RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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उनसे पूछताछ मे पता लगा कि चंदू के दिल मे अपनी माँ की हत्या का बदला लेने की आग सुलग रही थी, उसे लगता था कि पैसे और पहुच वाले होने के कारण सरकार दंपति उँची अदालत मे क़ानून से बच जाएँगे, वैसे भी, वो अपनी माँ के हत्यारों को अपने हाथो से सज़ा देने का ख्वाइश्मन्द था
मगर हिम्मत और साधन ना होने के कारण कुछ कर नही पा रहा था.
इस बारे मे वो अक्सर अपने ख़ास दोस्त बॉब्बी से चर्चा किया करता था, एक दिन बॉब्बी ने चंदू के दिल के मलाल के बारे मे बंटी को बता दिया, बंटी बोला,"
इसमे क्या बड़ी बात है, मेरा एक दोस्त है जो ऐसे कामो मे माहिर है "
बॉब्बी ने ये बात चंदू को बताई.
चंदू ने उससे मिलने की इच्छा जताई.
इस तरह चंदू, बॉब्बी और बंटी एकमत हुए और राजनगर के एक ढाबे पर चीकू से मिले.
चंदू की इच्छा सुनने के बाद चीकू ने कहा," मैं तेरा काम करा दूँगा लेकिन बदले मे मुझे क्या मिलेगा "
" तू तो जानता ही है यार " बंटी ने कहा था," चंदू भी हमारी तरह माली ही है, किसी को कुछ देने के लिए होता तो बात ही क्या थी "
" मैं प्रोफेशनल आदमी हूँ दोस्त " चीकू ने कहा था," जब तक मुझे कुछ नही मिलता, मैं कुछ नही करता "
उस दिन बात यही ख़तम हो गयी क्योंकि चंदू के पास देने के लिए कुछ नही था और चीकू फ्री मे काम करने को तैयार नही था, फिर अचानक कल
चीकू धनपतराय के फार्महाउस पर पहूचकर उनसे मिला और बोला," मेरे दिमाग़ मे एक तरकीब आई है "
" क्या " उत्सुक होकर चंदू ने पूछा.
" अगर तेरे सेठ की बीवी को किडनॅप कर लिया जाए तो उसके बदले मे क्या वो 10-5 लाख दे सकता है "
" मुझे नही पता "
" हैसिय्त क्या है उसकी "
" हैसियत तो बहुत है लेकिन ये नही पता की देगा या.... "
" जिसकी हैसियत होती है वो देता भी है " चीकू कहता चला गया," इस तरह बात बन सकती है, हम उसकी बीवी को किडनॅप कर लेंगे, 5 लाख माँगेंगे, फिरौती लेकर उसे ही बुलाएँगे, 5 लाख मे सबका हिस्सा होगा, सरकार दंपति को तेरे हवाले कर दिया जाएगा, तू आराम से उनका काम तमाम कर सकेगा क्योंकि वो
जगह सुनसान होगी और वहाँ हमारे और उनके अलावा कोई नही होगा, घटना का कोई गवाह नही "
" मुझे पैसो मे हिस्सा नही चाहिए " चंदू ने कहा था," बस एक ही ख्वाइश है, अपनी माँ के हत्यारो को मौत के घाट उतार सकूँ "
" मुझे भी हिस्सा नही चाहिए " बॉब्बी बोला था," मैं ये काम अपने दोस्त चंदू के लिए करूँगा "
" तो पक्का " चीकू बोला," 5 लाख मेरे और बंटी के और वे दोनो तुम्हारे, प्लान ऐसा बनाया जाएगा कि इधर हमे 5 लाख मिले और उधर तुम्हे सरकार
दंपति, दोनो पक्ष खुश "
" तो कब करना है काम " चंदू ने पूछा.
चीकू बोला," आज ही "
" आ...आज ही " तीनो चिहुके.
" नेक काम मे देरी कैसी, अभी निकल चलो मेरे साथ "
तीनो तैयार हो गये.
