RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
डॉली यूं आश्चर्य से राज को देखने लगी, मानो वह आज उसका कोई नया रूप देख रही हो ।
“फिर तू ही सोच डॉली !” राज धाराप्रवाह ढंग से बोलता चला गया- “क्या जिंदगी है हमारी- एक भूखे नंगे, बेघर और गंदे गटर में कुलबुलाते कीड़े जैसी जिंदगी बसर कर रहे हैं हम । जबकि इस समय हम पलक झपकते ही धनवान बन सकते हैं । कहने की जरूरत नहीं, आज के समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा का अधिकारी सिर्फ वही व्यक्ति होता है, जिसके पास दौलत है- ढेर सारी दौलत ! ठण्डे दिमाग से सोच डॉली, हम क्या हैं और क्या बन सकते हैं ? तमाम जिंदगी मेहनत करने के बाद भी हमें समाज में वो पोजिशन हासिल नहीं होगी, जो अब हम पलक झपकते ही हासिल कर सकते हैं । अपने तमाम ख्वाब पूरे करने का इससे बेहतर मौका हमारे हाथ फिर कभी नहीं आने वाला ।”
डॉली टुकुर-टुकुर उसे देखती रही ।
“मैंने क्या कुछ गलत कहा ?”
“ल...लेकिन अगर पुलिस को यह पता चल गया राज !” डॉली बोली- “कि मूर्तियां हड़पने के लिये तूने ही यह लाश ठिकाने लगायी थी, तब तू क्या करेगा ?”
“मगर पुलिस को यह किस तरह पता चलेगा ?” राज ने एक-एक शब्द चबाते हुए पूछा- “पुलिस को क्या आसमान से आवाज आयेगी ? मत भूल डॉली, यह आदमी रीगल सिनेमा के सामने एकाएक मेरी ऑटो रिक्शा में आकर बैठा था, उसके बैठते ही मैंने ऑटो फुल स्पीड से सड़क पर दौड़ा भी दी थी, पुलिस की मोटरसाइकिल तो बाद में पीछे लगी ।”
“लेकिन उन पुलिसकर्मियों ने तुझे रीगल के सामने खड़े तो देखा होगा ?”
“नहीं ।” राज प्रफुल्लित मुद्रा में बोला- “नहीं देखा । मैंने ऑटो ड्राइवरों की हड़ताल के कारण आज अपनी ऑटो घुप्प अंधेरे में खड़ी कर रखी थी, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि किसी की नजर मेरे ऊपर पड़े । आज किस्मत पूरी तरह मेरे साथ थी ।”
“लेकिन एक और बड़ी ख़ास बात तू भूल रहा है राज !”
“कौन-सी बात ?”
“पुलिसकर्मियों ने पीछा करते समय तेरी ऑटो रिक्शा का नम्बर तो नोट किया ही होगा ।”
“नहीं, नम्बर भी नोट नहीं किया ।” राज खुश होकर बोला- “मैंने कहा न, आज किस्मत मेरे साथ थी । मैंने गली में आते ही नम्बर प्लेट देखी थी, उस पर मिट्टी पुती हुई थी । जरूर ऑटो रिक्शा का पहिया किसी गारा से भरे गड्ढे में पड़ गया होगा और फौरन ढेर सारी मिट्टी उछलकर नम्बर प्लेट पर पुत गयी । बहरहाल जो भी हुआ, मेरे हक में बहुत अच्छा हुआ । अगर नम्बर प्लेट पर मिट्टी न पुतती, तो मेरे फंसने के फुल चांस रहते ।”
डॉली बेचैन हो उठी ।
“तू चाहे अपनी बात के पक्ष में कितने ही तर्क दे राज !” डॉली सनसनाये स्वर में बोली- “मगर मुझे लगता है, अगर तूने इन मूर्तियों को हड़पने के लिये कोई भी कदम उठाया, तो तू जरूर किसी भारी मुसीबत में फंस जायेगा । कोई आफत तेरे ऊपर टूटकर गिरेगी, इसके अलावा तू एक बात और नजर अंदाज कर रहा है ।”
“क्या ?”
“यह आदमी शक्ल से ही कोई गुण्डा दिखाई देता है- मुमकिन है कि इसने यह मूर्तियां कहीं से चुराई हों । अगर ऐसा हुआ राज, तो जब तू इन मूर्तियों को बेचने जायेगा, तभी तू फंसेगा ।”
“यह सब बाद की बातें हैं ।” राज मूर्तियां हड़पने के लिये दृढ़ था- “मूर्तियां बेचने के लिये भी कोई-न-कोई ऐसा रास्ता सोच लिया जायेगा, जिसमें कोई खतरा न हो । फिलहाल हमें अपना सारा ध्यान इस बात पर लगाना चाहिये कि लाश को किस तरह ठिकाने लगाया जाये ।”
उन दोनों के बीच थोड़ी देर और बहस चली ।
लेकिन आखिरकार राज ने डॉली को इस बात के लिये तैयार कर ही लिया कि उस लम्बे कड़ियल आदमी की लाश ठिकाने लगाने में ही उनका भला है ।
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