RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" गुरु " एकाएक विकास बोला," अब मैं कुछ बोलूं "
" अभी तक ही हम ने क्या तुम्हे रोका हुआ था प्यारे "
" इस बार आप एक सिरे से दूसरे सिरे तक धोखा खा रहे है "
" वो कैसे "
" कातिल के बारे मे तो अभी मैं कुछ नही कह सकता लेकिन यहाँ आने वाला शख्स संदीप बिजलानी नही है "
" और कौन है "
विजय के सवाल का जवाब देने की बजाय विकास अंजलि से मुखातिब होता हुआ बोला," क्या आप किसी ऐसे लंबे और तंदुरुस्त आदमी को जानती है जिसके बाल और दाढ़ी का रंग लाल हो "
" जियो दिलजले " विजय कह उठा," जियो, एक बार फिर तुमने शरलॉक होम्ज़ बनकर दिखा दिया "
" हमारी समझ मे बिल्कुल नही आ रहा है कि आप लोग आपस मे क्या बाते कर रहे है " रिप्पी ने कहा था.
" उसे छोड़ो, ये बताओ कि क्या आपमे से कोई उस हुलिए के आदमी को जानता है जो दिलजले ने बताया "
" दिलजला कौन, इसका नाम तो विकास है ना "
" प्यार से हम इसे दिलजला ही कहते है, जैसे चतुरसेन को चींटू कहा जाता है, मंगलसेन को मींटू, पर महत्त्वपूर्ण ये नही है, ये है कि आपको इसके सवाल का जवाब देना चाहिए "
" हम ने कभी कोई ऐसा आदमी नही देखा " अंजलि ने कहा.
रिप्पी विकास से बोली," आपको ऐसा कैसे लगा की ये सब इस हुलिए वाले आदमी ने किया है "
" मॅजिक, गुड़िया " विजय ने उंगलिया नचाई थी," मॅजिक, हम दोनो जासूस नही बल्कि इस देश के बहुत बड़े जादूगर है "
वे उनकी तरफ देखती रह गयी.
" हमे दुख है कि फिलहाल आप हमारे किसी काम नही आ रही है " विजय बोला," कम से कम ये तो बता दीजिए कि ये घटना कब घटी यानी की लाल दाढ़ी वाला कब आया "
" रात के किसी समय "
" किस समय "
" नही बता सकते "
" क्यो नही बता सकते "
" रात को तो हमे कुछ पता ही नही लगा "
" कब पता लगा "
" जब सफाई करने वाली आई, ऑफीस खोला तो चीख पड़ी, अंदर नही घुसी बल्कि वापिस दौड़ती हुई लॉबी की तरफ आई, हम उसके चीखने के कारण चौंक भी गयी थी और ये सोचकर डर भी गयी थी कि अब क्या हो गया, जब पूछा कि क्या हुआ है, वो इस तरह चीख क्यो रही है जैसे भूत देख लिया हो, तब उसने अटकती हुई आवाज़ मे बताया कि ऑफीस मे कोई चोर घुसा है, हम दौड़कर आई तो ये हाल देखा, तुरंत पोलीस को फोन किया "
" यानी आप अंदर नही घुसी "
" आपके आने से पहले नही "
" तो फिर ये कैसे कह सकती है कि आपको नही पता कि क्या चोरी हुआ है, जब जाँच-पड़ताल करेंगी, ये देखेंगी कि कहाँ क्या रखा हुआ था, तभी तो जानेगी कि क्या गायब है "
" हमारा यहाँ आना ना के बराबर होता था क्योंकि ये ऑफीस है और ऑफीस मे हमारा कोई काम नही था "
" ये तो जानती होंगी कि कहाँ क्या रखा था "
" नही जानती, क्योंकि यहा ऑफीस से कनेक्टेड चीज़ें ही रखी होती थी, घर से कनेक्टेड नही "
" कोई कीमती चीज़ "
" वकील के ऑफीस मे किसी कीमती चीज़ का क्या काम "
" बात तो दुरुस्त है, किसी वकील के ऑफीस मे कोई ऐसी चीज़ नही होती जो समान रूप से सबके लिए कीमती हो लेकिन किसी विशेष आदमी के लिए कोई ऐसी विसेश चीज़ हो सकती है जो उसके लिए उसकी जान से भी ज़्यादा कीमती हो "
" ऐसी क्या चीज़ हो सकती है "
" किसी केस विसेश की ऐसी फाइल जिसमे किसी की जान अटकी हो, या कोई ऐसा डॉक्युमेंट जिसे कोई आदमी विसेश दुनिया के सामने ना आने देना चाहता हो, जैसे, अपनी जायदाद हासिल करने के लिए बिजलानी साहब द्वारा तैयार किए गये वैसे कागजात जिनका ज़िक्र हम पहले ही कर चुके है "
" ऐसी चीज़ो के बारे मे तो अंकिता, उत्सव और दीपाली ही बता सकते है, क्योंकि वही उनके साथ काम करते थे "
" बुला लीजिए उन्हे "
" जी "
" फोन करके बुला लीजिए, तब तक हम यही है, वैसे भी अभी तो फिंगरप्रिंट्स डिपार्टमेंट के लोगो को भी आना है, लाल दाढ़ी वाले के उंगलियो के निशान भी तो चाहिए हमे "
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खिड़की के माध्यम से ही विजय-विकास लॉन मे भी घूम आए.