प्लान बनाने और उसपर अमल करने की ज़िम्मेदारी चीकू की थी, वार्ता के अंतिम चरण मे पहुचते-पहुचते ये सवाल उठा कि चंदू और बॉब्बी सरकार
दंपति को मारेंगे कैसे.
किसी हथियार का इंतज़ाम करने की बात चली तो बॉब्बी को केर टेकर के रेवोल्वेर का ख़याल आया.
उसे चुराना तय हुआ और वैसा ही किया गया.
चारो के संयुक्त बयान के बाद विजय-विकास इस नतीजे पर पहुचे की चंदू, बंटी और बॉब्बी तो केवल मोहरे थे.
असली खिलाड़ी चीकू था.
सबकुछ उसी ने किया था.
वे तीनो तो वही करते रहे जो वो बताता रहा.
इसलिए विजय ने उन तीनो को रघुनाथ के हवाले किया जबकि चीकू को लेकर विकास के साथ कोठी पर आ गया.
" अब बोलो चीन्कु प्यारे " उसे कुर्सी पर बिठाने के बाद विजय ने कहा," तुम्हारे साथ क्या सलूक किया जाए "
" ज...जी " वो सहमा हुआ था," मैं समझा नही "
" अभी तक समझ हम भी नही पाए है प्यारेलाल कि 2 ने 5 लाख के लिए अपहरण किया और 2 ने सरकार दंपति का राम नाम सत्य करने के लिए, ये बात क्या हुई "
" मैं समझा नही कि आप क्या नही समझे "
" किस्सा अगर इतना ही सीधा है तो ये घटना उसी दिन क्यो घटी जिस दिन हम रियिन्वेस्टिगेशन पर निकले, उससे पहले, पूरा साल पड़ा था, कभी भी क्यो नही घट गयी "
" मैं क्या कह सकता हू बल्कि... "
" हां-हां बोलो, बल्कि.. "
" मुझे तो अभी तक ये भी नही पता कि आप कौन है और किस केस की रियिन्वेस्टिगेशन कर रहे है "
" यानी अपहरण कल ही हुआ, ये एक इत्तेफ़ाक है "
" हां "
" हमारी खोपड़ी ये बात मानने के लिए तैयार नही है, हमे लगता है कि इस मामले मे कही ना कही कोई ना कोई पेंच है, कल का दिन ख़ासतौर पर चुना
गया "
" ऐसा नही है "
" तुमने बताया कि तुम किसी अमीर आदमी के ड्राइवर हो, वो BMW गाड़ी उसी की थी जिसे लेकर धनपत राय के फार्महाउस पर पहुचे थे और मिसेज. सरकार को
किडनॅप करने के बाद वॅन से उसी गाड़ी मे ट्रान्स्फर किया गया था "
" सच्चाई यही है "
" मिसेज़. सरकार को खंडहर मे पहुचाने के बाद तुम कल ही गाड़ी को मालिक के बंगले पर छोड़ आए और उससे ये कहकर 5 दिन की छुट्टी ले ली कि अपने गाँव जा रहे हो "
" जी "
" राजनगर मे तुम्हारा घोंसला कहाँ है "
" मालिक के बंगले मे सेरवेंट क्वॉर्टर्स है " उसने बताया," उन्ही मे से एक मुझे मिला हुआ है "
" अब हम तुम्हारे मालिक का नाम जानना चाहते है "
" संदीप बिजलानी "
" बिजलानी " विजय बुरी तरह चौंका था," इस किस्से मे ये दूसरा बिजलानी कहाँ से कूद पड़ा "
भीकु चुप रहा.
जैसे कुछ समझा ना हो.
