RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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विजय की तो बात ही छोड़िए, अशोक बिजलानी के ऑफीस को देखकर साधारण आदमी भी ये कह सकता था कि किसी ने उसे किसी चीज़ की तलाश मे बुरी तरह खंगाला है.
ये वही ऑफीस था जिसमे विजय, विकास और ढनुश्टन्कार सबसे पहले आकर बैठे थे.
जहाँ वे अंकिता, उत्सव और दीपाली से मिले थे.
उस वक़्त शेल्फ और अलमारियो मे करीने से लगी क़ानून की ढेर सारी किताबें इस वक़्त फर्श पर कचरे की तरह बिखरी पड़ी थी.
मेज का सामान भी बुरी तरह तितर-बितर था.
सभी दराजे खुली पड़ी थी.
उनका कुछ सामान नीचे पड़ा हुआ था, कुछ उनमे ही था.
एक भी फाइल ऐसी नही थी जिसे खंगाला ना गया हो.
ऐसा लग रहा था जैसे किसी सुई को तलाश करने की कोशिश की गयी हो, उस खिड़की का काँच और ग्रिल टूटी हुई थी जो लॉन की तरफ खुलती थी, विजय-विकास ने नज़दीक से जाकर उसे देखा.
खिड़की की निचली चौखट पर मिट्टी लगी हुई थी और नीचे, कमरे के अंदर फर्श पर मिट्टी के फुट-स्टेप्स बने थे.
अर्थात जो भी आया, वही से आया था.
फुट-स्टेप्स बाकी कमरे मे भी थे परंतु अस्पष्ट-से, उन्हे केवल मिट्टी के निशान कहा जा सकता था.
हर स्थान को गौर से देखने के बाद विजय ने छत की तरफ देखा, वो 2 बाइ 2 की टाइल्स से मंधी हुई थी.
हर टीले के किनारों पर अल्यूमिनियम की पट्टी लगी हुई थी.
यानी किसी का भी जोड़ नही चमक रहा था.
जाँच-पड़ताल करने के बहाने विजय ने बिजलानी की पर्सनल दराज मे पड़ा एक छोटा-सा रिमोट उठाकर इस तरह अपनी जेब मे सरका लिया कि इस हरकत को कोई देख ना सके.
फिर वही मौजूद अंजलि से पूछा," आपका और बिजलानी साहब का बेडरूम इसी ऑफीस के उपर है ना "
" हां " उसने संक्षिप्त सा जवाब दिया.
" मकान के किसी और हिस्से से गुज़रे बगैर, वाहा से यहाँ और यहाँ से वहाँ आया-जाया जा सकता है ना "
अंजलि के चेहरे पर अस्चर्य के भाव उभर आए.
मुँह खुला का खुला रह गया.
आवाज़ ना निकल सकी उसकी.
विजय ने कहा," जवाब दीजिए "
" आपको कैसे मालूम "
विकास भी चकित रह गया था.
उसने छत की तरफ देखा, ऐसा कुछ भी नज़र नही आ रहा था जिससे पता लग सके कि वहाँ कोई रास्ता है, वो भी ना समझ सका कि विजय गुरु को ये बात कैसे मालूम है.
विजय ने अंजलि के प्रश्न के जवाब मे कहा," हमारे पास अलादीन का चिराग है, उसे घिसते है, जिन्न को प्रकट होना पड़ता है, जो जानना चाहते है, उससे सवाल करते है, उसे जवाब देना पड़ता है, इतना तो आप जानती ही होंगी कि जिन्न भगवान जी का जुड़वा भाई होता है, जैसे भगवान जी को सब पता होता है, वैसे ही उसे भी पता होता है, कहें तो दिखाए
अलादीन का चिराग "
किसी के मुँह से बोल ना फुट सका जबकि अंजलि ऐसी मुद्रा मे विजय को देखती रह गयी थी जैसे जादूगर को देख रही हो.
