RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
फोटो हस्ताक्षर युक्त थी। सुडौल जिस्म वाली सुंदर लड़की लिबास के नाम पर मिनी स्कर्ट और लो कट गले वाला ब्लाउज पहने थी। भरी-भरी गोल छातियों के अधिकांश भाग का प्रदर्शन करती वह आमंत्रणपूर्वक मुस्करा रही थी।
राज ने साफ पहचाना। लड़की वही थी जिसे उसने ग्लोरी रेस्टोरेंट के पिछले कमरे में सैनी के साथ देखा था।
उसने रोजी की ओर देखा।
-“यह सैनी की मंजूरे नजर है?”
वह बिस्तर पर उसकी बगल में बैठ गई।
-“यह कोई राज नहीं है। सब जानते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो उसने लीला को यहां जॉब देना नहीं था।”
-“वह है कैसी? भली होशियार या मक्कार?”
-“यह मैं कैसे बता सकती हूं। आमतौर पर जैसी लड़कियां इस धंधे में होती हैं वह भी वैसी ही लगती है। उसके दिमाग में क्या खिचड़ी पकती रहती है यह मैं नहीं जानती।”
-“उसके दोस्त कौन हैं?”
-“मुझे नहीं लगता मिस्टर सैनी के अलावा उसका कोई और दोस्त है। वैसे भी एक वक्त में लड़की के लिए एक ही दोस्त काफी होता है।”
-“रिश्तेदार तो होंगे?”
-“एक दादा है। कम से कम लीना ने तो यही बताया था। पिछले महीने जब उसने काम शुरू किया था। चंदेक रोज बाद एक रात वह यहां आया था। वह चाहता था, लीना इस धंधे को छोड़कर वापस उसके साथ घर चले।”
-“वह रहता कहां है?”
-“शहर से बाहर कहीं....शायद पहाड़ पर। लीना ने ऐसा ही कुछ बताया था। मैंने भी उसे समझाया था उसका घर चले जाना ही बेहतर होगा। अगर वह कैबरे के धंधे में ज्यादा देर रही तो भूखे भेड़िए जैसे आदमी उसे फाड़ डालेंगे। उसकी हड्डियां तक चबा जाएंगे। लेकिन मेरी सलाह पर कोई ध्यान उसने नहीं दिया। वह थोड़ी जहरीली भी है। इस बारे में भी मैंने उसे रोकने की कोशिश की थी। वह नहीं जानती ड्रग्स लेते रहने का अंजाम क्या होता है।”
-“तुम क्या लेती हो, रोजी? हेरोइन?”
उसके चेहरे पर कड़वी मुस्कराहट उभरी।
-“मेरे बारे में बातें करना बेकार है। मैं होपलैस केस हूं। जहां तक लीना का सवाल है उसने मेरी सलाह नहीं मानी। अब उसे ठोकरें खाकर ही अक्ल आएगी।”
-“किस मामले में?”
-“आज के जमाने में मुफ्त कुछ नहीं मिलता। चाहे वो मौज मजा हो या नशे की मस्ती और बेफिक्री। जल्दी ही इसकी दोगुनी कीमत चुकानी पड़ जाती है। और जब पैसा खत्म हो जाता है तो तरह-तरह से कीमत चुकानी पड़ती है। इसलिए अब वह बड़ी भारी मुसीबत में फंस गई है।”
-“हो सकता है।”
-“बाई दी वे क्या तुम पुलिस वाले हो?”
-“प्राइवेट डिटेक्टिव हूँ।” राज ने पुनः झूठ बोला।
-“मिसेज सैनी के लिए काम कर रहे हो?”
-“यह मामला उससे भी कहीं ज्यादा गंभीर है।”
-“मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा है जिससे लीना का अहित हो।” वह होंठ चबाकर बोली- “वह मेरे साथ ऐसा व्यवहार करती थी जैसे मुझ पर तरस आ रहा था। क्योंकि वह खुद को आर्टिस्ट समझती है और कैब्रे को आर्ट। हमारी सोच अलग है। मस्ती और बेफिक्री के साधन मे भी फर्क हैं। लेकिन उससे कोई शिकायत मुझे नहीं है। एक जमाने में मुझे दूसरों की अक्ल पर तरस आता था। इसलिए अब मैं उसी की कीमत चुका रही हूं। खैर, यह मामला कितना सीरियस है?”
-“इसका पता तो उससे बातें करने पर ही लगेगा। हो सकता है, तब भी पता न लगे। वह सुभाष मार्ग के पास ही रहती है न?”
-“हां। इंद्रा अपार्टमेंट्स, दयाल स्ट्रीट। बशर्ते कि वह अभी भी वही है।”
राज खड़ा हो गया।
-“थैंक्स ए लॉट।”
-“इसमें थैंक्स जैसी कोई बात नहीं है। मुझे पैसे की जरूरत है। बहुत ही सख्त जरूरत। तुमने सही वक्त पर मेरी मदद की है। तुम भले और ईमानदार आदमी हो। अगर कभी मौज मेला करना हो तो बेहिचक आ जाना। हर तरह से सेवा करके तुम्हें पूरी तरह खुश कर दूंगी....फ्री में।”
राज मुस्कराता हुआ बाहर निकल गया।
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