RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
कोर्ट-रूम के दरवाजे पर इस समय दिल्ली शहर का सबसे ज्यादा प्रसिद्ध वकील यशराज खन्ना खड़ा था ।
यशराज खन्ना की उम्र सिर्फ तीस-बत्तीस साल के आसपास थी, लेकिन इतनी कम आयु में ही उसने दिल्ली जैसे महानगर में अपनी वकालत के झण्डे गाड़ दिये थे । यशराज खन्ना का फिल्म अभिनेताओं जैसा व्यक्तित्व बरबस ही हर व्यक्ति का मन मोह लेता था ।
इस समय भी यशराज खन्ना ने अपने छः फुट लम्बे कसरती शरीर पर सफेद शर्ट, सफेद पैन्ट, सफेद टाई और ऊपर से काले रंग का चोगा पहन रखा था ।
जिसमें वो विनोद खन्ना की तरह काफी स्मार्ट लग रहा था ।
उसकी आंखों पर चढ़ा था, सोने के फ्रेम वाला कीमती आई साइड ऐनक ।
यशराज खन्ना को जिस वजह से वकालत की दुनिया में रातों-रात प्रसिद्धि मिली, वह उसके केस लड़ने का स्टाइल था । यशराज खन्ना का रिकॉर्ड रहा था कि वो अपने जीवन में कभी कोई केस नहीं हारा । उसका क्लायंट बेगुनाह हो या गुनाहगार, यशराज खन्ना कोर्ट में पूरे केस को इस तरह तोड़-मरोड़कर पेश करता था कि उसका क्लायंट हर हालत में अदालत से बाइज्जत बरी हो जाता था ।
यह बात अलग है कि यशराज खन्ना अपने क्लायंट से मुँह मांगी फीस लेता था ।
दिल्ली का सबसे मंहगा वकील था वो ।
बहरहाल उस समय यशराज खन्ना को कोर्ट-रूम में देखकर सभी चौंक पड़े ।
सबका चौंकना वाजिब भी था ।
आखिर यशराज खन्ना जैसा धुरंधर वकील किसी भी केस को आसानी से हाथ लगाता ही कहाँ है ।
और जब हाथ लगाता है, तो करिश्मा होता है ।
करिश्मा !
“आपको उस रहस्यमयी लड़की के बारे में जो कुछ भी कहना है मिस्टर खन्ना!” जज भी उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर बोला- “कृपया विटनेस बॉक्स में आकर कहिये ।”
“सॉरी मी लॉर्ड ! मैं इस समय कोर्ट रूम में एक गवाह की हैसियत से उपस्थित नहीं हुआ हूँ बल्कि मिस्टर राज के डिफेंस काउंसल (बचाव पक्ष) की हैसियत से यहाँ आया हूँ ।”
“ड...डिफेंस काउंसल !”
बम-सा गिरा कोर्ट रूम में ।
चारों तरफ सनसनी दौड़ गयी ।
इंस्पेक्टर योगी और बल्ले भी यह सोचकर हैरान रह गये कि राज जैसे मामूली ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने यशराज खन्ना जैसा महंगा वकील कैसे कर लिया ?
खुद राज भी इस सुखद परिस्थिति पर हैरान था ।
विटनेस बॉक्स में खड़े-खड़े वो अपने अंदर एक नई स्फूर्ति अनुभव करने लगा ।
दर्शक दीर्घा में मौजूद तमाम लोग भी अब सजग हो-होकर कुर्सियों पर बैठ गये, उन्हें यह समझते देर न लगी कि जल्द ही केस कोई नया रोमांचकारी मोड़ लेने वाला है ।
जबकि यशराज खन्ना ने राज से हस्ताक्षर कराने के बाद अपना वकालतनामा जज की तरफ बढ़ा दिया था ।
जज ने गौर से वकालतनामा देखा, फिर कहा- “आप डिफेंस काउंसल की हैसियत से यह मुकदमा लड़ सकते हैं मिस्टर खन्ना !”
“थैंक्यू मी लॉर्ड !”
पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने एक चैलेन्ज भरी दृष्टि यशराज खन्ना पर डाली, जबकि यशराज खन्ना हलके से मुस्करा दिया ।
☐☐☐
मुकदमा फिर पहले की तरह ही गरमजोशी के साथ शुरू हो गया बल्कि अब उसमें पहले से भी ज्यादा गरमी थी ।
“मी लॉर्ड !” यशराज खन्ना ने अपना काला चोगा दुरुस्त करके बोलना शुरू किया- “सबसे पहले तो मैं मिस्टर राज के बचाव पक्ष का वकील होने के नाते यह कहना चाहूँगा कि मेरे बेहद काबिल और जहीन दोस्त पब्लिक प्रॉसीक्यूटर और इंस्पेक्टर योगी ने मिलकर मेरे क्लायंट पर चीना पहलवान की हत्या का जो इल्जाम लगाया है, वह बिल्कुल बेतुका है, झूठा है, मी लॉर्ड ।” यशराज खन्ना ने अपनी आवाज़ थोड़ी तेज की- “सच्चाई ये है कि अभी तक मेरा भोला-भाला और निर्दोष क्लायंट अदालत के शब्द जाल से बचने की कोशिश नहीं करता रहा बल्कि मेरे काबिल दोस्त पब्लिक प्रॉसीक्यूटर साहब खुद इंस्पेक्टर योगी की गलत इन्वेस्टीगेशन के कारण दिशा भ्रमित होते रहे हैं ।”
“ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड !” पब्लिक प्रॉसीक्यूटर आदत के मुताबिक हलक फाड़कर चिल्लाया- “खन्ना साहब, इंस्पेक्टर योगी जैसे बेहद कर्तव्यनिष्ठ इंस्पेक्टर की काबिलियत पर उंगली उठा रहे हैं । वो इंस्पेक्टर योगी, जो दिल्ली पुलिस में एक मिसाल है । एक आदर्श है । जिसे देखकर दिल्ली पुलिस के दूसरे जवान प्रेरणा लेते हैं और कल्पना करते हैं कि काश वो भी इंस्पेक्टर योगी की तरह ही बन जायें । यह बड़े अफसोस की बात है मी लॉर्ड, खन्ना साहब उसी इंस्पेक्टर योगी की कर्तव्यनिष्ठा पर इल्जाम लगा रहे हैं ।”
“गलत- बिल्कुल गलत ।” यशराज खन्ना ने बिना उत्तेजित हुए कहा- “मैंने इंस्पेक्टर योगी की कर्तव्यनिष्ठा पर कोई इल्जाम नहीं लगाया मी लार्ड ! सच्चाई तो ये है कि मैं खुद इस बात को तहेदिल से कबूल करता हूँ कि इंस्पेक्टर योगी जैसे बेहद कर्मठ और ईमानदार पुलिस ऑफिसर हमारी दिल्ली पुलिस में कुछेक ही हैं और जो चन्द हैं, वह दिल्ली पुलिस की नाक हैं । परन्तु हमें यह भी नहीं भूलना चाहिये मी लॉर्ड !” यशराज खन्ना ने फौरन चाल चली- “कि इंस्पेक्टर योगी एक कर्तव्यपरायण पुलिस इंस्पेक्टर होने के साथ-साथ एक इंसान भी हैं । इंसान, जिसे हमारे शास्त्र या वेद-पुराणों में गलतियों के पुतले की संज्ञा दी गयी है । कहा गया है कि बड़े-बड़े तपस्वी और ऋषि-मुनियों से भी जाने-अंजाने कोई-न-कोई गलती अवश्य हो जाती है । और ऐसी ही एक गलती इंस्पेक्टर योगी से हो चुकी है मी लॉर्ड, उन्होंने इस पूरे केस की इन्वेस्टीगेशन तो पूरी लगन और मेहनत से की, लेकिन वो सबूत इकट्ठे करने में बस थोड़ा-सा धोखा खा गये ।”
“ल...लेकिन ।”
