RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
बवेजा ने चाँदी जैसे बालों वाला अपना सर हिलाया।
-“ओह, समझा। तुम सैनी से मिल चुके हो।”
-“उसका इससे ताल्लुक क्या है?”
-“ट्रक में भरा माल उसका ही था।”
-“क्या माल था?”
-“विस्की की बोतलें।”
-“यानि उस ट्रक लोड विस्की का मालिक वही है?”
-“एक मायने में।”
-“कैसे?”
-“डिस्ट्रीब्युटर्स ने माल उसी के पास भेजा था।”
-“लेकिन माल उस तक नहीं पहुँचा। इस सूरत में वो नुकसान किसको भरना पड़ेगा?”
-“मुझे।”
-“लेकिन आपने तो कहा है माल इंश्योर्ड था।”
-“सिर्फ अस्सी परसैंट। बीस परसैंट मुझे अपनी जेब से भरना होगा।”
-“अंदाजन कितनी रकम बनेगी?”
-“तीन लाख चालीस हजार।”
-“मैं आपकी यह रकम बचा सकता हूँ।”
-“कैसे?”
-“मुझे जानकारी देकर।”
-“माल वापस दिलाकर।”
-“बदले में मुझे क्या करना होगा?”
-“मेरे साथ सहयोग।”
-“कैसे?”
-“इस सबसे तुम्हें क्या फायदा होगा?”
-“कुछ नहीं। मैं खुराफाती आदमी हूँ। ऐसे झमेलों में पड़ना और उनसे निकलना मेरा शौक और धंधा दोनों हैं?”
-“मुझे कुछ खर्चा तो नहीं करना होगा?”
-“बिल्कुल नहीं। अलबत्ता जरूरत पड़ने पर आपको यह जरूर कहना होगा कि इस मामले में आप मेरी मदद ले रहे हैं।”
बूढ़ा बवेजा धूर्ततापूर्वक मुस्कराया।
-“मुझे मंजूर है। आओ।”
-“राज उसके साथ लिविंग रूम में पहुँचा। वहाँ मौजूद फर्नीचर समेत हरएक चीज पर जमी धूल की परत से जाहिर था हफ्तों से झाड़ पोंछ नहीं की गई थी। दीवार पर टंगी दोनाली बंदूक ही एक ऐसी चीज थी जिसे साफ कहा जा सकता था।
वह दीवान पर बैठ गया।
-“आप बड़े ही होशियार बिजनेसमैन हैं।” राज कुर्सी पर बैठता हुआ बोला- “पैसा खर्चना नहीं चाहते।
हालांकि आपका ड्राइवर मारा गया, ट्रक गायब है और बेटी का भी पता नहीं चल रहा है।”
-“कौन सी बेटी की बात कर रहे हो?”
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