RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
आगे-पीछे लंबे-चौड़े लान से घिरी बवेजा की कोठी पुरानी लेकिन काफी बड़ी थी। पिछले लान में झाड़ झंखाड़ों के बीच कई कारों और ट्रकों की बाडियाँ पड़ी जंग खा रही थी।
सामने वाले लान की हालत अपेक्षाकृत बेहतर थी। ड्राइव वे के दोनों ओर यूक्लिप्टिस के ऊँचे पेड़ों की कतारें थीं।
राज कार से उतर कर प्रवेश द्वार पर पहुंचा।
तभी एक-एक करके तीन फायरों की आवाज सुनाई दी।
राज ने दरवाजा खोलने की कोशिश की तो उसे लॉक्ड पाया।
तीन गोलियां और चलीं। कोठी के अंदर कहीं संभवतया बेसमेंट में। उन्हीं के बीच ठक-ठक की आवाज प्रवेश द्वार की ओर आती सुनाई दी। फिर एक स्त्री स्वर उभरा।
-“कौन कौशल?”
राज ने जवाब नहीं दिया।
बाहर वरांडे में रोशनी हुई फिर भारी दरवाजा खोला गया। ऊँचे कद की भारी वक्षों वाली पैंतीसेक वर्षीया उस युवती की आँखों में अजीब सी चमक थी।
-“ओह, आयम सॉरी। आई वाज एक्सपैकटिंग माई हसबैंड।”
-“मिसेज चौधरी?” राज ने पूछा।
प्रत्यक्षत: उसकी खोजपूर्ण आँखें राज के चेहरे पर जमी थीं लेकिन वह उससे परे अंधेरे में कहीं देखती प्रतीत हुई किसी ऐसे शख्स को जिससे डरती थी या प्यार करती थी।
-“यस। हैव वी मैट बिफोर?”
-“मैं आपके पति से मिला था।” राज बोला- “गोलियाँ कौन चला रहा है?”
-“पापा। जब भी वह परेशान होते हैं बेसमेंट में जाकर टारगेट को शूट करने लगते हैं।”
-“उनकी परेशानी की वजह आपसे नहीं पूछूँगा। मैं उनसे ही बात करना चाहता हूँ उनके खोए ट्रक के बारे में।” अपना नाम और पेशा बताकर राज ने पूछा- “मैं अंदर आ सकता हूँ?”
-“मुझे तो कोई एतराज नहीं है। लेकिन घर की हालत ठीक नहीं है। मुझे अपना घर भी संभालना होता है इसलिए यहाँ ज्यादा ध्यान नहीं दे सकती। मैंने बहुत कोशिश की है पापा किसी औरत को रख लें मगर वह औरत को घर में घुसने भी नहीं देना चाहते।”
वह दरवाजे से अलग हट गई।
उसकी बगल से गुजरते राज ने गौर से देखा। अगर वह अपने रख-रखाव की ओर ध्यान देती तो यकीनन खूबसूरत नजर आनी थी। लेकिन चेहरा मेकअप विहीन था। छोटी लड़कियों की तरह कटे बाल दोनों ओर गालों पर बिखरे थे। ढीली और लटकी सी नजर आती पोशाक से उसके शरीर का स्पष्ट आभास मिल रहा था।
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