लॉन मे एक जगह की घास खुदी हुई थी.
वहाँ भी जूतो के निशान मिले और वे ये भी समझ गये कि चोर के जूतो के तलो मे वो मिट्टी वहाँ से लगी थी जिसे वो अपने साथ ऑफीस मे ले गया.
बाकी सब जगह घास थी और उनपर जूतो के निशान मिलने का कोई सवाल ही नही था.
फिर भी, वे अनुमान से पीछा करते हुवे कोठी की चारदीवारी के उस तरफ पहुच गये जहाँ से चोर कोठी मे दाखिल हुआ था.
वो कोठी की साइड रोड वाला हिसा था.
विकास ने कहा," अंधेरे मे उसे पता नही लगा होगा गुरु कि लॉन के उस हिस्से की घास खुदी हुई है और ना ही ये पता लगा होगा कि उसने दो स्टेप उस हिस्से मे लिए है "
" बिल्कुल ठीक कह रहे हो प्यारे " विजय बोला," पता लग जाता तो मिट्टी को ऑफीस तक नही ले जाता बल्कि जूतो के तलो को घास पर सॉफ करने के बाद आगे बढ़ता "
विकास ने वो सवाल किया जो बहुत देर से जेहन मे कुलबुला रहा था," आपको गुप्त रास्ते के बारे मे कैसे पता लगा "
" मोंटो ने बताया "
विकास चौंका," मोंटो ने "
" कल हम ने फोन पर मोंटो से कहा था कि तुम्हे ये पता लगाना है कि बिजलानी के बेडरूम मे कोई गुप्त रास्ता है या नही, आज सुबह उसने रिपोर्ट दी थी कि बेडरूम मे बिच्छे बेड के नीचे से ऑफीस मे खुलने वाला एक रास्ता है, वो रिमोट से खुलता है जो बेड की दराज मे रखा है, अगर नीचे से खोलना हो तो बिजलानी की मेज की दाई दराज मे एक दूसरा रिमोट है "
" आपने मोंटो को ये काम क्यो सौंपा था "
" हमारी मर्ज़ी "
" मर्ज़ी का कोई कारण तो होगा "
" शोध करवा लो प्यारे, मर्ज़ी का कोई कारण नही होता "
" मैं नही मान सकता " विकास कहता चला गया," आपको ख्वाब तो चमका नही होगा कि बिजलानी के कमरे मे गुप्त रास्ता हो सकता है, मोंटो को ये काम सौंपने से ही जाहिर है कि आपको किसी वजह से डाउट हो गया था, मैं उसी के बारे मे जानना चाहता हूँ, आपको किस वजह से ये डाउट हुआ कि बिजलानी के बेडरूम मे गुप्त रास्ता हो सकता है "
" ख्वाब ही चमका था हमे "
विकास ने उसे घूरा," यानी कि नही बताओगे "
" तुम्हारे घूर्ने पर हमे एक झकझकी याद आ रही है "
विकास को लगा अब वे झकझकी सुनाने लगेंगे, उससे बचने के लिए सवाल किया," अंकिता के प्रति बिजलानी की बदली हुई नीयत के बारे मे कैसे पता लगा "
विजय ने आशा द्वारा किए गये काम के बारे मे बता दिया.