विजय ने पूछा," क्या तुम अशोक बिजलानी को जानते हो "
" अशोक बिजलानी, नही तो "
" तुम्हारा वाला बिजलानी कहाँ रहता है "
" 7, सिविल लाइन्स "
" क्या करता है "
" उसकी शुगर मिल है, बिजलानी शुगर वर्क्स "
" ये नाम तो सुना है, शहर का बड़ा नाम है, तुम्हारे बिजलानी साहब के परिवार मे और कौन-कौन है "
" 3 साल पहले उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है " चीकू ने बताया," अब अकेले है "
" बाल-बच्चा "
" कभी हुआ ही नही "
" माँ-बाप, भाई-बेहन तो हुए होंगे "
" माँ-बाप काफ़ी पहले मर चुके है, बेहन के बारे मे मैंने कभी नही सुना, एक भाई के बारे मे सुना है मगर कभी देखा नही, लोगो का कहना है कि उसके मालिक से संबंध अच्छे नही है "
" कब से नौकरी कर रहे हो वहाँ "
" एक साल हो गया "
" उससे पहले की बाते कैसे जानते हो "
" दूसरे नौकरो से बाते होती रहती है, काफ़ी तो काफ़ी पुराने है, तब के, जब बिजलानी साहब के माँ-बाप भी जिंदा थे "
" एक साल से पहले कहाँ सर्विस करते थे "
" तेवाटिया साहब का ड्राइवर था "
" यानी जहाँ रहे, ड्राइवर ही रहे हो "
" हाँ "
" जिस प्लॅनिंग के साथ मिसेज़. सरकार को किडनॅप किया और जिस शातिरना अंदाज मे सर्व्लेन्स नाम की चीज़ से बचे, उससे लगता है कि घुटे हुए अपराधी हो,
ये ड्राइवरी की नौकरी तो अपनी असलियत छुपाने के लिए करते हो "
वो चुप रह गया.
" अगर किसी को किडनॅप करके ही पैसे कमाने थे तो 5 लाख की आसामी को ही क्यू चुना, 5 करोड़ की आसामी को क्यू नही उठाया, जैसे, बिजलानी शुगर वर्क्स का मालिक, जिसकी तुम गाड़ी चलाते थे, उसका अपहरण करना सबसे आसान था "
" मेरा सिद्धांत है, जहाँ काम करते हो वहाँ गड़बड़ ना करो "
" कारण "
" पोलीस सबसे पहले नौकरो को ही पकड़ती है "
विजय को लगा, बड़े मारके की बात कही है उसने.
फिर भी, उसे लग रहा था कि ये मामला उतना सीधा नही है जितना नज़र आ रहा है, बोला," ठीक है चीन्कु प्यारे, कल तुम्हारे बिजलानी से भी मिलते है "
उस वक़्त उसने कल्पना तक ना कि थी की संदीप बिजलानी से मिलने के बाद एक नया ही किस्सा सामने आ जाएगा.
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अगले दिन पजेरो 7, सिविल लाइन्स के गेट के बाहर रुकी.
कंप्लीट ब्रास का बना हुआ गाते 12 फुट उँचा था और 12 ही फुट उँची थी वो चारदीवारी जो सिविल लाइन्स जैसे महँगे इलाक़े मे 10,000 वर्ग मीटर के
भूखंड को घेरे हुवे थी.
कीमती पत्थर से मॅंडी हुई थी वो.
गेट बंद था.
मस्तक पर लिखा था,' संदीप बिजलानी '
" क्या करना है गुरु " विकास ने पूछा.
विजय ने पिच्छली सीट पर बैठे चीकू से कहा," नंबर बता "
चीकू ने नंबर बताया.
विकास ने उसे अपने मोबाइल से मिलाया.
कुछ देर तक रिंग जाने के बाद कॉल रिसीव की गयी.
भारी-भरकम आवाज़ ने हेलो कहा.
विजय ने कहा," विजय बोल रहा हू बिजलानी साहब "
" कौन विजय " पूछा गया.
" मेरा संबंध रॉ से है "
" रॉ से " आवाज़ मे चौंकहट पैदा हुई," कहिए "
" किसी सिलसिले मे आपसे मिलना है "
" रॉ को हम से क्या काम हो सकता है " जैसे खुद से कहा गया हो, फिर फोन पर कहा गया," कब मिलना चाहते हो "
" अभी, बंदा आपके बंद गेट के बाहर खड़ा है "
खामोशी छा गयी.
जैसे कुछ सोचा जा रहा हो.
