RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
एस. आई. दिनेश जोशी ने राज के जूते की छाप लेकर उसे खाई में मौजूद पद चिन्हों से मिलाया। राज के अलावा किसी और के पैरों के निशान वहाँ नहीं मिले। खाई के सिरे के आसपास किसी वाहन के टायरों के निशान भी नहीं थे।
-“ऐसा लगता है, मनोहर को किसी कार या उसके ट्रक से ही नीचे धकेल दिया गया था।” इन्सपैक्टर चौधरी बोला- “वाहन जो भी रहा था सड़क से नीचे वो नहीं उतरा।”
उसने राज की ओर गरदन घुमाई- “तुमने कोई कार या ट्रक देखा था?”
-“नहीं।”
-“कुछ भी नहीं।”
-“नहीं।”
-“मुमकिन है, जिस वाहन से मनोहर को धकेला गया था वो रुका ही नहीं।” उन लोगों ने उसे नीचे गिराया और मरने के लिए छोड़ दिया। और मनोहर खुद ही रेंगकर खाई में पहुँच गया।”
-“आपका अनुमान सही है सर।” सड़क की साइड में खड़ा दिनेश जोशी बोला- “यहाँ खून के धब्बे मौजूद हैं जो खाई तक गए हुए हैं।”
इन्सपैक्टर अपने मातहतों सहित कुछ देर और जांच करता रहा। लेकिन कोई क्लू या नई बात पता नहीं लग सकी।
-“तुम सतीश सैनी से मिल चुके हो न?” अंत में उसने पूछा।
-“हाँ।” राज ने जवाब दिया।
-“दोबारा उससे मिलना चाहोगे?”
-“जरूर।”
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