RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
मरता क्या न करता, काला-भुर्राट बल्ले आखिरकार विटनेस बॉक्स में जाकर खड़ा हुआ ।
फिर उसने सबसे पहले ‘गीता’ पर हाथ रखकर सच बोलने की सौगन्ध खाई ।
उसके बाद कुछ औपचारिक अदालती सवालों के बाद यशराज खन्ना ने बल्ले को घूरते हुए पहला प्रश्न पूछा- “मिस्टर बल्ले, क्या यह सच है कि तुम राज की गिरफ्तारी के बाद पुलिस स्टेशन गये थे ?”
“ह...हाँ ।” बल्ले ने कंपकंपाये स्वर में कहा- “य...यह सच है ।”
“वहाँ तुम इंस्पेक्टर योगी से भी मिले ?”
“हाँ...हाँ, यह भी सच है ।”
“और क्या यह भी सच है ।” यशराज खन्ना थोड़े तेज स्वर में बोला- “कि तुमने पुलिस स्टेशन में घुसकर इंस्पेक्टर योगी के सामने यह घोषणा की थी कि तुम उस रहस्यमयी लड़की को जानते हो, जो हादसे की रात राज के साथ मण्डी हाउस जाने वाले मार्ग पर देखी गयी ?”
बल्ले ने अब सकपकाकर योगी की तरफ देखा ।
“उधर मत देखो ।” चिल्लाया यशराज खन्ना- “मेरी तरफ देखो ।”
बल्ले ने फौरन योगी की तरफ से निगाह हटा ली ।
“जवाब दो, क्या तुमने पुलिस स्टेशन में पहुँचकर ऐसी ही घोषणा की थी ?”
“ह...हाँ, म...मैंने यही कहा था ?”
मुस्कराया यशराज खन्ना- “फिर तो तुमने इंस्पेक्टर योगी को उस लड़की का नाम भी जरूर बताया होगा ?”
“ह...हाँ, नाम बताया था ।”
“क्या नाम बताया था ?”
बल्ले ने अब बेचैनीपूर्वक पहलू बदला ।
इतना तो वह समझ ही चुका था कि यशराज खन्ना उसके ही चलाये तीर से कोई शिकार करना चाहता है ।
“मिस्टर बल्ले !” यशराज खन्ना ने एक नई चाल चली- “क्या तुम्हें उस लड़की का नाम अदालत के सामने दोहराने से कोई ऐतराज है ?”
“न...नहीं, म...मुझे भला क्या ऐतराज हो सकता है ।”
“तो फिर बोलते क्यों नहीं. क्या नाम था उस लड़की का ?”
“म...डॉली ! डॉली नाम था ।”
“यह नाम नोट किया जाये मी लॉर्ड ।” यशराज खन्ना बिजली जैसी तेजी के साथ जज की तरफ घूमा और चिल्लाया- “यह नाम अदालत की कारवाई में खासतौर पर दर्ज किया जाये । इसके अलावा मैं अदालत को एक बात और बताना चाहूँगा कि डॉली नाम की यह लड़की सोनपुर में ही रहती है तथा एक ऑफिस के अंदर टाइपिस्ट के तौर पर काम करती है ।”
दर्शन दीर्घा में सन्नाटा था ।
ऐसा सन्नाटा कि अगर वहाँ कोई सुई भी गिरे, तो आवाज हो ।
☐☐☐
वह नाम अदालत की कार्यवाही में दर्ज कराने के बाद यशराज खन्ना दोबारा बल्ले की तरफ घूम गया था ।
बेचारा बल्ले ! उसे ऐसा लग रहा था, मानों आज वह किसी शेर के जबड़े में आ फंसा हो ।
“मिस्टर बल्ले !” यशराज खन्ना बोला- “अब मैं तुमसे यह पूछना चाहूँगा कि तुमने इंस्पेक्टर योगी के सामने जाकर डॉली का ही नाम क्यों लिया ? सोनपुर में तो और भी दर्जनों लड़कियां रहती हैं, तुमने उनमें से किसी का नाम क्यों नहीं लिया ?”
“क...क्या मतलब ?” बल्ले चौंका ।
“मतलब बिल्कुल साफ है मिस्टर बल्ले- क्या तुमने बुधवार की रात डॉली को अपनी आंखों से चीना पहलवान की लाश के ऊपर लेटे देखा था ?”
