RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" दो दोस्त थे, दोनो का एक-दूसरे के घर मे निर्विघ्न आना-जाना था, उनमे से एक दोस्त इस वक़्त इस ड्रॉयिंगरूम मे मौजूद है " विजय ने कहना शुरू किया," बात डेढ़ साल पुरानी है, होली का दिन था, जो यहाँ मौजूद है वो अपने दोस्त के घर पहुचा, दोस्त उस दिन शहर मे नही था, बाहर गया हुआ था, दोस्त की पत्नी बाथरूम मे नहा रही थी, उसे मालूम नही था कि उसके पति का दोस्त आया हुआ है, नहाने के बाद वो यू ही, टवल लपेटे बाथरूम से बाहर आ गयी और पति के दोस्त को देखकर चौंक पड़ी "
" प...प्लीज़ मिस्टर. विजय " अंजलि कांपति आवाज़ मे कह उठी, उसका चेहरा शरम और ग्लानि से सुर्ख हो उठा था, कहती चली गयी वो," इस कहानी को आगे मत बढ़ाओ "
" आप समझ ही गये होंगे कि दोस्त की पत्नी कौन थी " कहने के साथ विजय ने वहाँ मौजूद अन्य लोगो की तरफ देखा.
राजन सरकार का चेहरा फक्क था, वो खुद को ये कहने से ना रोक सका," त...तुम्हे ये सब कहाँ से पता लगा "
विजय बोला," दोस्त का नाम भी जान गये होंगे आप "
" आगे बोलो " ठाकुर साहब ने हुकुम-सा दिया.
" सरकार साहब बिजलानी से होली खेलने गये थे लेकिन सामने पड़ गयी अंजलि " विजय ने अब बाक़ायदा नाम लेकर कहना शुरू किया," वो भी अर्धनग्न अवस्था मे, पानी से भीगी हुई, उस अवस्था मे औरत कुछ ज़्यादा ही आकर्षक नज़र आती है, ऐसी कि किसी भी मर्द की नीयत डोल जाए, सरकार साहब तो उस वक़्त वैसे भी होली की पिनाक मे थे, विस्की तो पिए हुए थे ही, थोड़ी सी भांग भी चढ़ा ली थी, तरंग मे सरकार साहब मुट्ठी मे रंग भरे 'होली है' कहते अंजलि पर झपट पड़े, अंजलि बचने के लिए दौड़ी, उस हड़बड़ी मे टवल गिर गया मगर सरकार साहब भला रुकने वाले कहाँ थे, उन्होने रंग लगाने के बहाने अंजलि को दबोच लिया "
रिप्पी और इंदु सरकार के चेहरो पर हैरत के भाव थे, रिप्पी ने अपनी मम्मी की तरफ और इंदु ने राजन की तरफ देखा था.
दोनो के चेहरे झुके हुए थे.
" शॉर्ट मे बताओ " ठाकुर साहब बोले.
" जैसे भी हुआ, वो हो गया जो नही होना चाहिए था, और जब हो चुका तो सरकार साहब बहुत पछताए, ग्लानि से मरे जा रहे थे, माफी माँग रहे थे, इन्होने अंजलि से रिक्वेस्ट की कि बिजलानी को कुछ ना बताए, अंजलि कुछ नही कह पा रही थी, बस रोए जा रही थी "
" इसमे मेरी मम्मा का क्या कसूर है " रिप्पी बुरी तरह भड़क गयी थी," अगर कोई आदमी ज़बरदस्ती पर उतर आए तो.... "
" हम उनका कसूर बता भी नही रहे बेबी " विजय ने उसकी बात काटकर कहा," सारा दोष सरकार साहब का था "
ड्रॉयिंग रूम मे खामोशी छा गयी.
रिप्पी राजन को ऐसी नज़रो से घूर रही थी जैसे कि उसे कच्चा चबा जाना चाहती हो जबकि इंदु की आँखो मे आँसू उमड़ आए थे, उसने कहा," मैं सोच भी नही सकती कि आप इतना गिर सकते है "
राजन सरकार सिर झुकाए बैठा रहा.
विजय ने आगे कहा," भले ही घंटो लगे लेकिन सरकार साहब अंजलि को ये समझाने मे सफल हो गये कि जो हुआ, वो इन्होने जानकार नही किया बल्कि दुर्घटनावश हो गया लेकिन इस बारे मे बिजलानी को बताने से कोई लाभी नही होगा बल्कि हानि ही होगी, कटुता बढ़ेगी, हो सकता है कि बात दुश्मनी तक पहुच जाए, सरकार वहाँ से तभी लौटे जब अंजलि के मुँह से कहलवा लिया कि वो बिजलानी को कुछ नही कहेंगी, शुरू मे उसने कहा भी नही पर वो घटना उसके दिल मे शूल की मानिंद चुभ रही थी और.... एक रात बिजलानी से ज़िक्र कर ही बैठी "
अंजलि के आँसू आँखो के किनारे तोड़कर नीचे गिरने लगे.
