RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
रजनी फीएट में बैठी इंतजार कर रही थी।
राज ने कार का दरवाजा खोला।
-“मुझे डर था तुम कहीं और न चले जाओ।” वह बोली- “इसलिए टैक्सी से यहां आ पहुंची। मोती झील पर फारेस्ट ऑफिस से डेनियल ने फोन किया था।”
-“मेरे लिए?”
-“हां। वह तुमसे मिलने मेरे घर आ रहा है।”
-“कब?”
-“आज ही। रास्ते में होगा।”
-“किसलिए आ रहा है?”
-“साफ-साफ तो उसने नहीं बताया लेकिन मेरा ख्याल है इसका ताल्लुक उसकी पोती से है। उसने कहा था इस बारे में तुम्हारे अलावा किसी और से कोई जिक्र न करूं।”
राज ने इंजन स्टार्ट करके कार आगे बढ़ा दी।
पार्क में जवान लड़के लड़कियां पिकनिक मना रहे थे। जीन्स खुली शर्टें पहने उन सबके चेहरों से बेफिक्री भरी खुशी और मस्ती झलक रही थी। उनमें से अधिकांश लड़कियां लीना की हम उम्र थीं।
खामोशी से कार ड्राइव करता राज सोचने पर विवश हो गया लीना इन सबसे अलग थी और वजह थी- हालात।
-“जानते हो।” रजनी उसका ध्यान आकर्षित करती हुई बोली- “दस साल पहले मैं भी इन्हीं लड़कियों की तरह थी। शायद इन सबसे ज्यादा खुशकिस्मत। डैडी तब जिंदा थे और मुझे किसी राजकुमारी की तरह रखते थे। मैं सोचा करती थी, मेरी बाकी जिंदगी भी इतनी ही शानो शौकत के साथ गुजरेगी। किसी ने मेरी यह खुश-फहमी दूर क्यों नहीं की?”
-“इसलिए कि कोई नहीं जानता कल कैसा होगा। सब यही उम्मीद करते हैं आज से बेहतर होगा।”
-“मुझे सपनों की दुनिया में रखा गया और यह यकीन दिलाया जाता रहा कि मैं सबसे अलग हूँ।” रजनी के लहजे में कड़वाहट थी- “मेरा कभी कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। मैं भी इतनी नासमझ थी कि इसी भ्रम को पाले जीती रही।”
वह गहरी सांस लेकर चुप हो गई।
शेष रास्ता दोनों खामोश रहे।
रजनी के निवास स्थान पर बूढ़े डेनियल के आगमन का कोई चिन्ह नहीं था।
राज, रजनी सहित हवेली में दाखिल हुआ।
बाहर खिली धूप के बावजूद ड्राइंग रूम काफी ठंडा था।
-“हालात मेरी उम्मीद से कहीं ज्यादा खराब है।” सोफे पर राज की बगल में बैठती हुई रजनी बोली- “चौधरी ने तुम्हें बताया था?”
-“कुछ खास नहीं।”
-“सतीश ने मेरे पास कुछ नहीं छोड़ा। चौधरी का कहना है, कई साल का इनकम टैक्स भी मुझसे वसूल किया जा सकता है। इसके बारे में मैं आज से पहले जानती तक नहीं थी।”
-“चौधरी कोशिश करेगा तुम्हें ज्यादा परेशान न किया जाए वह तुम्हारा हमदर्द और दोस्त है।”
-“हां।”
-“लेकिन अगर चौधरी की कोशिश कामयाब नहीं हुई तो तुम्हारी बाकी जायदाद भी चली जाएगी। तब क्या होगा?”
-“मैं कंगाल हो जाऊंगी।”
-“क्या तुम वो सब सह पाओगी?”
-“पता नहीं।”
-“तुम्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। तुम जवान हो। खूबसूरत और पढ़ी लिखी हो। दुनियादारी का इतना तजुर्बा भी है कि सही फैसला कर सको। सैनी ने अपनी जान गंवाकर तुम्हें आजाद करके तो तुम पर अहसान किया ही है। तुमसे तुम्हारी दौलत छीनकर भी एक तरह से अहसान ही किया है।”
रजनी के चेहरे पर उलझन भरे भाव पैदा हो गए।
-“कैसे?”
-“तुम दोबारा शादी करोगी?”
-“न.....नहीं।”
राज मुस्कराया।
-“तुम्हारी हिचकिचाहट से साफ जाहिर है, करोगी। इस दफा जरूर तुम्हें एक अच्छा और ईमानदार पति मिलेगा- सैनी जैसा लालची और खुदगर्ज नहीं। क्योंकि तुम्हारे पास रूप, गुण और अपने परिवार के नाम की पूंजी होगी। और इस पूंजी के कद्रदान अभी भी बहुत हैं।”
-“हो सकता है।”
-“वैसे जो कुछ सैनी ने तुम्हारे साथ किया कोई नई बात नहीं थी। ऐसा हमेशा होता रहा है और होता रहेगा। मगर एक बात मेरी समझ में नहीं आई। सैनी ने तो तुम्हारी दौलत की वजह से तुमसे शादी की थी। लेकिन तुमने क्या देखकर सैनी को अपने लिए पसंद किया।”
-“पता नहीं।”
-“उसका कोई दबाव था तुम पर?”
-“नहीं।”
-“फिर वह तुम्हें कैसे पसंद आ गया। तुम दोनों में कोई समानता मुझे तो नजर आई नहीं। यहां तक कि उम्र में भी वह तुमसे पंद्रह साल बड़ा तो रहा होगा।”
-“मेरी बदकिस्मती थी। उसके हाथों बरबाद होना था, हो गई।”
-“बुरा न मानो तो एक बात पूछ सकता हूं।” राज के स्वर में सहानुभूति थी।
-“क्या?”
-“सच-सच बताओगी?”
-“मैं झूठ नहीं बोलती।”
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