RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“मीना की। वह गायब है।”
-“तुम पागल हो। वह सैनी के मोटल में काम करती है।”
-“अब नहीं कर रही। मिसेज सैनी के मुताबिक वह पिछले शुक्रवार से गायब है। हफ्ते भर से उसकी शक्ल भी उन्होने नहीं देखी।”
-“ये बातें मुझे क्यों नहीं बताई जातीं?” वह कुपित स्वर में चिल्लाया- “रंजना! कहाँ मर गई तुम?”
वह एप्रन पहने दरवाजे में प्रगट हुई।
-“क्या बात है, पापा? मैं किचिन में सफाई कर रही थी।” अपने पिता को देखती हुई यूँ हिचकिचाती सी अंदर आई मानों किसी दरिंदे की मांद में आ गई थी- “घर की हालत कबाड़ख़ाने जैसी हो रही है।”
-“घर की हालत को गोली मारो। यह बताओ तुम्हारी बहन कहां भाग गई? वह फिर किसी मुसीबत में फँस गई है?”
-“मीना मुसीबत में?”
-“यही तो मैं तुमसे पूछ रहा हूँ। मुझसे ज्यादा वह तुमसे मिलती है। शहर में हर कोई मेरे मुक़ाबले में उससे ज्यादा मिलता है मेरे अलावा बाकी सबको उसकी खबर रहती है।”
-“अगर आपको उसकी खबर नहीं रहती या वह आपसे नहीं मिलती तो इसमें आपका ही कसूर है। मैं सिर्फ इतना जानती हूँ किसी मुसीबत में वह नहीं है।”
-“तुम हाल में उसे मिली थीं?”
-“इस हफ्ते तो नहीं।”
-“फिर कब मिली थी।?”
-“पिछले हफ्ते।”
-“किस रोज?”
-“बुधवार को हमने लंच साथ ही लिया था।”
-“उसने नौकरी छोडने के बारे में कुछ कहा था?”
-“नहीं। क्या उसने नौकरी छोड़ दी?”
-“ऐसा ही लगता है।”
बवेजा उठकर कोने में रखे टेलीफोन उपकरण के पास पहुँचा और एक नंबर डायल किया।
रंजना ने व्याकुलतापूर्वक राज को देखा।
-“क्या मीना के साथ कुछ हो गया है?”
-“अभी ऐसा कोई नतीजा निकाल बैठना ठीक नहीं है। आपके पास मीना की कोई हाल में खींची गई फोटो है?”
-“मेरे घर में तो है। यहाँ है या नहीं मुझे नहीं पता। जाकर देखती हूँ।”
वह यूँ कमरे से निकली मानों वहाँ उसका दम घुट रहा था। बवेजा रिसीवर रखकर असहाय भाव से हाथ फैलाए राज की ओर पलटा।
-“उसके फ्लैट से कोई जवाब नहीं मिल रहा। या तो वहाँ कोई नहीं है या फिर फोन खराब है। क्या सैनी को भी पता नहीं मीना कहाँ है?”
-“उसका कहना है, नहीं।”
-“तुम समझते हो। वह झूठ बोल रहा है?”
-“उसकी पत्नि तो यही समझती है।”
-“अब बरसों बाद उसकी आँखें खुली है। वह आदमी हमेशा उसे बेवकूफ बनाता रहा है।”
-“मुझे नहीं मालूम। वैसे यह सैनी है क्या चीज?”
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