RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“ऐसी बहुत बातें हैं जो तुम नहीं जानती।”
-“अच्छा।”
-“बवेजा कोने में एक डेस्क के पास जाकर पाइप भरने लगा।
बाहर एक कार के इंजिन की आवाज सुनाई दी।
रंजना फौरन खिड़की के पास जा खड़ी हुई।
-“कौशल आ रहा है।”
लेकिन कार की हैडलाइट्स की रोशनी सीढ़ी पर पड़ती रही फिर मोड़ पर जाकर गायब हो गई।
-“यह कौशल नहीं कोई और था।” रंजना ने कहा। फिर अपने पिता से पूछा- “आपने बताया था न कि वह मुझे लेने आएगा?”
-“अगर उसे वक्त मिला। आज रात वह बहुत बिजी है।”
-“ठीक है। मैं टैक्सी से चली जाऊँगी। काफी देर हो गई है।”
-“अगर मुझे टेलीफोन के पास रहना नहीं होता तो मैंने तुम्हें छोड़ देना था। तुम भाड़ा खर्चने से बच जातीं। खैर, तुम मेरी पुरानी एम्बेसेडर ले जा सकती हो।”
-“मैं आपको ड्रॉप कर दूँगा, मिसेज चौधरी।” राज ने कहा।
–“हाँ, राज के साथ ही चली जाओ, रंजना। यह तो जा ही रहा है। मेरा पैट्रोल भी क्यों फूँकती हो।”
रंजना ने असहाय भाव से सहमति दे दी।
बवेजा पैट्रोल बचाकर खुश हो गया।
-“गुड नाइट पापा।”
-“गुड नाइट।”
किसी बूढ़े थके बैल की तरह बवेजा उसी कोने में खड़ा रहा।
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