विजय ने सचमुच जादूगर की तरह जेब मे हाथ डालकर रिमोट निकाला, हाथ उपर किया और एक बटन दबा दिया.
ठीक बीच वाली 2 बाइ 2 की टाइल बिना कोई आवाज़ किए नीचे की तरफ लटकती चली गयी, उसका दूसरा सिरा ऐसा लग रहा था जैसे कब्जो पर टिका हुआ हो.
देखते ही देखते टाइल पूरी तरह नीचे लटक गयी.
अब वहाँ 2 बाइ 2 का एक ऐसा रास्ता था की एक व्यस्क आदमी आराम से पार हो सकता था, रास्ते के उस पार बेडरूम मे बिच्चे बेड का निचला हिस्सा नज़र आ रहा था.
विजय बोला," ये रास्ता बेडरूम मे बिछे बेड के नीचे खुलता है, एक ऐसा ही रिमोट बेडरूम मे है यानी ठीक इसी तरह वहाँ से भी इसे खोला जा सकता है, औसत आदमी की लंबाई साढ़े 5 फुट होती है, हाथ उपर कर लिए जाए तो 7 फुट उँची वस्तु को आदमी आराम से पकड़ सकता है, ऑफीस के फर्श से चत्ट की उँचाई साढ़े 9 फुट है, रास्ते के नीचे ढाई फुट उँची बिजलानी की मेज पड़ी है, बचे 7 फुट अर्थात चत्ट से यहा आने के लिए आदमी को कूदना नही पड़ेगा बल्कि आराम से मेज पर उतर जाएगा, इसी तरह आराम से यहाँ से बेडरूम मे, बेड के नीचे पहुच जाएगा "
रिप्पी चेहरे पर अस्चर्य लिए अपनी मम्मी को देख रही थी, उसके मुँह से शब्द फिसलते चले गये," इसका तो मुझे भी नही पता था "
" उन्होने इसे तेरे लिए ही बनवाया था "
" मेरे लिए "
" जब मकान बन रहा था, तब तू छोटी थी, गोद मे रहने वाली बच्ची, हमारे साथ बेडरूम मे ही सोती थी, तेरे पापा सोचा करते थे कि इतने बड़े घर मे सिर्फ़ 3 लोग रहा करेंगे,
अगर किसी समय गुंडे-बदमाश घुस आए तो उनसे बचने के लिए कोई गुप्त रास्ता होना चाहिए ताकि अगर कोई बेडरूम मे घुसने की कोशिश करे तो तुम्हे लेकर हम ऑफीस मे आ जाए और बिल्डिंग से बाहर चले जाए "
रिप्पी हैरत से अपनी मम्मी की तरफ देखती रह गयी जबकि विजय ने अंजलि से सवाल किया था," इस रास्ते के बारे मे आपने उस दिन क्यो नही बताया जिस दिन बिजलानी का मर्डर हुआ था "
" आप उसे फिर मर्डर कह रहे है "
" अब तो चान्स बढ़ गये है क्योंकि जो कमरा उस वक़्त अंदर से बंद नज़र आ रहा था, अब पता लग रहा है कि उसमे आने-जाने के लिए एक और रास्ता था "
" पर इस रास्ते के बारे मे मेरे और बिजलानी साहब के अलावा किसी को पता नही था, आप देख ही रहे है, रिप्पी तक को नही "
" सवाल उठता है, क्यो नहीं " विजय ने कहा," रिप्पी तक को इस रास्ते के बारे मे क्यो नही बताया गया "
" मुझे और उन्हे कभी इस बात की ज़रूरत ही महसूस नही हुई बल्कि ये कहा जाए तो ज़्यादा मुनासिब होगा कि हम खुद भी इस रास्ते को भूल चुके थे क्योंकि वर्षो पहले ये बना ज़रूर था मगर कभी इसकी ज़रूरत नही पड़ी, इस्तेमाल तक नही किया हम ने क्योंकि वैसा कभी हुआ ही नही जैसा सोचकर हम ने इसे बनवाया था "
