RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
हास्पिटल में।
राज अपने बैग से साफ कमीज निकालकर बदलने के बाद एमरजेंसी वार्ड में पहुँचा।
मनोहर लाल एक ट्राली पर पड़ा था। चेहरा पीला था, आँखें बंद और होंठ खुले। उसके शरीर में कोई हरकत नहीं थीं।
एक डाक्टर उसका मुआयना करके पीछे हटा तो राज से टकरा गया।
-“आप मरीज हैं?”
-“नहीं। मैं ही इसे लेकर आया था।”
-“इसे जल्दी लाना चाहिए था।”
-“यह बच जाएगा, डाक्टर?”
-“यह मर चुका है। लगता है, काफी देर तक खून बहता रहा था।”
-“गोली लगने की वजह से?”
-“हाँ। यह आपका दोस्त था?”
-“नहीं। आपने पुलिस को इत्तला कर दी है?”
-“हाँ। पुलिस आपसे पूछताछ करना चाहेगी। यहीं रहना।”
-“ठीक है।”
मनोहर लाल की लाश को सफ़ेद चादर से ढँक दिया गया। राज वरांडे में बैंच पर बैठ कर इंतजार करने लगा।
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