Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-28-2020, 02:46 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“अब? अब का बस? एही समय का तो इंतजार कर रहे थे हम।” बड़ा खुश हो रहा था।

“ओ्ओ्ह्ह्ह्ह्ह, भगवा्आ्आ्आ्आन।” मेरी आंखें मुंद गयी थीं। अब जो होना है सो हो। जो होना है जल्दी हो। उफ़ अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मेरी सिसकारी निकल पड़ी। वह भी बेताब था, न जाने कितनी देर से इस पल के इंतजार में था, उसे भी कब से तलब लगी थी। नहीं, अब और नहीं, उससे और रुका नहीं जा रहा था। इतनी देर की उसकी मेहनत जो रंग लाई थी। अब मैं पूरी तरह उसके कब्जे में थी। पूरी तरह उसके रहमो-करम पर। अपनी मर्जी पूरी कर लेने को अब कोई बाधा नहीं थी। पुलक उठा वह। आनन फानन उसने मुझे अपनी मजबूत भुजाओं में उठा लिया किसी गुड़िया की तरह और मुझे लिए दिए सोफे पर बैठ गया। हमारी स्थिति ऐसी थी मानो कोई बच्ची एक दानव की गोद में बैठी हो। मेरी पीठ उसकी ओर थी। एक हाथ से मुझे तनिक हवा में उठा लिया और आपनी दूसरी हथेली पर थूक ले कर अपने लिंग पर लिथड़ा दिया।

मेरी जुबान तालू से चिपक गई थी। मूक बनी खुद के तन से हो रहे कुकर्म हेतु मानो मेरी मौन सहमति दे बैठी थी। अंदर ही अंदर रोमांचित हो रही थी कि उसके विशाल, मोटे, लंबे लिंगराज को अपनी गुदा में ग्रहण जो करने वाली थी। भयभीत भी थी, सहमी हुई, उस पीड़ा की कल्पना से, जो मेरी योनि में समाहित करते वक्त हुई थी। फिर सोचने लगी, क्या हुआ जो पीड़ा हुई, उस पीड़ामय दौर के पश्चात जो अवर्णनीय सुखद संभोग से सराबोर हुई, उसकी तुलना में वह प्रारंभिक पीड़ा तो नगण्य था। लो, अब मैं भी कहां इस बेकार के पचड़े को लेकर बैठ गई। अब तो मैं उसकी गोद में पूर्ण समर्पण की मुद्रा में आ चुकी थी, अब काहे की हिचक, ऊखल में सिर दे चुकी थी, मूसल से क्या डर। डर गयी तो मर गयी।

तभी मुझे नीचे से अपने गुदा द्वार पर अहसास हुआ उसके मूसल के दस्तक की। चिहुंक ही तो उठी, थरथरा उठी। उसनें मेरी कमर पकड़ कर कुछ ऊपर उठा लिया और अपने तने हुए थूक से लिथड़े, लसलसे, चिकने लिंग को अपने लक्ष्य पर स्थापित किया। इन सब से मैं अनभिज्ञ नहीं थी और समझ रही थी कि किसी भी पल मेरी गुदा का बंटाधार होना तय है। जैसे ही मेरे गुदा द्वार पर उसके लिंग की दस्तक हुई, मैं भय और रोमांच की मिली-जुली भावना से सनसना उठी। दिल धाड़ धाड़ धड़क रहा था।

धीरे धीरे उसनें मेरे शरीर को नीचे उतारना आरंभ किया और वो, मेरी गुदा का द्वार खुलता चला गया। उफ़, उसके मोटे लिंग नें बड़ी ही बेदर्दी से मेरी संकुचित गुदा का दरवाजा खोलना आरंभ किया, खोलना क्या, चीरना आरंभ किया। उफ़, फैलने की भी एक सीमा होती है, यह तो सीमा से बाहर फैला रहा था, सीमा से बाहर मतलब मेरी गुदा की स्थति अब फटी तब फटी वाली हो गयी थी।
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-28-2020, 02:46 PM

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