RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" हां, अब तो जादू जैसा ही लग रहा है और.... "
" अटक क्यों गये, बोलिए "
" कल ही रात, कोई चंदानी के फ्लॅट मे भी घुसा है, वहाँ की तलाशी भी उसी तरह ली गयी है जैसे हमारे फ्लॅट की "
" और वो भी चारो तरफ से बंद पाया गया "
" शुरू मे तो बंद ही लग रहा था लेकिन जब उसने गहराई से छानबीन की तो एक खिड़की के काँच को कटा पाया, शायद उसने काँच काटा, उसमे से हाथ डालकर खिड़की खोली,
अंदर आया, तलाशी ली, और उसी रास्त से वापिस चला गया "
" उनका कुछ गायब हुआ "
" अभी तो कहता है, कुछ नही "
" जब कोई नुकसान ही नही हुआ है तो क्यो हलकान हो रहे है आप दोनो, बेड टी का टाइम है, पियो और मौज मनाओ, वैसे उससे भी कुल्ला कर सकते है जो आप शाम को पीते है "
" ये कैसे बाते कर रहे हो विजय " हैरत की ज़्यादती के कारण जैसे राजन सरकार का बुरा हाल हुआ जा रहा था," इतनी बड़ी घटना हो गयी और तुम कह रहे हो की चिंता ना करे, क्या एक ही रात मे दोनो के घर एक जैसी वारदात होना... "
" आप भी चेक कीजिए " विजय ने उसकी बात काट कर कहा था," कही उसी तरह काँच-वांच तो कटा हुआ नही है क्योंकि बंद फ्लॅट मे किसी के आने की बात ना तब जमी थी और ना अब जम रही है "
" चेक कर चुके है, वैसा कुछ नही हुआ है "
" सुबह-सुबह दिमाग़ जाम मत करो जनाब "
" दिमाग़ तो खुद हमारा ही जाम हुआ पड़ा है विजय "
" दर्द भी हो रहा है सिर मे "
" द...दर्द " इस शब्द के साथ राजन सरकार ने जैसे खुद ही को अब्ज़र्व किया, कुछ देर बाद आवाज़ उभरी," हां, हो तो रहा है थोड़ा-थोड़ा, हल्का भारीपन भी है "
" सरकारनी से मालूम कीजिए, क्या उन्हे भी ऐसा ही लग रहा है "
दूसरी तरफ से डाइरेक्ट मोबाइल पर कुछ नही कहा गया मगर राजन सरकार की आवाज़ सुनाई दी, वो वही सवाल इंदु सरकार से कर रहा था जो विजय ने उससे किया था.
इंदु सरकार की आवाज़ भी विजय के कानो तक पहुचि लेकिन इतनी स्पष्ट नही कि वो समझ पाता कि उसने क्या कहा है.
कुछ देर बाद मोबाइल पर अस्चर्य मे डूबी राजन सरकार की स्पष्ट आवाज़ सुनाई दी," वो कह रही है कि उसके सिर मे भी हल्का-हल्का दर्द है और भारीपन महसूस हो रहा है "
" वो मारा पापड वाले को " विजय चाहक उठा था," हम ने आपका मर्ज़ पकड़ लिया सरकार-ए-आली "
" मर्ज़ पकड़ लिया, बात समझ मे नही आई "
" वो बात ही क्या हुई जो बगैर समझाए सम्धन मे आ जाए "
" त...तुम आ रहे हो ना "
" नही " विजय ने टका-सा जवाब दिया.
जाहिर है, राजन सरकार हकबका गया.
