर हाथ मारा जैसे कह रहा हो, ये बात भी छुपी ना रह सकी, उसने अपने छोटे से कोट की जेब से सरिंज निकालकर मेज पर रख दी.
" ओह " सरिंज पर नज़ारे गढ़ाए राजन सरकार के मुँह से शब्द निकले," इससे तो लगता है कि वे लोग बहुत बेरहम है, प्लीज़ विजय, जैसे भी हो, जल्दी से जल्दी पता लगाने की कोशिश करो कि वे लोग इंदु को कहाँ ले गये है, कही ऐसा ना हो कि..... "
" कैसा ना हो कि "
" क...कही वे इंदु को कोई नुकसान ना पहुचा दे "
" इस तरफ से बेफ़िक्र रहो " विजय ने कहा," वे उन्हे किसी किस्म का नुकसान नही पहुचाएँगे "
" कैसे कह सकते हो "
" नुकसान पहुचना होता तो किडनॅप करके नही ले गये होते, वही, फ्लॅट मे ही नुकसान पहुचकर निकल गये होते "
" क...क्या कहना चाहते हो तुम, फिर उन्होने इंदु को किडनॅप क्यो किया, क्या चाहते होंगे वे "
" खुद बताएँगे "
" मतलब "
" किडनॅपर अक्सर खुद बताते है कि उन्होने किडनॅप क्यो किया है, इस मामले मे भी ऐसा ही होने वाला है, बस अपना मोबाइल संभालकर रखो, देर-सवेर इसी पर फोन आएगा, अगर उस वक़्त हम आस-पास ना हो तो कह देना अभी आप बात नही कर सकते क्योंकि आपके इर्द-गिर्द भीड़ है, बाद मे बात करोगे, हमे बता देना, फिर हम बात करेंगे उनसे और तब आप हमारे बात करने का स्टाइल देखना, हम उन्हे फोन पर ही चित्त कर देंगे "
" मैं तुम्हारे आसपास क्यो नही होऊँगा " राजन बोला," जब तक इंदु नही मिल जाती मैं तुम्हारे साथ ही हू "
" साथ ज़रूर रहोगे लेकिन पास नही रहोगे "
" मतलब "
" कुछ देर के लिए यहाँ से गारत हो जाओ, या तो इस फ्लॅट के किसी और कमरे मे चले जाओ या बाहर निकल जाओ "
" मैं समझा नही कि तुम क्या कहना चाहते हो "
" हमारी बात पर शायद आपने गौर नही किया, हम ने कहा था, हमे चाँदनी से प्राइवेट लिमिटेड बाते करनी है "
" चाँदनी "
" चंदानी की पत्नी चाँदनी "
एक बार फिर कंचन ठहाका लगाकर हंस पड़ी, बोली," आप वाकाई बहुत दिलचस्प आदमी है मिस्टर. विजय "
" तारीफ के लिए शुक्रिया चाँदनी जी, वैसे कुछ देर पहले हम आपको पागल नज़र आ रहे थे "
" ऐसा अक्सर होता है, पहली नज़र मे आदमी की पहचान नही हो पाती, वैसे क्या इन सभी को बाहर जाना होगा "
" सिर्फ़ सरकार-ए-आली को, बाकी सब यही रहेंगे "
राजन ने कहा," यानी तुम्हे सिर्फ़ मुझसे परहेज है "
" जाहिर है "
" ओके " कहने के बाद वो उठकर बाहर चला गया.