" उस दिन हम ने ये संभावना व्यक्त की थी कि ये स्यूयिसाइड की जगह मर्डर भी हो सकता है, उस वक़्त स्वाभाविक रूप से आपका ध्यान इसकी तरफ जाना चाहिए था, जेहन मे ये विचार उतना चाहिए था कि कही उसी रास्ते से तो कोई बिजलानी साहब का मर्डर करके नही निकल गया "
" तो क्या अब आप पक्के तौर पर कह रहे है कि बिजलानी साहब ने स्यूयिसाइड नही किया, उनका मर्डर किया गया है और मर्डर करने वाला इसी रास्ते से फरार हो गया "
" पक्के तौर पर अभी कुछ नही कहा जा सकता लेकिन जैसा कि पहले ही कहा, चान्स बढ़ गये है "
" मुझे नही लगता ऐसा हुआ होगा " अंजलि बोली," क्योंकि पहली बात, मैं बार-बार दोहराउन्गी कि इस रास्ते के बारे मे किसी को पता नही था, दूसरी बात, उस वक़्त ऑफीस मे अंकिता, उत्सव और दीपाली के अलावा आप खुद मौजूद थे "
" आपकी पहली बात तो यही धराशायी हो जाती है कि हमे इस रास्ते के बारे मे पता है, यानी आपके इस दावे मे कोई दम नही है, जैसे हमे पता लगा, वैसे ही किसी और को भी लग सकता है "
" मैं तो इसी बात पर हैरान हू कि आपको कैसे पता लगा "
विजय ने उसकी बात पर ध्यान दिए बगैर कहा," दूसरी बात का जवाब ये है कि आप भूल रही है कि गोली की आवाज़ सुनते ही हम सब भागते-दौड़ते उपर पहुच गये थे अर्थात उसके लिए ये रास्ता क्लियर था, ऐसा क्यो नही हो सकता कि उसी समय हत्यारा भी भागता-दौड़ता इसी रास्ते से निकल गया हो "
" चलिए, उसके फरार होने के बारे मे तो आपने बता दिया मगर वो वहाँ पहुचा कैसे होगा, अंकिता, उत्सव और दीपाली तो हर रोज की तरह यहाँ 10 बजे ही आ गये थे "
" 10 से पहले जा छुपा होगा "
" जिस समय मैं उन्हे चाय देने गयी थी उस समय कमरे मे उनके अलावा और कोई नही था "
" क्या बाथरूम भी चेक किया था आपने "
" बाथरूम, नही तो "
" संभव है कि सही मौके की तलाश मे वही छुपा बैठा हो "
अंजलि विजय की तरफ देखती रह गयी.
जैसे कहने के लिए अब उसके पास कुछ शेष ना बचा हो.
अतः सन्नाटा छा गया.
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कुछ देर बाद रिप्पी बोली," इस सबके बावजूद, मेरा कहना ये है कि पापा का मर्डर नही हुआ, उन्होने स्यूयिसाइड ही किया है "
" दावे की वजह "
" मैं इस बात को जानती हूँ "
" कैसे "
" ये भी जानती हूँ कि उन्होने ऐसा क्यू किया "
अंजलि ने चौंक कर उसकी तरफ देखा, पूछा," ये क्या कह रही है तू, तू उनके स्यूयिसाइड का कारण जानती है "
" हां मम्मी " उसकी आँखे भीगी हुई थी.
विजय ने कहा," हम भी जानना चाहते है "
" नही बताउन्गी "
" क्यो "
" हरगिज़ नही बताउन्गी " कहने के साथ उसके जबड़े भिन्च गये थे," कोई जान से मार डाले तब भी नही, आपको अगर इसे मर्डर मानकर तहकीकात करनी है तो करते रहिए, आपको मुँह की खानी पड़ेगी क्योंकि मैं जानती हू कि ये आत्महत्या है और अगर इसे हत्या कहा जा सकता है तो हत्यारी मैं हूँ "
सब चौंक पड़े.