मुँह से निकला," क....क्या मतलब "
" हम वहाँ आकर क्या धार देंगे "
" मैं तो सोच रहा था कि तुम सुनते ही चले आओगे "
" हम ने शायद आपसे पहले भी कहा था हुजूर कि हम सबकुछ करते है लेकिन वो नही करते जो सामने वाले ने सोचा होता है "
" अ..अब हम क्या करे "
" आपको कुछ भी करने की ज़रूरत नही है, अपने लांगेड़ू को भेज रहे है, जो करना होगा वो कर लेगा "
" ल...लांगेड़ू कौन "
" अपने दिलजले को भूल गये " कहने के बाद उसने जवाब का इंतजार किए बगैर संबंध विच्छेद कर दिया और विकास का मोबाइल लगाकर कहा," क्या हो रहा है दिलजले "
" जिम से आया हूँ "
" जिमखाने चले जाओ "
" मतलब "
" जब पूरी बात बताएँगे तो तुम भी यही कहोगे कि सरकार-ए-आली का फ्लॅट, फ्लॅट ना होकर जिमखाना बन गया है जिसमे जो चाहे जब चाहे चौके-छक्के मारकर पेविलियन मे लौट जाता है और फ्लॅट बंद का बंद रहता है, वही जाने के लिए कह रहे है "
" अब क्या हुआ "
विजय ने बताया तो खोपड़ी घूम गयी विकास की.
मुँह से निकला," ये हो क्या रहा है गुरु "
" वहाँ पहूचकर पता लगाओ मेरे शरलॉक होम्ज़ "
" आप नही पहुच रहे "
" नही "
" क्यो "
" हमे उससे ज़्यादा ज़रूरी काम है " कहने के बाद विजय ने विकास को अन्य कोई भी सवाल करने का मौका दिए बगैर फोन काट दिया और मोबाइल एक तरफ डालकर बेड से खड़ा हो गया.
उस लॅंडलाइन फोन से देश के वित्त मंत्री का मोबाइल मिलाया जिसका नंबर ना किसी डाइरेक्टरी मे था, ना ही किसी मोबाइल स्क्रीन पर आता था, कॉल रिसीव की जाने पर विजय ने सीक्रेट सर्विस के चीफ वाली विशिष्ट आवाज़ मे कहा," हम बोल रहे है सर "
" ओह, बोलिए चीफ "
" हम एक ख़ास केस पर काम कर रहे है " विजय ने शालीनता पूर्वक कहा," उसके तहत सीक्रेट रूप से किसी आदमी का बॅंक लॉकर चेक करना है "
" कोई अन्य किसी दूसरे का लॉकर कैसे खोल सकता है "
" आमतौर पर ऐसा नही हो सकता, इसलिए तो फोन करने की ज़रूरत पड़ी " विजय ने कहा," आप अपने विसेशाधिकारो का प्रयोग करके ऐसा करा सकते है "
" क्या उसमे से कुछ निकालना है "
" नो सर, केवल चेक करना है कि उसमे क्या रखा है, बाद मे अगर लॉकर धारक लॉकर खोलेगा भी तो उसे पता नही लगेगा कि उसे किसी और ने भी खोला था "
एक सेकेंड के लिए खामोशी छा गयी, जैसे कुछ सोचा जा रहा हो, वित्त मंत्री जानते थे की सीक्रेट सर्विस को ऐसे बहुत-से विसेश अधिकार प्राप्त है जो देश की किसी अन्य एजेन्सी को नही है.
पूछा गया," लॉकर कौन-से बॅंक मे है "
" स्टेट बॅंक, राजनगर, सिविल लाइन ब्रांच "
" नंबर "
" पता नही "
" लॉकर धारक का नाम "
विजय ने बता दिया.
थोड़े गॅप के बाद कहा गया," हम चेर्मन से बात करते है, आपके पास फोन आ जाएगा "
" हम एक मोबाइल नंबर एसएमएस कर देते है सर " विजय ने कहा," जो भी बात करे, उसी नंबर पर करे, वो नंबर इस मिशन पर काम कर रहे एजेंट का है "
" ओके " दूसरी तरफ से कहा गया.
विजय ने रिसीवर क्रेडेल पर रखा.
वापिस बेड के करीब जाकर मोबाइल उठाया.
अपना नंबर वित्त मंत्री के पास एसएमएस किया और चादर तानकर सो गया.
