RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" करना चाहते थे लेकिन अशोक बिजलानी ने रोक दिया, कहा कि, उन्हे फोन करने की ज़रूरत नही लग रही, मिस्टर. राघवन ठीक से कार्यवाही कर तो रहे है "
" और वे मान गये "
" वे अशोक बिजलानी की हर बात मान रहे थे "
" कान्हा उस वक़्त क्या पहने हुए था "
" नाइट शर्ट और पाजामा "
" क्या पाजामे का नाडा खुला हुआ था "
" नही "
" शर्ट के बटन "
" नही "
" खून के निशान और कहाँ-कहाँ थे "
" कान्हा के चेहरे पर, शर्ट पर और बेड की चादार का हिस्सा भी खून से भीगा हुआ था "
" दीवारो पर "
" दो दीवारो पर खून के छींटे थे, जैसे वार होते वक़्त पड़े हो "
" कौन-कौन सी दीवार पर "
" बेड के पीछे वाली और कमरे की बाई दीवार पर " राघवन ने बताया," बाई दीवार पर जो छींटे थे, ऐसा लग रहा था जैसे उन्हे सॉफ करने की कोशिश की गयी हो "
" फर्श पर "
" बेड से थोड़ी दूर फर्श पर एक ऐसा धब्बा था जैसे वहाँ मौजूद खून को सॉफ किया गया हो "
" इस बारे मे सरकार दंपति से पूछा "
" मौहोल ज़्यादा पूछताछ करने का नही था "
" और कुछ "
" और कुछ क्या "
विजय ने कहा," कोई ऐसी बात जो हम ने ना पूछी हो लेकिन तुम बताना चाहते हो "
" मुझे लगा था कि शर्ट कान्हा को मारने के बाद पहनाई गयी थी "
" क्यो लगा था "
" यदि उसने शर्ट उस वक़्त पहन रखी होती जब वार किया गया था तो कॉलर के पिच्छले हिस्से पर काफ़ी खून होना चाहिए था मगर ऐसा नही था, पर ये बात मुझे उस वक़्त नही सूझी थी, बाद मे सूझी, तब, जब सरकार दंपति संदेह के घेरे मे आए "
" यानी मीना की लाश मिलने के बाद "
" जी "
" कूदकर उतनी दूर मत पहुचो, अभी घटनास्थल पर ही रहो "
" डाइनिंग टेबल पर दो गिलास और विस्की की बॉटल भी रखी हुई थी, जाहिर था कि वहाँ किसी ने विस्की पी थी "
" किस नतीजे पर पहुचे, किसने पी होगी "
" उस वक़्त मेरी समझ मे कुछ नही आया था "
" वहाँ का निरकिशन करने के बाद तुमने क्या किया "
" प्रिन्स, बिजलानी और सरकार दंपति से संक्षिप्त पूछताछ जिसके बारे मे मैं पहले ही बता चुका हू, हालाँकि पूछना तो बहुत कुछ चाहता था मगर बिजलानी और सरकार दंपति मौका ही नही दे रहे थे, बार-बार यही कहे जा रहे थे कि मुझे उनसे पूछताछ मे समय गँवाने की जगह मीना को तलाश करने की कोशिश करनी चाहिए वरना वो इतनी दूर निकल जाएगी कि किसी के हाथ नही आएगी, ये भी कहूँ तो ग़लत ना होगा कि वे अपनी पहुच का इस्तेमाल करने के अंदाज मे अधिकारियो से मेरी शिकायत करने की धमकी दे रहे थे, कह रहे थे कि अगर मीना कभी हाथ नही आई तो मैं ही दोषी होऊँगा क्योंकि उनसे पूछताछ मे मैं टाइम वेस्ट कर रहा था, कुछ देर बाद एसएसपी साहब, डीआइजी साहब के साथ पहुच गये और उन्होने मुझे मीना को तलाश करने का हुकुम दिया क्योंकि राजन सरकार उन पर भी उसी के लिए दबाव बना रहे थे "
" तो तुम मीना की तलाश मे लग गये "
