RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" आपने कहा कि कुछ दिनो से अशोक पोलाइट हो गया था "
" बस इतना ही कि कभी-कभी मिलने आ जाया करता था, कहता था कि ग़लती तो मेरी भी थी मगर अंजलि और रिप्पी से बहुत डरता था, कहता था कि अगर उन्हे पता लग गया कि मैं तुमसे मिलता हू तो दोनो मेरी जान खा जाएँगी "
" ये चेंज क्यो आया था उसमे "
" नही कह सकता "
" और आप उसकी मौत की सूचना पाकर वहाँ गये "
" अंजलि ने सबके सामने कह दिया, जब अमरमनी मेरे पति का पिता ही नही था तो कोई भाई कैसे हो सकता है, दुख की इस घड़ी मे यहाँ से चले ही जाओ तो अच्छा होगा "
" और आप आ गये "
" इसके अलावा और कर भी क्या सकते थे " विजय को उसकी आँखो मे नमी नज़र आई थी," आप ही बताइए मिस्टर. विजय, क्या हम कुछ कर सकते थे "
" क्या उठवाने वाले दिन जाएँगे "
" हिम्मत तो नही पड़ रही है, पता नही जा पाएँगे या नही जा पाएँगे लेकिन जाने क्यो, दिल बार-बार एक बात ज़रूर कहता है "
" क्या "
" अभी तो वे गुस्से मे है लेकिन हो सकता है, महीने-दो महीने, या साल-दो साल बाद इतने गुस्से मे ना रहे, वे माने ना माने परंतु एक बार तो उनके पास जाएँगे ही, कहेंगे कि उनके उपर कोई साया नही रहा है और हमारी कोई फॅमिली नही है, क्यो ना साथ रहे "
" इतने सब के बावजूद बड़े अच्छे ख़याल है आपके, मैं आपको सलाम करता हू " कहने के बाद विजय विकास की तरफ पलट-ता हुआ बोला," चलो दिलजले, गठरी बनाकर चीन्कु उस्ताद को साथ ले चलो, आगे की राह यही दिखाएँगे "
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विजय-विकास चीकू को उसकी कोठी के उस कमरे मे ले गये जिसके लेन्टर के साथ दो ऐसी जंजीरे लटकी हुई थी जिसके निचले सिरो पर कुंडे मौजूद थे.
जिनमे पैर फँसाए विजय विकास, धनुष्टानकार, ठाकुर साहब और राजन सरकार के आने से पहले सिर्फ़ एक लाल अंडरवेर मे ना केवल उल्टा लटका हुआ था बल्कि पूरणसिंघ को अपने बाजुओ मे दबाए लंबे-लंबे झोट भी ले रहा था.
चीकू को एक कुर्सी पर बिठाने के बाद विजय ने कहा," हां तो छींकु उस्ताद, ये तो इति-सिद्धम हो चुका है कि मिसेज़. सरकार का अपहरण ना तो तुमने 5 लाख रुपयो के लिए किया था और ना ही परसो करना इत्तेफ़ाक था, पूरी स्क्रिप्ट काफ़ी सोचने-समझने के बाद पहले ही तैयार कर ली गयी थी और तैयार करने वाला शख्स वो था जिसने तुम्हे 10 लाख रुपये दिए, अर्थात इस सारे खेल मे तुम्हारे हाथ 15 लाख लगने थे और सरकार दंपति का काम तमाम होना था "
चीकू चुप रहा.
पुनः विजय ने ही कहा," अब तुम्हे उसका नाम बताना है जिसने तुम्हे इस काम के लिए 10 लाख की रकम दी "
" मैं उसके बारे मे कुछ नही जानता "
" पर हम जानते है कि तुम जानते हो "
ऐसा लगा जैसे चीकू ने जबड़े कस लिए हो.
" और जब हम ये जान लेते है कि सामने वाला वो जानता है जो हम जानना चाहते है पर बता नही रहा तो उसे दिलजले के हवाले कर देते है क्योंकि सामने वाले के मुँह से वो निकलवाने के मामले मे इसने पीएचडी कर रखी है जो वो निकालना नही चाहता "
चीकू अब भी चुप रहा.