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विजय के मोबाइल पर पही ही बेल आई थी कि उसने पट्ट से आँखे खोल दी, स्क्रीन पर नज़र डाली, नया नंबर था, कॉल रिसीव करने के साथ कहा," बूचड़खाने से बोल रहे है "
" बूचड़खाना " दूसरी तरफ से चिहुक कर कहा गया.
" आप कहाँ से "
" मैं तो स्टेट बॅंक की सिविल लाइन ब्रांच से मॅनेजर बोल रहा हू, शायद ग़लत नंबर लग गया है "
" इस नंबर पर फोन करने के लिए उपरवाले ने कहा होगा "
असमंजस मे फँसी आवाज़ आई," जी "
" लॉकर खुलने की तैयारी पूरी है ना "
" जी, चेर्मन साहब का ऑर्डर है तो... "
" हम पधार रहे है " उसीकि बात पूरी होने से पहले ही विजय ने कहा और कनेक्षन काटकर रिस्ट्वाच पर नज़र डाली.
साढ़े 10 बजे थे.
और...ठीक साढ़े 11 बजे वो मॅनेजर के कमरे मे उसके सामने बैठा था, मॅनेजर ने अपनी पर्सनल दराज खोलकर मास्टर-की और कस्टमर-की निकालते हुए कहा," मेरे 30 साल के करियर मे ऐसा मौका पहले कभी नही आया "
" कैसा मौका "
" कि किसी का लॉकर किसी और ने खुलवाया हो, साथ ही कहा गया है कि ये बात टॉप सीक्रेट रहेगी "
विजय खामोश रहा.
पर मॅनेजर बेचैनी-सी महसूस कर रहा था, लॉकर रूम मे कदम रखते वक़्त बोला," बुरा ना मानें तो एक बात पूच्छू सर "
" पूछो "
" क...कौन है आप, आपको ऐसी पर्मिशन कैसे मिल गयी "
विजय को सख़्त लहजे मे कहना पड़ा," क्या उपर वाले ने तुम्हे ये निर्देश नही दिया कि हम से कोई सवाल नही करना है "
" स..सॉरी सर " कहने के बाद वो ऐसा चुप हुआ जैसे की मुँह मे ज़ुबान ही ना हो, दोनो चाबिया लगाकर लॉकर खोला और वहाँ से जाने लगा तो विजय ने कहा," यहीं जमे रहो
प्यारे, चौकीदार की तरह देखते रहो कि हम इसमे से कुछ सरका तो नही रहे है "
मॅनेजर रुक गया लेकिन बोला कुछ नही.
विजय ने देखा, लॉकर हज़ार के नोटो की गद्दियो से ठसाठस भरा हुआ था, एक सीलबंद लिफ़ाफ़ा भी रखा हुआ था उसमे, विजय ने लिफाफे को उलट-पलटकर देखा, एक तरफ रखा और
गॅडी गिननी शुरू कर दी, पूरी 100 गॅडी थी, यानी कि 1 करोड़ रुपया.
उसने लिफाफे पर ध्यान दिया और उस वक़्त मॅनेजर विजय को आँखे फाड़-फाड़कर देख रहा था जब विजय एक आल्पिन से लिफाफे को इस तरह खोलने की कोशिश कर रहा था कि उसकी सील पर बाल बराबर भी खरॉच ना आए.
उस वक़्त तो उसे लगा कि उसकी बगल मे खड़ा वो शख्स कोई जादूगर है जब उसने लिफाफे को बगैर सील से छेड़-छाड़ हुए खुलते देखा मगर कुछ बोला नही.
लिफाफे मे एक कागज था.
विजय ने उसे पढ़ना शुरू किया.
अंत तक पढ़ते-पढ़ते विजय जैसे शख्स के चेहरे पर अस्चर्य और वेदना के भाव उभर आए थे.
उसने अपने मोबाइल मे लेटर का फोटो लिया.
लेटर को वापिस लिफाफे मे डाला और सील सहित उसे इस तरह बंद कर दिया कि मॅनेजर के अलावा कोई नही जान सकता था कि उसे कभी खोला भी गया है.
