RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“वो कमाई गई कहां?”
-“जुए में और औरतों पर। रॉयल क्लब खरीदने के साल भर बाद से ही उसने दो तरह के खाते रखने शुरू कर दिए थे- एक असली और दूसरे आयकर वालों के लिए। उस दौरान मीना बवेजा क्योंकि उसकी सेक्रेटरी थी और एकाउंट भी देखती थी इसलिए जाहिर है इस काम में वह भी उसके साथ शामिल थी। हालांकि आयकर वालों की निगाहें उन पर थीं मगर कोई ठोस सबूत उन्हें नहीं मिल रहा था। उनका कहना है, वे सैनी और मीना को पूछताछ के लिए बुलाने वाले भी थे।”
-“सैनी के यहां से भागने की कोशिश करने की यह भी एक तगड़ी वजह रही हो सकती है।”
-“सतीश सैनी खत्म हो चुका था- आर्थिक, नैतिक और भी हर तरह से। यहां तक कि उसकी विवाहित जिंदगी भी चरमरा रही थी। मैंने कुछ ही देर पहले रजनी से फोन पर बातें की थीं। इस लिहाज से देखा जाए तो रजनी के मुकाबले में वह खुशकिस्मत रहा। सभी जंजालों से छूट गया।”
-“और रजनी?”
-“अगर आयकर वालों ने केस कर दिया तो वह नहीं बच सकेगी। सैनी की ज्वाइंट टैक्स रिटर्न्स पर उसने भी दस्तखत किए थे। जाहिर है वह नहीं जानती थी रिटर्न स्टेटमेंट फर्जी थी। लेकिन अब इस चक्कर में उसके पास जो भी बचा-खुचा है सब चला जाएगा। सैनी के गुनाहों की सजा उसे भुगतनी पड़ेगी।”
बेचारी रजनी। राज ने सोचा। सात साल पहले की गई गलती उसे पूरी तरह तबाह कर डालेगी।
-“यह तो उसके साथ नाइंसाफी होगी।”
-“मुझसे जो बन पड़ेगा करूंगा। वह पूरी तरह भली और शरीफ औरत है।”
रजनी के बारे में उसकी इस राय से सहमत राज नहीं था। मगर बहस नहीं की।
-“मैं भी उसे पसंद करता हूं।”
-“सैनी के अलावा सब उसे पसंद करते रहे हैं। ओह, याद आया, वह तुम्हारे बारे में पूछ रही थी। यहां से जाने के बाद उससे मिल लेना।”
-“घर पर मिलेगी?”
-“हां। एक बात मैंने उसे नहीं बताई है और चाहता भी नहीं उसे या किसी और को इसका पता लगे।“
-“कौन सी बात?”
-“अपने तक ही रखोगे?”
-“वादा करता हूं।”
-“यह बात तुम्हारे उस यकीन से मेल खाती है कि मीना बवेजा का इस केस से गहरा ताल्लुक है। सैनी की एकाउंट स्टेटमेंटों से जाहिर है साल भर से वह हर महीने मीना बवेजा को पचास हजार रुपए देता रहा था।”
मीना बवेजा के फ्लैट में देखे गए उसके रहन-सहन के ठाठ और बैंक बैलेंस का राज अब राज की समझ में आया।
-“किसी मोटल के मैनेजर की यह तनख्वाह बहुत ज्यादा नहीं है?”
-“बेशक है। इतना तो सैनी खुद अपने लिए भी बिजनेस से नहीं निकालता था।”
-“इसका सीधा सा मतलब है- ब्लैकमेल?”
-“यही तर्कपूर्ण लगता है। यह मीना की जुबान बंद रखने की कीमत रही होगी- एकाउंट्स में हेराफेरी के मामले में। बहरहाल जो भी था मीना की हत्या करने के लिए यह सैनी का तगड़ा मोटिव भी रहा हो सकता है। क्या यह तुम्हारे अनुमानों के साथ फिट बैठता है?”
-“जब तक कोई और ठोस बात सामने नहीं आती इस पर विचार किया जा सकता है।”
-“इस पूरे सिलसिले के बारे में मेरा अपना ख्याल है।” चौधरी विचारपूर्वक बोला- “मान लो सैनी ने सोमवार को मीना की हत्या की और किसी तरह लाश ठिकाने लगा दी थी। वह जानता था देर सवेर लाश मिल जाएगी और सीधा शक उसी पर किया जाएगा। वह यह भी जानता था आयकर विभाग वाले उसकी गरदन दबोचने वाले थे। इसलिए उसने भाग जाने का फैसला कर लिया- जितना ज्यादा हो सके पैसा बटोरकर।”
-“और वह लड़की लीना?”
-“उसके सैनी और जौनी दोनों से ही गहरे ताल्लुकात थे। उन दोनों को उसने एक-दूसरे से मिला दिया। उन्होंने विस्की से लदा ट्रक उड़ाने की योजना बना डाली। जौनी के पास बीस लाख रुपए की ऐसी रकम थी जिसे खर्च वह नहीं कर सकता था। सैनी के अपने ऐसे रसूख थे जिनके दम पर उसने बिना कोई एडवांस पेमेंट किए ट्रक लोड विस्की का ऑर्डर दे दिया। ताकि पूरा ट्रक जौनी के हवाले कर सके। इतना ही नहीं वक्ती तौर पर ट्रक को एयरबेस में छिपाने तक का प्रबंध भी उसने कर दिया। इन तमाम सेवाओं की कीमत जौनी ने लूट की रकम से चुका दी।”
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