Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-27-2020, 04:00 PM,
#75
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
मेरी बात काटते हुए बीच में ही कालिया बोला, “क्या कि कि? चुदवाने ही तो आप आई हैं ना? क्या मेरा लौड़ा क्या मंगू का लौड़ा? क्या फर्क पड़ता है? हम दोनों अच्छी तरह आपको चोदेंगे। खुश हो जाइएगा आप। आप भी क्या याद रखियेगा। चलिए अब नखरे मत कीजिए,” कहते हुए उसने मुझे जबरदस्ती अपनी बांहों में कस लिया और बेहताशा चूमने लगा। उसके चुम्बनों से धीरे धीरे मेरा विरोध कम होने लगा और कुछ ही देर में मेरे अंदर कामुकता का नाग जाग कर फुंफकारें मारने लगा। इतने सालों से दबी वासना की भूख, जिसे कालिया ने कल ही अपनी चुदाई से एक बार फिर से जगा दिया था, वह भूख अब मेरे नियंत्रण से बाहर हो गया था जिसके आगे मैं अपना भला बुरा सब भूल गयी। अब कालिया हो या चंगू मंगू, क्या फर्क पड़ता है? मैं ने विरोध छोड़ कर अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया और उनके साथ पूरे मन से सहयोग कर यौवन का आनंद प्राप्त करने हेतु समर्पित हो गई।

मेरी स्थिति को भांप कर कालिया खुश हो गया और बोला, “यह हुई ना बात। चल मंगू, मैडम को बिस्तर पर ले चल और हम मैडम जी को करवाते हैं जन्नत की सैर। मैडम जी, एक एक पैग हम और पिएंगे मगर हमारे साथ आप भी एक पैग ले लीजिए, फिर आपको इत्ता मजा आएगा कि पूछिए ही मत।”

मैं घबरा कर बोली, “नहीं बाबा नहीं, मैं दारू नहीं पीती, फिर तुम दोनों के साथ? सामुहिक चुदाई? ना बाबा ना, एक साथ नहीं, एक एक करके करो ना, मैं कहीं भागी जा रही हूं क्या?”

“मंगू, चल बना एक पैग मैडम के लिए भी, कैसे नहीं पीती है साली, अरे मेरी जान पहले पीजिए, फिर हम दोनों एक साथ आपको चोदेंगे, और ऐसा चोदेंगे कि आप भी क्या याद रखियेगा। घबराईए मत। आज के बाद आप खुद हम दोनों को घर बुला कर चुदवाने के लिए तड़पिएगा, जैसा कि इस मुहल्ले की कई औरतें तड़पती हैं।” कालिया बोला।

“अच्छा, तो तुम लोग इस मुहल्ले की और भी औरतों की चुदाई करते रहते हो?” मैं चकित हो कर पूछ बैठी।

“हां मैडम जी, हम लोग यहां की इक्कीस औरतों को चोद चुके हैं। आप नाम पूछिएगा तो एक एक औरत का नाम भी बता सकते हैं। जिन औरतों को हमने एक बार चोद लिया वे चुदवाने के लिए हमें बुलाती रहती हैं। लेकिन आपकी बात और है। उन सब औरतों में कोई भी आप जैसी मस्त नहीं हैं।आपको तो देखते ही लंड अपने आप खड़ा हो जाता है। कई दिनों से आपको चोदने की फिराक में था, कल जा कर मौका मिला, सच में बड़ा मज़ा आया।” अब इसे मैं अपनी प्रशंसा समझूं कि कालिया का मस्का, मैं निर्णय नहीं कर पा रही थी और न ही करना चाहती थी। खैर, चुदने की बेकरारी में सोची कि एक पैग लेने में क्या हर्ज है, मंगू के हाथ से पैग ले कर दारू की दुर्गन्ध से बचने के लिए सांस रोक कर ही सांस में हलक उतार दिया। ऐसा लगा मानो किसी ने मेरे गले में तेजाब डाल दिया हो। इस बीच कालिया मेरी चूचियां मसलता रहा। मुझ पर तुरंत ही नशा चढ़ने लगा और साथ ही चुदास की बेकरारी भी। उस बात को ज्यादा तूल देना आवश्यक नहीं समझी कि ये एक नहीं दो हैं। चलो एक मर्द का मज़ा तो ले ही चुकी हूं, आज दो दो मर्दों का मज़ा भी ले कर देख लेती हूं।

जैसे ही मेरा पैग खत्म हुआ, उन लोगों ने भी एक सांस में फटाफट अपने पैग डकार लिए और मंगु अपनी मजबूत बाहों से मुझे गोद में उठा कर दूसरे कमरे की ओर बढ़ा। वह कमरा भी काफी छोटा सा था, करीब आठ बाई आठ का होगा। एक सिंगल तख्तपोश और उसपर बिछा गंदा सा चादर। कमरे में सीलन की बदबू और 60 वाट के एकलौते बल्ब की रौशनी। मंगू ने मुझे उसी गंदे बिस्तर पर लिटा दिया।

“आज हम आपको पूरा नंगा कर के चोदेंगे। कल तो सिर्फ साड़ी उठा के चोदा था।” कहते हुए उन लोगों ने मिलकर मेरे शरीर से सारे कपड़े उतार दिए और मेरे कामोत्तेजक तन को कुछ पल एक टक देखते रह गए। दोनों की आंखों में भूखे भेड़ियों सी चमक आ गई थीं। मंगू से और बर्दाश्त नहीं हुआ और फटाफट अपने कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया। उसका छः फुटा गठा शरीर और ओह ओ्ओ्ओ्ओह मां, लंड करीब आठ इंच लम्बा फनफनाता हुआ, गजब का मोटा। कालिया के लंड से भी बड़ा। अगर मैं हल्के नशे में नहीं रहती तो अवश्य दहशत में आ जाती। मगर इस वक्त तो मैं नशे और चुदास के मारे पागल हुई जा रही थी।

“कसम से यार, आज तक इतना मस्त माल चोदने को पहली बार मिला है। क्या मस्त चूची है, ओह क्या मस्त चूत है, उफ्फ और गांड़ इतना बड़ा और चिकना। आज मजा आएगा चोदने का।” मेरे शरीर के हरेक अंग को छू छू कर मंगू बोल रहा था। मैं उसके स्पर्श से उत्तेजित होती जा रही थी। अब तक कालिया भी नंगा हो चुका था।

” मैं बोला था ना, मस्त माल मिलेगी चोदने के लिए। अब देख क्या रहा है साले, चल शुरू कर चुदाई, देख नहीं रहे मैडम की चूत कैसे पनिया कर फक फक कर रही है।” कालिया बोला। सच में मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी। मंगू तुरंत मेरे पैरों को फैला कर जांघों के बीच आ गया और अपने फुंफकार मारते लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुहाने पर रख कर रगड़ना चालू किया। “आह्ह्ह ओ्ह्ह्ह्ह, इस्स्स्,” मैं सिसक उठी। लोहा गरम था, हथौड़ा मारने की देर थी। फिर मंगू अपने लौड़े पर दबाव बढ़ाने लगा, धीरे धीरे उसका मोटा लौड़ा मेरी चूत को फैलाता हुआ अन्दर घुसा जा रहा था और मेरी सांसें जैसे रुक सी गई थी। धीरे धीरे उसने पूरा लौड़ा मेरी चूत में घुसेड़ ही दिया। ऐसा लग रहा था मानो उसके लंड का सुपाड़ा मेरी कोख में दस्तक दे रहा हो।
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-27-2020, 04:00 PM

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