सारी गॅडी लॉकर मे वैसे ही भर दी गयी जैसे छेड़ी जाने से पहले भरी हुई थी, लिफ़ाफ़ा उसी स्थान पर, उसी पोज़िशन मे रख दिया जिसमे रखा मिला था और लॉकर बंद कर दिया.
मॅनेजर उसे सी-ऑफ करने बॅंक के बाहर तक आया था परंतु जब से विजय की फटकार पड़ी थी तब से एक लफ़्ज भी नही बोला था, विजय ने उससे हाथ मिलाते हुवे कहा," तुम तो यार हमारी एक ही फटकार मे जीभ कटवा बैठे, इसे रफू करवा लेना "
मॅनेजर का मुँह खुलने के बावजूद उससे आवाज़ ना निकल सकी जबकि विजय उससे दूर जा चुका था.
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ड्राइव करते हुवे विजय ने पहला फोन अंजलि को लगाया और अपना परिचय देने के बाद बोला," हम ने पता लगा लिया है कि आपके पतिदेव ने स्यूयिसाइड क्यो की "
दूसरी तरफ से तुरंत पूछा गया," क...क्यो की "
" राजन सरकार साहब का घर देखा है "
" देखा है "
" फ़ौरन से पहले वहाँ पहुचिए, वही बताएँगे "
" वहाँ क्यो "
" पहुचने पर ही पता लगेगा "
" यानी आपने मान लिया है कि उन्होने स्यूयिसाइड ही की थी "
" सो तो है "
" र...रिप्पी को भी लाना है "
" ज़रूर " कहने के बाद उसने संपर्क काटा और तुरंत अंकिता को फोन करके बोला," अंकिता, हम ने तुम्हे, उत्सव और दीपाली को एक अड्रेस एसएमएस किया है "
" हां सर, एसएमएस तो मिला है लेकिन मैं समझ नही पाई कि आपने ऐसा क्यो किया है, मैं आपको फोन करने ही वाली थी "
" तुम्हे इसी वक़्त उस अड्रेस पर पहुचना है "
" कारण जान सकती हू सर "
" वहाँ पहुचोगी तो पता लग जाएगा " कहने के बाद विजय ने उससे भी संपर्क काटा और उत्सव को फोन लगाकर कहा," अगर अपनी ठुकाइ करने वाले यानी लाल दाढ़ी वाले के दर्शन करना चाहते हो तो उस अड्रेस पर पहुचो जो हम ने तुम्हे भेजा है "
दीपाली को फोन करने के बाद उसने इनस्पेक्टर राघवन को फोन किया," राजन सरकार के घर पहुचो प्यारे "
" अब क्या हुआ सर " उसने चौंकते हुए पूछा.
" हुआ ये है कि रात फिर कोई उनके फ्लॅट मे टहल गया और फ्लॅट बंद का बंद रहा मगर फिलहाल हम तुम्हे वहाँ इसलिए नही बुला रहे है बल्कि आईना दिखाने के लिए बुला रहे है "
" आईना दिखाने के लिए "
" कान्हा और मीना मर्डर केस मे सरकार दंपति को दोषी सिद्ध करके तुमने अपने जीवन की सबसे बड़ी बेवकूफी की "
" क...क्या कहना चाहते है आप "
" सपष्ट सुनना चाहते हो तो सुनो, वे कातिल नही है "
" आ...ऐसा हो ही नही सकता "
" हम बताएँगे कि कैसे हुआ "
" आपके हिसाब से कातिल कौन है "
" वहाँ पहुचो प्यारे, तुम्हारे सामने ही जंबूरा पकड़ेंगे उसका और उन सब सवालो के जवाब भी देंगे जिनके जवाब तुम्हे नही मिले थे "
कहने के बाद विजय ने रघुनाथ को फोन मिलकर जब उससे राजन सरकार के घर पहुचने को कहा तो स्वाभाविक रूप से उसने भी कारण पूछा, विजय ने कहा," तुम्हे याद होगा तुलाराशि, हम ने कहा था कि जब हम कान्हा और मीना के कातिल के चेहरे से नकाब नोचेंगे तो हमारे बापूजान भी तिगनी का नाच नाच जाएँगे "
" तो "
" आज हम वो काम करने के मूड मे है "
" यानी कि कातिल सरकार दंपति नही है "
" नही "
" ये तो अनहोनी-सी बात कह रहे हो "
" इस अनहोनी को आज तुम वहाँ होती देखोगे, बापूजान को भी ले आओ तो मज़ा आ जाए "
" ठाकुर साहब को, तुम उन्हे वहाँ चाहते हो "
" शायद हम ने ऐसा पहली बार चाहा है कि अपने कुपुत्र की कुपुत्रयनि को वे भी अपनी आँखो से देखे " कहने के बाद विजय ने उसके जवाब की प्रतीक्षा किए बगैर फोन काट दिया.