विजय ने पुनः कहा," संदीप बिजलानी के शानदार ड्रॉयिंग रूम मे तुम्हे दिलजले के हाथो जो कुछ भी भुगतना पड़ा, वो सिर्फ़ ट्रेलर था, पूरी फिल्म देखने के मूड मे हो तो इसी तरह जबड़े कसे रखो, हम तुम्हे दिलजले के हवाले कर रहे है और अगर साबुत रहना चाहते हो तो जो पूछा जा रहा है, वो बता दो "
" मैंने कहा ना, मैं उसके बारे मे कुछ नही जानता "
" ये तो ज़िद पर अड़ा हुआ है दिलजले " विजय बोला," इतना तक नही जानता कि खुद का दुश्मन खुद ही बन रहा है "
" आप बस 10 मिनिट के लिए इस कमरे से चले जाइए गुरु " विकास ने कहर भरी नज़रो से चीकू को देखते हुए कहा था," जब आएँगे तो इसे टेपीरिकॉरडर की तरह बोलता पाएँगे "
" बोलो छींकु उस्ताद " विजय ने एक बार फिर चीकू से पूछा.
" जब मुझे कुछ पता ही नही है तो मैं क्या बता सकता हू "
" ओके, तो हम चले प्यारे " कहने के बाद वो ऐसा मुड़ा कि रुका ही नही, कमरे से बाहर निकलता चला गया.
इसी बीच, विकास जैसे फ़ैसला कर चुका था कि क्या करना है, उसने बगैर कुछ कहे चीकू को गठरी की तरह उठाया और इससे पहले कि वो कुछ समझ पाता, उसके दोनो पैर जंजीरो के दोनो कुंडो मे फँसाकर कुंडो के लॉक लगा दिए.
चीकू बेचारा समझ तक नही पा रहा था कि विकास क्या करने के मूड मे है और जब समझा तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि वो कुछ कर नही सकता था, शुरू मे विकास ने उसे बहुत छोटे-छोटे झोट दिए थे, धीरे-धीरे झोटो की लंबाई बढ़ाई और फिर इतनी बढ़ा दी कि उसका सिर दीवार से जा टकराया.
हलक से चीक निकल गयी थी उसके.
नया जख्म बन गया.
बेचारा पहले से ही लाहुलुहान था, अपने ही खून से और भीगने लगा और.... ये तो शुरुआत थी, अभी पहली चोट से ही नही उभर पाया था कि सामने वाली दीवार से जा टकराया.
विकास ने झोटा और तेज किया.
पुनः पहली दीवार से जा टकराया और उसके बाद तो ऐसा सिलसिला बना की रुकने का नाम ही नही ले रहा था.
विकास उसे जुनूनी अवस्था मे झोट देता रहा और वो ज़ोर-ज़ोर से आमने-सामने की दीवारो से टकराता रहा, कमरे मे उसकी चीखे इस कदर गूँज रही थी जैसे बकरे को हलाल किया जा रहा हो.
बुरी तरह डकरा रहा था वो.
सिर और चेहरे पर ही नही, पूरे जिस्म मे नये-नये जख्म बनते जा रहे थे, अब उनसे खून बह नही रहा था बल्कि खून की बारिश जैसे हो रही थी, कमरे की दीवारें और फर्श किसी बूचड़खाने की दीवारें और फर्श जैसी लगने लगी थी.
ये सिलसिला रुकने का नाम ही नही ले रहा था.
कब तक सहता चीकू.
चीखो के बीच उसके मुँह से शब्द निकलने लगे थे," र..र...रोको रोको, ब..ब...बात....बताता ह..हू "
उसके बाद भी विकास ने दो-तीन झोट दिए, तब रुका, जेब से मोबाइल निकालकर विजय का नंबर मिलाया और जिस वक़्त वो उस पर ये कह रहा था की," आ जाओ गुरु " उस वक़्त भी चीकू झोट खा रहा था परंतु अब दीवारो से नही टकरा रहा था.
