Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
11-30-2020, 12:50 PM,
#67
RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“मुझे सब अच्छा लगता है रंजना।”
बवेजा ने उसके कंधे पर हाथ रखने की कोशिश की तो वह पीछे हट गई।
बाप बेटी की बहस और उनके बीच पैदा हो गई टेंशन को खत्म करने के विचार से राज खड़ा हो गया।
-“मिसेज चौधरी, मैं तुम्हें एक चीज दिखाना चाहता हूं।”
उसने कहा और सैंडल से उखड़ी हील उसे थमा दी- “तुम्हारे पिता का ख्याल है तुम इसे पहचान सकती हो।”
रंजना ने खिड़की के पास जाकर पर्दा हटा दिया। अंदर आती रोशनी में चमड़े की हील को देखा।
-“यह तुम्हें कहां से मिली?”
-“मोती झील के पास पहाड़ियों से। क्या तुम्हारी बहन के पास ऐसे ब्राउन कलर के सैंडल थे?”
-“शायद थे। नहीं, मुझे अच्छी तरह याद है ऐसे सैंडल उसके पास थे।” वह पैर पटकती हुई थी राज के पास आ गई- “मीना को कुछ हो गया है न? उसका स्वर उत्तेजित था- क्या हुआ उसे?”
-“काश, मैं जानता होता।”
-“क्या मतलब?”
-“अगर यह उसी के सैंडल की हील है तो सोमवार को वह उस जंगल में सैनी के साथ थी और गड्ढा खोद रही थी।”
-“हो सकता है, अपनी ही कब्र खोद रही थी।” बवेजा बोला।
रंजना ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया।
-“तुम समझते हो, वह मर चुकी है?”
-“बेवजह तुम्हें डराने का कोई इरादा मेरा नहीं है लेकिन फिलहाल ऐसा ही लगता है।”
रंजना ने अपनी मुट्ठी में भिंची हील पर निगाह डाली। फिर मुट्ठी खोली तो राज ने देखा उसकी हथेली में किलें गड़ने के निशान बने थे। वह हील को अपने मुंह के पास ले गई और आंखें बंद कर लीं।
पल भर के लिए राज को लगा वह बेहोश होने वाली थी। उसका शरीर तनिक आगे-पीछे लहराया। लेकिन वह गिरी नहीं।
उसने आंखें खोलीं।
-“बस? या कुछ और है?”
-“सैनी की लॉज में ये और मिली थीं।” राज ने कारपेट से उठाई हेयर क्लिप निकालकर दिखाईं।
-“मीना हमेशा ऐसी ही क्लिप बालों में लगाती थी।” रंजना ने कहा।
बवेजा ने बेटी के कंधे के ऊपर से देखा।
-“मीना पूरे घर में इन्हें फैलाए रखती थी। इसका मतलब है, उसने वीकएंड सैनी के साथ गुजारा था। क्यों?”
-“मुझे ऐसा नहीं लगता। लेकिन उसके साथ एक आदमी जरूर था। बता सकते हो वह कौन था?”
बाप बेटी के मुंह से बोल नहीं फूटा। दोनों एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे।
-“मनोहर लाल पिछले शनिवार रात में मोती झील पर था।” राज ने कहा।
-“वह वहां क्या कर रहा था?” बवेजा ने पूछा।
-“मनोहर ही वह आदमी रहा हो सकता था। एक वक्त में वह और मीना एक-दूसरे के बहुत ज्यादा करीब रह चुके थे।”
रंजना का सफेद पड़ गया चेहरा कठोर था।
-“मैं नहीं मानती। मेरी बहन ने उस घटिया आदमी से सीधी मुंह बात तक नहीं करनी थी।”
-“यह सिर्फ तुम ही समझती हो।” बवेजा बोला- “तुम नहीं जानती मीना कैसी लड़की थी। तुम बस यह वहम पाल बैठी हो कि वह सती सावित्री थी। मगर मैं अच्छी तरह जानता हूं क्या थी। दिल फेंक किस्म की लड़की थी। मनोहर के साथ भी उसने वही किया जो दूसरे मर्दों के साथ करती रही थी। आखिरकार मनोहर को उसके साथ सख्ती से पेश आना पड़ा।”
-“यह सच नहीं है।” रंजना राज की ओर पलट कर बोली- “मेरे बाप की बात पर ध्यान मत दो। मीना एक भली लड़की थी। इतनी ज्यादा भोली कि कभी नहीं समझ सकी स्कैंडल में इन्वाल्व हो सकती थी।”
-“भली और भोली।” बवेजा गुर्राया- “वह बारह साल की उम्र से ही लड़कों की सोहबत में रहने लगी थी। मैंने इसी घर के इसी कमरे में रंगे हाथों से पकड़ा था.... और तगड़ी मार लगाई थी।”
-“तुम झूठे और कमीने हो।”
बवेजा का चेहरा गुस्से से तमतमा गया।
-“मैं झूठा और कमीना हूं?”
-“हां। तुम खुद उसे अपने लिए चाहते थे इसलिए लड़कों से जलते थे....।”
-“तुम पागल हो। एक अजनबी के सामने अपने बाप पर बेहूदा इल्जाम लगा रही हो।”
गुस्से से कांपते बवेजा की आवाज गले में घुट गई। उसने बेटी के मुंह पर जोरदार तमाचा जड़ दिया।
-“नहीं।” रंजना चिल्लाई।
राज उन दोनों के बीच आ गया।
बवेजा सोफे पर गिरकर हाँफने लगा।
राज उसके पास पहुंचा।
-“तुम्हारी बेटी की हत्या किसने की थी?”
-“मैं नहीं जानता।” वह फंसी सी आवाज में बोला- “वह मर गई है। यह भी तुम यकीन से कैसे कह सकते हो?”
-“मुझे पूरा यकीन है। क्या उसकी हत्या तुमने की थी?”
-“तुम पागल हो गए हो जैसे रंजना है। मैंने मीना को हाथ भी नहीं लगाना था।”
-“तुमने एक बार उस पर हाथ डाला था। तुम वाकई कमीने हो।”
-“यह तुमसे किसने कहा?”
-“एक ऐसे शख्स ने जो तुम्हारी गुजिश्ता जिंदगी के बारे में जानता है और वो भी जानता है जो तुमने मीना के साथ किया था।”
बवेजा उठ कर बैठ गया।
-“वो दस साल पुरानी बात है।” वह सर हिलाता हुआ बोला- “मुझमें थोड़ा बहुत जोश बाकी था। मैं खुद पर काबू नहीं रख पाया।” उसके स्वर में आत्म करुणा थी- “उसमें सारा कसूर मेरा ही नहीं था। वह घर में अक्सर नाम मात्र के कपड़े पहने या नंगी घूमती थी। मेरे साथ भी उसी ढंग से पेश आती थी जैसे अपने दोस्तों के साथ आया करती थी। मैं खुद को रोक नहीं सका और.....। मेरी हालत को तुम नहीं समझ सकते.......म.....मैंने बरसों बगैर औरत के गुजारे थे.....।”
-“तुम्हारे इस रोने का मुझ पर कोई असर नहीं होगा, बूढ़े। एक आदमी जो अपनी बेटी के साथ वह सब कर सकता है जो तुमने किया था उसका मर्डर भी कर सकता है।”
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