अगला फोन हेमंत चंदानी को लगाया.
जब उसे सपत्नी ए-74 पहुचने के लिए कहा तो उसने बताया कि वे दोनो वही है, विजय ने कहा," सरकार-ए-आली को फोन दो "
राजन सरकार की आवाज़ उभरी तो विजय ने कहा," चाय-नाश्ते की तैयारी कर लो सरकार-ए-आली, कुछ देर बाद आपके फ्लॅट पर हम सहित काफ़ी मेहमान जुटने वाले है "
" हम समझे नही "
" उनमे कान्हा और मीना का हत्यारा भी होगा, आपके द्वारा उसे चाय-नाश्ता तो करना बनता है ना "
चिहुक उठा राजन सरकार," कान्हा और मीना का हत्यारा "
" जी "
" य...ये क्या कह रहे हो तुम, क...क्या कह रहे हो विजय " ख़ुसी की ज़्याददाती के कारण उसकी आवाज़ काँप उठी थी," क्या तुमने वाकाई ये केस हल कर लिया है, पकड़ लिया है उसे "
" अभी सिर्फ़ केस हाल किया है, पकड़ेंगे सबके सामने "
" स...सच, क्या तुम सच कह रहे हो विजय "
" दिलजले से बात कराओ "
" वो तो यहाँ से चला गया है "
" कोई बात नही, हम उससे बात कर लेते है, आप तैयारी करिए, ड्रॉयिंगरूम मे एक्सट्रा कुर्सिया डलवा देना " राजन सरकार को कुछ भी कहने का मौका दिए बगैर उसने फोन काट दिया.
विकास से संपर्क स्थापित करके कहा," कहाँ हो दिलजले "
" आपकी कोठी पर "
" सरकार-ए-आली के यहाँ से क्यो चले आए "
" कुछ समझ मे नही आ रहा है गुरु, एक और हैरत की बात ये है कि चंदानी के फ्लॅट की भी तलाशी ली गयी है, वहाँ कम से कम ये तो पता लग रहा है कि कोई फ्लॅट मे कैसे आया और गया मगर राजन अंकल के फ्लॅट का तो रहस्य ही समझ मे नही आ रहा, मैंने तो कोई ऐसा चोर रास्ता भी ढूँढने की कोशिश की जैसा बिजलानी के ड्रॉयिंगरूम और ऑफीस के
बीच था लेकिन वहां ऐसा भी... "
" सारे रास्ते नज़र आ जाएँगे दिलजले, वापिस वहीं पहुचो, हम भी पहुच रहे है "
" आपकी टोन तो ऐसी है जैसे बहुत कुछ जान गये हो "
" बहुत कुछ नही मेरी जान, सबकुछ जान गये है, सरकार-ए-आली के फ्लॅट मे शिखर सम्मेलन बुलाया है, वहाँ सबके सामने लाल दाढ़ी वाले की दाढ़ी नोचने वाले है, तमाशा देखना चाहते हो तो फ़ौरन से पहले पहुचो " कहकर उसने फोन काट दिया.
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