" ये काम आशा आंटी को आपने इसलिए सौंपा होगा क्योंकि उनके संबंधो पर तो आपको पहले से ही शक था "
" समझदार हो दिलजले " विजय बोला," समझदार ना होते तो ऑफीस मे मिले मिट्टी के फुटस्टेप्स को देखते ही ये ना ताड़ लेते कि वे लाल बाल और लाल ही दाढ़ी वाले के है "
" जूता तो वो नही था गुरु जिसका निशान चीकू के खून मे बना था लेकिन उसी का नंबर था, मेरे लिए इतना काफ़ी था "
" ये लाल दाढ़ी वाला अचानक ज़रूरत से कुछ ज़्यादा सक्रिय हो गया है दिलजले, क्या वजह समझते हो इसकी "
" यही कि हमारी इन्वेस्टिगेशन सही दिशा मे चल रही है, उसी कारण उस पर बौखलाहट सवार हो गयी है और अब वो हमारे रास्ते रोकना चाहता है, उसके द्वारा ऐन समय पर चीकू की हत्या इस बात का सबूत है कि अगर हम चीकू से अपने कुछ सवालो के जवाब पा लेते तो शायद अपराधी के और करीब पहुँच सकते थे, इसलिए उसे इतना बड़ा रिस्क लेकर उसका मर्डर करना पड़ा "
" और बिजलानी के ऑफीस से कोई ऐसी चीज़ गायब की जो हमे उस तक पहुचा सकती थी "
" 100 पर्सेंट "
" क्या चीज़ हो सकती है वो "
" इस बारे मे अभी कोई अनुमान नही लगा पा रहा हूँ लेकिन ये तो नज़र आने लगा ही है कि कान्हा और मीना के हत्यारे सरकार दंपति नही है, गहरी साजिश के तहत उन्हे ट्रॅप किया गया है "
" ऐसा कैसे नज़र आने लगा है तुम्हे "
" ऐसा ना होता तो कौन है ये लाल दाढ़ी वाला, क्यू उसने चीकू को 10 लाख रुपये देकर चंदू की भावना का लाभ उठाते हुवे सरकार दंपति की हत्या की साजिश रची, उसके पेट मे इतना दर्द क्यो हो रहा है कि हमारा रास्ता रोकने के लिए चीकू का मर्डर करने जैसा रिस्क लिया, क्या गायब किया है ऑफीस से "
" तुम तो वाकाई शरलॉक होम्ज़ बनते जा रहे हो प्यारे "
विकास चुप रह गया.
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जब अंकिता, उत्सव और दीपाली पहुचे उस वक़्त फिंगरप्रिंट्स डिपार्टमेंट के लोग अपना काम कर रहे थे इसलिए उन्हे ड्रॉइग्रूम मे ही बैठा लिया गया.
ये सुनकर वे भी हैरान हो गये कि रात किसी समय किसी ने ऑफीस की जमकर तलाशी ली है.
विजय ने महसूस किया कि अंकिता उदास थी, उसका चेहरा उतरा हुआ था और वो अंजलि और रिप्पी से आँख नही मिला रही थी जबकि उत्सव और दीपाली केवल चुप थे.
विजय ने उनसे पूछा," क्या लगता है तुम्हे, क्या तुम तीनो से कोई ये गेस कर सकता है कि किसको किस चीज़ की तलाश हो सकती है "
तीनो एक-दूसरे की तरफ देखने लगे.
फिर सबका नेतृत्व करती दीपाली बोली," हम इस बारे मे क्या कह सकते है "
" बिजलानी साहब किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ तो मुक़दमा नही लड़ रहे थे जो क्रिमिनल किस्म का हो "
" जिनके भी खिलाफ मुक़दमा लड़ा जाता है उनमे से ज़्यादातर क्रिमिनल ही होते है लेकिन..... "
" लेकिन "
" ऐसा कोई शख्स ऐसा क्यो करेगा "
" मुमकिन है उसने अपने केस से संबंधित फाइल चुराई हो "
" उससे उसे क्या फ़ायदा होगा " उत्सव ने कहा," वैसी फाइल तो कोर्ट मे भी होगी और उसके अपने वकील के पास भी "
" तुम तीनो को मालूम होगा कि बिजलानी साहब के भाई यानी संदीप बिजलानी ने पिता की पूरी जायदाद हड़प ली थी, बिजलानी साहब ने उस पर मुक़दमा किया था मगर हार गये थे "
अंकिता ने कहा," मालूम है "
" उन्होने दूसरा प्रयास नही किया "
" नही "
" क्यो "
पुनः अंकिता ने ही कहा," उनका मानना था, संदीप बिजलानी ने कोई रास्ता नही छोड़ा है "
" यानी क़ानूनी रूप से वे पूरी तरह हार मान चुके थे "
" हां "
अंजलि बोली," मैंने पहले ही कहा था कि वे मुझसे कुछ नही छुपाते थे, ऐसा करने के बारे मे सोचते भी तो पहले मुझे बताते "
विजय चुप रह गया.