" जाहिर है "
" कहाँ-कहाँ तलाश की उसकी "
" एक टीम बिहार उस अड्रेस पर भेजी गयी जो राजन सरकार ने दिया था, दूसरी वहाँ जहाँ इस वक़्त जा रहे है यानी कि धनपतराय के बंगले पर क्योंकि उन्होने बताया था कि मीना का एक बेटा भी है जो धनपतराय के फार्महाउस पर माली का काम करता है, हमारा अनुमान था कि या तो मीना अपने बेटे के पास छुपी होगी या उसे भी साथ लेकर फरार हो गयी होगी "
" क्या पता लगा "
" चंदू फार्म हाउस पर मौजूद था मगर मीना नही थी, वो बार-बार ये कहने लगा कि उसकी माँ ऐसा नही कर सकती "
" बिहार गयी टीम ने क्या रिपोर्ट दी "
" मीना वहाँ नही पहुचि थी "
" उसके बाद "
" कान्हा की डेडबॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दी गयी, मीना को तलाश करने के अलावा कोई काम बाकी नही बचा था और वो मिल नही रही थी लेकिन फिर, अगले दिन शहर भर के कूड़े के ढेर पर जब मीना की लाश मिली तो..... "
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" कूदो मत.... कूदो मत राघवन प्यारे " विजय ने टोका," क्या फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट और डॉग स्क्वाड नही बुलाए गये थे "
" नही "
" क्यो नही, जब छोटी-मोटी चोरी होने पर भी उनकी सेवाए ली जाती है तो फिर इतनी बड़ी वारदात यानी कि कत्ल हो जाने पर उन्हे क्यो नही बुलाया गया "
" क्योंकि उस वक़्त वारदात मे कोई पेंच नज़र नही आ रहा था, सीधा-साधा मामला लग रहा था कि मीना जेवरात के लालच मे कान्हा का मर्डर करके फरार हो गयी है "
" मीना की लाश पर आओ, सबसे पहले उसे किसने देखा और सूचना तुम तक कैसे पहुचि "
" लाश पर सबसे पहली नज़र नगर निगम के उन ट्रक्स मे से एक ट्रक ड्राइवर की पड़ी जो दिन मे 3-3 बार कूड़े के उस ढेर पर कूड़ा डालने जाते थे, उसने वही से संबंधित थाने को फोन किया, उस थाने का इनस्पेक्टर वहाँ पहुचा, उसने मुझे फोन किया "
" तुम्हे क्यो "
" मीना के गायब होने की सूचना सभी थानो को थी, उन हालात मे सभी का फ़र्ज़ था कि कोई औरत किसी भी हालत मे मिले तो मुझे सूचित किया जाए "
" तुम वहाँ पहुचे "
" जाहिर है, आप जानते होंगे, नगर निगम जहाँ सारे शहर का कूड़ा इकहट्टा करके डालता है, वहाँ कूड़े के छोटे-छोटे पहाड़ बन गये है, उनपर 24 घंटे गिद्ध मंडराते रहते है क्योंकि उसी कूड़े मे उनका भोजन भी होता है, भगवान ना करे वहाँ किसी को जाना पड़े लेकिन हम पोलीस वालों को हर जगह जाना पड़ता है और हम गये, चारो तरफ बहुत ही गंदी वाली बदबू फैली हुई थी, कूड़े से उठ रही बदबू के दायरे मे कदम रखते ही मैंने और मेरे साथियो ने मुँह और नाक पर रुमाल रख लिए थे " राघवन कहता चला गया," हम लाश के करीब पहुचे, उसे काफ़ी हद तक गिद्धो ने खा लिया था लेकिन चेहरा सुरक्षित था, अर्थात पहचाना जा सकता था, मेरे पास मीना का फोटो नही था लेकिन लाश की उम्र आदि वही थी जो बताई गयी थी इसलिए अपने सब-इनस्पेक्टर को फोन किया कि मिस्टर. सरकार को लेकर वहाँ पहुचे, दूसरा फोन एक अन्य पोलिसेवाले को किया और चंदू को लेकर पहुचने के लिए कहा "
