RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
सर झुकाए पैदल जा रही थी। हालांकि वह अकेली थी मगर उसके कदम बड़े ही खास अंदाज में इस ढंग से उठ रहे थे मानों स्टेज पर ऑडिएंस के सामने परफारमेंस दे रही थी।
राज ने अपनी कार साइड में रोक दी।
लड़की को काफी आगे निकाल जाने दिया फिर उसका पीछा करने लगा।
लड़की एक अन्य सड़क पर मुड़ गई।
उस इलाके की इमारतें पुरानी थीं और सड़क की हालत खस्ता थी। सड़कों पर गुजरते लोगों के लिबास उनके निम्न मध्यम वर्गीय होने के सबूत थे। स्ट्रीट लाइट्स कम और अपेक्षाकृत अधिक फासले पर थीं।
एक कार्नर पर लोफर किस्म के लड़के खड़े थे। लड़की को देखकर उन्होने एक-दूसरे पर उसी को निशाना बनाते हुए फिकरे कसने शुरू कर दिये।
उनकी ओर ध्यान दिये बगैर वह आगे बढ़ गई।
राज सुस्त रफ्तार से पीछा करता रहा।
जल्दी ही वह एक चार मंजिला इमारत में दाखिल हो गई।
राज साइड में कार पार्क करके नीचे उतरा। सड़क की दूसरी साइड में जाकर इमारत का निरीक्षण किया। किसी जमाने में शानदार रही इमारत की हालत रख-रखाव के अभाव में खस्ता नजर आ रही थीं।
लड़की के नाम तक से अनजान राज को उम्मीद नहीं थी करीब दो दर्जन फ्लैटों वाली उस इमारत में उसे ढूंढ पाएगा।
वह वापस अपनी कार की ओर चल दिया।
वे लड़के अब कार के पास खड़े थे।
-“अभी जो लड़की यहाँ से गई थी।” राज ने पूछा- “वह कौन है?”
-“पता नहीं।” एक लड़के ने जवाब दिया।
-“तुम इसी इमारत में रहते हो?”
-“नहीं।”
राज अपनी कार में सवार होकर वापस लौट पड़ा।
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