RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
“इस पूरे ड्रामे में तुझसे एक गलती हुई राज- और बड़ी भारी गलती हुई ।” इंस्पेक्टर योगी ने अपनी मनगढ़ंत कहानी का उसे आखिरी हिस्सा सुनाया- “दरअसल जब तू चीना पहलवान की लाश को किसी लड़की के सहयोग से ठिकाने लगाने जा रहा था, तभी फ्लाइंग स्क्वॉयड दस्ते द्वारा रोक लिये जाने पर तूने लड़की के बच्चा होने वाला जो ड्रामा रचा, वही ड्रामा वास्तव में तेरी बर्बादी का कारण बना । उसी ड्रामे की वजह से तू इस वक्त गिरफ्तार है । तुझे अब खुद भी लग रहा होगा कि वह नाटक सचमुच तुझे बहुत महंगा पड़ा । न डिलीवरी होने वाली बात बोलता, न मैं मेटरनिटी वार्डों की भर्ती रजिस्ट्री चेक करता और न तू इस वक्त अपराधी बना हम सबके सामने खड़ा होता ।”
राज की इच्छा हुई, वो दहाड़ें मार-मारकर रोने लगे ।
कितनी खतरनाक आफत उसके गले पड़ चुकी थी ।
“अब अगर तू अपनी खैरियत चाहता है ।” इंस्पेक्टर योगी ने उसे साफ-साफ धमकी दी- “अगर तू चाहता है कि तेरे ऊपर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल न हो, तेरी धुनाई न हो, तो तू मुझे साफ-साफ यह बता कि काले रंग के उस ब्रीफकेस के अंदर क्या था, जिसे चीना पहलवान रीगल सिनेमा के सामने से लेकर भागा ? वह लड़की कौन थी, जिसने चीना पहलवान की लाश ठिकाने लगाने में तुझे सहयोग दिया ? और वह आदमी कौन था, जिससे चीना पहलवान ने काले रंग का वो ब्रीफकेस छीना ?”
“मैं कुछ नहीं जानता ।” राज पागलों की तरह चिल्ला उठा- “मुझे कुछ नहीं मालूम ।”
“तुझे सचमुच कुछ नहीं मालूम ?” योगी ने उसे एकाएक भस्म कर देने वाली नजरों से घूरा ।
“न... नहीं, मुझे कुछ नहीं मालूम ।”
इंस्पेक्टर योगी ने फौरन लपककर अपनी फौलाद जैसी मुट्ठी में उसके सिर के बाल कसकर जकड़ लिये, फिर उन्हें इतना तेज झटका दिया कि राज भैंसे की तरह डकरा उठा, उसका मुँह झटके से छत की तरफ उठ गया ।
“एक बार !” योगी अब साक्षात दरिन्दा नजर आने लगा था- “एक बार फिर बोल कि तुझे कुछ नहीं मालूम ।”
“म...मेरी बात पर यकीन करो ।” राज दयनीय अवस्था में गिड़गिड़ा उठा- “म...मैं सचमुच कुछ नहीं जानता, कुछ नहीं ।”
योगी का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुँचा ।
उसने गुस्से में चिंघाड़ते हुए राज पर लात-घूंसों की बारिश कर डाली ।
वह उसे रूई की तरह धुनने लगा ।
राज की चीखों से पूरा पुलिस स्टेशन थर्रा उठा, उसकी हृदयविदारक और करुणादायी चीखों ने वहाँ मौजूद प्रत्येक व्यक्ति के दिल-दिमाग को झंझोड़ डाला ।
परन्तु योगी रुका नहीं ! वह बेहद जुनूनी अंदाज में उसकी धुनाई करता रहा ।
वह सचमुच दरिन्दा बन चुका था ।
खूनी दरिन्दा !
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तभी पुलिस स्टेशन में बल्ले के कदम पड़े ।
बल्ले के आते ही घटनाक्रम ने फिर एक बड़ा अजीबोगरीब मोड़ लिया ।
बल्ले एकदम काला भुर्राट व्यक्ति था, उसके जिस्म की त्वचा ऐसी थी, मानो किसी ने उसके स्याही मल दी हो । उसकी आंखें लाल सुर्ख थीं, जो उसके काले भुर्राट चेहरे पर यूं चमकती थीं, मानों दो जलते अंगारे ! अगर रात के अंधेरे में कोई बच्चा बल्ले को देख ले, तो इसमें कोई शक नहीं कि वो उसे भूत समझकर चिल्ला उठे ।
शक्ल-सूरत में इतना खतरनाक था बल्ले !
