RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" बकौल तुम्हारे ही, जिन्होने चुन-चुनकर एक-एक सबूत मिटा दिया, गाड़ी तक इस कदर धो दी कि इस बात के सबूत के नाम पर तुम्हे उसमे से कुछ नही मिला कि लाश उसी मे डालकर कूड़े के ढेर पर पहुचाई गयी, वे विस्की की बॉटल और गिलास को कैसे भूल सकते है, उन्हे वहाँ से क्यो नही हटाया "
" हो सकता है उन्होने ये सोचा हो कि बॉटल और गिलासो से उनके खिलाफ कुछ भी साबित नही किया जा सकेगा "
" हमारा जेहन ये मानने को तैयार नही है "
" तो क्या कहना चाहते है आप " राघवन ने उल्टा सवाल किया था," मीना की लाश उनकी गाड़ी मे किसी और ने कूड़े के ढेर पर पहुचाई और वापिस उनके गेराज मे लाकर खड़ी ही नही की बल्कि उसे धोया भी, उसकी सॉफ-सफाई भी की, किसी और को इतनी जहमत उठाने की क्या ज़रूरत थी, हर आंगल से एक ही बात सिद्ध होती है सर, कातिल वे ही है, बड़ी गहरी साजिश रची थी उन्होने, ऐसी कि, अगर मीना की लाश बरामद ना होती तो लोग आज भी यही सोच रहे होते कि नौकरानी मालिक के विश्वास का ही नही, उसके बेटे का भी कत्ल करके हमेशा के लिए गायब हो गयी, गौर कीजिए, मीना की लाश भी कहाँ ठिकाने लगाई उन्होने, वहाँ, जहाँ 24 घंटे गिद्ध मंडराते रहते है, उन्होने सोचा था, गिद्ध मीना की लाश को चट कर जाएँगे, वो कभी किसी को नही मिलेगी तो कोई सोच ही नही सकेगा कि उसकी भी हत्या हो गयी है, सब उसे ढूँढ-ढूँढकर थक जाते और अंततः फाइल बंद कर दी जाती, इसे सरकार दंपति का दुर्भाग्य कहा जाएगा कि मीना की लाश मिल गयी, ना मिलती तो ना केस खुलता, हर सबूत को इतनी सफाई के साथ सॉफ किया गया कि आजतक भी पोलीस के हाथ ऐसा कोई सीधा सबूत नही लगा जिसके आधार पर उन्हे कातिल साबित किया जा सके, हमे कोर्ट को धन्यवाद देना चाहिए कि उसने परिस्तिथिजन्य सबूतो को इतना महत्त्व दिया वरना .... दो कत्ल करके बचने की कैसी हैरतअंगेज़ और अद्भुत प्लॅनिंग थी ये, ऐसी, कि जिसकी कल्पना आदमी शातिर से शातिर अपराधी से भी नही कर सकता जबकि सरकार दंपति तो समाज के साधारण और सामान्य नागरिक है "
क्योंकि इस बार विजय ने कुछ नही कहा इसलिए पजेरो मे खामोशी पसर गयी, शायद विकास को भी कहने के लिए कुछ नही सूझा था इसलिए आगे का सफ़र खामोशी से कट गया मगर जैसी सनसनीखेज जानकारी उन्हे धनपतराय के फार्म हाउस पर मिली, वैसी जानकारी की कल्पना किसी ने नही की थी.
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वे धनपतराय के बंगले पर पहुचे.
उससे मिले.
चंदू के बारे मे पूछा, ये कि वो फार्महाउस पर है या नही.
धनपतराय ने फार्महाउस के केर टेकर को फोन किया और कहा," चंदू से बात काराव "
" वो तो कहीं गया हुआ है सर " केर टेकर ने बताया.