अंजलि के हलक से तो चीख-सी निकल गयी थी," र...रिप्पी, ये क्या बक रही है तू "
" ये सच है मम्मी " उसकी आँखे दबदबाई हुई थी," लेकिन किसी भी सूरत मे मैं इस सच को किसी को बता नही सकती "
" हम वो भी जानते है जिसे तुम अपनी जान की कीमत पर भी किसी को बताने के लिए तैयार नही हो "
" म...मतलब " रिप्पी इस तरह चौंकी थी जैसे अपने जिस्म पर बिच्छू देख लिया हो, मुँह से निकला," क्या जानते है आप "
" यही कि अंकिता के प्रति बिजलानी साहब के नज़रिए मे चेंज आ गया था, अब वे उसे बेटी नही बल्कि एक ऐसी लड़की समझने लगे थे जो उनकी गोद मे गिर सकती थी, अंकिता ने ये बात तुम्हे बताई थी और तुमने इस बात पर अपने पापा को लताड़ा था "
रिप्पी की हालत ऐसी हो गयी जैसे कि उसके कानो मे पिन्घला हुआ शीशा उंड़ेल दिया गया हो.
आँखे विजय के चेहरे पर स्थिर हो गयी थी.
पलके तक नही झपक पा रही थी वो.
विजय को ऐसी नज़रो से देख रही थी जैसे वो इस दुनिया का सबसे बड़ा जादूगर हो.
मुँह से बस एक ही बात निकली," आ..आपको कैसे पता "
" हमे ऐसी ही बाते पता लगाने के पैसे मिलते है रिप्पी " विजय कहता चला गया," उस वक़्त दरवाजा पीटने के साथ जो तुम ये कह रही थी कि, मुझे आपसे कोई शिकायत नही है
पापा, वो इस लिए नही कह रही थी कि वे कॅमरा नही लाए थे, बल्कि इसलिए कह रही थी क्योंकि तुम्हे उसी वक़्त अंदेशा हो गया था कि तुम्हारे पापा ने कही तुम्हारी लताड़ के कारण तो ऐसा नही कर लिया है "
" प...प्लीज़, प्लीज़ मिस्टर. विजय, ये बात इसी कमरे तक सीमित रहनी चाहिए " रिप्पी गिडगिडा उठी," और इससे फ़ायदा भी क्या होगा, पापा तो रहे नही, ये बात फैली तो उनकी इज़्ज़त भी नही रह जाएगी, इससे क्या मिल जाएगा आपको "
" कोशिश करेंगे कि ये बात सार्वजनिक ना हो "
" क्या ये बात सच है " बहुत देर से आवाक खड़ी अंजलि ने रिप्पी से पूछा," कैसी उन्होनी सी बात है ये कि अंकिता के प्रति उनके विचार चेंज हो गये थे, वो तो उनकी बेटी जैसी थी, जैसी तू, वैसी अंकिता, बचपन से इस घर मे आ रही है "
" यही तो...यही तो कह बैठी थी मैं पापा से " रिप्पी के मुँह से ऐसे भीगे हुवे शब्द निकले जैसे की अपने उस वक़्त के फैंसले पर पछता रही हो," यही कि अगर आप अंकिता के बारे मे ऐसा सोच सकते है तो कल मेरे बारे मे भी ऐसा सोच सकते है, शायद मेरे ये शब्द ही मार गये उन्हे और उन्हे लगा की जब उस बेटी की नज़रो मे ही गिर गया हूँ जिससे सबसे ज़्यादा प्यार करता हू तो जिंदा रहकर क्या करूँगा, और उन्होने खुद को ख़तम कर लिया, तभी तो कह रही थी कि अगर ये हत्या है तो हत्यारी मैं हू, सिर्फ़ मैं "
" ये क्या अनर्थ किया तूने " अंजलि भी रोने लगी," उनसे ऐसी बेवकूफी हो भी गयी थी तो उनसे ऐसी बात क्यू की, मुझसे बात क्यो नही की, मुझे क्यो नही बताया सबकुछ "
" बुद्धि मारी गयी थी मेरी, गुस्सा ही इतना तेज आ गया था कि मुझे जैसे ही अंकिता ने बताया, मैं पापा के पास जा पहुचि, मुझे क्या पता था कि वे ऐसा कर लेंगे "
" बेवकूफी तो अंकिता ने भी की, तुझसे क्यो कहा उसने, मैं मर गयी थी क्या, मैं भी तो उसकी माँ जैसी हू, मैं उन्हे अपने तरीके से टॅकल कर लेती, तब शायद वे अपनी जान नही लेते "
रिप्पी चुप रह गयी.