जब फिंगरप्रिंट्स डिपार्टमेंट का काम ख़तम हो गया तो विजय के निर्देश पर अंकिता, दीपाली और उत्सव ने ऑफीस मे जाकर ये जानने कि चेष्टा की कि वहाँ से क्या चीज़ गायब है.
भरपूर छानबीन के बावजूद वे कुछ ना बता सके.
अंततः विजय, विकास और धनुष्टानकार वहाँ से चले गये.
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गाड़ी मे बैठते ही विजय ने इनस्पेक्टर राघवन को फोन लगाया और तुरंत राजन सरकार के घर पहुचने के लिए कहा.
विजय ने संबंध-विच्छेद किया ही था कि विकास ने पूछा," क्या अब हमे राजन अंकल के घर चलना है "
" समझदार को इशारा काफ़ी है "
" वजह "
" वहाँ पहुचने पर देखना कि हम क्या धमा-चौकड़ी मचाते है " इतना कहने के बाद वो खर्राटे लेने लगा था.
फ्लॅट पर पहुचते ही विजय ने राजन सरकार से कहा," कुछ देर के लिए मसेज. चंदानी को बुला लीजिए "
" क्यो " उसने पूछा.
" धमा-चौकड़ी मचानी है "
" धमा-चौकड़ी क्या "
" सारे शब्दो का अर्थ सब लोगो के जानने के लिए नही होता " विजय कहता चला गया," जो कहा जा रहा है वो कीजिए, तब तक हम सरकारनी से बात करते है "
विकास को लगा, निस्चय ही विजय गुरु के दिमाग़ मे कुछ चल रहा है, तभी तो उन्होने राघवन को यहाँ पहुचने के लिए कहा है और अब चंदानी को बुलाया है.
विजय ने इंदु सरकार से कहा," सरकारनी जी, हमे आपसे कुछ प्राइवेट लिमिटेड बातें करनी है, क्या आप कुछ देर के लिए हमारे साथ अंदर वाले कमरे मे बंद होंगी "
इंदु ने सवालिया नज़रो से राजन की तरफ देखा.
राजन ने कहा," सबकुछ बता ही चुका हूँ, विजय ना होता तो पता नही हम बचते भी या नही, जो ये पूछे, सच-सच बताओ "
वे बेडरूम मे पहुच गये.
विजय ने 4-5 जून की रात और 5 जून की सुबह की घटनाओ के बारे मे सवाल किए, मकसद ये जानना था कि उनके और मिस्टर. सरकार के बयानो मे फ़र्क तो नही है.
विजय ने ऐसा कोई फ़र्क नही पाया जिससे उसके कान खड़े हो सकते, तब, विजय ने पूछा," बिल्कुल सच बताईएगा, अपने पति और मिसेज़. चंदानी के संबंधो के बारे मे आप क्या सोचती है "
" बिल्कुल झूठ है " इंदु ने दृढ़तापूर्वक कहा," इनस्पेक्टर राघवन की बनाई हुई बात है जिसे मीडीया ले उड़ा और बेवजह उनकी इज़्ज़त उछाली गयी, हमारे साथ-साथ बेचारे वे भी पिस गये "
" चलिए, उस बात को छोड़िए " विजय ने कहा," किडनॅप के बारे मे बताइए, क्या हुआ था "
उसने अपने बेहोश होने तक की बात बता दी.
" उसके बाद " विजय ने पूछा," यानी जब होश आया तो आपने खुद को कहाँ किस हाल मे पाया "
" मैं एक खंडहर मे थी, उसी मे, जिसमे से आप लोग लेकर आए, उसके एक कमरे की छत बरकरार थी, मैंने जब आँखे खोली तो एक कुर्सी के साथ बँधी थी उसी कमरे मे, तीनो मेरे सामने थे "
" तीनो,.... वे तो चार थे "
" चौथा उस वक़्त वहाँ नही था "
" कहाँ था "
" मुझे नही मालूम "
" ओके, चंदू था उनमे "
" हां "
" आपने कुछ पूछा उससे "
" हां, ये पूछा था कि उसने ऐसा क्यो किया, उस पर तो जैसे खून सवार था, बोला, तूने और तेरे पति ने मेरी माँ की हत्या की है, मैं तुम दोनो मे से किसी को नही छोड़ूँगा.