धनपतराय ने पूछा," कहाँ "
" बताकर नही गया "
" क्यो, ऐसा कैसे हो सकता है, बल्कि हुआ ही कैसे " धनपत गुर्राया था," तुम्हे वहाँ किसलिए रखा है, सबको कंट्रोल करने के लिए ही ना, तुम्हे बताए बगैर कोई कैसे जा सकता है "
" प..पहली बार ही हुआ है सर " दूसरी तरफ से हकलाहट भरी आवाज़ मे कहने के बाद पूछा गया," आप क्यो पूछ रहे है "
" कुछ लोग उससे मिलने आए है " कहने के साथ उसने संपर्क काट दिया था, ये सारी वार्ता धनपतराय ने अपने मोबाइल का स्पीकर ऑन करके विजय आंड कंपनी को सुनाई थी.
" गुरु " विकास बोला," मुझे गड़बड़ लगती है "
" कैसी गड़बड़ प्यारे "
" केर टेकर के बात करने का अंदाज, ख़ासतौर पर ये पूछना कि आप क्यो पूछ रहे है, आमतौर पर नौकर अपने एंप्लायर से ऐसे सवाल नही पूछता, ऐसा लगता है जैसे चंदू को लेकर उसे किसी किस्म की गड़बड़ी की आशंका है "
" तुम तो वाकाई शरलॉक होम्ज़ बनते जा रहे हो मिया "
विकास चुप रह गया.
तब, विजय ने धनपतराय से कहा," आपको हमारे साथ फार्महाउस पर चलना होगा धन्ना सिंग जी "
" द..धन्ना सिंग " वो चिहुका," आज से पहले हमे किसी ने इस नाम से नही पुकारा "
विजय ने तपाक से कहा," आज से पहले हमारी और आपकी मुक्कालात भी तो नही हुई थी "
" म..मुक्कलात " धनपत का दिमाग़ चकरा गया.
रघुनाथ को बीच मे कूदना पड़ा," उसे छोड़िए, आप हमारे साथ चल रहे है या नही "
" हमे क्या आपत्ति हो सकती है " धनपतराय बोला," लेकिन फ़ायदा क्या, चंदू तो वहाँ है नही "
" फ़ायदा-नुकसान हमे मालूम है, आप साथ चलिए "
धनपतराय अपनी गाड़ी लेकर साथ चल पड़ा, विजय इस बार पजेरो मे नही, धनपतराय के साथ उसी की गाड़ी मे बैठा था, और धनपतराय की समझ मे अभी तक ये नही आया था कि ये किस किस्म का आदमी है, फिर भी रास्ते मे उसने हिम्मत करके पूछ ही लिया," बुरा ना माने तो एक बात पूछू "
" रहने ही दीजिए धन्ना सिंग जी क्योंकि हम बुरा मान जाएँगे, हमे ज़रा-ज़रा सी बातो पर बुरा मानने की बीमारी है "
धनपतराय सकपका गया क्योंकि उसे ऐसे जवाब की ज़रा भी उम्मीद नही थी, आमतौर पर लोग वैसा कहते भी नही थे, यही कहा जाता था कि," नही, नही, आप कहिए, मैं बुरा नही मानूँगा "
पर जो बात धनपतराय की ज़ुबान तक आ चुकी थी, उसे पूछे बगैर ना रह सका," आप लोग चंदू को क्यो तलाश कर रहे है, क्या उसने कुछ कर दिया है, मेरा मतलब कोई ग़ैरक़ानूनी हरकत "
" अजी ग़ैरक़ानूनी हरकत करने वाले को हम पूछते नही बल्कि ढोते फिरते है और...और सवाल मत पूछना, हमे नींद आ रही है, और जो हमारी नींद मे खलल डालता है, हम उसकी जिंदगी मे खलल डाल देते है " कहने के बाद विजय ने ना केवल आँखे बंद कर ली बल्कि आधे मिनिट के अंदर ही खर्राटे लेने लगा.
ड्राइवर गाड़ी ड्राइव कर रहा था, कंडक्टर सीट पर बैठा धनपत ये सोच कर अस्चर्य मे डूबा हुआ था कि कोई आदमी इतनी जल्दी इतनी गहरी नींद मे कैसे जा सकता है.
