Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-28-2020, 02:40 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा

“वेलकम मैडम।” दरवाजे से हटते हुए उसने कहा। मैं अंदर प्रविष्ट हुई। मेरे अंदर आते ही दास बाबू नें दरवाजा बंद कर दिया।

“आपकी फैमिली?” पूछी मैं। मैं पशोपेश में थी।

“नहीं है?”

“मतलब?”

“मायके गयी है बीवी। तभी तो जैसे ही आपके बारे में पता चला, बुला लिया।” वे बोले। साले, मानो मौका ही खोज रहे थे। अब आगे क्या? मैं सोचने लगी। वैसे आज मुझे मूड नहीं था, लेकिन मजबूरी थी। दास बाबू को मना करना ठीक नहीं लग रहा था। हमारे भवन निर्माण का कार्य उन्हीं की देख रेख में चल रहा था। जब यह राज खुल ही गया था कि मैं उनके मजदूरों संग रंगरेलियां मना रही हूं तो किस मुंह से मना करती। वासना की भूख नें मुझे कितनी सस्ती बना दिया, निकृष्ट, किंतु भगवान का दिया रूप लावण्य तथा आकर्षक देह, जिसमें वासना की अदम्य भूख नख शिख, छलछला कर भर दिया था ऊपरवाले नें। औरतों के रसिया मर्दों की दृष्टि में ऊपरवाले का नायाब तोहफा। तभी तो अब दास बाबू मुझे नोचने को ललायित हो उठे थे। जबतक उन्हें मेरे बारे में पता नहीं था, तबतक तो बड़े शरीफ बने फिर रहे थे। कमीने कहीं के।

खैर, अब तो चिड़िया खेत चुग गयी थी। अब जो होना है हो। मेरी नजरें फ्लैट का मुआयना करने लगीं। यह बड़ा सा, करीब चौदह बाई सोलह का बड़ा सा बैठक हॉल काफी सजा हुआ था। लंबाई उत्तर दक्षिण थी। सामने और बांयी ओर लंबे लंबे गद्देदार सोफे थे जिनके सामने एक बड़ा सा चौकोर सेंटर टेबल था। यही बैठक हॉल आगे जा कर अंग्रेजी का एल बनाता हुआ पश्चिम की ओर बढ़ कर डाईनिंग हॉल बन गया था। बैठक के पूरब की दीवार पर टीवी पैनल था जिसके बीचोबीच 53″ का टी वी लगा हुआ था। यह तीन बेडरूम वाला फ्लैट था, जिसका करीब क्षेत्रफल करीब 1800 वर्ग फीट होगा। पश्चिम की ओर एक बाल्कोनी थी।

“तो मेरी जान।” न जाने कब दास बाबू मेरे पीछे आ खड़े हुए थे, मुझे बांहों में भर कर बोले।

“ये ये ये क्या कर रहे हैं?” मैं उनकी मजबूत बांहों में छटपटाती बोली।

“वही कर रहे हैं जिसके लिए तू यहां आई है।” आप से सीधे तू पर आ गया वह।

“ददददेखिए मैं ऐसी नहींं हूं।” उनकी बांहों से छूटने की असफल कोशिश करती हुई खोखली आवाज में बोली।

“तो फिर कैसी हो? हां हां बताओ कैसी हो? हमारी रेजाओं जैसी? या फिर कोई रंडी, कॉलगर्ल? जो एक फोन आने पर ग्राहक के पास दौड़ी चली जाती हैं? ऐसा ही हुआ ना? बताओ बताओ।” बिना कपड़े उतारे ही मुझे नंगी कर चुका था और मैं शरम से पानी पानी हो गयी। मेरी हालत उससे छिपी नहीं थी। वह एक हाथ से मेरी कमर पकड़ा था और दूसरे हाथ से मेरे स्तनों को सहला रहा था। मैं निरुत्तर थी उसके कथन से। मैं सलवार कमीज में थी। मेरी चुन्नी फर्श पर कब गिरी पता नहीं। वह समझ चुका था कि चिड़िया हाथ में आ चुकी थी। फड़फड़ा तो सकती है लेकिन भाग नहीं सकती है।

“मगर फिर भी…..”

“अब यह अगर मगर न ही करो तो अच्छा है।” अब वह मेरी गर्दन को चूमने लगा था। मेरे तन बदन में शोला भड़कने लगा। कसमसा उठी मैं। मेरे नितंबों के मध्य सख्त डंडे की चुभन अनुभव कर रही थी।

“न न न नहींईंईंईंईंई।” बड़ी कमजोर आवाज थी मेरी।

“नहीं की बच्ची, सारे मिस्त्रियों और कुलियों के लंड खा कर मुझी को नहीं नहीं बोल रही है साली लंडखोर।” अब उसकी आवाज में तल्खी मिस्रित कामुक भेड़िए की गुर्राहट थी।

“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह,” उसके हाथों मेरे उरोज बुरी तरह मसले जा रहे थे। अबतक जो सुस्ती, आलस्य मेरे तन में थी, अनमना सा भाव मन में था, शनैः शनैः तिरोहित हो रहा था। मन मस्तिष्क में कामुकता के पिशाच की तंद्रा टूट चुकी थी। वासना का जहरीला सर्प फन उठा चुका था। मैंने खुद को उस वासना के तूफान में बहने के लिए छोड़ दिया। मेरी आंखों में वासना के लाल डोरे उभर आए थे। सारे शरीर में चिंगारियां सुलगने लगीं थीं। मेरे चेहरे के भाव दासबाबू को और उत्साहित कर रहे थे।

“उफ, अब और नहीं।” दास बाबू नें मुझे उठा कर सामने काऊंटर बेसिन के पास ला खड़ा किया। काऊंटर बेसिन के सामने एक बड़ा सा दर्पण था, जिसपर हमारे अक्स परिलक्षित हो रहे थे। मेरे कंधे से ऊपर दास बाबू का बेताब चेहरा झांक रहा था। भूखे भेड़िए सी शक्ल हो गयी थी उनकी। आंखों की लालिमा बता रही थी कि उनकी उत्तेजना चरम पर थी। मैंने दर्पण में देखा, मेरे कमीज के ऊपरी बटन खुल चुके थे और मेरे स्तन अपनी पूरी शिद्दत से कसी हुई ब्रा से छलक पड़ने को बेताब थे।

“हाय रा्आ्आ्आ्आम।” मैं उनकी बांहों में बंधी अपनी अस्त व्यस्त हालत को देख पानी पानी हो उठी। विरोध बेमानी था। समपर्ण के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। वह अपनी मनमानी किये जा रहा था और मैं पिघलती जा रही थी। तभी उन्होंने मेरी कमीज रुपी व्यवधान को अवांछित वस्तु की मानिंद क्षण भर में उतार फेंका। अब मैं कमर से ऊपर सिर्फ ब्रा में थी। उस हालत में मेरी खूबसूरत देह की छटा देख वह और बेकरार हो उठा।
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