Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-28-2020, 02:37 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा

“यह यह क क क क्या हो रहा है?” मैं अनजान बन कर चौंकने का नाटक करती हुई बोली।

“यही तो खेल है। बादशाह गुलाम को हुकुम करेगा और गुलाम हुकुम का पालन करेगा।” सलीम बोला।

“त त त तो सभी के साथ ऐसा ही होगा क्या?” मैं बोली।

“हां, लेकिन बादशाह जैसा बोलेगा वैसा होगा।”

“हम नहीं खेलेंगे ऐसा खेल।” मैं विरोध करने लगी।

“खेलना पड़ेगा। तुम्हीं बोली थी।”

“हमें का पता कि ऐसा भी करना पड़ेगा। छि:।” मैं खड़ी हो गयी। अबतक मुंडू नंगा हो चुका था। पूरा नंगा। कोई शर्म नहीं थी चेहरे पर। स्त्रियों की तरह बदन था उसका। सीना किसी नवयुवती की तरह उभरा हुआ था। किसी नवयुवती की तरह अर्धविकसित उरोजों की तरह उसके सीने के उभार थे। कमर सामान्य था किंतु नितंब उसके सामान्य से काफी बड़े बड़े थे, किसी खेली खाई व्यस्क स्त्री से भी बड़े। सारा शरीर बाल रहित चिकना। सामने झूल रहा था मात्र तीन इंच का लिंग। अजीब व्यक्तित्व था उसका।

“अब कहां? चल बैठ। पहले कह रही थी तो समझ नहीं आया।” कांता की बात से मेरा ध्यान भंग हुआ।

“नहीं, हम नहीं खेलेंगे ई गंदा खेल।” मैं बोली।

“अब कोई उपाय नहीं है। बैठ जा।” सलीम हुक्म दे रहा था।

“नहीं।”

“मैडम को बता देंगे, तू हमारी बात नहीं सुनी।”

“दीदी को पता है क्या, कि ई सब भी करते हो तुम लोग?”

“और नहीं तो क्या। इसी लिए तो बुलाई है और आए हैं हम।”

“हाय दैया। दीदी भी?”

“हां मैडम भी। बुलाई तो है यही सब खेलने के लिए।”

“हाय रा्आ्आ्आ्आम ऐस्स्स्स्आ्आ्आ।” मैं बनावटी आश्चर्य से आंखें बड़ी बड़ी करके नादान बनने का ढोंग कर रही थी।

“हांआ्आ्आ्आ ऐस्स्स्स्आ्आ्आ। चल अब बैठ जा चुपचाप।” मेरी नकल उतारती हुई कांता बोली। मैं वापस बैठने को बाध्य हो गयी।

“लेकिन यह तो बड़ी बेशर्मी वाला खेल है।” मैं बोली।

“हां, लेकिन हम खेलते हैं। बड़ा मजा आता है। आगे आगे देख, और क्या क्या होता है।”

“हे भगवान, हमें लाज आती है।” मैं बोली।

“खतम हो जाएगी तेरी भी लाज। चलिए भाई मुंडू, आप बादशाह हैंं और मंगरू आपका गुलाम। आगे बोलिए मंगरू से क्या करवाना है।” सलीम बोला।

“खोल अपने कपड़े रे मंगरू।” मुंडू मंगरू से बोला। मंगरू आज्ञाकारी गुलाम की भांंति अपने कपड़े खोलने में व्यस्त हो गया। जैसे जैसे उसके कपड़े खुलते गये, एक एक करके उसके सुगठित शरीर के हिस्से बेपर्दा होते गये। उफ्फ, जब वह पूर्णतया नग्न हुआ, पूरा कामदेव का अवतार लग रहा था। रंग काला था तो क्या हुआ, उसका गठा हुआ छ: फुटा शरीर मेरी नजरों के आगे चमक उठा। रोम रोम सुलग उठा मेरा। धमनियों में रक्त का संचार द्रुत गति से प्रवाहित होने लगा। उसकी जंघाओं के मध्य झूमता तनतनाया तीन इंच मोटा और करीब नौ इंच लंबा दर्शनीय, खूबसूरत किंतु भयावह लिंग हमारी नजरों के सम्मुख नृत्य कर रहा था।

“अब का हुकुम है महाराज?” नंग धड़ंग मंगरू बोला।

“चल अब चाट हमारा गांड़।” मुंडू बोला और झुक गया।

“जो हुकुम महाराज।” मंगरू बोला और मुंडू की चिकनी गुदा को चाटने लगा, किसी कुत्ते की तरह, सटासट।

“अच्छी तरह से चाट गधे।” मुंडू आनंदित होता हुआ बोला, और मंगरू चपाचप चाटता रहा। मुंडू के नितंबों की दरार को फैला कर चाटने लगा। मलद्वार में जीभ घुसा घुसा कर चाटता रहा। मेरी नजर तो सिर्फ मंगरू के आकर्षक लिंग पर ही चिपकी हुई थी। काश मुंडू की जगह मैं होती, कितना मजा आता। मेरी मुखमुद्रा सलीम और रफीक की नजरों से छिपी न थी। सलीम तो मेरे वक्षस्थल को घूरे जा रहा था।

“इनको लगे रहने दो। चलो बाकी लोग खेल को आगे बढ़ाते हैं।” सलीम की घोषणा से मेरी तंद्रा भंग हुई। अगला गुलाम निकला रफीक और बादशाह निकला कांता को। अब? अब क्या होगा? बड़ी दिलचस्प स्थिति थी। मगर कांता ठहरी एक नंबर की खिलंदड़।

स्थिति को अपने काबू में ले कर बोली, “हां, तो हमारे गुलाम, चल जल्दी से उतार अपने कपड़े।”

“जो आज्ञा महारानी जी।” कहते हुए रफीक खड़े हो कर बड़ी बेसब्री और जल्द बाजी से अपने कपड़ों से मुक्त होने लगा। उसकी हालत देखकर सबकी हंसी छूट पड़ी। वह हरामजादी बेशरम कांता खड़ी देख रही थी। उसकी आंखों में वासना की खुमारी स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रही थी। चंचला, कामुकता की पुड़िया कांता की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थी। बेचैनी, बेसब्री, उसके चेहरे पर भी खेल रही थी।

“यही सब होगा क्या?” मैं बोल उठी।

“हां, यही सब होगा।” सलीम बोला।

“छि:, तुम सब गंदे हो।”

“तुम गंदी नहीं हो?” सलीम बोला।

“हूं, मगर ऐसी नहीं।”

“क्या फर्क पड़ता है?”

“पड़ता है।”

“कैसे?”

“तुम सब भीतर से गंदे हो और हम बाहर से।”

“भीतर बाहर में फर्क क्या है? गंदगी तो गंदगी है।”

“हम ई सब नहीं जानते।”

“जान जाओगी। भीतर बाहर में ही तो मजा है, जान जाओगी।”

“हमें नहीं जानना।”

“सिखा देंगे।”

“हमें नहीं सीखना।”

“खेल से हट नहीं सकती तुम।”

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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-28-2020, 02:37 PM

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