RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
मोती झील की चौड़ाई कम होने के कारण दूर से देखने पर वो संकरा जलाशय नजर आती थी। पहाड़ी घुमावदार सड़क पर फीएट ड्राइव करता राज एक टूरिस्ट लॉज, एक रोड साइड रेस्टोरेंट और कुछेक कॉटेजो के पास से गुजरा। वे सभी खाली पड़े थे। सर्दी की वजह से दरवाजे खिड़कियां मजबूती से बंद थे।
पांच-छह मील लंबी झील के लगभग आधे रास्ते में एक पैट्रोल पम्प था। जब राज ने वहां पहुंचकर कार रोकी तो वो भी बंद मिला।
वह कार से उतरा।
पम्प पर कोई नहीं था। गत्ते के एक बड़े से टुकड़े पर सूचना लिखी थी।
-“पानी या हवा की जरूरत हो तो ले सकते हो।
पैट्रोल के लिए सुबह दस बजे तक इंतजार करना होगा।”
राज गर्म रेडिएटर में पानी भर के आगे बढ़ गया।
करीब आधा मील जाने के बाद चीड़ के पेड़ पर लकड़ी का एक पुराना और मौसमों की मार खाया साइन बोर्ड लगा नजर आया।
हिल क्वीन : सी. के. सक्सेना, अलीगढ़।
उसके नीचे अपेक्षाकृत नया और छोटा साइन बोर्ड लगा था।
सतीश सैनी,
राज उसी सड़क पर मुड़ गया।
कथित लॉज ढलान पर बनी और सड़क की ओर पेड़ों से घिरी काठ की एक मंजिला इमारत थी।
राज वरांडे में पहुंचा। खिड़कियों के भारी लकड़ी के पल्ले खुले थे। प्रवेश द्वार की बगल में बनी खिड़की से उसने अंदर देखा।
नीम अंधेरे कमरे में कोई नजर नहीं आया। फर्श पर फायर प्लेस के पास रीछ की खाल जैसा नजर आता मोटा कारपेट बिछा था। आवश्यक फर्नीचर भी नजर आ रहा था।
राज ताला खोलकर भीतर दाखिल हुआ।
अंदर ठंडक ज्यादा थी। बंद कमरे में पार्टी की बासी गंध बसी थी। मुख्य कमरे में पार्टी हुई होने के और भी चिन्ह थे। मेज पर रखी पीतल की बड़ी सी एश ट्रे सिगरेट के अवशेषों से आधी भरी थी। उनमें से अधिकांश पर लिपस्टिक के दाग थे मेज पर मौजूद कांच के दो गंदे गिलासों में से एक पर भी लिपस्टिक के दाग लगे थे। बगैर छुए झुककर सुघंने पर राज को लगा उन्हें बढ़िया स्कॉच पीने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
फायरप्लेस के पास जाकर वहां मौजूद राख को छुआ।
राख ठंडी थी।
सीधा खड़ा होते समय मोटे कारपेट के रेशों के बीच कोई चीज पड़ी दिखाई दी।
स्त्रियों द्वारा बालों में लगायी जाने वाली क्लिप थी।
कारपेट को उंगलियों से टटोलने पर वैसी एक क्लिप और मिली।
राज सोने वाले कमरों में पहुंचा। उनमें से एक में जमी धूल से जाहिर था कि उसे हफ्तों या महीनों से इस्तेमाल नहीं किया गया था। दो बैडरूम अपेक्षाकृत छोटे थे। उनमें से एक की हालत भी वैसी ही थी। लेकिन दूसरा हाल ही में इस्तेमाल किया गया था। फर्श साफ था। बिस्तर को सोने के लिए प्रयोग किया गया था। लेकिन उठने के बाद सही नहीं किया गया था।
राज ने कंबल और चादरें सही कीं। उनके बीच रबर की एक पिचकी ट्यूब पड़ी थी।
कमरे में कपड़े या सामान के नाम पर कुछ नहीं था। लेकिन भारी ड्रेसिंग टेबल पर औरतों द्वारा प्रयोग की जाने वाली कई चीजें मौजूद थीं- नेल कटर फेस क्रीम का छोटा जार जो खुला पड़ा रहने के कारण सूखना शुरू हो गया था, कीमती सन ग्लासेज, वैसी ही और हेयर क्लिप्स जैसी कारपेट पर मिली थीं।
साथ ही बने बाथरूम में कुछ और चीजें मिलीं- टूथपेस्ट, टूथब्रुश, लिपस्टिक और एस्ट्रोजन आयल की शीशी। ये लगभग वही तमाम चीजें थीं जो अलीगढ़ में मीना बवेजा के घर में नहीं मिली थीं।
किचिन हवादार थी। स्टोव पर रखे फ्राइंग पैन में अंडे फ्राई किए जाने पर बचे अवशेष पर मक्खियां भिनक रही थीं। किचन टेबल पर दो व्यक्तियों के खाने के झूठे बर्तन पड़े थे। कोने पर ब्लैक डॉग की खाली बोतल रखी थी।
राज किचिन से पिछले दरवाजे से बाहर निकला।
पिछली दीवार के पास तिरपाल के नीचे सूखी लकड़ियों का ऊंचा ढेर लगा था। आउट हाउस में टूटा फर्नीचर छोटी सी नाव, मछलियां पकड़ने वाली पुरानी रॉड वगैरा भरे थे।
किचन के दरवाजे से लॉज में जाकर राज ने एक बार फिर हरएक कमरे का मुआयना किया। कोई नई चीज तो नजर नहीं आई लेकिन उसे लगा वहां सैक्स और डैथ का वास रहा था।
प्रवेश द्वार लॉक करके अपनी फीएट में सवार होकर लौट पड़ा।
पैट्रोल पम्प पर अब एक अधेड़ औरत मौजूद थी। शलवार सूट पहने खिचड़ी बालों वाली वह औरत दुनियादारी के मामलात में खासी तजुर्बेकार नजर आती थी।
फीएट रुकते ही पास आ खड़ी हुई।
-“पैट्रोल चाहिए?”
-“हां।”
राज ने कार से उतरकर पैट्रोल टंकी का लॉक खोल दिया। औरत पैट्रोल डालने लगी।
-“तुम विराटनगर से आए हो?”
-“हाँ।”
-“आज तुम मेरे पहले कस्टमर हो।”
-“सीजन तो अब खत्म हो गया है?”
-“हाँ। सर्दी काफी पड़ने लगी है। मैं इसी हफ्ते पम्प बंद करके नीचे चली जाऊंगी। स्नो फाल में यहां फंसना नहीं चाहती।”
-“सर्दियों में यहां कोई नहीं रहता?”
-“सिर्फ बूढ़ा डेनियल ही इस पूरे इलाके में रहता है। तुम पहली बार यहां आए हो?”
-“हां।”
-“गर्मियों में तो विराटनगर से काफी टूरिस्ट आते हैं। तुम इतनी देर से क्यों आए?”
-“यूं ही धक्के खाने चला आया था।”
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