मगर वास्तव मे विजय सोया हुआ नही था, बल्कि दिमाग़ को शांति देकर सारे झमेले को समझने की कोशिश कर रहा था, जहाँ उसने ये उम्मीद की थी कि राघवन से बात करने के बाद कान्हा मर्डर केस के बारे मे कुछ समझ आएगा, वहाँ बाते और उलझ गयी थी, नये सवालो ने सिर उठा लिया था.
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फार्महाउस के अंदर पहूचकर उसके खर्राटे अपने आप ही बंद हो गये, गाड़ी के रुकने पर बाहर निकलता बोला," केर टेकर सहित यहाँ जितने भी लोग काम करते है, सबको तलब कर लिया जाए "
धनपतराय ने सबको एक हॉल मे इकट्ठा कर लिया.
हॉल काफ़ी बड़ा था और उसमे काई सोफासेट पड़े हुवे थे.
केर टेकर के अलावा बाकी सब लेबर क्लास के लोग थे और वे अपने मालिक के सामने सोफॉ पर नही बैठ सकते थे इसलिए हाथ बाँधे और सिर झुकाए खड़े थे.
विकास की नज़रे केर टेकर के चेहरे पर जमी थी, वहाँ उसे हवैया उड़ती हुई नज़र आ रही थी.
हवाइयो को विजय ने भी देख लिया था मगर कुछ बोला नही.
लेबर्स से सवाल-जवाब शुरू किए.
बात ये निकलकर आई कि अकेला चंदू गायब नही था बल्कि उसके साथ बॉब्बी और बंटी भी गायब थे, चंदू के साथ वे भी माली का काम करते थे और उनकी आपस मे खूब पट-ती थी, एक बजे उनसे चीकू नाम का एक लंबे कद का लड़का मिलने आया था, 30 मिनिट तक वो भी फार्महाउस मे ही रहा, फिर डेढ़ बजे के करीब, तीनो उसके साथ, उसी की BMW मे चले गये.
" BMW मे " विजय चौंका," चीकू नाम का लड़का BMW मे आया था "
फार्महाउस के गार्ड ने कहा," आया तो BMW मे ही था साहब लेकिन मेरे ख़याल से गाड़ी उसकी नही थी "
" कैसे कह सकते हो "
" उसके पहनावे से साहब, ड्राइवर लगता था, मेरे ख़याल से वो किसी अमीर आदमी का ड्राइवर होगा "
" क्या तुमने गाड़ी का नंबर देखा था "
" नही साहब, हम तो उस चमचमाती गाड़ी को ही देखते रह गये, नंबर की तरफ तो ध्यान ही नही गया "
" उस लड़के का नाम कैसे पता "
" मैं उसके लिए दरवाजा कहाँ खोल रहा था, तब खोला जब उसने कहा कि मेरा नाम चीकू है और मैं बंटी से मिलने आया हू "
सभी चुप रह गये.
एकाएक केर टेकर ने अटकते लहजे मे पूछा," क्या इन लोगो ने कोई कांड कर दिया है सर "
विकास गुर्राया," कांड से मतलब "
" आप, पोलीस के इतने सारे लोग, इतने बड़े-बड़े ऑफीसर उनके बारे मे पूछते फिर रहे है, इसलिए पूछा, ऐसा तो तभी होता है ना जब किसी ने कोई कांड कर दिया हो "
" अभी तो ये नही पता कि कांड उन्होने ही किया है या किसी और ने मगर कांड हुआ बड़ा ही है "
" क...क्या हुआ है " पूछते वक़्त केर टेकर का चेहरा पीला पड़ गया था और उस चेहरे को देखते हुवे विकास ने कहा," मैं शुरू से महसूस कर रहा हू कि तुम कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे हो, जो जानते हो, उसे बताओ, नही तो मुसीबत मे फँस सकते हो "
अचानक वो हकला उठा," म...मैंने कुछ नही किया है सर "
" फिलहाल मैंने नही कहा कि तुमने कुछ किया है " विकास ने सख़्त स्वर मे कहा," लेकिन जो छुपा रहे हो अगर उसे छुपाए ही रहे तो माना जाएगा कि तुमने कुछ किया है "
उसने हिचकते से लहजे मे कहा," म...मैं सोच रहा था कि उस बारे मे कुछ बताना चाहिए भी या नही "
" किस बारे मे "
" म...मेरा रिवॉल्वार गायब है "
" रिवॉल्वार गायब है " चीख जैसी ये आवाज़ धनपतराय के मुँह से निकली थी," वो रिवॉल्वार जो हम ने दिलाया था "
" ह..हां सर " जैसे उसका दम निकला जा रहा था.