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कुछ देर बाद विजय ने कहा," जो हो गया, वो हो चुका है, अब कुछ भी वापिस नही आ सकता, हम इंसानो के साथ अक्सर ऐसा होता है कि हम से कोई ऐसी ग़लती हो जाती है जिसके लिए सारे जीवन पछताने के अलावा कुछ नही रह जाता, मगर पछताने से भी क्या होता है, गया हुआ इंसान वापिस तो नही आ सकता "
आँखो मे अभी तक आँसू भरे रिप्पी ने कहा," बस ये बता दीजिए मिस्टर. विजय की आपको ये सब पता कहा से लगा "
विकास ने भी बड़ी उम्मीद से विजय की तरफ देखा क्योंकि वो ये जानने के लिए मरा जा रहा था की उसे ये बात और गुप्त रास्ते के बारे मे कब और कैसे पता लगा लेकिन उस वक़्त उसकी उम्मीदो पर पानी फिर गया जब विजय ने सपाट स्वर मे रिप्पी के सवाल का जवाब दिया," नही बता सकते "
रिप्पी सकपका-सी गयी.
मुँह से बोल ना फुट सका.
बस देखती रह गयी विजय की तरफ.
फिर बोली," क्या आपका मानना अब भी ये ही है कि पापा की हत्या की गयी है "
" फिफ्टी-फिफ्टी "
" कैसे "
" जो शंका आपको है अगर वही हुआ है तो उन्होने आत्महत्या की है लेकिन ये रास्ता हमे सोचने पर मजबूर करता है "
" सिर्फ़ रास्ते के बसे पर ये सोचना क्या कुछ ज़्यादा ही उँची छलाँग नही है कि कोई उनका मर्डर करके यहाँ से फरार हो गया "
" बेस सिर्फ़ ये रास्ता ही नही है "
" और क्या है "
" ये " विजय ने ओफीस की हालत की तरफ इशारा करते हुवे कहा," किसने किया है ये, किसिके पेट मे क्यो दर्द हुआ "
सब चुप.
विजय ने पुनः कहा," उसे किस चीज़ की तलाश थी "
सन्नाटा.
" वो चीज़ उसे मिली या नही "
कोई क्या जवाब देता.
" जवाब दीजिए मोह्तर्मा, दोनो मे से कोई तो जवाब दीजिए " विजय कहता चला गया," दिमाग़ पर ज़ोर डालकर सोचने की कोशिश कीजिए कि मिस्टर. बिजलानी कि ऐसी कौन-सी चीज़ हो सकती है जिसकी किसी को इतनी शिद्दत से तलाश है कि उसने उनके ऑफीस का ये हाल किया "
अंजलि ने रिप्पी की तरफ देखा, रिप्पी ने अंजलि की तरफ, जैसे दोनो एक-दूसरे से पूछ रही हो कि क्या तुम किसी ऐसी चीज़ के बारे मे जानती हो मगर किसी के चेहरे पर ऐसा भाव नही उभरा जिसे पॉज़िटिव कहा जा सके.
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