“नहीं ।”
यशराज खन्ना चिल्ला उठा- “फिर तुमने पुलिस स्टेशन में जाकर यह घोषणा किस आधार पर की कि उस रात डॉली, राज की ऑटो रिक्शा में थी ? तुमने डॉली का ही नाम क्यों लिया ? जबकि तुमने डॉली को राज की ऑटो रिक्शा में देखा तक नहीं था ।”
“ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड !” पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने एकाएक गला फाड़ा- “डिफेंस काउंसिल साहब बल्ले को क्रॉस एग्जामिन कर रहे हैं, वह उसे उलझन और गहरी पेशोपेश में डालकर होस्टाइल करार देने की कोशिश कर रहे हैं । वरना इन तमाम सवालों का केस से क्या ताल्लुक है ?”
“ताल्लुक है मी लार्ड- ताल्लुक है ।” यशराज खन्ना ने बिना विचलित हुए अपनी बंद मुट्ठी हवा में लहराई- “मेरे इन तमाम सवालों का राज की उस खामोशी से गहरा ताल्लुक है, जो वह बेगुनाह होकर भी विटनेस बॉक्स में एक अपराधी बना खड़ा है । आखिर वह कौन-सा राज है, जिसे एक भोले-भाले इंसान ने अपने सीने में दफन कर रखा है । आप सब लोग चिल्ला-चिल्लाकर उस पर यह झूठा इल्जाम लगा रहे हैं कि बुधवार की रात उसकी ऑटो रिक्शा के अंदर चीना पहलवान की लाश थी, इतना बड़ा झूठा इल्जाम लगने के बावजूद वो चुप है, आखिर क्यों चुप है ? क्या है इस खामोशी की वजह ?”
अब !
अब विटेनस बॉक्स में खड़े राज की आंखों में भी हैरानी के निशान उभरे ।
उसे भी लगा कि यशराज खन्ना सचमुच कोई ‘गेम’ खेलने वाला है ।
“दरअसल मैं बल्ले से जो भी सवाल पूछ रहा हूँ मी लॉर्ड ।” यशराज खन्ना बोला- “उन सवालों के जवाब न सिर्फ राज की खामोशी को तोड़ेंगे बल्कि वो पूरे केस को भी एक ही झटके में हल कर देंगे ।”
“ठीक है, आप सवाल पूछ सकते हैं ।”
“थैंक्यू- थैंक्यू वैरी मच मी लॉर्ड ।” यशराज खन्ना ने एक बार फिर जज के सामने आदर से गर्दन झुकाई तथा पुनः बल्ले से सम्बोधित होकर बोला- “हाँ, तो मिस्टर बल्ले- तुमने बिना देखे यह अंदाजा कैसे लगाया कि तीन जुलाई की रात राज की ऑटो रिक्शा में डॉली रही होगी ?”
बल्ले की जबान बंद !
“इस तरह की घोषणा करने के पीछे कोई तो वजह होगी ?”
बल्ले पागलों की तरह इधर-उधर देखने लगा ।
“मैं तुमसे कोई सवाल पूछ रहा हूँ मिस्टर बल्ले ।” खन्ना थोड़ा गुस्से में बोला- “जवाब दो ।”
“ए...एक मैं ही क्या, क...सोनपुर में रहने वाला कोई भी व्यक्ति यह अंदाजा बड़ी आसानी से लगा सकता है कि वो डॉली रही होगी ।”
“क्यों, ऐसा अंदाजा क्यों लगा सकता है ?”
“क...क्योंकि राज और डॉली एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, जान छिड़कते हैं यह एक-दूसरे पर । फिर भला डॉली के अलावा और कौन लड़की इसकी मदद कर सकती है ।”
“तुम यह कहना चाहते हो ।” यशराज खन्ना ने फौरन शब्द चबाया- “कि राज और डॉली एक-दूसरे के लिये कुछ भी कर सकते हैं ।”
“जी हाँ ।”
“मैंने इन दोनों के विषय में एक बात और भी सुनी है ।” यशराज खन्ना का व्यक्तित्व एकाएक बेहद रहस्यमयी हो उठा और वो बल्ले के थोड़ा करीब पहुँचकर बोला- “मैंने सुना है कि यह दोनों अपने-अपने घर में रहते भी अकेले हैं ?”