विजय के आते-आते झोट काफ़ी छोटे हो गये थे.
विकास ने कहा," अभी केवल 5 मिनिट ही हुए है गुरु "
विजय ने दरवाजे पर खड़े-खड़े ही कमरे की हालत देखी तो कह उठा," तुमने तो अमा यार हमारे कमरे को बूचड़खाना बना दिया "
" न...नीचे उतारो " चीकू डकराया," प्लीज़ मुझे नीचे उतारो "
" पहले गुरु के सवालो का जवाब दे " उससे कहने के बाद विकास विजय से बोला," जो पूछना है, पूछो गुरु "
जिस वक़्त विजय फर्श पर बिखरे खून से बचने की कोशिश करता हुआ विकास की तरफ बढ़ रहा था उस वक़्त बहुत दय्नीय अंदाज मे चीकू गिडगिडा रहा था," अब उल्टा नही लटका जा रहा, प्लीज़ मुझे सीधा कर दो "
विकास गुर्राया," जब तक विजय गुरु के सवालो के जवाब नही देगा, तब तक सीधा नही होगा "
" वो मुझे बिजलानी शुगर वर्क्स के बाहर जो चाय वाला है, वहाँ मिला था, बिजलानी साहब की फॅक्टरी से निकलने के टाइम तक मैं ज़्यादातर वही बैठा रहता हू "
" कब की बात है ये "
" परसो दोपहर पौने एक बजे की "
" क्या कहा उसने "
" बोला, बंटी, बॉब्बी और चंदू की बात मान क्यो नही लेता "
" सीधे यही कहा "
" हां, मेरे तो छक्के छूट गये, ये सोचकर घबरा गया कि ये शख्स कौन है जो ना सिर्फ़ चंदू, बॉब्बी और बंटी का नाम ले रहा है बल्कि उनकी बात मान लेने के लिए भी कह रहा है, इसका मतलब तो सीधा था कि उसे मेरे और उनके बीच होने वाली बातो के बारे मे मालूम था लेकिन फिर भी, मैं किसी अजनबी के साथ कैसे खुल सकता था अतः बोला, कौन चंदू, बंटी और बॉब्बी, वो इस तरह मुस्कुराया जैसे मैंने कोई बचकानी बात कही हो, बोला, तुम होशियारी की जगह बेवकूफी का प्रदर्शन कर रहे हो, मैंने फिर भी कहा, शायद आपको कोई ग़लतफहमी हुई है, आप मुझे कौन समझ रहे है, चीकू, वो सीधा बोला, मैं हकबकाया सा रह गया, मुझे मालूम है, उसने कहा, चंदू सरकार दंपति से अपनी माँ की हत्या का बदला लेना चाहता है, बंटी और बॉब्बी उसका साथ देने को तैयार है, वे तुझसे मिले थे, तूने ये कहकर मना कर दिया कि मैं तब तक कोई काम नही करता जब तक कुछ मिले नही, इतनी बात के बाद मेरा अंजान बनना मूर्खता ही होती, अतः बोला, आपको ये सब कैसे मालूम, वो बोला, समझदार लोग आम खाते है बेटा, पेड़ नही गिनते, मतलब, मैं बोला, इस काम के 10 लाख मैं तुझे दूँगा, वो बोला, यानी आप भी सरकार दंपति का ख़ात्मा चाहते है, नही तो मैं क्या फोकट मे 10 लाख देने की बात कर रहा हू, क्यो, मैंने पूछा, क्या मतलब हुआ इस सवाल का, आप उनका मर्डर क्यो चाहते है, मैंने फिर पूछा, तू फिर पेड़ गिनने की कोशिश करने लगा, वो कहता चला गया, तू फ्री मे काम नही करता, मैं पैसे देने को तैयार हू, पैसे भी 10 लाख, तेरे लिए अच्छी-ख़ासी रकम है, बल्कि ये कहूँ तो ग़लत ना होगा कि इतनी मोटी रकम तूने पहले किसी काम से नही कमाई है, हां या ना बोल ताकि तेरी ना पर मैं किसी और को पकड़ सकूँ, मैं बोला, मैं तैयार हू लेकिन..., ऐसे कामो मे किंतु-परंतु की कोई गुंजाइश नही होती, वो बोला, पैसे पहले लूँगा, मैं बोला, ले, ये थैला पकड़, पूरे 10 है, काम कर, कहने के साथ उसने अपने हाथ मे मौजूद थैला मेरी तरफ बढ़ा दिया.
