RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
काले रंग के उस ब्रीफकेस में सोने की छः नटराज मूर्तियां थीं ।
शुद्ध सोने की मूर्तियां ।
जो बेपनाह मूल्यवान थीं ।
☐☐☐
“य...यह तो सोने की मूर्तियां हैं डॉली !” उन मूर्तियों पर नजर पड़ते ही राज की आवाज खुशी से कंपकंपा उठी- “असली सोने की मूर्तियां ।”
“स...सोने की मूर्तियां !” डॉली को भी तेज झटका लगा ।
चार सौ चालीस वोल्ट से भी ज्यादा ।
सारे प्रतिरोध, उसके शरीर की तमाम हरकत इस तरह फ्रीज हो गयीं, मानो बिजली से चलने वाली मशीन का किसी ने स्विच बंद कर दिया हो ।
“ह...हाँ, यह शुद्ध सोने की मूर्तियां हैं ।” राज की आंखों में चमक कौंधी- “द...देख- इसके नीचे क्या गुदा है- चौबीस कैरेट प्योर गोल्ड !”
“हे भगवान !” डॉली के मुँह से सिसकारी छूटी- “तब तो यह मूर्तियां बहुत कीमती हैं ।”
“हाँ, यह बहुत कीमती मूर्तियां हैं । बेहद कीमती । अ...अब हमारे दिन बदल गये डॉली ! नसीब जाग गये हमारे ।”
चौंकी डॉली- “यह तू क्या कह रहा है राज ?”
लेकिन राज तो दीवाना हो उठा था ।
इस समय वो कल्पना लोक के सागर में गोते लगा रहा था ।
“म...मैं ठीक कह रहा हूँ डॉली !” उसने खुशी से कंपकंपाये लहजे में ही कहा- “तुझे अब नौकरी करने की जरूरत नहीं- मुझे ऑटो चलाने की जरूरत नहीं । हम दोनों अब शादी करेंगे डॉली ! तू रानी बनकर रहेगी ।”
“बेवकूफ- तू पागल हो गया है ।” डॉली ने उसे झंझोड़ डाला- “अपनी बर्बादी का सारा प्लान खुद ही बना रहा है- होश में आ ।”
राज ने चौंककर डॉली को देखा ।
“तू सपने देख रहा है राज ।” डॉली ने गुस्से में उसे कोड़े जैसी फटकार लगायी- “दिमाग ठिकाने पर नहीं है तेरा ।”
“मेरा दिमाग पूरी तरह ठिकाने पर है ।”
“नहीं है ।” चीखी डॉली- “अगर तेरा दिमाग अपनी जगह होता, तो तू ऐसी बहकी-बहकी बातें हर्गिज न करता । तू भूल गया है, तेरे घर में लाश पड़ी है । फांसी का फंदा तेरे गले में झूल रहा है और ऐसी हालत में तुझे अपने नसीब जागते हुए नजर आ रहे हैं, तुझे शादी करने की पड़ी है ।”
ल...लाश !
राज की नजर पुनः अजनबी के शव पर जाकर अटक गयी । एकाएक उसने ब्रीफकेस की तमाम जेबों की तलाशी ले डाली, लेकिन उसमें से उसे कोई भी ऐसा कागज या विजिटिंग कार्ड न मिला, जिससे अजनबी की पहचान हो पाती ।
“इसमें क्या देख रहे हो ?”
“इसका नाम या घर का एड्रेस तलाशने की कोशिश कर रहा हूँ ।”
“मिला कुछ ?”
“नहीं ।” राज ने बेहद हताश भाव से इंकार में गर्दन हिलाई ।
“अगर ब्रीफकेस में नहीं है, तो जरूर इसकी पैंट-शर्ट की जेब में कुछ होगा ।”
राज की नजर फिर लाश की तरफ उठी ।
उसकी हिम्मत न हुई कि वो लाश की पैंट-शर्ट में हाथ डाले ।
लेकिन उसे तलाशी तो लेनी ही थी ।
राज ने अपने अंदर हौसला पैदा किया और एक बार फिर डरते-डरते लाश की तरफ बढ़ा ।
नीचे झुका ।
|