फिर निर्णायक लहजे मे कहा गया," गेट तक पहुच ही गये हो तो आ जाओ "
" गेट खुलेगा तो आएँगे ना "
" हम गार्ड को बोलते है "
" थॅंक्स " कहकर विजय ने संबंध विच्छेद कर दिया.
कुछ देर बाद काले रंग की वर्दी और बंदूकधारी गार्ड ने विशाल गाते खोला तथा गाड़ी को अंदर आने का इशारा किया.
गेट खुलते ही बंग्लॉ की भव्यता नज़र आने लगी थी.
5 फुट चौड़ी एक क्यारी दूर तक चली गयी थी.
उस क्यारी मे पानी भरा हुआ था.
छोटे-छोटे फाउंटन चल रहे थे.
क्यारी के दोनो तरफ सड़क थी.
एक बाई तरफ, दूसरी दाई तरफ.
विकास को समझने मे देर नही लगी कि उसे बाई सड़क से अंदर जाना है और उसने वैसा ही किया.
करीब 200 मीटर दूर इमारत नज़र आ रही थी.
एकदम गोल.
गोल पिल्लर्स पर टिकी हुई.
जैसे संसद भवन की कॉपी की गयी हो.
उसके चारो तरफ मखमली हरी घास और रंगबिरंगे फूलो से महकता लंबा-चौड़ा लॉन था.
हर तरफ छोटे-छोटे वॉटर फॉल.
सड़क डबल हाइट पोर्च के नीचे जाकर ख़तम हुई और विकास ने पजेरो वही रोकी, पोर्च इतना बड़ा था कि उसके नीचे पहले ही से 5 गाड़िया खड़ी हुई थी.
सभी लग्जरी.
उनमे BMW भी थी.
विजय ने उसकी तरफ इशारा करते हुवे चीकू से पूछा," क्या वो गाड़ी यही है जिसमे मिसेज़. सरकार को खंडहर मे ले गये थे "
उसने स्वीकृति मे गर्दन हिलाई.
पोर्च मे भी एक काली वर्दी वाला गार्ड तैनात था लेकिन उसके कंधे पर बंदूक नही थी.
उसने विजय की साइड वाला दरवाजा खोला.
विजय समझ सकता था कि ये सब संदीप बिजलानी के इशारे पर हो रहा है.
" आओ प्यारो " कहने के साथ विजय बाहर निकला और किसी को सोचने-समझने का मौका दिए बिना तेज कदमो के साथ BMW की तरफ बढ़ गया.
हड़बड़ा कर उसके पीछे लपकता गार्ड बोला," अरे उधर कहाँ जा रहे है सर, गेट इधर है "
मगर विजय भला कहाँ सुनने वाला था, वो BMW के करीब पहुचा और उसके अगले दाये टाइयर पर नज़र डाली.
उसका बाया किनारा घिसा हुआ था.
पुष्टि हो गयी कि मंदिर के पास मिसेज़. सरकार को वन से उसी मे ट्रान्स्फर किया गया था.
इस बीच गार्ड उसके करीब आ गया था.
बोला," आप यहाँ क्या कर रहे है सर "
" देख रहे थे कि BMW कैसी होती है "
" मेरे साथ आइए "
इस बीच विकास और चीकू भी पजेरो से बाहर निकल चुके थे.
और...चीकू पर नज़रे पड़ते ही गार्ड के चेहरे पर जो भाव उभरे उन्हे देखकर विजय चौंक पड़ा.
गार्ड ने चीकू से कहा था," तू "
" क्यो " चीकू ने पूछा," क्या हुआ "
" तेरी खबर तो साहब लेंगे "
" खबर लेंगे, क्या किया है मैंने "
" वही बताएँगे " उससे कहने के बाद गार्ड ने विजय से पूछा," आप कौन है सर और... ये आपके साथ कैसे "
" हम कौन है, ये तो हम तुम्हारे साहब को बता चुके है लेकिन तुम्हे हमारे साथ इसके होने मे क्या आपत्ति है "
उसने कुछ बताने के लिए मुँह खोला मगर फिर जैसे बात बदल दी," साहब ही बताएँगे, आइए "
वो इमारत के गेट की तरफ बढ़ गया था.
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