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" हां तो मिसेज़. चाँदनी " विजय कंचन चंदानी से मुखातिब हुआ," सबसे पहले आप हमे ये बताइए कि कान्हा और मीना का मर्डर किसने किया "
" म...मुझे क्या मालूम "
" सबको मालूम है तो आपको क्यो नही मालूम "
" क्या मालूम है सबको "
" कि मर्डरर सरकार दंपति है "
" ग़लत मालूम है "
" दावे की वजह "
" क्योंकि हम राजन और इंदु को अच्छी तरह जानते है और इस बात के गवाह है कि वे कान्हा से कितना प्यार करते थे, वे उसके लिए अपनी जान दे तो सकते थे पर उसकी जान ले नही सकते थे "
" गुस्से मे आदमी वो भी कर बैठता है जो सामान्य हालात मे करने के बारे मे सोच भी नही सकता "
" वैसे हालात कभी आए ही नही "
" ये बात आप इतने विश्वासपूर्वक कैसे कह सकती है "
" एक बार फिर वही कहूँगी, इस परिवार को जितने नज़दीक से हम ने जाना है, उतने नज़दीक से शायद किसी ने नही जाना "
" आप लगातार राहुल गाँधी की तरह मैं क़ी जगह हम शब्द का इस्तेमाल कर रही है, इस हम मे कौन-कौन शामिल है "
" मैं और मेरे पति "
" कहाँ है वे "
" आज सुबह ही किसी काम से देल्ही गये है, मैंने इंदु के बारे मे उन्हे भी बता दिया है, वे वहाँ से चल पड़े है, शाम तक पहुच जाएँगे, सुनते ही उनकी भी वही प्रक्रिया थी जो मेरी थी, ये कि इन लोगो ने कभी किसी का कुछ नही बिगाड़ा फिर पता नही भगवान इनसे किस बात का बदला ले रहा है "
" आपके बच्चे "
" एक बेटी है, पुणे से एमबीए कर रही है "
" सरकार परिवार से काफ़ी सिंपती है आपको "
" क्यो नही होगी "
" क्यो है "
" क्योंकि हम अच्छी तरह जानते है कि पोलीस की स्टोरी मे बाल-बराबर भी सच्चाई नही है, सबकुछ झूठ का पुलंदा है, जो शख्स ये जानते है कि जिसका बेटा मरा वे ही उसकी हत्या के इल्ज़ाम मे खींचे-खींचे फिर रहे है, उन्हे उनसे स्य्म्प्थी नही होगी "
" या कोई और वजह है "
" और क्या वजह हो सकती है "
विजय ने चोट की," आपके और मिस्टर. सरकार के संबंध "
" ओह " कंचन के आकर्षक होंठ गोल हो गये," तो आप भी उस बारे मे सोच रहे है "
" आप भी से मतलब "
" ये स्कॅंडल इनस्पेक्टर राघवन का खड़ा किया हुआ है, एक घटिया इनस्पेक्टर ने एक घटिया स्टोरी गढ़ी और आजकल का मीडीया तो भूखा ही ऐसी चटपटी स्टोरीस का है, उन्हे किसी की इज़्ज़त से कोई लेना-देना नही, टीआरपी बढ़नी चाहिए, अगर इस स्टोरी मे दम होता तो कान्हा-मीना मर्डर केस के तहत कोर्ट मे भी ले जाई गयी होती मगर नही.... ये स्टोरी कोर्ट मे नही ले जाई गयी, सिर्फ़ मीडीया तक सीमित रही, सिर्फ़ हमारी छिछालेदारी की गयी "
" आपके हिसाब से स्टोरी कोर्ट तक क्यो नही ले जाई गयी "
" क्योंकि साबित नही की जा सकती थी, साबित वो किया जाता है जिसका कोई सबूत हो और इस फेक स्टोरी का राघवन के पास कोई सबूत नही था "
विजय ने उसकी शरबती आँखो मे झाँकते हुवे पूछा," क्या आप पूरे विश्वास के साथ कह रही है कि आपके और मिस्टर. सरकार के बीच कभी कोई ऐसा-वैसा संबंध नही था "
" मैं इस सवाल का जवाब देना भी अपना अपमान समझती हू और इसके लिए केवल एक ही आदमी को दोषी मानती हू, उसका नाम है राघवन, उसी ने ये स्टोरी मीडीया को परोसी "
" इनस्पेक्टर राघवन ने ऐसा क्यो किया "
" जो गंदे होते है वो दूसरो के बारे मे भी गंदा ही सोचते है "
" कही से कोई तो क्लू मिला होगा उसे "