" वही हुआ जो स्वाभाविक था " विजय चालू रहा," बिजलानी भड़क उठा, वो तो उसी वक़्त सरकार को गोली से उड़ाने के लिए निकलने वाला था परंतु अंजलि ने हालात संभाले, समझाया कि इससे सारे समाज के सामने रुसवाई के अलावा क्या होगा, रुसवाई वाली बात बिजलानी की समझ मे आ गयी इसलिए शांत हो गया, अंजलि को लगा कि उसके पति ने समझदारी से काम लिया है मगर ये अंजलि की बहुत बड़ी ग़लतफहमी थी, हक़ीकत ये थी कि वो मन ही मन सरकार की करतूत का ऐसा बदला लेने का निस्चय कर चुका था, जिसके बाद वो कहीं का ना रहे "
" ये बात ग़लत है " एकाएक अंजलि ने चेहरा उपर उठाकर पुरजोर विरोध किया," उनके दिल मे बदला लेने जैसी कोई भावना कभी नही आई थी "
" आप ऐसा कैसे कह सकती है "
" क्योंकि मैं तुमसे हज़ार बार कह चुकी हूँ कि वो मुझसे कुछ नही छुपाते थे, अगर उनके दिल मे बदले की भावना आई होती तो सबसे पहले मुझे बताते "
" पति-पत्नी एक-दूसरे से कितने भी कुछ क्यो ना छुपाते हो लेकिन ऐसी बाते शेयर नही की जाती और बिजलानी ने भी नही की क्योंकि जानता था कि जो वो करने वाला है, उसके बारे मे अगर आपको बता दिया तो आप उसे नही करने देंगी "
" क्या किया उन्होने "
" उसने सरकार पर कभी भी ये जाहिर नही होने दिया कि अंजलि ने उसे सबकुछ बता दिया है, सामान्य संबंध बनाए रखे, वैसे ही जैसे इस घटना से पहले थे, सरकार ने राहत की साँस ली लेकिन... "
रघुनाथ ने पूछा," लेकिन.... "
" बिजलानी वकील था, तेज दिमाग़ था उसके पास, दिल मे सरकार के प्रति जहर भर चुका था, वो सरकार से बदला लेने का निस्चय कर चुका था, बदला भी ऐसा जो उसे ही नही, पूरे परिवार को पूरी तरह तबाह और बर्बाद कर दे, वो ये भी समझ चुका था कि ऐसा वो सरकार का दोस्त बना रह कर ही कर सकता है "
राघवन ने पूछा," तो क्या कान्हा और मीना की हत्या उसी ने की है "
" सुनते रहो प्यारे, ज़्यादा बेचैन होने की ज़रूरत नही है " विजय कहता चला गया," बिजलानी ने एक प्लान बनाया, किसी को भी घनचक्कर बना देने वाला प्लान, बता ही चुका हूँ, उसके पास एक तेज दिमाग़ था, सबसे पहले उसने मीना को पटाया "
" मीना को " इंदु कह उठी," वो उसके प्लान का हिस्सा थी "
" आप जानते ही है, वो एक ग़रीब औरत थी, हालाँकि पैसा सभी की कमज़ोरी होता है लेकिन ग़रीब की तो मजबूरी बन जाता है, बिजलानी ने उसे नौकरानी बनाकर सरकार के घर मे फिट कर दिया, फिर एक दिन उससे कहा,' किसी भी तरह कान्हा को अपने सेक्स जाल मे फँसा लो' मीना तो ये सुनकर उच्छल ही पड़ी, कहने लगी,' कहा मैं, मेरी उम्र, कहाँ कान्हा, वो तो मेरे बेटे जैसा है' मगर जैसा कि कह चुका हू, पैसा ग़रीब की मजबूरी होता है, वही हुआ, बिजलानी ने उसे इस काम के 5 लाख देने का वादा किया, साथ ही ये सब्जबाग भी दिखाया कि जब उसकी और कान्हा की वीडियो फिल्म सरकार को दिखाई जाएगी तो उसे खरीदने के लिए वो 50 लाख रुपये देने को तैयार हो जाएगा, उसमे से तेरा भी बराबर का हिस्सा होगा, मीना तैयार ना होती तो क्या करती "
" माइ गॉड " ये शब्द राजन सरकार के मुँह से निकले.
