Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
11-30-2020, 12:46 PM,
#39
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
ऊपर गलियारे से गुजरकर लड़की एक कमरे में पहुंची।

कमरा छोटा था। लेकिन जिस काम के लिए इस्तेमाल किया जाता था उसकी पूरी सुविधाएं वहां मौजूद थीं।
लड़की दरवाजा बंद करके उसकी ओर पलटी।
-“फिल्म देखोगे?”

राज ने ट्राली पर रखें टी. वी. और वी. सी. आर. पर निगाह डाली।

-“उसकी कोई जरूरत नहीं है।”

लड़की ने हैरानी से उसे देखा मानों ऐसे जवाब की कल्पना भी उसने नहीं की थी।

वहां कोई कुर्सी नहीं थी। राज बैड पर बैठ गया।

लड़की यूँ गौर से उसे देखे जा रही थी मानों अपने तजुर्बे के आधार पर उसके बारे में सही राय कायम करना चाहती थी।

-“तुम्हें ब्लू फिल्में पसंद नहीं है?”

-“नहीं।”

लड़की आगे आकर उसके घुटनों पर बैठ गई। इस प्रयास में उसका स्कर्ट इतना ज्यादा सिकुड़ गया कि दूधिया चिकनी जांघें काफी ऊपर तक नंगी हो गई।

राज की तेज निगाहों से वहां मौजूद सुईयां चुभने से बने निशान छिप नहीं सके।

लड़की हेरोइन एडिक्ट थी।

-“तुम्हारी कोई खास पसंद है?”

-“नहीं।” राज ने जवाब दिया।

लड़की संदिग्ध सी नजर आई।

-“तुम ठीक-ठाक तो हो?”

-“तुम्हें कैसा नजर आता हूं?”

-“देखने में जवान और सेहतमंद हो लेकिन कुछ कर क्यों नहीं रहे हो? अपने कपड़े उतारूँ?”

-“नहीं।”

-“तुम्हारे?”

-“नहीं।” राज ने उसके कूल्हों पर हाथ रखकर अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर बगल में बैठा लिया- “मैं बातें करना चाहता हूं।”

लड़की ने तरस खाने वाले अंदाज में उसे देखा।

-“सिर्फ बातों से जी भर लेने वाले तो तुम नहीं लगते। ओह, समझी- “तुम जानना चाहते हो मुझे कोई बीमारी तो नहीं है। यकीन करो, मैं एकदम क्लीन हूं। हर महीने चैक अप कराती हूं।”

-“ऐसी कोई फिक्र मुझे नहीं है।”

-“तुम सचमुच सिर्फ बातें ही करोगे?”

-“हां।”

-“तब तो यहां आकर कोई समझदारी तुमने नहीं की।” वह संजीदगी से बोली- “बातें तो हम नीचे भी कर सकते थे। अब तुम्हें कमरे का किराया बेकार देना पड़ेगा।”

-“कितना?”

-“पांच सौ।”

-“और तुम्हें?”

-“एक हजार। मैं बातों के लिए भी उतना ही पैसा लेती हूं। अब यह बताओ किस बारे में बातें करना चाहते हो? मैं इस धंधे में कब क्यों और कैसे आई? या फिर मेरी जिंदगी में बतौर ग्राहक आए तरह-तरह के आदमियों के बारे में?”

-“मुझे सिर्फ एक आदमी में दिलचस्पी है- मनोहर लाल में। उसे जानती हो?”

-“हां। हालांकि मेरा ग्राहक वह कभी नहीं रहा। मेरे पास आता भी तो मैंने भगा देना था।”

-“क्यों?”

-“मुझे वह क्रैक लगता था।”

-“लीना भी उसके बारे में यही सोचती थी।”

लड़की का चेहरा कठोर हो गया।

-“मैं नहीं जानती लीना उसके बारे में क्या सोचती है।”

-“क्या वह उसके साथ नहीं जाती थी?”

