RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
बूढ़ा बवेजा ट्रांसपोर्ट कंपनी के अपने ऑफिस में बैठा मिला। उसके सामने डेस्क पर कागजात फैले थे। अपनी सुर्ख आंखों से उसने राज को घूरा।
-“तुम्हारे चेहरे को क्या हुआ?”
-“शेव करते वक्त कट गया था।” राज ने लापरवाही से कहा।
-“घास काटने वाली मशीन से शेव कर रहे थे?”
-“हां। आपको मेरे आने की उम्मीद नहीं थी?”
-“नहीं। मैं समझ रहा था, मैदान छोड़कर भाग गए हो।”
-“क्यों?”
-“तुम गायब जो हो गए थे।”
-“अब यकीन आ गया कि भागा नहीं हूं?”
-“हां। कौशल चाहता है, तुमसे कह दूं तुम्हारी मदद नहीं चाहिए।”
-“तो?”
-“तो कुछ नहीं। मैं जो करता हूं अपनी मर्जी से करता हूं किसी के हुक्म से नहीं।” बवेजा आगे झुक गया। उसका चेहरा किसी बूढ़े लूमड़ जैसा नजर आ रहा था- “लेकिन अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो उसके आड़े आने की कोशिश नहीं करता। उसे यह कतई पसंद नहीं है।”
-“पसंद तो मुझे नहीं है।”
-“हो सकता है। लेकिन तुम जो कर रहे हो वो सब करने की कोई अथारिटी भी तुम्हारे पास नहीं है।”
-“मैं एक प्रेस रिपोर्टर हूं। सच्चाई का पता लगाकर उसे जनता के सामने लाना मेरा फर्ज भी है और हक भी।”
-“खैर, तुम रहे कहां?”
-“मोती झील पर।”
-“वहां क्या करने गए थे?”
राज ने जवाब नहीं दिया।
-“मैं तुम्हें यहां कांटेक्ट करने की कोशिश करता रहा था।” बवेजा बोला- “मैं ही नहीं एस. एच.ओ. चौधरी भी तुमसे मिलना चाहता है। तुम मोती झील की सैर कर रहे थे और यहां इस मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। जानते हो एयरबेस पर एक मारुती छोड़ दी गई थी.....।”
-“हाँ।” मैंने ही पुलिस को उसकी इत्तिला दी थी।”
-“पुलिस ने उस कार का पता लगा लिया है। वो विशालगढ़ में एक पुरानी कारों के डीलर से खरीदी गई थी और वह आदमी- क्या नाम था उसका?”
-“जौनी?”
-“जौनी ने पहली सितंबर के आसपास उसे खरीदा था। कीमत नगद चुकाई थी पांच सौ रुपए के नोटों में। जब वो डीलर उस रकम को बैंक में जमा कराने गया तो केशियर ने पुलिस बुला ली....।”
-“रकम चोरी की थी?”
-“वे नोट अगस्त में करीमगंज में हुई एक बैंक डकैती में डाकुओं द्वारा ले जायी गई रकम का हिस्सा थे। करीमगंज पुलिस ने उन नोटों के नंबरों की लिस्ट सभी बड़े शहरों के बैंकों को भिजवा दी थी। डकैती में करीब बीस लाख रुपए गए थे।”
-“जौनी ने बैंक से बीस लाख रुपए लूटे थे?”
-“हां। और जौनी की गिरफ्तारी पर पचास हजार रुपए का इनाम है। यह इनाम तुम्हें इस केस पर काम करते रहने का जोश दिलाने के लिए काफी है।”
-“मुझे इनाम का कोई लालच नहीं है।”
-“ठीक है। अगर तुम्हें मिले तो खुद मत लेना मुझे दिला देना।”
राज के जी में आया उस हरामी खूसट का मुंह तोड़ दे लेकिन अभी उसे बूढ़े की जरूरत थी। इसलिए प्रगट में बोला- “दिला दूंगा।”
-“अब यह भी बता दो मोती झील पर क्या करने गए थे?”