" मीना का फोटो क्यो नही था, तुमने राजन सरकार से माँगा तो होगा क्योंकि ये एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, गायब हुवे व्यक्ति का फोटो तो पोलीस मांगती ही है, ख़ासतौर से उसका जो लूट और हत्या करके गायब हुई थी "
" मैंने माँगा था लेकिन उन्होने कहा कि फोटो हमारे पास नही है, कभी इसकी ज़रूरत ही महसूस नही की गयी "
" जबकि पोलीस और सरकार अपनी तरफ से खूब प्रचार करती रहती है कि अपने सर्वेंट्स के फोटो ज़रूर रखे बल्कि संबंधित थाने से उनके वेरिफिकेशन भी कराए "
" लोग लापरवाही करते है "
" चंदू से उसकी माँ का फोटो ले सकते थे "
" उसने कहा, मेरी याद मे माँ का कभी कोई फोटो नही खींचा "
" सब-इनस्पेक्टर मिस्टर. सरकार को लेकर पहुचा "
" जी "
" उन्होने मीना को पहचाना "
" आप अख़बारो मे पढ़ चुके होंगे, नही "
" हम जो पढ़ या देख चुके है उसे भूल जाओ प्यारे, सबकुछ इस तरह बताओ जैसे हम बिल्कुल बुग्गे है "
" बुग्गे क्या "
" बुग्गा उसे कहते है जिसे कुछ मालूम नही होता "
" ओके " वो थोड़ा मुस्कुराया था.
" उसके बाद "
" चंदू ने अपनी माँ की लाश देखते ही पहचान ली "
" वो मिस्टर. सरकार के बाद पहुचा था या पहले "
" बाद मे "
" जब उसने लाश पहचानी तब मिस्टर. सरकार वही थे "
" ये कहकर जा चुके थे कि वे इतनी बदबू मे नही रह सकते "
" ओह " विजय ने लंबी साँस ली.
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इस बार सवाल विकास ने किया," मिस्टर. सरकार ने इंदु को नही पहचाना लेकिन चंदू ने कहा कि वो उसकी माँ ही है, उस वक़्त तुम्हारे दिमाग़ मे क्या आया "
" जाहिर है, मिस्टर. सरकार उसी क्षण मेरे संदेह के दायरे मे आ गये थे, भले ही इस नतीजे पर ना पहुचा होउ कि ये सब मिस्टर. सरकार का ही किया-धारा है लेकिन ये ख़याल तो जेहन मे आ गया था कि उन्होने लाश नही पहचानी तो कोई गड़बड़ है "
" तब तुमने क्या किया "
" पहली कोशिश ये पता लगाने की थी कि लाश वहाँ किसने पहुचाई, कत्ल किसने किया और कहाँ किया, सो, लाश के इर्दगिर्द के निशानो पर ध्यान दिया गया, कूड़े पर कूड़ा डालने ट्रक आते-जाते रहते थे इसलिए वहाँ ट्रक्स के टाइयर्स के अनेक निशान थे मगर उस वक़्त मैं रोमांचित हो उठा जब ट्रक्स के टाइयर्स के अलावा किसी गाड़ी के निशान भी मिले, आप समझ सकते है, ट्रक और गाड़ी के टाइयर्स के निशान मे फ़र्क होता है, आमतौर पर किसी गाड़ी के वहाँ आने का सवाल ही नही था, लगा कि ये निशान उसी गाड़ी के है जिसमे मीना की बॉडी लाई गयी इसलिए मैंने तुरंत पोलीस फोटोग्राफर को बुलाया और टाइयर्स के निशानो तथा डेडबॉडी की फोटोग्रफी करवाई "
" गुड " विजय के मुँह से निकला.