उसे न जाने कैसे यह मालूम हो गया था कि राज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, थाने में आते ही उसने एक बड़ी सनसनीखेज घोषणा की ।
“इंस्पेक्टर साहब !” बल्ले आते ही इंस्पेक्टर योगी से बोला- “मैं उस लड़की का नाम बता सकता हूँ, जिसने बुधवार की रात मेरे चाचा की लाश ठिकाने लगाने में राज की मदद की थी ।”
बल्ले के उन शब्दों का इंस्पेक्टर योगी पर तुरन्त असर हुआ- राज की धुनाई करते उसके हाथ ठिठक गये ।
उसने घूमकर बल्ले की तरफ देखा ।
पीड़ा से बुरी तरह कराहते राज के ऊपर भी बल्ले के वह शब्द गाज की तरह गिरे ।
“कौन है वो लड़की ?” योगी ने फौरन पूछा ।
“उसका नाम डॉली है ।”
“म...डॉली !”
“हाँ, इंस्पेक्टर साहब ! वह डॉली है ।”
“यह झूठ बोल रहा है ।” राज एकाएक हलक फाड़कर चिल्ला उठा- “डॉली उस रात मेरे साथ नहीं थी, डॉली का इस पूरे हादसे से कोई वास्ता नहीं है ।”
“झूठ मैं नहीं तू बोल रहा है ।” बल्ले ने आक्रोश में दांत किटकिटाये- “बुधवार की रात डॉली ही तेरे साथ थी, तुम दोनों ने ही मिलकर पूरी घटना का जाल बुना ।”
“यह झूठ है ।” राज चिंघाड़ा- “गलत है ।”
दोबारा राज की तरफ बढ़ा योगी !
फिर उसने राज की शर्ट का कॉलर कसकर अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया और बड़ी खूंखार नजरों से उसकी तरफ देखा ।
काँप गया राज!
“यानि बुधवार की रात वाकई तेरे साथ डॉली नहीं थी ?”
“न...नहीं ।” राज का कंपकंपाया स्वर- “म...डॉली का इस घटना से कोई वास्ता नहीं ।”
“अगर वो डॉली नहीं थी, तो फिर कौन थी ?” योगी गुर्राया- “मुझे उस दूसरी लड़की का नाम बता ?”
राज चुप !
“मैं तेरे से कुछ पूछ रहा हूँ राज !” योगी ने शर्ट का कॉलर पकड़े-पकड़े उसे बुरी तरह झंझोड़ा- “मेरे सवाल का जवाब दे हरामजादे ! वरना तेरी अभी तो कम धुनाई हुई है, इस बार तेरे जिस्म से हड्डियां तक गायब हो जानी है । बोल, क्या नाम है उस लड़की का ?”
“म...मैं उस लड़की का नाम नहीं बता सकता ।” राज ने हिम्मत करके कहा ।
“क्यों नहीं बता सकता ?” बल्ले चीखा- “इसलिये नहीं बता सकता, क्योंकि वह लड़की डॉली के अलावा कोई थी ही नहीं । इंस्पेक्टर साहब !” बल्ले उत्तेजना में भरा हुआ योगी की तरफ घूमा- “सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि सोनपुर के हर आदमी को मालूम है कि डॉली, राज के वास्ते कुछ भी कर सकती है । इतनी बड़ी दुनिया में एक वही लड़की ऐसी है, जो इसके लिये अपने आपको बड़े-से-बड़े खतरे में डाल देगी ।”
“यह सब झूठ है ।”
“चुप कर ।” योगी ने फौरन उसे घुड़क दिया- “चुप !”
राज ने सहमकर होंठ बंद कर लिये ।
“यह डॉली तो वही लड़की है न !” योगी, बल्ले से सम्बोधित हुआ- “जिसके घर से यह कल रात फरार हुआ था ?”
“हाँ, इंस्पेक्टर साहब ! वही लड़की डॉली है ।”
इंस्पेक्टर योगी ने फौरन स्थानीय थानाध्यक्ष के माध्यम से एक कांस्टेबल को तलब किया ।
कांस्टेबल का नाम चट्टान सिंह था ।
“बोलिये सर, क्या काम है ?” चट्टान सिंह ने आते ही योगी को जोरदार सैल्यूट मारकर पूछा ।
“चट्टान सिंह, तुम फ़ौरन एक काम करो ।” योगी ने आदेश दनदनाया- “सोनपुर चले जाओ और वहाँ जाकर डॉली को अपने साथ ले आओ । उससे बोलना, इंस्पेक्टर साहब ने बुलाया है ।”
“ओ.के. सर !” चट्टान सिंह ने तत्परता के साथ कहा- “मैं अभी डॉली को लेकर आता हूँ ।”
“लेकिन आप डॉली को यहाँ क्यों बुला रहे हैं साहब !” राज एकाएक हलक फाड़कर चिल्ला उठा- “वह बुधवार की रात सचमुच मेरे साथ नहीं थी, वह बेकसूर है ।”
“बोलता है, बोलता है स्साले !!!!” योगी ने उसे नीचे गिरा दिया तथा फिर अपने फौलादी जूते की उसके मुँह पर धड़ाधड़ कई सारी प्रचण्ड चोटें जड़ी- “जबान चलाता है हरामी !”
राज हाहाकर कर उठा ।
उसकी हृदयविदारक चीखों से एक बार फिर पूरा पुलिस स्टेशन दहल गया ।
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