Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-27-2020, 03:58 PM,
#56
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“कामिनी, तुझे हामारे परिवार की इज्जत का जरा भी ख्याल नहीं आया? बिना हमारी इजाजत के और वो भी इन पांच पांच मर्दों के साथ शादी? छि, छिनाल कहीं की।” मां गुस्से में लाल पीली हो रही थी।

अब मैं और मेरे साथ साथ मेरे दूल्हे भी क्रोधित हो उठे। मैं ने अपना घूंघट हटाया और साथ ही मेरे दूल्हों ने भी चेहरे पर से सेहरा हटाया। हम सबके चेहरों को देखते ही मेरी मां के चेहरे का रंग उड़ गया। नानाजी और करीम चाचा को छोड़कर बाकी तीनों से तो खुद भी चुद चुकी थी।

मैं बोली, “मम्मी, मैं छिनाल नहीं हूं, छिनाल तो आप हैं। मैं तो इन सबसे शादी करके इनकी व्याहता बन चुकी हूं, द्रौपदी की तरह। आप तो कई जाने अंजाने मर्दों की हमबिस्तर हो चुकी हैं।”

“हमारी छिनाल सासू मां जी, चुपचाप हमें आशीर्वाद दे दीजिए, वरना सारी दुनिया को पता चल जाएगा कि आप कितनी बड़ी छिनाल हैं।” दादाजी बोले।

“सच में कितने हरामी लोग हैं आप लोग। मेरी बेटी को भी नहीं छोड़ा। कामिनी तो नादान है मगर आप लोग तो समझदार होते हुए भी इस बेवकूफ को पांच पांच बूढ़े पतियों की पत्नी बना लिया।” मेरी मां बोली।

“मैं बेवकूफ नहीं हूं। मैं इनसे प्यार करती हूं। इसलिए बकायदा शादी की है।” मैं बोली, “अब हमें आशीर्वाद देती हैं कि नहीं”? मेरी मां निरूत्तर हो गई। हम सभी ने मां के पैर छू कर आशिर्वाद लिया। नानाजी अर्थात मेरी मां के पिता ने भी अपनी बेटी, (अब सास) के पांव छुआ और आशिर्वाद लिया। मेरी मां ने यंत्रवत हमें आशीर्वाद दिया। तत्पश्चात हमने साथ बैठ कर खाना खाया। पंडित और चाची ने भी विवाह भोज का आनंद लिया।

खाना खाते वक्त दादाजी ने मेरी मां के चिंतित चेहरे को देख कर कहा, “आप चिंता मत कीजिए सासू मां जी, हम आपकी चिंता समझ सकते हैं। अभी आप सास हैं, लेकिन हमारे लिए आप वही पहले वाली लक्ष्मी हैं। आपकी इच्छाओं का हम पूरा ख्याल रखेंगे। अगर आप चाहें तो आज रात के लिए पंडित जी से काम चला लीजिए, रमा भी आपका साथ देने को तैयार है। आप दोनों पंडित जी के साथ मजे कीजिए, हम आज कामिनी के साथ सुहागरात मनाएंगे और इसकी चिंता मत कीजिए कि हम पांच एक साथ किस तरह से सुहाग रात मनाएंगे। कामिनी आखिर आप की ही बेटी है, आप से कम नहीं है।” मेरी मां ने पंडित जी की ओर देखा, जिसकी आंखों में वहशियत नाच रही थी और बड़े ही अश्लील ढंग से मुस्करा रहे थे। रमा (मेरी चाची) भी मुस्करा रही थी। मेरी मां ने मायूस हो कर सिर झुका कर अपनी सहमति दे दी।

मैं बेहद रोमांचित थी, अपने सुहागरात की कल्पना में डूबी।

खाना खाने के बाद चाची मुझे ले कर नानाजी के मास्टर बेडरूम में आई, जिसे बड़ी खूबसूरती से सजाया गया था और उसी खूबसूरती से सुहाग सेज भी।

मुझे ले कर चाची ने सुहाग शैय्या पर बिठा दिया और मुस्करा कर बोली, “वाह बिटिया, तेरी हिम्मत की दाद देती हूं, पांच पांच मर्दों के साथ सुहागरात मुबारक हो।” फिर वह मेरे गालों पर चिकोटी काट कर बाहर निकल गई। मैं धड़कते दिल से अपने दूल्हों की प्रतीक्षा करने लगी। करीब 11 बजे कमरे का दरवाजा खुला और एक एक करके पांचों अंदर आए और सुहाग सेज पर मेरे सामने बैठ गये। चाची के निकलते ही मैं ने घूंघट और लंबा खींच लिया था।

“हाय हमारी दुल्हन, इतना लंबा घूंघट? सब कुछ तो हम पहले ही देख चुके हैं, शरमाती क्यों हो?” दादाजी घूंघट खोलते हुए बोले।

“हाय दैया, लाज लगती है जी।” मैं दोनों हाथों से चेहरा छुपाते हुए बोली।

“तेरी लाज की ऐसी की तैसी, आज तेरी सुहागरात है। शरमाओ मत। आज से तू हमारी धर्मपत्नी है। हम सब तेरे पति। तुझे तो पता ही है अभी हम तेरे साथ क्या करेंगे। चलो रे भाई लोगो, शुरू हो जाओ।” बड़े दादाजी ने सबको हरी झंडी दिखा दी।

मैं फिर भी उन्हें रोकने की नाकाम कोशिश करती रही। फिर मुझे याद आया कि मैं ने कहा था मां के सामने इन लोगों से अपनी वासना की आग बुझाऊंगी। इन्होंने भी हामी भरी थी। सुहाग रात था तो क्या हुआ, आज ऐसा आकस्मिक संयोग सौभाग्य से ही मिला था। मैं बोली, “रुकिए, आज मां भी यहीं है। क्यों न आज मां के सामने ही सुहाग रात मनाया जाए? आप लोगों ने खुद कहा था कि मेरी मां के सामने ही मेरे जिस्म का भोग लगाएंगे। आज सौभाग्य से ऐसा मौका मिल गया है। उन सबको यहीं बुला लीजिए ना, मेरी मां को भी तो पता चले कि उसकी बेटी भी उससे कुछ कम नहीं है।”

सब ने एक दूसरे को देखा और खुशी खुशी राजी हो गए। तुरंत ही उन्होंने हरिया को उन्हें बुलाने को भेजा।

“उन्हें तुरंत यहां बुला लाओ, जिस भी हालत में हों, वैसे ही।” दादाजी बोले। दो मिनट में ही सबके सब हमारे कमरे में थे। चाची और मेरी मां सिर्फ़ ब्लाऊज़ और पेटीकोट में थे और पंडित जी सिर्फ धोती में, कमर से ऊपर कुछ नहीं था। काले, मोटे तोंदियल शरीर पर पूरा बाल भरा हुआ था, काले भालू की तरह। ऐसा लग रहा था कि वे लोग बहुत जल्दीबाजी में थे। मेरी मेरी मां और चाची के बाल बिखरे हुए थे। चेहरा उनका लाल हो चुका था। लगता था उनकी काम क्रीड़ा शुरू हो चुकी थी। उत्तेजना और खीझ उनके चेहरे पर साफ साफ दिखाई दे रही थी।
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-27-2020, 03:58 PM

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