-“हो सकता है थोड़ा-बहुत उसके साथ रही हो- महज मजाक के तौर पर। मेरा ख्याल है मनोहर कुछेक बार उसे अपने घर ले गया था।”

-“हाल ही में?”

-“हाँ, कोई पन्द्रहेक दिन पहले। एक रात बॉस मनोहर को लाया था....।”

-“सैनी उसे लाया था?”

-“हां, उसी ने लीना को कहा होगा कि मनोहर के साथ सही ढंग से पेश आए। इसके अलावा कोई और वजह मेरी समझ में नहीं आती कि वह क्यों उसके चक्कर में पड़ी। सनकी होने के साथ-साथ वह पूरा पियक्कड़ भी है। पिछली बार जब वह यहां आया नशे में धुत था। बारटेंडर ने उसे विस्की देने से साफ इंकार कर दिया।”

-“यह कब की बात है?”

-“तीन-चार रात पहली।” बस सोचती हुई बोली- “हां...” याद आया इतवार की।”

-“उस वक्त लीना भी यहीं थी?”

-“हां। मनोहर उसे घर ले गया था। या वह उसे घर ले गई थी। क्योंकि मनोहर इतना ज्यादा नशे में था कि उसे कुछ नहीं सूझ रहा था।”

-“यह लीना देखने में कैसी है?”

लड़की चकराई।

-“क्यों? तुम उसे नहीं जानते?”

–“अभी नहीं।”

-“अजीब बात है। तुम्हारी गहरी दिलचस्पी एक ऐसी लड़की में है जिसे तुमने कभी देखा तक नहीं।”

-“इसकी वजह है।”

-“क्या?”

-“इससे कोई फर्क नहीं पड़ता उसका हुलिया बताओ।”

-“वह इकहरे जिस्म की है लेकिन पतली नहीं कही जा सकती। पहले मैं भी ऐसी ही थी। बड़ी मुश्किल से मैंने थोड़ा मोटापा....।”

-“हम लीना की बात कर रहे थे।” राज ने टोका- “मुझे उसका पूरा हुलिया चाहिए।”

-“किसलिए?” वह खीजती सी बोली।

-“इससे कोई मतलब तुम्हें नहीं होना चाहिए।”

-“ठीक है। मुझे सिर्फ अपने वक्त से मतलब है। तुम्हारे लिए ज्यादा वक्त मेरे पास नहीं है।”

-“तुम्हारे वक्त की पूरी कीमत चुकाने के लिए मैं तैयार हूं।”

-“सिर्फ तैयार हो। अभी तक चुकाई तो नहीं।”

-“तुम्हारे वक्त का हिसाब रखा जाता है?”

-“हाँ।”

-“कौन रखता है?”

-“करन।”

-“वह कौन है?”

-“इस धंधे का मौजूदा मालिक।”

-“तुम्हारा मतलब है, बारटेंडर?”

-“हां।”

राज ने पर्स से पाँच सौ रुपए के तीन नोट निकालकर उसकी ओर बढ़ाए।

उसने फुर्ती से नोट खींचकर अपनी ब्रेजियर में खोस लिए। उसकी खीज मुस्कराहट में बदल गई।

-“तुम लीना का मुकम्मल हुलिया जानना चाहते हो?”

-“हां।”

वह खड़ी हो गई।

-“मैं तुम्हें उससे भी बढ़िया चीज दूंगी।”

बस दरवाजे की ओर बढ़ी।

-“जल्दी लूटना।”

-“अभी आती हूं।”

करीब पाँच मिनट बाद वह फोटो हाथ में लिए लौटी।

-“यह लीना की फोटो है- ग्लेमरस पोज में। इसे बाहर विंडो में लगाया जाता था पब्लिसिटी के लिए। कल करन ने वहां से निकाल ली थी।”
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RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म ) - by desiaks - 11-30-2020, 12:46 PM

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