RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
इन्सपैक्टर चौधरी बाएँ हाथ में लाल टार्च और दाएँ में गन थामें आगे आया।
-“कार साइड में लगाकर नीचे उतरों- हाथ ऊपर करके।” फिर उसने टार्च की रोशनी राज के चेहरे पर डाली- “ओह तुम फिर सामने आ गए।”
राज ने गौर से उसे देखा। वह गुस्से में नजर आया।
-“तुम भी फिर सामने आ गए। ट्रक को देखा था?”
-“कैसा ट्रक?”
-“बवेजा ट्रांसपोर्ट कंपनी का सेमी ट्रेलर टाइप।”
-“अगर मैंने उसे देखा होता तो क्या इस वक्त यहां मौजूद होता?” उसके स्वर में अधीरता थी। अब क्रोधित नजर नहीं आ रहा था।
-“यहां कितनी देर से हो इन्सपैक्टर?”
-“एक घंटे से ज्यादा हो गया।”
-“इस वक्त क्या बजा है?”
-“एक बज कर बीस मिनट। कुछ और जानना चाहते हो? मसलन आज रात डिनर में मैंने क्या खाया था?”
-“बता दो।”
-“मुझे डिनर नसीब ही नहीं हुआ।” इन्सपैक्टर ने खिड़की से अंदर झुककर उसे देखा- “तुम्हारी यह हालत किसने की?”
राज ने नोट किया टार्च की लाल रोशनी के रिफ्लैक्शन में इन्सपैक्टर के चेहरे की रंगत गुलाबी नजर आ रही थी।
-“अचानक मेरी हालत की फिक्र तुम्हें क्यों होने लगी?”
-“बेकार की बात मत करो। मेरे सवाल का जवाब दो।”
-“ओ के। मैं ढलान से लुढ़क गया था।” राज ने कहा और कैसे बताने के बाद कहा- “उस आदमी ने ट्रक को एयरबेस के खाली हैंगर में छिपाया हुआ था। ट्रक की साइडों में लिखे बवेजा ट्रांस्पोर्टर कंपनी के नाम को एल्युमीनियम पेंट से पोत दिया गया। और सरगर्मी खत्म होने का इंतजार किया। मुश्किल से घंटा भर पहले सैनी एक रोड साइड रेस्टोरेंट में उसे मिला और ट्रक निकाल लाने की हिदायत दे दी।”
-“तुम यह कैसे जानते हो?”
-“मैंने उन दोनों को साथ-साथ देखा था। ट्रक ले जाने वाले युवक का नाम जौनी है। उसने सैनी को मोटा सा एक पैकेट दिया था जिसमें संभवतया नोट थे। सैनी की कीमत।”
-“कीमत? किसलिए?”
-“ट्रक को छिपाने और फिर सही सलामत निकलवा देने की।”
-“सैनी ने यह कैसे करना था?”
राज ने जवाब नहीं दिया।
दोनों ने खामोशी से एक दूसरे को देखा। इन्सपैक्टर के कठोर चेहरे पर रहस्यमय भाव थे।
-“तुम सैनी की बात को बेवजह तूल दे रहे हो। यह ठीक है उस हरामजादे को मैं खुद भी पसंद नहीं करता लेकिन इसका मतलब यह नहीं है वह लुटेरों के किसी गैंग में शामिल है।”
-“तमाम तथ्य उसकी ओर ही संकेत करते हैं। उनमें से कुछक के बारे में मैं तुम्हें बता चुका हूं। उनके अलावा और भी है।”
-“मसलन?”
-“उसने विस्की का बहुत ही मोटा आर्डर दिया था जिसका कोई यूज़ उसके लिए नहीं है।”
-“यह तुम कैसे जानते हो?”
-“उसने अपनी बार आज सुबह बेच दी। एक दूसरी औरत के लिए अपनी पत्नी को छोड़कर शहर से भाग रहा है। उसे मोटी नगद रकम की सख्त जरूरत है।”
-“दूसरी औरत कौन है?”
-“अगर तुम यह सोचकर परेशान हो रहे हो वह तुम्हारी साली है तो वह नहीं है। वह इस मामले से बाहर ही लगती है। उस लड़की का नाम लीना है। वह उसी बार में सिंगर हुआ करती थी। पिछले दो हफ्तों से वह मनोहर के साथ प्यार का नाटक कर रही थी ताकि उसे शीशे में उतार सके। उन्हें अरेस्ट करके चार्ज लगाने के काफी एवीडेंस तुम्हारे पास हैं...।”
-“एवीडेंस? नहीं, मेरे पास सिर्फ तुम्हारी कहानी है।”
-“इसे चैक कर लो। असलियत का पता चल जाएगा। मेरी सलाह मानो और इससे पहले कि सस्पेक्ट्स शहर से भाग जाएँ, उन्हें गिरफ्तार कर लो।”
-“मुझे मेरा धंधा सिखा रहे हो?”
-“नहीं। जो जरूरी है वो बता रहा हूं।”
-“अपनी इस सलाह को अपने पास ही रखो। तुम्हारी हालत देखकर मैं तुम्हारे साथ हमदर्दी कर सकता हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो तुम्हारे साथ हुआ है उससे ज्यादा बुरा नहीं हो सकता।”
-“यह धमकी है?”
-“नहीं। अगर तुम मेरे इलाके में बुरी तरह जख्मी हो जाते हो तो यह मेरे हक में भी अच्छा नहीं होगा। तुम्हारी जान भी जा सकती है।”
-“पुलिस की गोली से?”
-“तुम मेरा मतलब नहीं समझ रहे। मैं नहीं चाहता तुम्हारा कोई अहित हो। इसलिए मेरी सलाह मानो हॉस्पिटल में जाकर अपनी चोटों का इलाज कराओ और आराम करो। समझ गए?”
-“हां। सैनी और उसके शरीफ दोस्तों से मुझे दूर रहना चाहिए।”
-“इस मामले से ही दूर रहो। अगर तुम इसी तरह इधर-उधर अपनी टांग अड़ाते रहे तो तुम्हारी जिम्मेदारी मैं नहीं ले पाऊंगा। जा सकते हो।”
वह पीछे हट गया।
राज ने फीएट मोड़ कर आगे बढ़ा दी।
इन्सपैक्टर चौधरी पुलिस कार की बगल में खड़ा उसे देखता रहा।
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