-“इसी केस के सिलसिले में गया था।”
-“वहां से कुछ पता चला?”
-“हां।” राज ने सैंडल की ब्राउन हील उसके डेस्क पर रख दी- “क्या यह तुम्हारी बेटी मीना के सैंडल की है?”
बवेजा ने हिल उठाकर यू उंगलियों में घुमाई मानो उससे उसकी मालकिन का अंदाजा लगाना चाहता था।
-“पता नहीं।” अंत में बोला- “औरतें क्या पहनती हैं। इस ओर ज्यादा ध्यान देना मेरी आदत नहीं है। तुम्हें यह कहां से मिली।”
राज ने बता दिया।
-“मुझे नहीं लगता यह मीना की है।” बबेजा हील को डेस्क पर लुढ़काता हुआ बोला- “तुम इससे क्या नतीजा निकाल रहे हो?”
राज ने एक सिगरेट सुलगाई।
-“मेरा ख्याल है, वह कब्र खोद रही थी।”
-“क्या? किसलिए?”
-“वो खुद उसके लिए भी हो सकती थी और किसी और के लिए भी।”
-“और किसके? सैनी के लिए?”
-“नहीं, सैनी के लिए नहीं। वह खुदाई का मुआयना कर रहा था।”
-“मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा। तुम्हें यकीन है उसके साथ मीना ही थी?”
-“मेरे पास दो गवाह है। उनमें से किसी ने भी पक्की शिनाख्त तो नहीं की है लेकिन मुझे लगता है वे जानबूझ कर इस मामले में अहतियात बरत रहे हैं। अगर यह हील मीना के सैंडल की है तो शक की कोई गुंजाइश बाकी नहीं रहेगी।”
बवेजा पुनः हील को उठाकर गौर से देखने लगा।
-“रंजना को पता हो सकता है।” अंत में बोला।
उसने टेलीफोन का रिसीवर उठाकर नंबर डायल किया।
-“हेलो.... कौशल, रंजना है....नहीं, कहां गई है....तुम्हें पता नहीं....।” फिर देर तक मुंह लटकाए सुनने के बाद बोला- “तुम उस बारे में क्या जानते हो....जहां तक मैं समझता हूं, वह बड़ी भारी गलती कर रही है।” उसने रिसीवर यथा स्थान रख दिया- “कौशल का कहना है, वह चली गई।”
राज चकराया।
-“कहां?”
-“उसे छोड़कर। अपने कपड़े भी साथ ले गई।”
-“उसने वजह नहीं बताई?”
-“नहीं, लेकिन मैं जानता हूं।”
-“क्या?”
-“उन दोनों की आपस में कभी नहीं बनी।” बवेजा के चेहरे पर अजीब सी व्याकुलता मिश्रित उपहासपूर्ण मुस्कराहट थी- “रंजना बताया करती थी कि वह बड़ी बेरहमी से उसके साथ पेश आता है। फिर जब से कौशल ने उसे रोक दिया तो रंजना ने इस बारे में बातें करना ही बंद कर दिया।”
-“बेरहमी से?”
-“हां।” लेकिन इसका मतलब यह नहीं है, कौशल उसकी पिटाई करता था। और अगर करता भी था तो ऐसी जगहों पर नहीं कि पिटाई के निशान नजर आए। मैं मानसिक यातना की बात कर रहा हूं। वह मैंटली टॉर्चर करता होगा ताकि रंजना खुदकुशी करने पर मजबूर हो जाए।”
-“क्या रंजना ने खुदकुशी करने की कोशिश की थी?”
-“हां।”
-“कब?”
-“शादी के थोड़े अर्से के बाद ही रंजना ने काफी सारी स्लीपिंग पिल्स निगल ली थीं। कौशल ने इस बात को दबाने और एक्सीडेंट की शक्ल देने की कोशिश की मगर मैंने मीना से सच्चाई जान ली थी। उन दिनों मीना उन्हीं के साथ रह रही थी।”
-“रंजना को ऐसा क्यों करना पड़ा?”
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