RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“उनकी रिपोर्टों पर मुझे पूरा भरोसा है और मैं कहता हूं दोनों हत्याएं जौनी ने ही की थीं। या फिर मनोहर की हत्या के बाद उसने अपनी गन लीना को दे दी थी और लीना ने सैनी को शूट कर दिया।”
-“यह भी समझ में आने वाली बात नहीं है।”
-“मेरी समझ में आती है। क्योंकि ये ही दो अनुमान ऐसे हैं जो तथ्यों पर फिट बैठते हैं।”
-“सिर्फ उन तथ्यों पर जिनकी जानकारी आपको है। सभी प्राप्त तथ्यों पर नहीं।”
चौधरी की आंखें सिकुड़ गईं।
-“क्या ऐसे भी तथ्य हैं?” राज को घूरकर बोला- “जिनके बारे में मैं नहीं जानता मगर तुम जानते हो।”
राज ने एकदम से जवाब नहीं दिया।
-“हां।” कुछेक पल खामोश रहने के बाद हिचकिचाता सा बोला- “लेकिन दमदार नहीं है।”
-“मुझे बताओ।”
-“बवेजा ने मुझे एक गन के बारे में बताया था। मैं नहीं जानता उस पर यकीन किया जाए या नहीं। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है इसका जिक्र खुद उसने ही किया था। हो सकता है वह जताने की कोशिश कर रहा था कि वो गन गायब हो गई है।”
-“कैसी गन थी?”
-“चौंतीस कैलीबर की रिवाल्वर। उसका कहना है पिछली गर्मियों में वो उसने अपनी बेटी मीना को दी थी। क्योंकि मीना ने मनोहर से अपनी हिफाजत के लिए बवेजा से कोई हथियार मांगा था।”
-“मनोहर से हिफाजत के लिए?”
-“बवेजा ने यही कहा था। वह झूठ बोल रहा हो सकता है।”
-“मैं कुछ समझा नहीं। मैंने सुना था तुम बवेजा की मदद कर रहे हो।”
-“अब नहीं कर रहा। दस साल पहले घटी एक घटना को लेकर हमारे बीच मतभेद पैदा हो गए हैं।”
-“कौन सी घटना?”
-“मैं नहीं जानता आपको जानकारी है या नहीं लेकिन बवेजा को अपनी छोटी बेटी के साथ नाजायज हरकत करने के आरोप में......।”
-“जानता हूं, उन दिनों में सब इन्सपैक्टर था। और यही पोस्टेड था। उस केस की सही मायने में सुनवाई तक नहीं हो पायी। क्योंकि लड़की इतनी ज्यादा भयभीत थी कि बवेजा के खिलाफ आरोप लगाने की हालत में नहीं थी। जज सक्सेना सिर्फ इतना ही कर सका कि बवेजा के घर को लड़की के लिए असुरक्षित घोषित करके उसे बवेजा से अलग करा दिया था।”
-“इस घटना के अलावा बवेजा के बारे में आम राय कैसी है?”
-“जवानी के दौर में बड़ा ही रफ टफ किस्म का आदमी हुआ करता था। मैंने सुना है, आज जिस ट्रांसपोर्ट कंपनी का मालिक वह है उसे शुरू करने के लिए उसने बरसों पहले स्मगलरों के ट्रक चलाकर पैसा इकट्ठा किया था।”
-“इन्सपैक्टर चौधरी ने ससुराल के लिए अच्छा घर नहीं चुना।”
-“किसी आदमी के बारे में उसके ससुर के आधार पर फैसला नहीं किया जा सकता।“ चौधरी गंभीरतापूर्वक बोला- कौशल ने जब रंजना से शादी की थी बवेजा के बारे में वह सब-कुछ जानता था। उसका असली मकसद उन दोनों लड़कियों को बवेजा की पहुंच से दूर करना था। यह बात एक पार्टी में पीने-पिलाने के दौरान खुद उसी ने मुझे बताई थी।”
-“बवेजा की माली हालत तो बढ़िया है। पैसा और जायदाद काफी है उसके पास।”
चौधरी का चेहरा कठोर हो गया।
-“अगर तुम समझते हो, चौधरी ने उसके पैसे और जायदाद के लालच में उसकी बेटी से शादी की थी तो बिल्कुल गलत समझ रहे हो। चौधरी को पैसे में कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही। वह मेहनती, ईमानदार और हालात से संतुष्ट रहने वाला आदमी है। उसे बवेजा की बेटी से प्यार हो गया था इसलिए उससे शादी कर ली। उसे जो ठीक लगता है वही करता है- अंजाम की परवाह किए बगैर।”
-“मेरा भी यही ख्याल था।” राज बोला- “उसका मातहत जोशी कैसा आदमी है?”
-“क्या मतलब?”
-“आपको पूरा भरोसा है, जोशी किसी भी हालत में तथ्यों के साथ अपने ढंग से खिलवाड़ नहीं करेगा?”
-“हां।”
-“चाहे वे तथ्य उसके विभाग के ही किसी आदमी की ओर संकेत क्यों न करें?”
-“तुम्हारा इशारा चौधरी की ओर है?”
-“नहीं।”
-“जोशी की एक ही इच्छा है। वह लगातार तरक्की करके एक बड़ा पुलिस आफिसर बनना चाहता है।”
राज खड़ा हो गया।
-“तो फिर उसे बवेजा के घर भेज दीजिए। बूढ़े ने अपने बेसमेंट में बाकायदा शूटिंग गैलरी बना रखी है। जोशी को चौंतीस कैलीबर की वैसी कुछ और गोलियां वहां मिल सकती है।”
चौधरी ने कुछ नहीं कहा।
राज ऑफिस से निकल गया।
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