मैंने समझाने की बहुत कोशिश की कि हम ने उसकी माँ को नही मारा, ये भी कहा कि हम भला अपने ही बेटे को कैसे मार सकते है, मगर वो कुछ सुनने को तैयार ही नही था "
" सरकार साहब से वो तुम्हारे सामने ही बात करता था "
" हां, लेकिन हर बार सिम बदल लेता था और मोबाइल पर रुमाल भी डाले रहता था ताकि आवाज़ पहचानी ना जा सके "
" अगर वो चाहता था कि सरकार साहब उसे पहचान ना सके तो खुद बात क्यो करता था, कोई और कर लेता "
" बंटी ने उससे कहा था कि मैं बात कर लेता हू, लेकिन उस पर तो जुनून सवार था, बोला, मैं ही बात करूँगा "
" यानी आपको उसके साथियो के नाम भी पता लग गये थे "
" हां "
" कैसे "
" वे एक-दूसरे को नाम से ही पुकार रहे थे "
" क्या चीकू ने फोन पर किसी और से बात की थी "
" नही, लेकिन.... "
" क्या बताना चाहती है "
" जब मुझे होश आया तब वही नही था, केवल चंदू, बॉब्बी और बंटी थे, वो करीब दो घंटे बाद आया, उसके आते ही बंटी ने पूछा था, छोड़ आया, उसने कहा, हां, और 5 दिन की छुट्टी भी ले आया हूँ, अब इस काम से निपटकर ही काम पर लौटूँगा "
हालाँकि विजय समझ चुका था कि उस वक़्त उसने संदीप की गाड़ी छोड़कर आने की बात कही होगी लेकिन फिर भी पूछा," वो क्या छोड़कर आने की बात कर रहा था "
" ये मैं नही जान सकी लेकिन बॉब्बी ने ये ज़रूर कहा था कि 5 दिन की छुट्टी क्यो ली है, क्या इस काम मे 5 दिन लगेंगे, उसने कहा, ऐसे कामों मे टाइम का कुछ पता नही लगता, वो उन सबमे सबसे ज़्यादा चालाक और ख़तरनाक था और वही सबको लीड कर रहा था, बाकी सब वही करते जो वो कहता "
विजय को लगा, इंदु से कोई नयी या उपयोगी जानकारी निकालने की उम्मीद नही है इसलिए उसे लेकर ड्रॉयिंगरूम मे आ गया.
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राघवन ही नही, चंदानी दंपति भी आ चुके थे.
चंदानी का पूरा नाम हेमंत चंदानी था, वो एक गोरा-चिटा, लंबे कद का तंदुरुस्त अधेड़ था, परिचय होने पर विजय से हाथ मिलाते हुए उसने कहा," आपने केवल कंचन को बुलाया था, मैं भी साथ आ गया, कहो तो बैठू, कहो तो चला जाउ "
" अरे नही-नही जनाब, बैठिए, हम तो खुद चाहते थे कि आप भी इस शिखर सम्मेलन मे शामिल हो "
" चलिए, बैठ जाते है " वो सोफे पर बैठ गया.
विजय ने बात शुरू की," ये मीटिंग हम ने बहुत बड़े विरोधाभास को दूर करने के लिए बुलाई है और विरोधाभास ये है कि आप चारो के मुताबिक मिस्टर. सरकार और मिसेज़. चंदानी को लेकर जो बात मीडीया मे फैली वो झूठी थी "
" हम आज भी कहेंगे, उसमे कोई सच्चाई नही थी " ये बात राजन ने राघवन की तरफ उंगली उठाकर कही थी," उस अफवाह का ज़िम्मेदार ये है, ये इनस्पेक्टर जो तुम्हारी बगल मे बैठा है, इसने हमे आज तक नही बताया कि उस अफवाह का आधार क्या था "
" हमे बता दिया है "
" तो बताइए, क्या आधार था उसके पीछे "
" कान्हा के दो दोस्त "
" कौन से दोस्त "
" इसका कहना ये है कि ये बात इसे शुभम और संचित ने बताई "
" झूठ बोलता है ये " एकसाथ चारो ने पुरजोर विरोध किया.
