Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-27-2020, 04:00 PM,
#73
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
पांच साल बाद मैं किसी मर्द का लौड़ा इतने करीब से देख रही थी। चांदनी रात में सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था। काले घने झांटों से भरा, सात इंच लंबा और कम से कम तीन इंच मोटा, काला काला सांप के जैसा। मैं घबरा कर बोली, “नहीं, प्लीज, मत चोदो मुझे प्लीज, मैं मर जाऊंगी।”

“चुप रह साली कुतिया, तू मरेगी नहीं, तू खुद बोलेगी चोद राजा चोद, और चोद।” वह बेहद घटिया तरीके से बोल उठा। फिर धीरे धीरे मेरे पैरों को फैला कर मेरी चूत के मुंह पर लौड़ा टिकाया और बिना किसी पूर्वाभास के एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया। “आह्ह्ह् ओह्ह्ह मर गई, आह मा्म्म्म्मा्आ्आ” मेरी दर्दनाक चीख निकल पड़ी। मैं दर्द के मारे छटपटाने लगी, किंतु उस जालिम दरिंदे को तो खून का स्वाद मिल गया था, मेरी चीख पुकार की परवाह किए बगैर दनादन लंड अंदर बाहर करने लगा और बड़ी बेरहमी से मेरी चूचियों को मसलते हुए चोदने में मशगूल हो गया। अब सोचिए, पांच साल से किसी का लंड मेरी चूत में नहीं गया था, इतना मोटे और लम्बे लंड से एकदम टाइट मेरी छोटी हो चुकी चूत की चुदाई से मेरा क्या हाल हुआ होगा। मैं दर्द से बिलबिला उठी थी। वैसे भी मेरे पति का लंड सिर्फ करीब पांच इंच लम्बा और दो इंच मोटा रहा होगा। एक तो इतने लंबे अरसे के बाद और दूसरे मेरे पति से करीब डेढ़ गुना बड़ा लंड, तकलीफ तो होनी ही थी। लेकिन कुछ ही देर की दर्दनाक चुदाई के पश्चात धीरे धीरे मेरी चूत ढीली होने लगी और दर्द भी धीरे-धीरे गायब होने लगा और कुछ ही मिनटों के बाद मैं आराम से चुदने लगी। वह अब अपने गंदे मुंह से मुझे चूमने लगा और मेरी गांड़ के नीचे हाथ लगा कर कस कस के ठाप पर ठाप लगाने लगा। अब मुझे भी मज़ा आने लगा था और मैं भी उत्तेजित हो कर नीचे से चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवाने लगी।

“आह ओह ओ्ओ्ओ्ओह मां, आह आह अम्मा ऊऊऊऊऊऊऊऊफ्फ्फ्फ आ्आ्आ्आ रज्ज्जा्आ्आ्आ ओह ओ्ओ्ओ्ओह आह,” आंखें बंद कर के आनंद के मारे मेरे मुंह से भी उद्गार निकले लगा।

“हां रानी, ओह ओ्ओ्ओ्ओह अब आ रहा है ना मज़ा, मैं बोला था ना, मजा आएगा, ओह मस्त चूत है तेरी मैडम, उफ्फ” वह मस्त हो कर बोले जा रहा था और चोदे जा रहा था। करीब आधे घंटे तक चोदने के बाद मुझे कस के दबोच लिया और फचफचा के अपने लंड का पानी मेरी चूत में डालने लगा। आनंद में मग्न खुद के और उसके झड़ने के सुख में डूब गयी और उसके गठीले शरीर से चिपक गई। जैसे ही हम दोनों खलास हुए, तुरंत ही अपने कपड़े पहन कर चुपचाप चलने को तैयार हो गये। मैं किसी तरह अपने फटे चिटे ब्रा और ब्लाउज से अपने तन के ऊपरी हिस्से को ढंक कर साड़ी वगैरह ठीक की। अंदर ही अंदर खुश हो रही थी, इतने सालों बाद लंड नसीब हुआ और चुदाई का मज़ा मिला, मगर उसके सामने प्रकट नहीं होने दी।

“आखिर बर्बाद कर ही दिया मुझे” प्रकट तौर पर बोली।

“झूठ मत बोलिए मैडम, आपको चोदने में मुझे तो बहुत मजा आया, लेकिन आपने भी कम मज़ा थोड़ी लिया है, कैसे आप बोल रही थीं आह राजा ओह राजा और कैसे मुझसे चिपक रही थीं आप।” वह बोल पड़ा।

मैं शर्मिंदा हो कर सर झुका कर रह गई। शुरू मेरे बलात्कार से हुआ मगर अंत सुखद अहसास के साथ हुआ। मेरे अंदर दबी हुई इतने सालों की चुदास फिर से जाग उठी थी।

उस ऑटो वाले ने मुझे घर तक छोड़ा और जाते जाते बोला, “मैडम, हम गरीब लोगों पर इसी तरह मेहरबानी करते रहिएगा।” मैं कुछ नहीं बोली, सिर झुका कर चुपचाप घर के अंदर चली गई। हमारे घर की नौकरानी ने बेटे को खाना खिला दिया था। मैं भी खाना खा कर बेटे को सुला कर सोते सोते सोचती रही कि वैसे भी मैं अकेली औरत कब तक अपने आप को बचाती रहती। कभी न कभी यह तो होना ही था। ऐसे भी एक अकेली विधवा औरत को किसी पराए मर्द से चुद कर अगर सुख हासिल होता है तो इसमें हर्ज क्या है। सिर्फ हमारी बस्ती के लोग ही नहीं, बाहर भी ऐसे मर्दों की कमी नहीं है जो मुझ जैसी औरतों को मौका मिलते ही चोद डालने की फिराक में रहते हैं। बस इस तथाकथित शरीफ लोगों से भरे सभ्य समाज में बदनामी न हो, इसी बात से हम डरते हैं ना? तो बदनामी का डर किसे नहीं है? इस तरह का जो भी काम होता है गुपचुप ढंग से ही तो होता है। मैं ने उसी समय ठान लिया कि अब मैं भी अपने अंदर की आग को और दबा कर नहीं जिऊंगी। शराफत का चोला ओढ़कर चुदाई का मजा लेने के लिए ऐसे बहुत तथाकथित शरीफ मर्द आसानी से मिल जाएंगे। फिर मैं ने अपने अंदर से परपुरुष के संसर्ग की ग्लानि को झटक कर दूर फेंक दिया और निश्चिंत हो कर नींद की गोद में चली गई। दूसरे दिन सवेरे जब मैं उठी, मैं दूसरी औरत बन चुकी थी। मेरे सामने नया सवेरा, नया दिन, नयी दुनिया थी। मुझमें नये आत्मविश्वास का संचार हो चुका था। जब मैं अपने विद्यालय के लिए घर से निकली तो मैं सर झुका कर नहीं, सर उठा कर चल रही थी। अपनी ओर देखते वासना की भूखी नजरों से नजरें मिला करदेखने में मुझे कोई झिझक नहीं महसूस हो रही थी। विद्यालय में भी मेरा आत्मविश्वास से भरा हुआ व्यक्तित्व मेरे सहयोगी शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के लिए बिल्कुल नया था।

इसके आगे की घटना अगली कड़ी में।
दोस्तो आपको कहानी कैसे लग रही है कमेंट जरूर करे
........सलील

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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-27-2020, 04:00 PM

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