मैं ये सोचकर हड़बड़ा गया कि हाथ बढ़ाते ही मैं 10 लाख का मालिक बनने वाला हू, शायद उसी हड़बड़ाहट के कारण बोला, इस वक़्त मैं इसे कहाँ रखूँगा, उसने कहा, BMW की डिकी मे डाल लियो, बिजलानी क्या डिकी चेक कर रहा है, मुझे उसकी बात ठीक लगी इसलिए थैला पकड़ लिया "
" क्या ये भी उसने बताया था कि क्या कैसे करना है "
" एक-एक शब्द उसी ने बताया था " चीकू बोला," शर्त रखी थी कि काम आज ही होना चाहिए, उसी ने तय किया था कि इंदु सरकार का किडनॅप करना है, फिरौती के बहाने राजन सरकार को किसी सुनसान स्थान पर बुलाना है ताकि चंदू अपना काम बगैर किसी बाधा के कर सके, उसने कहा था कि फिरौती मे जो रकम मिलेगी वो मेरा बोनस होगा "
" ओह, अब ज़रा उसका नाम भी बता दोगे "
" नाम नही जानता "
विकास गुर्राया," और झोट खाना चाहता है क्या "
" त...तुम्हारी कसम " वो घिघिया उठा था," नाम तो मैं वाकाई नही जानता लेकिन उसे देखकर पहचान सकता हू "
" हुलिया बता "
" चौड़ा माथा था उसका, सिर पर लंबे लाल रंग के बाल, वैसे ही बालो यानी लाल रंग की दाढ़ी, आइ-साइट का चश्मा पहने हुए था, बाए गाल पर बड़ा सा मस्सा था "
" लंबाई "
चीकू ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि..
" धाय "
बाहर कहीं से गोली चलने की आवाज़ आई.
तीनो चौंके और अभी कुछ समझ भी नही पाए थे कि, धाय, धाय.
दो गोलिया और चली.
बाहर से कुछ लोगो के चीखने-चिल्लाने की आवाज़े आई.
विजय ने तुरंत ही दरवाजे की तरफ छल्लांग लगाई, वैसा ही विकास ने भी किया.
आँधी-तूफान की तरह दौड़ते हुवे कोठी के लॉन मे आए तो पाया कि मैन रोड पर हंगामा मचा हुआ था.
सड़क पर पहुचे.
ट्रॅफिक जाम था.
चारो तरफ अफ़रा-तफ़री सी मची हुई थी.
लोग चिल्ला रहे थे.
ज़्यादातर के चेहरो पर दहशत के भाव थे.
विजय ने देखा, सड़क के बीचोबीच कयि गाड़ियाँ खड़ी थी.
उनमे से एक का पिच्छला काँच टूटा हुआ था.
वो उसी तरफ लपका.
कार का मालिक ड्राइविंग डोर खोलकर बाहर खड़ा हुआ था.
उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे कि अपनी मौत का मंज़र अपनी आँखो से देखा हो.
एक बाइक वाले ने कहा," बहुत बचे भाई साहब, गोली आपको लग जाती तो आप तो गये थे "
" क्या हुआ " विकास ने उसके करीब पहुचते हुवे कहा.
" मुझे पर जानलेवा हमला हुआ है " कहते वक़्त गाड़ी वाले की हालत ऐसी थी जैसे अभी बेहोश होकर गिरने वाला हो.
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