" डेडबॉडी मॉर्च मे भिजवाई, मिस्टर. सरकार के काई पड़ोसियो को वहाँ बुलवाकर शिनाख्त करवाई, सबने उसकी शिनाख्त मीना के रूप मे ही की, अब मेरे लिए ये पता लगाना ज़रूरी हो गया था कि मिस्टर. सरकार ने झूठ क्यो बोला, सारे हालात अधिकारियो को बताए, उनके भी कान खड़े हो गये, ख़ासकर आइजी साहब ने मिस्टर. सरकार की जानकारी मे लाए बिना उनकी दोनो गाडियो की जाँच करने के आदेश दिए, उन्होने कहा कि इस बात पर ज़रा भी ध्यान ना दिया जाए कि मिस्टर. सरकार हमारे बचपन के दोस्त है, जब क़ानूनी कार्यवाही की बात आती है तो कोई पोलीसवाले का दोस्त नही होता, बगैर ज़रा भी हिचके या शरम किए बिना पूरी मुस्तैदी से कार्यवाही की जाए, उनके शब्दो ने मेरा हौंसला बुलंद कर दिया और मैंने पूरी मुस्तैदी से कार्यवाही की "
" क्या पाया "
" कूड़े के ढेर पर से लिए गये टाइयर्स के निशान स्विफ्ट डिज़ायर, जो राजन सरकार के गेराज मे खड़ी थी से मेल खा रहे थे पर ना तो उनपर कोई गंदगी लगी हुई थी और ना ही गाड़ी के अंदर और बाहर बहुत ढूँढने पर कोई खून की बूँद मिली, सॉफ नज़र आ रहा था कि गाड़ी को अच्छी तरह से धोया गया है, टाइयर्स को तो ख़ासतौर पर, परंतु गेराज मे वैसी ही दुर्गंध फैली हुई थी जैसी कूड़े के ढेर पर थी, गाड़ी को सॉफ करने वाले उस दुर्गंध को सॉफ करने का कोई तरीका शायद नही ढूँढ पाए थे, मैं इस नतीजे पर पहुचा कि बॉडी को उसी मे रखकर कूड़े के ढेर पर पहुचाया गया था "
" उसके बाद "
" दोबारा कान्हा के बेडरूम का निरीक्षण किया, इस बार उन स्थानो पर मेरा ख़ास ध्यान था जहाँ से खून सॉफ किया गया था, जैसे फर्श और बाई दीवार "
" उनपर ख़ास ध्यान क्यो था "
" क्योंकि ये बात मुझे शुरू से ही खटक रही थी कि कान्हा के खून के छींटे अगर बेड की पीछे वाली दीवार पर है तो कमरे की बाई दीवार पर खून के वे छींटे किसके है जिन्हे सॉफ करने की कोशिश की गयी, उसी तरह, कान्हा के जिस्म से निकला खून अगर बेड पर था तो फर्श पर किसका खून था और उसे सॉफ करने की कोशिश क्यो की गयी थी, वहाँ निशान तो अब भी थे मगर इतना कुछ नही था कि मैं कोई नमूना लॅबोरेटरी मे भेज सकता, अर्थात समझ तो सकता था कि मीना की हत्या वही की गयी थी परंतु किसी साइंटिफिक तरीके से इस बात को साबित नही कर सकता था, पुनः अधिकारियो को रिपोर्ट दी, आइजी साहब ने इस दिशा मे और इन्वेस्टिगेट करने के निर्देश दिए, साथ ही कहा कि मुझे सारी जाँच इस तरह से करनी है कि मिस्टर. सरकार को इस बात का इल्म ना हो पाए कि चीज़े उनके खिलाफ जेया रही है, मेरे सामने अब इस सवाल का जवाब ढूँढने की चुनौती थी कि मिस्टर. सरकार ने ये दोनो हत्याए क्यो की, मैंने गुपचुप तरीके से पड़ोसियो और कान्हा के दोस्तो से पूछताछ करने का निर्णय लिया, दो धमाकेदार बाते निकल कर आई, पहली ये कि, कान्हा के परिपक्व मीना से सेक्स संबंध हो गये थे, दूसरी ये कि मिस्टर. सरकार के संबंध मिसेज़. चंदानी से थे "
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