" कहाँ गया, कब से गायब है "
" आज दोपहर से ही, आप जानते ही है, एक बजे खाने के बाद मैं एक घंटे के लिए आराम करता हू, उस समय मे अक्सर मेरी आँख लग जाती है, आज भी वैसा ही हुआ, सवा 2 बजे सोकर उठा तो अपने तकिये के नीचे से रिवॉल्वार गायब पाया "
धनपत गुर्राया," फोन करके हमे बताया क्यो नही "
" म..मुझे मालूम था सर कि आप नाराज़ होंगे, कहेंगे कि मैंने संभालकर नही रखा होगा, इन सबसे तो पूछ ही चुका था, सोच रहा था कि वे तीनो भी आ जाए, अगर उन्होने भी ना लिया हो तो आप से ज़िक्र करूँ लेकिन उनसे पहले ये लोग आ गये, मुझे शुरू से लग रहा है कि उन्होने उस रिवॉल्वार से कुछ कर ना दिया हो "
" ये क्या झमेला है धन्ना सिंग जी " विजय ने धनपतराय से पूछा था," किसका रिवॉल्वार है, किसने गायब कर दिया "
" लाइसेन्स इसके नाम है " धनपत राय ने केर टेकर की तरफ संकेत करने के साथ कहा," रिवॉल्वार मैंने अपने पैसे से ख़रीदकर दिया था क्योंकि फार्महाउस पर उसकी ज़रूरत पड़ सकती थी पर मुझे मालूम नही था कि ये इतना लापरवाह आदमी है "
" क्यो प्यारेलाल, क्या किस्सा है ये " विजय केर टेकर से मुखातिब हुआ," कहाँ गुम कर दिया रिवॉल्वार "
" म...मैंने गुम नही किया, लगता है उन्ही तीनो मे से किसी ने लिया होगा " वो बुरी तरह घबरा गया था.
" उनमे से कौन गुटखा खाता है, कौन खैनि चबाता है और कौन बीड़ी पीता है " सवाल विकास ने किया.
केर टेकर ने अस्चर्य से विकास की तरफ देखा.
उस वक़्त शायद उसके दिमाग़ मे ये बात चल रही थी कि इस लड़के को उनके बारे मे ये सब कैसे पता जिस वक़्त विकास ने कड़क लहजे मे कहा," जवाब दो, नही तो.... "
" बंटी खैनि खाता है, बॉब्बी गुटखा और चंदू बीड़ी पीता है "
विजय ने पूछा," मोबाइल तो होंगे उनके पास "
" तीनो के पास है लेकिन.... "
" लेकिन "
" स्विच ऑफ आ रहे है, इसलिए लग रहा है कि ज़रूर उनके दिमाग़ो मे कोई खराबी है "
विजय ने गार्ड से पूछा," तुमने पूछा नही वे कहाँ जा रहे थे "
" पूछा था, उन्होने कहा कि घूमकर आते है "
तब विजय ने राघवन से कहा," हालाँकि एक बार फिर नतीजा निल बट्टा निल निकलने का अनुमान है लेकिन फिर भी उन तीनो के नंबर सर्व्लेन्स पर लगवाकर लोकेशन निकालने की कोशिश करो "
राघवन केर टेकर से चंदू, बंटी और बॉब्बी के नंबर लेकर उन्हे सर्व्लेन्स पे लगवाने की प्रक्रिया मे जुट गया.
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