" उम्र के जिस दौर से कान्हा गुजर रहा था, उस उम्र के बच्चे को ऐसे जाल मे फँसना ज़रा भी मुश्किल नही होता, मीना उसके साथ गंदे जोक्स और मज़ाक शेयर करने लगी थी, किसी ना किसी बहाने से अपने अंगो का स्पर्श उसे करा देती थी, नादान कान्हा खेली-खाई मीना के जाल मे फँस गया "
सब सन्नाए हुए से विजय को सुन रहे थे.
" मीना ने बिजलानी को अपनी सफलता की सूचना दी और तब बिजलानी ने सेट किया 4/5 जून की रात का मास्टर प्लान "
" कैसा मास्टर प्लान " ठाकुर साहब ने पूछा.
" उस मास्टर प्लान के बारे मे बताने से पहले एक और किरदार के बारे मे बताना ज़रूरी है " विजय ने कहा," उस किरदार के बारे मे जिसके बगैर बिजलानी का प्लान सफल नही हो सकता था "
रघुनाथ ने पूछा," कौन है वो "
" इसी ड्रॉयिंगरूम मे मौजूद... "
" खबरदार, खबरदार जो किसी ने हिलने की जुर्रत की " ये ख़तरनाक शब्द इनस्पेक्टर राघवन के हलक से निकले थे.
बुरी तरह चौंक कर सबने उसकी तरफ देखा.
उसकी तरफ, जो ना केवल सोफे से खड़ा हो चुका था बल्कि अपने होल्सटर से रेवोल्वर निकाल कर विजय की तरफ तान भी चुका था, उसके चेहरे पर इस वक़्त कहर बरपा हुआ था, गुर्राकर विजय से पूछा," ये सब बाते तुझे कहाँ से पता चली "
" तुम तो यार हमारी उम्मीदो से पहले ही भड़क उठे " विजय ने अपने सदाबहार स्टाइल मे कहा था," पूरी बात तो सुन लो "
" मुझे नही सुननी तेरी बकवास " कहने के साथ उन सबको कवर किए दरवाजे की तरफ बढ़ते राघवन ने कहा था," अगर किसी ने मुझे रोकने की कोशिश की तो उसका भेजा उड़ा दूँगा "
विकास हरकत मे आने वाला था कि विजय ने शांत रहने का इशारा करते हुवे राघवन से कहा," तुम बेवकूफी कर रहे हो बच्चे "
" ज़्यादा होशियार बनने की कोशिश मत कर " पीछे हट-ता वो दरवाजे के करीब पहुचता जा रहा था," ज़रा भी हिला तो सबसे पहले तेरी ही खोपड़ी उड़ेगी.... "
सेंटेन्स अधूरा रह गया उसका क्योंकि तभी...
'धाय'
एक गोली चली थी.
ऐसी, जो सीधे उसके रेवोल्वर मे आकर लगी थी, एक ही झटके मे रेवोल्वर उसके हाथ से छिटक कर दूर जा गिरा.
गोली उसके पीछे से चली थी, यानी दरवाजे से. सबने उस तरफ देखा.
राघवन ने भी और....यही क्षण था जब सबने धनुष्टानकार के जिस्म को हवा मे लहराते हुवे देखा, राघवन की आँखो के सामने बिजली-सी कौंधी क्योंकि धनुष्टानकार ने अपने हाथ मे दबे रेवोल्वर का भरपूर वार उसके सिर पर किया था.
हलक से चीख निकालता हुआ वो दूर जा गिरा.
वापस उठने की कोशिश की लेकिन उठ ना सका क्योंकि उससे पहले विकास उसे दबोच चुका था.
धनुष्टानकार उस वक़्त सोफे की एक पुष्ट पर बैठा अपने हाथ मे मौजूद अभी तक धुवा उगल रही रेवोल्वर की नाल मे फूँक मार रहा था, सभी उसे देखकर दन्ग रह गये थे.
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" आप लोग समझ ही गये होंगे, वो किरदार इनस्पेक्टर राघवन था " विजय ने तब कहना शुरू किया, जब राघवन के कस-बल ढीले पड़ गये और उसकी समझ मे ये आ गया कि अब उसकी किसी भी कोशिश से कुछ होने वाला नही है," बार-बार कहना पड़ रहा है, बिजलानी एक तेज दिमाग़ का मालिक था, वो पहले से ही जानता था कि जो कुछ वो करने वाला है, उसके बाद घटनास्थल पर पहुचने वाला सबसे पहला पुलिसिया राघवन ही होगा, उसने राघवन को खरीदा, बता चुका हूँ, पैसा ज़्यादातर लोगो की कमज़ोरी होती है, राघवन उसके प्लान पर काम करने को तैयार हो गया "
" प्लान क्या था " रघुनाथ ने पूछा.