" क्यो राघवन मियाँ "
" मैं आपको बता चुका हूँ सर, अब वे दोनो और उनके घरवाले इस बात को आक्सेप्ट नही करेंगे "
" उस बात को छोड़ो, ये बताओ, उन्होने वो कहा था या नही "
" कहा था "
" क्या कहा था "
" आपको बता चुका हू "
" दोहराओ "
उसने वही सब कह दिया जो विजय को बताया था.
" एकदम झूठी कहानी बना रहा है ये " बुरी तरह उत्तेजित होकर ये बात हेमंत चंदानी ने कही थी," हमारे जीवन मे कभी कोई ऐसी रात आई ही नही जब मैंने और इंदु ने इतनी पी ली हो कि हम बेसूध हो गये हो "
कंचन बोली," इंदु और हेमंत की तो बात ही छोड़ो, हम चारो मे से कभी भी कोई इतना बेसूध नही हुआ, कारण ये है कि हममे से किसी ने कभी दो पेग से ज़्यादा पी ही नही, दो पेग पीना और डिन्नर करना हमारा रुटीन था "
विजय के हलक से गुर्राहट-सी निकली थी," झूठ राघवन नही, आप चारों बोल रहे है "
" क्या मतलब " उसकी गुर्राहट ने चारो को हकबका दिया.
" हम खुद शुभम से बात कर चुके है "
चारो की सिट्टी-पिटी गुम.
काटो तो खून नही.
चारो उसकी तरफ देखते रह गये.
जैसे पत्थर की शिलाओ मे चेंज हो गये हो.
पलके तक नही झपक रही थी उनकी.
चौंकते हुवे राघवन ने विजय से कहा था," क्या आपके सामने उसने वो सब कबूल कर लिया "
" तुम अभी अपनी बोलती पर ढक्कन लगाए रखो प्यारे, इस वक़्त हम इनसे बात कर रहे है "
राघवन चुप रह गया.
राजन सरकार ने कहा," हम भी उससे बात करना चाहेंगे "
" क्या आप अब ये कहना चाहते है कि राघवन की तरह अब हम भी किसी दुर्भावना से ग्रस्त होकर झूठ बोल रहे है "
" नही विजय, हम ये नही कहना चाहते "
" मतलब तो यही हुआ आपकी बात का "
" नही, ये मतलब नही है "
" और क्या मतलब है "
" हम ये जानना चाहते है कि शुभम झूठ क्यो बोल रहा है "
" आप हर उस शख्स को झूठा कहना शुरू कर देते है जो आपकी पोल खोलता है, पहले राघवन को कहा, फिर मुझे कहने की कोशिश की और अब शुभम को कह रहे है "
" ऐसा कुछ भी नही है विजय, बात को समझने की....... "
" बात समझने की कोशिश आपको करनी है मिस्टर. सरकार " विजय उसकी बात काटकर बहुत ही कड़े लहजे मे कहता चला गया," कुछ चीज़ें ऐसी सामने आई है जिनसे हमे ये आभास हो रहा है कि आपको और मिसेज़. इंदु को फँसाया गया है, आपने कान्हा और मीना की हत्या नही की लेकिन इससे पहले कि हम इस बात को सिद्ध करे, झूठ बोलकर आप खुद ही बाधक बन रहे है, मेरे दिमाग़ को अटकाए हुए है आप, हो सकता है कि आप दोनो के बीच रेग्युलर संबंध ना हो, सिर्फ़ उसी रात, नशे की ज़्यादती के कारण हो गया हो और बाद मे आप दोनो पछताए भी हो, हम समझ सकते है कि नशे की झोंक मे ऐसा हो जाता है, दुर्भाग्य ये हुआ कि वो सब होते कान्हा ने देख लिया, हम आपको यकीन दिलाते है कि बात इस कमरे से बाहर नही जाएगी, उतने ही लोगो मे रहेगी जितने इस वक़्त यहाँ है लेकिन प्लीज़.... गुस्सा मत दिलवाइए, सच बोलिए, वो सच जो हमे पहले से ही मालूम है "
इस सबके बावजूद राजन ने कहा," हम सच ही बोल रहे है "
विजय अपने बाल नोचने को तैयार हो गया, बोला," आप समझ क्यो नही रहे है सरकार साहब कि शुभम की उम्र के बच्चे झूठ नही बोला करते, ऐसा झूठ तो बिल्कुल नही जिसमे उन्हे कोई फ़ायदा ना हो, शुभम और संचित को ये झूठ बोलकर भला क्या मिलेगा "
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