RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“कार में वह अकेली थी?”
-“हां, मैंने पहली बार उसे अकेली देखा था। जिस तरह सजी धजी वह बैठी थी उससे साफ जाहिर था अपने किसी यार से मिलने निकली थी। मगर मेरे सामने बड़ी भोली बनने का नाटक कर रही थी।”
-“बाद में सैनी भी आ गया था?”
-“वह फिशिंग करके वीकएंड गुजारने तो यहां नहीं आयी थी। सोमवार को मैंने उन्हें साथ-साथ देखा था। जाहिर है पूरा वीकएंड उसने लड़की के साथ लॉज में ही गुजारा था। मुझे और भी काम है मैं हर वक्त उस घटिया आदमी और उसकी रखैल पर तो जासूसी नहीं करती रह सकती। सोमवार तीसरे पहर मैंने उन्हें सड़क पर गेस्ट हाउस की ओर जाते देखा था।”
-“दोनों थे? सैनी और मीना बबेजा?”
-“उसका नाम मैं नहीं जानती। मगर यह सही है उसके साथ एक लड़की थी। उसका चेहरा मैंने नहीं देखा। सर पर स्कार्फ बांधे थी। लेकिन वही रही होगी।”
-“आप पूरे यकीन के साथ कह सकती हैं?”
-“बिल्कुल।”
-“उसकी शक्ल आपने नहीं देखी इसलिए यह भी तो हो सकता है सैनी के साथ वह लड़की नहीं मिसेज सैनी रही हो।”
-“नहीं, बिल्कुल नहीं हो सकता। रजनी को मैं अच्छी तरह जानती हूं। उसके सर पर अगर स्कार्फ की जगह टब भी उल्टा करके रखा होता तब भी मैंने उसे साफ पहचान लेना था। वह रजनी नहीं थी।” उसने हाथ में पकड़ी फोटो हिलाई- “वह यही थी।”
राज ने फोटो उससे ले ली।
-“वह कार चला रही थी?”
-“नहीं, उस रोज वह घटिया आदमी चला रहा था। कार वही काली फीएट थी। वह सीट की पुश्त से पीठ सटाए पसरी थी और चेहरा कोने में घुमा हुआ था। इसलिए मैं उसे साफ-साफ नहीं देख सकी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है उसे पहचाना ही नहीं।”
-“आपका नाम क्या है?”
-“सुखवंत कौर कोहली।”
-“जिस लड़की को आपने सैनी के साथ में देखा था। आपको यकीन है वह जिंदा थी?”
वह बुरी तरह चौंकी फिर हैरान नजर आने लगी।
-“अजीब सवाल है।”
-“आप इसका जवाब दे सकती हैं?”
-“मैं यकीन से नहीं कह सकती। हालांकि उसे हाथ पैर हिलाते या बातें करते तो मैंने नहीं देखा मगर वह मुर्दा भी नजर नहीं आई। क्या उसे मुर्दा समझा जा रहा है?”
-“आज शुक्रवार है और वह सोमवार को देखी गई थी। क्या उसके बाद भी आपने उसे देखा था?”
-“नहीं। आखिर मामला क्या है?”
-“मर्डर। अलीगढ़ में आजकल मर्डर महामारी की तरह फैल रहा है।”
-“ओह! इसका मतलब है रनजीत ने ठीक ही कहा था।”
-“किस बारे में?”
-“शनिवार रात में यहां एक आदमी आया था- करीब दस बजे। वह फोन करना चाहता था। मैंने कहा हमारे पास टेलीफोन नहीं है। इस इलाके में सिर्फ एक ही फोन है- फारेस्ट आफिसर के बंगले में। लेकिन उसे मेरी बात पर यकीन नहीं आया। गुस्से में उल्टी सीधी बकवास करने लगा। उसका कहना था क्योंकि वह मामूली आदमी है इसलिए मैं उसके साथ सही ढंग से पेश नहीं आ रही थी। मैंने उसे समझाना चाहा मगर वह अपनी जिद पर अड़ा रहा। उसके पीले चेहरे और बड़ी-बड़ी काली आंखों से लगता था जैसे उसके पीछे भूत लगे थे या उस पर पागलपन का दौरा पड़ रहा था। गनीमत थी रनजीत यहां था। उसे एक तरह से जबरन उस आदमी को यहां से खदेड़ना पड़ा।”
-“वह देखने में कैसा था?”
औरत ने जो हुलिया बताया मौजूदा हालात में राज के विचारानुसार वह सिर्फ एक ही आदमी पूरी तरह फिट बैठता था। और उसका नाम था- मनोहर लाल।
-“उसने क्या कहा था?”
-“यही कि उसे बेहद जरूरी फोन कॉल करनी है क्या वह हमारा टेलीफोन इस्तेमाल कर सकता है। मैंने कह दिया हमारे यहां टेलीफोन नहीं है। इस पर उसे गुस्सा आ गया और गालियां बकनी शुरू कर दीं। तब रनजीत ने उसे जबरदस्ती बाहर खदेड़ दिया। तुम उसी को ढूंढ रहे हो?”
-“नहीं। वह तो कल मिल गया था।”
-“देखने में खतरनाक पागल लगता था। क्या उसने किसी का मर्डर कर दिया था?”
-“खुद मर्डर में इन्वाल्व था।”
-“कौन है वह?”
-“उसका नाम मनोहर लाल था।” कहकर राज ने पूछा-” आपने बताया था सोमवार तीसरे पहर सैनी उस लड़की की कार को गैस्ट हाउस की ओर ले जा रहा था?”
-“हां।”
-“गैस्ट हाउस मैं किसी बूढ़े के बारे में भी आपने बताया था।”
-“उसका नाम डेनियल है। वह केअरटेकर है।”
-“आपके बाद क्या उसने भी उन्हें देखा था?”
-“पता नहीं। महीने भर से मेरी उनसे बोलचाल बंद है।”
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