" 4 जून की शाम को मीना से कहा गया कि आज रात वे उसकी और कान्हा की वो वीडियो फिल्म बनाएँगे जिसके ज़रिए सरकार को ब्लॅकमेल करके सारी जिंदगी पैसे ऐनठे जाते रहेंगे अतः जैसे ही सरकार दंपति सो जाए, वो एक एसएमएस कर दे और फिर फ्लॅट मे उनके आने का इंतजार करे "
विकास ने सवाल किया," मीना ने ये नही पूछा कि वे लोग फ्लॅट के अंदर आएँगे कैसे "
" उसने अंडरस्टुड समझा था कि बिजलानी और राघवन आकर मैंन गेट पर दस्तक देंगे, उसे दरवाजा खोलना है इसलिए किसी भी आवाज़ को सुनने के लिए अपने कमरे मे चौकस बैठी थी मगर कुछ देर बाद उसे हैरान रह जाना पड़ा "
" क्यो "
" क्योंकि उसके बगैर दरवाजा खोले बिजलानी और राघवन सामने आकर खड़े हो गये "
" कैसे "
" ये वो सवाल है जिसने हर-एक के दिमाग़ का फ्यूज़ उड़ा रखा है " विजय ने कहा," जब तक हम ने इस फ्लॅट का दौरा नही किया था तब तक हमारा दिमाग़ भी जड़ था लेकिन सरकार-ए-आली के बेडरूम का दौरा करने के बाद खोपड़ी की नसें खुल गयी क्योंकि हमारी गिद्ध दृष्टि ने उसमे लगे एसी के एक मुड़े हुए कोने को देख लिया था और हम उसी समय समझ गये थे कि एसी एक बार कालीन कर गिरने के बाद दोबारा से अपने बॉक्स मे फिट हुआ है "
" ओह " विकास कह उठा," तो ये था उस वक़्त आपके ताली बजा-बजाकर चहकने का राज "
" समझने के लिए शुक्रिया दिलजले "
" और सिरदर्द का राज "
" वो भी समझ मे आ जाएगा "
रघुनाथ बोला," एसी के एक बार कालीन पर गिरने और फिर बॉक्स मे फिट होने से क्या सिद्ध होता है "
अगर ठाकुर साहब ना होते तो पता नही विजय इस वक़्त क्या कहता लेकिन उनकी मौजूदगी के कारण बोला," अगर विंडो एसी को उसके स्थान से हटा दिया जाए तो वहाँ बने रास्ते से कोई भी अंदर-बाहर हो सकता है "
" क्या तुम ये कहना चाहते हो कि एसी को बाहर से धक्का देकर कमरे मे गिरा दिया गया था "
" आपकी खोपड़ी पर वारी-वारी जाउ रघु जी "
" ऐसा कैसे हो सकता है कि एसी जैसी भारी वस्तु कमरे मे गिरी और हम सोते रह गये " राजन कह उठा," मेरी और इंदु की नींद इतनी पक्की भी नही है, भले ही बेडरूम मे कालीन बिछा है परंतु उसपर एसी गिरेगा तो काफ़ी ज़ोर से आवाज़ होगी "
" आपको पहले ही अन्टागाफील किया जा चुका था "
" अन्टागफील क्या "
" ये " विजय ने जेब से वो छोटी-सी शीशी निकालकर सबको दिखाई जिसके ढक्कन पर इंजेक्षन की सुई जैसी चीज़ पॉइंट थी, उसके अंदर अब भी तरल पदार्थ भरा हुआ था, बोला," इसमे भरे हुए पदार्थ को 'सेक़लों' कहते है, इसे अगर कही के क्लाइमेट मे फैला दिया जाए तो उस क्लाइमेट मे जितने जीव होते है वे सब बेहोश हो जाते है, 5 घंटे से पहले होश नही आता उन्हे और यदि सोते हुए आदमी इसकी चपेट मे आ जाए तो जब उठते है तो ये भी नही जान पाते कि वे बेहोश हुए थे, बस सिर मे हल्का-हल्का दर्द और भारीपन महसूस होता है "
" तो ये था सिरदर्द का राज "
विजय ने विकास की तरफ सिर्फ़ देखा.
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