“आपने बिल्कुल ठीक सुना है साहब !” बल्ले ने इस बार थोड़ा उत्साह के साथ जवाब दिया- “डॉली तो बहुत पहले से सोनपुर में रहती है, शायद बचपन से ही । पहले डॉली के साथ उसकी मां भी रहती थी- जिसका पिछले साल ही देहान्त हो गया- अब वो घर में बिल्कुल अकेली है ।”
“वैरी गुड ! और राज ?”
“राज ने तो अभी सिर्फ एक महीना पहले से ही सोनपुर में रहना शुरू किया है ।”
“सिर्फ एक महीना पहले से ?”
“जी साहब ।”
“और इस एक महीने में ही राज और डॉली की मोहब्बत इस मुकाम तक पहुँच गयी ।” यशराज खन्ना हैरत से नेत्र फैलाकर बोला- “कि यह एक-दूसरे के लिये कुछ भी कर सकते हैं ? यकीन नहीं होता एकाएक मिस्टर बल्ले ।”
“आप गलत समझ रहे हैं, वकील साहब !” बल्ले बोला- “राज को सोनपुर में रहते जरूर एक महीना हुआ है, लेकिन डॉली और राज की दोस्ती बहुत पुरानी है । मैंने सुना है कि डॉली पहले राज की ऑटो रिक्शा में बैठकर अक्सर ऑफिस जाती थी, बस तभी से उन दोनों के बीच प्रेम हो गया ।”
“फिर तो राज को सोनपुर में घर भी डॉली ने ही दिलाया होगा ?”
“जी हाँ, उसी ने दिलाया था ।”
“वैरी गुड ! वाकई काफी जबरदस्त प्रेम है ।”
खून अब राज की कनपटी पर ठोकरें-सी मारने लगा ।
वह समझ नहीं पा रहा था कि यशराज खन्ना वहाँ उसे बाइज्जत बरी कराने आया है या उसकी इज्जत के परखच्चे उड़ाने आया है ।
“मी लॉर्ड, वैसे मैंने यह भी सुना है ।” यशराज खन्ना एकाएक चीखता हुआ जज की तरफ घूमा- “कि जिस रात इंस्पेक्टर योगी, राज को गिरफ्तार करने सोनपुर में पहुँचा, तो उस समय राज, डॉली के घर में था । जरा कल्पना कीजिये मी लॉर्ड एक नौजवान लड़का, एक नौजवान लड़की के साथ घर में अकेला बंद है । रात का समय है । दरवाजे की उन दोनों ने अन्दर से सिटकनी भी चढ़ा रखी है । एक पूरी ड्रामेटिक सिचुएशन आपके सामने है, क्या यह पूरी सिचुएशन इस बात की तरफ इशारा नहीं करती कि इन दोनों के बीच सिर्फ प्रेम सम्बन्ध ही नहीं थे बल्कि शारीरिक सम्बन्ध भी कायम हो चुके थे । वैसे भी जब दो तपते हुए जिस्म तन्हाई में एक-दूसरे के इतना करीब हों, तो फिर आग लगने से कैसे बच सकती है ।”
“यह सब झूठ है ।” राज दहाड़ उठा- “झूठ है यह सब । मेरे और डॉली के बीच ऐसे कोई सम्बन्ध नहीं थे ।”
“तुम दोनों के बीच सम्बन्ध थे राज !” यशराज खन्ना उससे भी ज्यादा पुरजोर अंदाज में चिंघाड़ा- “सम्बन्ध थे । इतना ही नहीं तीन जुलाई, बुधवार की रात तुम्हारी ऑटो रिक्शा में जो लड़की देखी गयी, वो भी डॉली ही थी, सिर्फ और सिर्फ डॉली ।”
पूरे कोर्ट-रूम में सब दंग रह गये ।
बुरी तरह दंग !
वहाँ सन्नाटा-सा स्थापित हो गया ।
जज से लेकर सरकारी वकील और इंस्पेक्टर योगी तक बेहद भौंचक्की मुद्रा में यह सोचते देखे गये कि आखिर यशराज खन्ना जैसा धुरंधर वकील अपने ही क्लायंट के विरुद्ध क्यों जा रहा है ?”
क्या वजह है ?
क्या कारण है ?
बहुत जल्द ही उस कारण का भी पर्दाफाश हो गया ।
ऐसा जबरदस्त बम विस्फोट कि यही बहुत बड़ा शुक्र था कि कोर्ट-रूम में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति का सस्पेंस के मारे हार्टफेल न हो गया ।
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