“न- न ।” पब्लिक प्रॉसीक्यूटर अपनी बात पूरी कर पाता, उससे पहले ही यशराज खन्ना ने उसकी बात काट दी और प्रभावपूर्ण ढंग से आगे बोला- “मुझे मालूम है पब्लिक प्रॉसीक्यूटर साहब कि आप क्या कहना चाहते हैं । यही न कि मेरे पास इस बात का क्या सबूत है कि इंस्पेक्टर योगी ने जो इन्वेस्टीगेशन की वो गलत है । तो इसके जवाब में, मैं सिर्फ यह कहना चाहूँगा प्रॉसीक्यूटर साहब, मैं भी एक वकील हूँ । और कम-से-कम इतना जहीन भी हूँ कि अदालत में ऐसी कोई बात अपनी जबान से नहीं निकालूंगा, जिसका मेरे पास कोई जवाब न हो । जहाँ तक इंस्पेक्टर योगी द्वारा मेरे क्लायंट पर लगाये गये बेबुनियाद इल्जामों का सवाल है, तो मैं अभी चंद मिनट बाद उसका सबूत भरी अदालत में पेश करूंगा । अगर मैं सबूत पेश न कर सकूँ, तो मेरे काबिल दोस्त सिर्फ मेरे ऊपर ऑब्जेक्शन लगाकर ही खामोश न बैठें बल्कि वो खुशी-खुशी मेरे ऊपर इंस्पेक्टर योगी की तरफ से मान-हानि का मुकदमा भी दायर कर सकते हैं ।”
“ऑब्जेक्शन ओवर रूल्ड !” जज ने फौरन ही पब्लिक प्रॉसीक्यूटर का ऑबेजक्शन प्रस्ताव खारिज कर दिया ।
“थैंक्यू मी लॉर्ड ।” यशराज खन्ना ने जज के सामने सिर झुकाया ।
जबकि पब्लिक प्रॉसीक्यूटर अपनी पहली ही पराजय पर बुरी तरह तिलमिला उठा था ।
☐☐☐
“हाँ, तो मी लॉर्ड ।” यशराज खन्ना ने थोड़ा रुककर पुन: शुरू किया- “मैं कह रहा था कि मेरे काबिल दोस्त पब्लिक प्रॉसीक्यूटर साहब खुद इंस्पेक्टर योगी की गलत इन्वेस्टीगेशन के कारण भ्रमित हो रहे हैं । जबकि सच्चाई ये है कि फ्लाइंग स्क्वॉयड दस्ते के सब-इंस्पेक्टर ने जब बुधवार की रात को मण्डी हाउस जाने वाले मार्ग पर राज की ऑटो रिक्शा रोकी, तो उसमें सचमुच चीना पहलवान की लाश नहीं थी बल्कि उसके अंदर वास्तव एक लड़की थी, जो पेट से थी ।”
“लेकिन सवाल ये है खन्ना साहब !” अपनी पराजय से बुरी तरह झल्लाया पब्लिक प्रॉसीक्यूटर फिर चिल्ला उठा- “अगर ऑटो रिक्शा में उस समय लड़की थी, तो वह लड़की कौन थी ? फिर अगर वो वास्तव में ही पेट से थी, तो मिस्टर राज ने उसे किसी हॉस्पिटल के मेटरनिटी वार्ड में भर्ती क्यों नहीं कराया ? और इन सबसे बड़ा सवाल ये है कि मिस्टर राज उस लड़की का नाम बताने से ऐतराज क्यों कर रहे हैं ?”
आहिस्ता से मुस्कराया यशराज खन्ना ।
“प्रॉसीक्यूटर साहब !” फिर यशराज खन्ना गंभीरतापूर्वक बोला- “हर खामोशी के पीछे कोई-न-कोई वजह होती है, फर्क सिर्फ इतना है कि कोई उस खामोशी की आवाज को सुन लेता है और कोई नहीं सुन पाता । इस मामले में, मैं शायद आपसे ज्यादा सौभाग्यशाली हूँ, क्योंकि मैंने खामोशी की वह आवाज सुन ली है । मी लॉर्ड !” यशराज खन्ना, जज की तरफ घूमा- “मैं राज की खामोशी की वजह बयान करने से पहले अदालत से प्रार्थना करूंगा कि वो प्रॉसीक्यूटर के ही एक गवाह बल्ले को विटनेस बॉक्स में पेश करने की इजाजत दे ।”
“इजाजत है ।”
दर्शक दीर्घा में बैठे काले-भुर्राट बल्ले का दिल एकाएक बुरी तरह धड़क उठा ।
हालांकि वो काफी हिम्मतवाला इंसान था ।
परन्तु यशराज खन्ना जैसे धुरंधर वकील के सामने खड़े होने की कल्पना मात्र से ही उसकी पिण्डलियां कंपकंपा उठीं ।
पब्लिक प्रॉसीक्यूटर और इंस्पेक्टर योगी की भी कुछ ऐसी ही हालत हुई, वह नहीं समझ पा रहे थे कि अब क्या होने वाला है ?
कुछ तो होने वाला था ।
कुछ बड़ा ।
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