RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
चिकन स्वादिष्ट था। राज विस्की की चुस्कियाँ लेता खाने लगा।
खाना-पीना खत्म करके जब वह सिगरेट सुलगा रहा था एक लड़की ने अंदर प्रवेश किया।
लड़की खूबसूरत थी। उसके उभार इतने आकर्षक थे कि बारटेंडर सहित बार में मौजूद हर आदमी की निगाहें उसकी तरफ घूम गईं।
राज की निगाहें उससे मिलीं तो वह मुस्करा दिया।
लड़की उसे घूरकर वेटर की तरफ पलट गई।
-“इज ही हेअर?”
-“ही जस्ट केम इन, मिस। ही इज वेटिंग फॉर यू इन दी बैक रूम।”
लड़की नितंबों में नपा-तुला उतार-चढ़ाव पैदा करती वेटर के पीछे चल दी।
राज ने सोचा क्या वह मीना बवेजा थी। लेकिन किसी मोटल की मैनेजर की बजाय वह देखने में स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस या मॉडल या फिर ऐसी कालगर्ल नजर आती थी जो अपने पेशे में बहुत ज्यादा कामयाब थी। उसका धंधा जो भी था सैक्स से गहरा ताल्लुक रखने वाला था। सैक्स उसमें यूँ भरा था जैसे बेहद रसीले अंगूर में भरा होता है और वह इस कदर जवान थी कि दावे के साथ कहा जा सकता था अंगूर में खट्टापन आना शुरू नहीं हुआ था।
वेटर प्राइवेट रूम का आर्डर लेकर किचिन में पास करने चला गया तो राज सिगरेट का अवशेष एश ट्रे में कुचलकर खड़ा हो गया।
मेजों के बीच से गुजरकर वह मेहराबदार दरवाजे पर पहुँचा और परदा खिसकाकर अंदर सरक गया।
उसने स्वयं को संकरे नीमरोशन गलियारे में खड़ा पाया। दूर दूसरे सिरे पर बने दरवाजों में से एक पर ‘मेन्स’ तथा दूसरे पर ‘लेडीज’ लिखा था। दायीं ओर निकटतम खुले दरवाजे पर भारी परदा झूल रहा था। अंदर से बातचीत के धीमें स्वर सुनकर राज दरवाजे की बगल में दीवार से चिपक गया।
-“फोन पर कौन थी- तुम्हारी पत्नि?” युवती कह रही थी- “मैंने पहले कभी उससे बात नहीं की। काफी पढ़ी-लिखी लगती है।”
-“बहुत ही ज्यादा पढ़ी-लिखी है।” सैनी के स्वर में कड़वाहट थी- “तुम्हें मोटल में मुझे फोन नहीं करना चाहिए था। कल रात मुझे पैकिंग करते पकड़ लिया था। वह समझ गई होगी।”
-“हमारे बारे में?”
-“हर एक बात के बारे में।”
-“तो क्या हुआ? हमें रोक तो नहीं सकती।”
-“तुम उसे नहीं जानती इसीलिए ऐसा कह रही हो। वह अभी भी मेरे साथ चिपकी हुई है। इस वक्त हर एक छोटी-छोटी बात से बड़ा भारी फर्क पड़ता है। मुझे भी यहाँ नहीं आना चाहिए था?”
-“मुझसे मिलकर तुम खुश नहीं हो?”
-“मैं बहुत ज्यादा खुश हूँ। लेकिन हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए था।”
-“मैंने सारा दिन इंतजार किया था, डार्लिंग। मगर तुम्हारा फोन तक नहीं आया। दूसरे मेरे पास सिगरेट खत्म हो गए थे। तुम तो जानते हो उन सिगरेटों के बगैर मेरी हालत कितनी खराब हो जाती है। इसलिए तुमसे मिलना जरूरी था। मैं यह भी जानना चाहती थी की क्या हुआ?”
-“कुछ नहीं हुआ। तरकीब कामयाब रही। काम हो गया।”
-“तो फिर हम जा सकते हैं?” युवती के स्वर में आतुरता थी- “अभी?”
-“अभी नहीं। मुझे कई काम करने है। जौनी को कांटेक्ट करना है....।”
-“वह चला नहीं गया?”
-“न ही गया हो तो बेहतर होगा। उसके पास अभी मेरा पैसा है।”
-“वह दे देगा। उस पर भरोसा कर सकते हो। जौनी बेईमान या ठग नहीं है। कब मिलना है उससे?”
-“बाद में। उसी अकेले से नहीं मिलना है मुझे।”
-“जब उससे मिलो तो मेरा भी एक काम कर देना।” युवती का स्वर याचना पूर्ण था- “उससे मेरे लिए कुछ सिगरेट माँग लेना। नेपाल में तो उनकी कोई कमी नहीं रहेगी। मुझे बस आज रात और सफर के लिए चाहिए। यह इंतजार मुझ पर भारी गुजर रहा है?”
-“तुम समझती हो मुझे इस इंतजार में मजा आ रहा है?” सैनी कलपता हुआ सा बोला- “मुझ पर भी यह इतना भारी गुजर रहा है कि एक पल के लिए भी चैन नहीं है। अगर मेरा दिमाग ठिकाने होता तो मैंने हरगिज यहाँ का रुख नहीं करना था।”
-“फिक्र मत करो डार्लिंग। यहाँ कुछ नहीं हो सकता। इस रेस्टोरेंट का मालिक जीवनदास हमारे बारे में जानता है।”
-“और कितने लोग हमारे बारे में जानते है? और कितना जानते है? मोटल में भी एक प्रेस रिपोर्टर सूंघ लेने आया था....।”
-“इस किस्से को छोड़ो डार्लिंग।” लड़की चहकी- “यहाँ आओ और हमारे नए बंगले के बारे में बताओ। क्या हम वहाँ सारा दिन खुले आसमान के नीचे पड़े रह सकते हैं बिना कोई कपड़ा पहने? क्या हम चिड़ियों की चहचहाहट सुनते हुए मौज मजा कर सकते हैं? क्या नौकर हमारा हुक्म सुनने के लिए हाथ बाँधे खड़े रहेंगे? आओ न, मुझे सब बताओ।
दीवार से चिपके खड़े राज को अंदर कदमों की आहट सुनाई दी। उसने दरवाजे की चौखट और परदे के सिरे के बीच बनी पतली सी झिर्री से अंदर झाँका।
सैनी लड़की की कुर्सी के पीछे गावदी की भांति खड़ा था। उसकी ठोढ़ी पर बैंड-एड चिपकी थी। उसके हाथ ऊपर उठे और लड़की के वक्षों पर कस गए।
|