RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“उससे पूछ क्यों नहीं लेती?”
-“इतनी हिम्मत मुझमें नहीं है।”
-“उसे प्यार करती हो?”
-“पता नहीं। कई साल पहले तो करती थी।”
-“तुम दोनों के बीच कोई दूसरी औरत है?”
-“कोई नहीं, कई औरतें हैं।”
-“मीना बवेजा भी उनमें से एक है?”
-“वह हुआ तो करती थी। पिछले साल तक उनके बीच कुछ था। सतीश का कहना है वो जो भी था खत्म हो गया। लेकिन वो अभी भी हो सकता है। अगर तुम मीना को ढूँढकर पता लगाओ की किस के साथ उसके गहरे ताल्लुकात हैं तो असलियत का पता चल सकता है।”
-“वह कब से गायब है?”
-“पिछले शुक्रवार को गई थी वीकएंड मनाने।”
-“कहाँ?”
-“यह मैं नहीं जानती।”
-“तुम्हारे पति के साथ गई थी?”
-“नहीं। कम से कम वह तो मना करता है। मैं कहने जा रही थी....।”
राज के पीछे से सैनी का स्वर उभरा।
-“तुम क्या कहने जा रही थीं?”
स्पष्टत: वह चुपचाप लॉबी का दरवाजा खोकर अंदर आ गया था।
राज को एक तरफ धकेलकर अपनी पत्नि के सामने अड़ गया।
-“मैंने तुम्हें बकवास करने के लिए मना किया था।”
-“म...मैंने कुछ नहीं कहा।”
-“लेकिन मैंने तुम्हें कहते सुना था। अब यह मत कहना मैं झूठ बोल रहा हूँ....।”
अचानक उसने पत्नि के मुँह पर थप्पड़ जमा दिया।
वह लड़खड़ाकर पीछे हट गयी।
राज ने उसका कंधा पकड़कर उसे अपनी ओर घुमाया।
-“औरत पर ताकत मत आजमाओ, पहलवान।”
-“हरमजादे।” सैनी गुर्राया और घूंसा चला दिया।
राज को अपनी गरदन की बायीं साइड सुन्न हो गई महसूस हुई। वह पीछे हटकर दरवाजे के पास रोशनी में आ गया।
आशा के अनुरूप सैनी भी उसकी ओर झपटा।
प्रत्यक्षत: शांत खड़ा राज तनिक घूमा और उसके पेट में साइड किक जमा दी।
सैनी के चेहरे पर पीड़ा भरे भाव प्रगट हुए। दोनों हाथों से पेट दबाए वह दोहरा हो गया।
राज ने आगे बढ़कर उसकी गरदन के पृष्ठ भाग पर दोहत्थड़ दे मारा।
सैनी औंधे मुँह नीचे गिरा। उसका चेहरा फर्श से टकराया और उसकी चेतना जवाब दे गई।
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