" उसी से पूछ लीजिएगा और अगर वो बता दे तो मुझे भी बता दीजिएगा ताकि कुछ तो शांति मिले मुझे "
" यानी उसने आपको कभी कुछ नही बताया "
" पूछने के बावजूद नही, बस यही कहता रहा, पोलीस अपने सुत्र खोलती नही है, इस सेंटेन्स की आड़ मे तो चाहे जिस पर चाहे जो आरोप लगाया जा सकता है "
" यदि ये आरोप इतना बड़ा झूठ था तो जब आप पर लगा था, गुस्सा तो बहुत आया होगा आपको "
" जी चाहा था, इनस्पेक्टर का मुँह नोच लू "
" पर नोचा नही "
" मेरे वश मे नही था "
" मानहानि का केस करना तो वश मे था "
" करना चाहती थी, चंदानी साहब ने रोक दिया "
" क्यो "
" ये समझकर कि कुछ हासिल नही होगा, और बदनामी ही होगी हमारी, हमारे फोटो तक मीडीया मे आ जाएँगे "
" मेरा अगला सवाल इसी संबंध मे था, जब ये अफवाह उड़ी, उस वक़्त आपकी पारिवारिक लाइफ भी तो हिली होगी, मिस्टर. चंदानी को भी तो आप पर शक हुआ होगा "
" एक पर्शेंट भी नही "
" स्वाभाविक तो नही है ऐसा, आदमी आख़िर.... "
" पति-पत्नी का रिश्ता एक-दूसरे के विश्वास पर कायम होता है और मेरे तथा चंदानी साहब के बीच वो रिश्ता बहुत मजबूत है, यदि मैंने ज़रा भी महसूस किया होता कि मुझ पर से उनका विश्वास डिगा है तो मैं आज उनके साथ इस छत के नीचे ना रह रही होती, उसी वक़्त रिश्ता तोड़कर अलग हो जाती "
" काफ़ी बोल्ड मालूम पड़ रही है आप "
" मुझसे ज़्यादा बोल्ड चंदानी साहब है "
" वो कैसे "
" सरकार दंपति और हमारा संबंध ऐसा था कि शाम के वक़्त या तो वे यहाँ आ जाते थे या हम उनके घर चले जाते थे, मगर उस अफवाह के बाद मैंने राजन के घर जाना बंद कर दिया था, कुछ दिन चंदानी साहब अकेले जाते रहे जबकि राजन और इंदु हमारे यहाँ बिल्कुल नही आ रहे थे, फिर एक दिन चंदानी साहब ने मुझसे कहा, तुम राजन के घर जाने से क्यो मना कर देती हो, हमे उनके घर जाना चाहिए, ख़ासतौर पर इन दिनो क्योंकि उनका बुरा वक़्त चल रहा है, बुरे वक़्त मे अपने ही साथ छोड़ देंगे तो वे बेचारे तो टूट ही जाएँगे, तब मैंने कहा, मैं इसलिए नही जाती क्योंकि कॉलोनी वाले उल्टी-सीधी चर्चा शुरू कर देंगे, तब वे बोले, हमे कॉलोनी वालो की फ़िक्र करनी चाहिए या उनकी, जिनका हम जैसे चन्द लोगो के अलावा और कोई नही है, मतलब ये कि मुझे उनकी बात माननी पड़ी, मैं भी बिना किसी की परवाह किए उनके घर जाने लगी और अब तो वे भी यहाँ आ जाते है "
" बुरा ना माने तो एक बात पूछे "
" पूछिए "
" लगभग हर शाम वे यहाँ या आप वहाँ क्यो जाया करते थे "
" डिन्नर साथ ले लेते थे "
" सिर्फ़ डिन्नर "
" दो-दो पेग भी "
" आप और सरकारनी भी "
" जेंट्स ले सकते है तो लॅडीस क्यो नही "
" नही, वो मतलब नही था हमारा, बस सवाल किया, वैसे एक बात कहें, एक बार फिर, बुरा तो नही मानेगी "
" कहिए "
" कहीं उस अफवाह के पीछे यही कारण तो नही, छोटी सोच के पड़ोसियो को दो पड़ोसियो का इतना मेलजोल खटकने लगता है और वे कानाफूसियाँ शुरू कर देते है, राघवन की स्टोरी के पीछे कही ये कानाफूसियाँ ही तो नही थी "
" हो भी सकती है मगर हमे परवाह नही है "
विजय ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि आँधी-तूफान की तरह दौड़ता राजन सरकार अंदर आया.
वो उत्तेजित अवस्था मे था.
चेहरे पर हवाइयाँ उड़ रही थी.
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