RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“कौन सी बात? किसके बारे में?”
-“वही मीना बवेजा की कहानी।”
-“मुझे भी बताओ।”
लीना ने खोजपूर्ण निगाहों से उसे देखा फिर अनिश्चित सी नजर आई।
-“तुम जब से आए हो बराबर सवाल किए जा रहे हो। आज से पहले कभी तुम्हारी सूरत तक मैंने नहीं देखी। हो सकता है तुम पुलिस वाले हो और सिगरेट के उस पैकेट को तुमने यहां आने के बहाने के तौर पर इस्तेमाल किया है।”
राज खड़ा हो गया।
-“तुम जो चाहो समझ सकती हो।” कृत्रिम रोषपूर्वक बोला –“मैं तुम्हारी मदद करने आया था। अगर तुम नहीं चाहती तो जहन्नुम में जाओ....।”
वह दरवाजे की ओर बढ़ा।
लीना फौरन उठकर उसकी ओर लपकी।
-“ठहरो। बेकार नाराज हो रहे हो। मुझे यकीन आ गया तुम देवा के दोस्त हो और इस मामले में भी शरीक हो। लेकिन अब तुम क्या करोगे?”
राज पलट गया।
-“मैं इससे अलग हो रहा हूं। मुझे यह सिलसिला जरा भी पसंद नहीं आ रहा।”
-“तुम्हारे पास कार है?”
-“बाहर खड़ी है।”
-“मुझे कहीं पहुंचा दोगे?”
-“जरूर। कहां?”
-“यह तो अभी मैं नहीं जानती। लेकिन यहां बैठी रहकर गिरफ्तार किए जाने का इंतजार मैं नहीं कर सकती।” यह बैडरूम के बंद दरवाजे पर पहुंची। डोर नॉब घुमाकर मुस्कराती हुई बोली- “मैं नहाकर कपड़े बदलती हूं। देर नहीं लगेगी।”
उसने अंदर जाकर दरवाजा बंद कर लिया।
शावर से पानी गिरने की आवाज सुनता राज इंतजार करने लगा।
सिगरेट फूंकता हुआ वह रैक में रखी मैगजीनें देख रहा था। रोमांटिक और सैक्सी कहानियों वाली सभी घटिया दर्जे की थीं। उन सभी के कवर पर अलग-अलग पोज में लीना की ग्लैमरस तस्वीरें छपी थीं। उन्हीं में से एक पर सतीश सैनी के घर का पता और फोन नंबर लिखा था।
उन्हें मन ही मन दोहराता राज चौंका। अपनी रिस्टवॉच पर निगाह डाली।
लीना को गए पूरे पच्चीस मिनट हो चुके थे।
उसने उठकर बैडरूम का दरवाजा खोला।
लीना वहां नहीं थी। आलमारी और ड्रेसिंग टेबल के ड्राअर्स खुले और लगभग खाली पड़े थे।
बाथरूम में शावर से पानी गिर रहा था। लेकिन लीना वहां भी नहीं थी।
किचिन में अंधेरा था। पिछला दरवाजा खोलकर नीचे गई सीढ़ियों पर निगाह पड़ते ही सब समझ में आ गया।
उसे नहाने के बहाने बेवकूफ बनाकर लीना भाग गई थी।
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