RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
पुलिस दल सहित राज उस स्थान पर पहुँचा।
पुलिश कारों की हैडलाइट्स और टार्चों की रोशनी में खाई का निरीक्षण किया गया। वहाँ सूखा खून फैला होने और एक मानव शरीर के पड़ा रहा होने के स्पष्ट चिन्ह मौजूद थे।
एक और पुलिस कार आ पहुँची।
भारी कंधों, मजबूत जिस्म और कठोर चेहरे वाले एक एस. आई. ने नीचे उतरकर इन्सपैक्टर को सैल्यूट मारा।
-“बवेजा से बात हो गई, सर। मनोहर लाल ड्यूटी पर था। लेकिन जिस ट्रक को वह चला रहा था वो गायब है।
-“ट्रक में क्या था?” इन्सपैक्टर ने पूछा।
-“यह बवेजा ने नहीं बताया। इस बारे में आपसे बाते करना चाहता है।” एस. आई. का कठोर चेहरा एकाएक और ज्यादा कठोर हो गया- “जिस हरामजादे ने यह किया है जब वह मेरे हाथ पड़ जाएगा....” और उसकी निगाहें राज पर जम गईं।
इन्सपैक्टर ने एस. आई. के कंधे पर हाथ रखा।
-“शांत हो जाओ, सतीश। मैं जानता हूँ, तुम लोग रिश्तों को बहुत ज्यादा मानते हो। मनोहर लाल तुम्हारा कजिन था न?”
-“हाँ। मौसी का लड़का।”
-“हम उसके हत्यारे को जरूर पकड़ लेंगे।”
एस. आई. की निगाहें पूर्ववत राज पर जमी थीं।
-“यह आदमी...।”
-“इसका मनोहर की मौत से कोई वास्ता नहीं है। मनोहर इसे यहाँ पड़ा मिला था। यह उसे उठाकर ले गया और हास्पिटल पहुंचवा दिया।”
-“यह इसने कहा है?”
-“इसी ने बताया है।” इन्सपैक्टर ने कहा फिर उसका स्वर अधिकारपूर्ण हो गया- “बवेचा अब कहाँ है?”
-“अपनी ट्रांसपोर्ट कंपनी में।”
-“तुम पुलिस स्टेशन जाओ और ट्रक के बारे में जानकारी हासिल करो। बवेजा से कहना मैं बाद में आकर मिलूंगा। ट्रक के बारे में सभी थानों और चैक पोस्टों को सतर्क कर दो। यहाँ से बाहर जाने वाली तमाम सड़कें ब्लॉक करा दो। समझ गए?”
-“यस, सर।”
एस. आई. सतीश अपनी कार की ओर दौड़ गया।
इन्सपैक्टर और उसके शेष आदमी बारीकी से खाई की जाँच करने लगे।
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